गोल्ड और ईटीएफ

गोल्ड ईटीएफ बेहतर या सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड
हालिया दिनों कीमतों में आई नरमी के बाद निवेश के नजरिये से सोने के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। लोग यह भी समझने लगे गोल्ड और ईटीएफ हैं कि फिजिकल गोल्ड के बजाय पेपर गोल्ड में निवेश करना ज्यादा बेहतर है। लेकिन ज्यादातर लोग इस बात को लेकर दुविधा में होते हैं कि पेपर गोल्ड में निवेश के दो गोल्ड और ईटीएफ पॉपुलर विकल्प यानी गोल्ड ईटीएफ और सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड में से किसमें निवेश किया जाए। आज अलग-अलग कसौटियों पर इन्हीं दो विकल्पों को परखते हैं ताकि निवेशकों को किसी एक विकल्प के चयन में आसानी हो सके।
निवेश की सीमा
सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड ईटीएफ दोनो में निवेशकों को प्रति यूनिट गोल्ड में निवेश का मौका मिलता है। लेकिन इसके लिए उन्हें फिजिकल फॉर्म में सोना रखने की जरूरत नहीं होती। गोल्ड ईटीएफ और बॉन्ड दोनों में एक यूनिट की कीमत 1 ग्राम सोने की कीमत के बराबर होती है। मतलब आप सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड ईटीएफ दोनों में कम से कम 1 ग्राम गोल्ड के बराबर वैल्यू की एक यूनिट में निवेश कर सकते हैं। गोल्ड ईटीएफ में अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है। जबकि सॉवरिन बॉन्ड में एक व्यक्ति एक वित्त वर्ष में अधिकतम 4 किलोग्राम सोने की कीमत के बराबर यूनिट में निवेश कर सकता है। ध्यान रहे गोल्ड ईटीएफ और सॉवरिन बॉन्ड दोनों में सोना सिर्फ अंडरलाइंग एसेट है इसलिए रिडेम्प्शन के बाद फिजिकल गोल्ड नहीं बल्कि अंडरलाइंग ऐसेट यानी सोने की कीमत भारतीय रुपये में मिलेगी।
खरीद-बेच की सुविधा
गोल्ड ईटीएफ को आप स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर कैश ट्रेडिंग के लिए निर्धारित समय के दौरान कभी भी खरीद या बेच सकते हैं। लेकिन सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड सरकार की तरफ से आरबीआई समय-समय/ निश्चित अंतराल पर जारी करती है। इसे कभी भी बेचा नहीं जा सकता है। बॉन्ड की मैच्योरिटी पीरियड आठ वर्ष की है। लेकिन पांचवें, छठे और सातवें वर्ष में बॉन्ड को बेचने का विकल्प यानी एग्जिट ऑप्शन है, जिसका इस्तेमाल ब्याज भुगतान की तारीख पर किया जा सकता है। हां, डीमैट फॉर्म में इस बॉन्ड को लेने वाले इसे स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग आवर्स के दौरान कभी भी बेच सकते हैं।
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट
गोल्ड ईटीएफ के लिए डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट का होना जरूरी है। जबकि सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड के लिए डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट का होना जरूरी नहीं है। हां, अगर आप सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड की एक्सचेंज पर ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको बॉन्ड को डीमैट फॉर्म में लेना होगा। जिसके लिए डीमैट अकाउंट का होना जरूरी है। सबसि्क्रप्शन के दौरान ही आपको सॉवरिन बॉन्ड फिजिकल फॉर्म (सर्टिफिकेट) के अतिरिक्त डीमैट फार्म में भी लेने का विकल्प मिलता है।
जोखिम
सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड सरकार की तरफ से आरबीआई जारी करती है। इसलिए इसमें डिफॉल्ट का कोई जोखिम नहीं है। जबकि प्राइवेट असेट मैनेजमेंट कंपनियां गोल्ड ईटीएफ मैनेज करती है। इसमें भी डिफॉल्ट का खतरा काफी कम होता है।
ब्याज
