कॉमर्स का इतिहास

आज का इतिहास – 21 जून को भारत और विश्व कॉमर्स का इतिहास में कई घटनाओं हुई जिनका इतिहास के पन्नो में नाम दर्ज है और अक्सर आप सभी ने इतिहास के विषय में बहुत सी ऐसी एतिहाशिक घटनायो के बारे में पढ़ा होगा जो 21 जून के इतिहास से संबधित हो, आइए जाने देश और दुनिया के इतिहास में आज के दिन यानी २१ जून को क्या क्या खास घटनाएं हुईं थीं.
History me Career Kaise Banaye
इतिहास मेंं केवल दुनिया कि बातों को ही नही जोड़ा जाता बल्कि आपकी कही हुई बाते भी एक दिन इतिहास बन सकती है।
आपने देखा होगा कि आपके माता पिता आपके पूर्वजों के बारे मेंं बताते है। जो आज दुनिया मेंं नहीं लेकिन उन्हे आज भी याद किया जाता है। आखिर इस इतिहास को किसी ने बनाया तो होगा ही।
इतिहास मेंं प्राचीन मानव संस्करती से जुड़ी पुरानी सभ्यता खंडहरों उनकी गतिविधयो प्राचीन सिक्के , बर्तन चमड़े की किताबे भोजपत्र पर लिखी हुई पुस्तके , शहरों के खंडहर या फिर पुराने किले हो या हो किसी भी प्रकार के प्राचीन अवशेष वस्तुए सभी इतिहास के अंतर्गत ही आती है।
बहुत से छात्रों को पुरानी धरोहरों और पुरानी कथाओ को जानने मेंं बड़ी दिलचस्पी रहती हिय तो यह करियर उनके लिए एक अच्छा अवसर साबित हो सकता है।
इतिहास का सबसे प्रमाणिक साधन पुरातत्व है। जो अत्यंत व्यापक है लाखों करोड़ों वर्ष पहले मनुष्य की गतिविधियों या रहन सहन का अध्ययन पुरातत्व की सहायता से ही संभव हो सकता है।
योग्यता
अगर आप इतिहास के क्षेत्र में अपना करियर शुरू करना चाहते है, तो आपको सबसे पहले अपनी बारहवीं की शिक्षा आर्ट्स स्ट्रीम से करना अनिवार्य है। उसके बाद आप किसी निजी या सरकारी संस्थान से हिस्ट्री में ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन कर सकते है।
- बीए इन हिस्ट्री,
- एन्शिएंट हिस्ट्री,
- मिडुअल हिस्ट्री,
- मॉडर्न हिस्ट्री
- बीए (ऑनर्स) हिस्ट्री
- एमए इन हिस्ट्री,
- एंशिएंट हिस्ट्री, मिडुअल हिस्ट्री/मॉडर्न हिस्ट्री
- एमएससी इन ग्लोबल हिस्ट्री, इकोनॉमिक हिस्ट्री एमफिल इन हिस्ट्री
- पीएचडी इन एन्शिएंट हिस्ट्री आर्कियॉलजी इन पीजी कॉमर्स का इतिहास डिप्लोमा
- आर्काइव कीपिंग इन डिप्लोमा
- म्यूजियॉलजी इन एमए
- कलाकृतियों परिरक्षण एमए
छात्र आर्कियोलॉजी, म्युजियोलॉजी और आर्काइव स्टडीज जैसे विषयों मेंं स्पेशलाइजेशन भी कर सकते हैं।
करियर की संभावनए
अगर कोई भी छात्र इतिहास के क्षेत्र में अपना करियर शुरू करना चाहता है तो यहा पर उनके लिए अलग अलग क्षेत्रों में स्कोप की संभावनाएं मौजूद है। आप इतिहास में पीएचडी करके कॉलेजों या यूनिवर्सिटियों में प्रोफेसर बन सकते हो
असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए आपको इतिहास में पुरातत्व में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद नेट की परीक्षा पास करना अनिवार्य है।
इतिहास एक ऐसा विषय है जो सभी स्कूलों मेंं पढ़ाया जाता है ऐसा मेंं आप उन स्कूलों की भी तलाश कर सकते है जिनमेंं इतिहास के शिक्षकों की कमी हो।
अगर आप इतिहास की पुरानी सभ्यताओ और संस्कृति के बारे में गहन अध्ययन करना चाहते है तो आप उच्च स्तरीय अनुसंधान के क्षेत्र में करियर बना सकते है।
इसके अलावा इतिहासकारों के लिए पर्यटन विभाग में टूरिस्ट गाइड के रूप मेंं विकल्प रहता है या आप अभिलेखागार में पुरातत्वविद् भी बन सकते है। इसे भी जरूर पढे :- फायर इंजीनियर कैसे बने?