सॉवरिन बॉन्ड में इनिशियल इन्वेस्टमेंट / इश्यू प्राइस पर 2.5 फीसदी वार्षिक ब्याज मिलता है। यह हर 6 महीने में देय होता है। अंतिम ब्याज मैच्योरिटी पर इनिशियल इन्वेस्टमेंट यानी प्रिंसिपल अमाउंट के साथ दिया जाता है। लेकिन ब्याज की कंपाउंडिंग नहीं होती है। ब्याज की रकम भी टैक्सेबल है। हालांकि ब्याज पर कोई टीडीएस नहीं कटता है। जबकि गोल्ड ईटीएफ पर आपको कुछ भी ब्याज नहीं मिलता।
एक्सपेंस/खर्च
गोल्ड ईटीएफ मैनेज करने के एवज में फंड हाउस निवेशक से चार्ज वसूलते हैं। जिसे टोटल एक्सपेंस रेश्यो (टीईआर) कहते हैं। इसके अतिरिक्त जब भी आप यूनिट खरीदते या बेचते हो ब्रोकर को ब्रोकरेज चार्ज देना होता है। जबकि सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड में इस गोल्ड और ईटीएफ तरह का कोई अतिरिक्त एक्सपेंस नहीं है। हां, अगर आप सॉवरिन बॉन्ड को एक्सचेंज पर खरीदोगे या बेचोगे तो आपको ब्रोकरेज चार्ज देना होगा।
लोन
जरूरत पड़ने पर गोल्ड बॉन्ड के एवज में बैंक से लोन भी लिया जा सकता है। मतलब लोन के लिए गोल्ड बॉन्ड पेपर को कोलैटरल यानी जमानत/गारंटी के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन गोल्ड ईटीएफ पर यह सुविधा नहीं है।
टैक्स
अगर सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड को मैच्योरिटी के बाद रिडीम करते हैं तो आपको रिटर्न पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन गोल्ड ईटीएफ पर इस तरह का टैक्स बेनिफिट नहीं है। गोल्ड ईटीएफ पर टैक्स डेट फंड की तरह लगता है। मतलब अगर खरीदने के बाद 36 महीने पूरे होने से पहले रिडीम करते हैं तो जिस वर्ष आप रिडीम करते हैं उस वर्ष रिटर्न/लाभ आपके एनुअल इनकम में जुड़ जाएगा और आपको टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना पडेगा। लेकिन अगर 36 महीने पूरे होने के बाद रिडीम करते हैं तो इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस और सरचार्ज मिलाकर 20.8 फीसदी) लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पडेगा।
लेकिन सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड को भी अगर मैच्योरिटी से पहले यानी 8 साल से पहले रिडीम करते हैं तो गोल्ड ईटीएफ की तरह ही टैक्स देना होगा। कहने का मतलब सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड पर टैक्स बेनिफिट तभी है जब आप उसे मैच्योरिटी पीरियड तक होल्ड करते हो। फिजिकल गोल्ड पर भी गोल्ड ईटीएफ की तर्ज पर ही टैक्स लगता है।
लिक्विडिटी
गोल्ड ईटीएफ को स्टॉक एक्सचेंज पर कभी भी खरीदा बेचा जा सकता है। मतलब लिक्विडिटी की समस्या यहां नहीं है। लेकिन सॉवरिन बॉन्ड को कम से कम 5 साल के बाद ही रिडीम किया जा सकता है। लेकिन मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने पर टैक्स बेनिफिट से हाथ धोना पड़ेगा। दूसरी बात अगर आप स्टॉक एक्सचेंज पर कभी भी शार्ट यानी बेचना चाहेंगे तो आपको या तो पर्याप्त खरीदार नहीं मिलेंगे या मिलेंगे भी तो मार्केट प्राइस के नीचे यानी डिस्काउंट पर। यानी गोल्ड ईटीएफ की तुलना में सॉवरिन बॉन्ड में लिक्विडिटी निश्चित रूप से कम है।
निष्कर्ष / सलाह
अगर आप बॉन्ड को उसकी मैच्योरिटी पीरियड तक होल्ड कर सकते हैं तो आपके लिए सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड बेहतर है। लेकिन अगर आप कभी खरीदना बेचना चाहते हैं, यानी 8 साल तक होल्ड नहीं कर सकते हैं तो आपको गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना चाहिए।
गोल्ड ETF से डिजिटल सोने को मिली चमक, निवेश को मिला बढ़ावा, जानें कैसे
गोल्ड ईटीएफ ने भौतिक रूप में की गई खरीदारी की तुलना में अधिक लाभ देकर डिजिटल गोल्ड में निवेश को बढ़ावा दिया है. इन ईटीएफ को खुले बाजार में शेयरों की तरह खरीदा और बेचा जा सकता है, और बिना किसी अतिरिक्त लागत के डीमैट खातों में संरक्षित किया जा सकता है.