नौकरी देने वाले कुछ उच्च शिक्षण संस्थान
विभिन्न राज्यों के सरकारी और निजी संग्रहालय | नेशनल म्यूजियम |
भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद | राष्ट्रीय अभिलेखागार |
विदेश मंत्रालय में हिस्टोरिकल विभाग | नेहरू मेमोरियल |
मानव संसाधन विकास मंत्रालय | नेशनल पार्क सर्विसेज |
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग | पब्लिशिंग कंपनी |
हेरिटेज ऑर्गेनाइजेशन | टूरिस्ट कंपनी |
म्यूजियम क्यूरेटोर | आर्कियोलॉजिस्ट |
हेरिटेज मैनेजर | इतिहास जर्नलिस्ट |
कंजर्वेशन ऑफिसर | लाइब्रेरियन |
म्यूजियम एगजीबीशन ऑफिसर | स्कूल टीचर |
प्रोफेसर | आरकीविस्ट |
शिक्षक नियोजन : भूगोल और इतिहास की अनिवार्यता खत्म
पटना : शिक्षा विभाग ने मध्य विद्यालयों में शिक्षकों के नियोजन में कला विषय में भूगोल और इतिहास की अनिवार्यता खत्म कर दी है. विभाग ने यह अहम फैसला मंगलवार को लिया. 2019 के नियोजन में शिक्षा विभाग की तरफ से दी गयी यह शिथिलता प्रभावी होगी. इस फैसले के बाद अब मध्य विद्यालय के नियोजन में आवेदन के लिए आर्ट और कॉमर्स दोनों के स्नातक विद्यार्थी आवेदन कर सकते हैं.
शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने इस संबंध में निर्णय लेने के लिए पिछले दिनों एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित की थी. इस कमेटी की रिपोर्ट पर ही आर्ट में इतिहास और भूगोल की अनिवार्यता शिथिल की गयी है. फिलहाल शिक्षा विभाग के इस फैसले से प्राथमिक नियोजन की प्रक्रिया में भाग लेने के इच्छुक उन लाखों विद्यार्थियों को फायदा होगा, जो कला में स्नातक होते हुए भी विषय के रूप में इतिहास और भूगोल न पढ़ने की वजह से आवेदन नहीं कर पाते थे.
ई-कॉमर्स रिव्यू पर दिशानिर्देश जल्द
ई-कॉमर्स और अन्य प्लेटफॉर्मों पर सभी उत्पादों व सेवाओं के लिए फर्जी रिव्यू पोस्ट करने को लेकर केंद्र सरकार इस सप्ताह दिशानिर्देश जारी करेगी। सूत्रों ने कहा कि दिशानिर्देश में कंपनियों को निर्देश दिया जा सकता है कि वे रिव्यू करने वालों से पहचान का ब्योरा मांगें, जिसमें बिल, दस्तावेज, फोटो और वीडियो शामिल हैं, जिससे केवाईसी की विधि के मुताबिक उसकी फिर से जांच की जा सके। सूत्रों का कहना है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को यह भी कहा जाएगा कि वे अन-वैरीफायड ग्राहकों व समीक्षा करने वालों को हटाएं और ऐसा करने में विफल रहने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
दिशानिर्देशों में उल्लिखित नियम शुरुआत में स्वैच्छिक होंगे, लेकिन अगर कंपनियां दिशानिर्देशों का पालन नहीं करती हैं तो कुछ समय बाद अनिवार्य किया जाएगा। जून में गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर भारतीय मानक ब्यूरो ने दिशानिर्देश तैयार किए हैं। समिति में सभी हिस्सेदारों- एडजवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल आफ इंडिया, कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल थे।
राजकीय शिक्षण महाविद्यालय के 14 छात्रों ने रचा इतिहास
चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय से संबंधित राजकीय शिक्षण महाविद्यालय ने भिवानी का नाम रोशन करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में भी भिवानी का परचम लहराया है। इस साल हुई नेट जेआरएफ की परीक्षा में राजकीय शिक्षण महाविद्यालय कॉमर्स का इतिहास के कुल 14 विद्यार्थियों ने परीक्षा उत्तीर्ण कर महाविद्यालय और विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया जिसमें विशाखा ज्योग्राफी, रेखा संस्कृत ,नीरज पॉलिटिकल साइंस, दीपेंद्र कौशिक हिस्ट्री, सविता कॉमर्स ,प्रसानी ज्योग्राफी, निकिता कॉमर्स रेखा इकोनॉमिक्स , कर्मा बाई जियोग्राफी, रचना कॉमर्स, खुशबू लाइव साइंस , निकिता कॉमर्स, पूनम कुमारी ज्योग्राफी, कपीश जूलॉजी, पूनम कॉमर्स के साथ महाविद्यालय के अन्य विद्यार्थियों ने सीटेट स्टेट परीक्षा में भी महाविद्यालय का नाम रोशन किया है। अगर पिछले 3 सालों का रिकॉर्ड देखा जाए तो महाविद्यालय से कुल 50 से भी ज्यादा विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की है। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. दलबीर सिंह गोदारा महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. वेद प्रकाश, डॉ. मुकेश यादव ,अमित कुमार, डॉ. रचना शर्मा, मनोज धारीवाल के मार्गदर्शन और सानिध्य में अपना लक्ष्य हासिल किया। महाविद्यालय के नॉन टीचिंग स्टाफ में शामिल मनीष कुमार घनघस, विमल कुमार, युद्धवीर सिंह,मनवीर सिंह, महेश कुमार आदि ने भी पूरा सहयोग कर बच्चों का अपना लक्ष्य हासिल करने में मदद की। चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजकुमार मित्तल एवं कुलसचिव श्रीमती ऋतु सिंह ने राजकीय शिक्षण महाविद्यालय के 14 विद्यार्थियों द्वारा नेट,गेट एवं जेआरएफ की परीक्षा उत्तीर्ण करने पर उन्हें सफलता की हार्दिक बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।