हैदराबाद : हाल के दिनों में, गोल्ड ईटीएफ (Exchange Traded Funds) ने भौतिक धातु की तुलना में निवेशकों को अधिक लाभ देकर डिजिटल सोने (Digital gold) में निवेश को बढ़ावा दिया है. सोना एक ऐसा धातु है, जो सदियों से अपने भौतिक रूप में किसी भी आर्थिक संकट का सामना करने की अपनी क्षमता साबित करता आया है. अब, अपने डिजिटल रूप में, सभी वर्गों के लोगों को विश्वास के साथ निवेश करने के लिए अधिक अवसर प्रदान करके सोना और भी मजबूत होकर उभर रही है.
हर शुभ अवसर या त्योहार के लिए लोग सोना खरीदते हैं. इसके सजावटी मूल्य और एक योग्य निवेश गोल्ड और ईटीएफ के रूप में इसका अधिक महत्व है. पूरी दुनिया सोने को एकमात्र निवेश साधन के रूप में मानती है जो महंगाई का सामना कर सकता है. वे दिन गए जब केवल अमीर ही कीमती धातु में निवेश कर सकते थे. आजकल, कंपनियां सोने में छोटे निवेश करने के अवसर प्रदान कर रही हैं. इसके तहत गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (Gold ETF) को अच्छा संरक्षण मिल रहा है. जानिए, इसमें आपको किन फायदों का इंतजार है.
आम धारणा यह है कि सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितताओं को दूर करने के लिए सोने का निवेश सुरक्षित है. भले ही वे किसी विशेष अवधि में किसी देश की अर्थव्यवस्था को कितनी बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं. इतिहास पर एक नजर डालने से पता चलता है कि कैसे सोना स्थिर रहा और हर संकट का सामना करके सुनिश्चित रिटर्न दिया है.
दशकों से, सोने को उसके मूल्य के लिए धन के प्रतीक के साथ-साथ एक विश्वसनीय निवेश के रूप में मान्यता मिली है. एक और आकर्षक विशेषता इसकी आसान लिक्विडिटी है. सोने को सिक्योरिटी के तौर पर इस्तेमाल कर हम कहीं भी आसानी से लोन प्राप्त कर सकते हैं. इन विविध कारणों से, लोग एक तरफ सीधे इसे खरीदकर और डिजिटल गोल्ड बॉन्ड या ईटीएफ का विकल्प चुनकर, सोने में तेजी से निवेश कर रहे हैं.
निवेश पोर्टफोलियो में विविधता की तलाश करने वालों को पहले सोने के निवेश की ओर देखना चाहिए. लंबी अवधि के निवेश पर इक्विटी से अच्छा रिटर्न मिल सकता है. लेकिन निवेशकों के लिए केवल एक प्रकार के निवेश को चुनना उचित नहीं है. जोखिम कारक तभी कम होगा जब निवेश में विविधता होगी, जिससे हाई रिटर्न भी सुनिश्चित होगा. बाजार के पतन के समय में, बॉन्ड सुरक्षा देता है. जब बाजार में उछाल होता है, तो इक्विटी अधिक लाभ प्रदान करती है.
पिछले अनुभव से पता चलता है कि कैसे मंदी के समय में सभी प्रकार के निवेशों ने प्रतिकूल परिणाम दिखाए हैं. हालांकि, सोना इसका अपवाद है. 2008 की वैश्विक मंदी में, शेयरों, हेज फंड, रियल्टी, वस्तुओं और सभी निवेशों पर प्रतिकूल प्रतिक्रिया आई है. हालांकि, दिसंबर 2007 से फरवरी 2009 तक की सबसे कठिन अवधि के दौरान केवल सोना ही इस प्रभाव का सामना कर पाया. यही कारण है कि स्थिरता के लिए किसी के निवेश पोर्टफोलियो में सोने को शामिल किया जाना चाहिए.
भारतीय निवेशकों के पास सोने की कई तरह की योजनाओं को चुनने का अवसर है. वे व्यवस्थित और लंबी अवधि के निवेश के लिए गोल्ड ईटीएफ देख सकते हैं. गोल्ड ईटीएफ यूनिट भारतीय बाजारों में सोने की दरों को दर्शाती हैं. जब ये ईटीएफ खरीदे जाते हैं, तो इसका मतलब है कि डीमैट खातों में सोना डिजिटल रूप में होता है. प्रत्येक गोल्ड ईटीएफ यूनिट के लिए बैकअप के रूप में भौतिक सोना होता है. हम इन गोल्ड ईटीएफ यूनिट को खुले बाजार में शेयरों की तरह ही खरीद और बेच सकते हैं.
म्यूचुअल फंड द्वारा उपलब्ध कराए गए गोल्ड ईटीएफ में व्यय अनुपात कम होता है. मेकिंग या वेस्टेज चार्जेस का कोई खतरा नहीं होता है. बिना सीधे सोना खरीदे कोई भी व्यक्ति सुरक्षा और रिटर्न का लाभ उठा सकता है. व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) भी सोने के निवेश की पेशकश करती है. ऐसी योजनाएं मूल्य में उतार-चढ़ाव के जोखिम के बिना सुनिश्चित औसत रिटर्न प्रदान करती हैं.
इस दिवाली सोना खरीदने की सोच रहे हैं आप, वो भी ज्वेलरी, क्यों? फायदे वाले ये 3 विकल्प!
फेस्टिव सीजन के दौरान लोग सोने में निवेश करते हैं. क्योंकि सोने में निवेश को शुभ माना जाता है. अगर आप भी इस त्योहारी सीजन में सोना खरीदने की सोच रहे हैं तो फिर उससे पहले एक बार नफा-नुकसान का आंकलन जरूर कर लें.
अमित कुमार दुबे
- नई दिल्ली,
- 21 अक्टूबर 2021,
- (अपडेटेड 21 अक्टूबर 2021, 4:55 PM IST)
- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में कर सकते हैं निवेश
- बेहतर रिटर्न के लिए गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश
- डिजिटली गोल्ड में निवेश पर ज्यादा रिटर्न संभव
फेस्टिव सीजन के दौरान लोग सोने में निवेश करते हैं. क्योंकि सोने में निवेश को शुभ माना जाता है. अगर आप भी इस त्योहारी सीजन में सोना खरीदने की सोच रहे हैं तो फिर उससे पहले एक बार नफा-नुकसान का आंकलन जरूर कर लें. क्योंकि अगर आप निवेश के नजिरिये से सोना खरीदना चाह रहे हैं तो ये जरूरी नहीं है कि ज्वेलरी ही खरीदें.
ज्वेलरी के अलावा भी तीन अन्य सोने में निवेश के विकल्प हैं, जिसमें ज्वेलरी से ज्यादा रिटर्न रिटर्न मिलता है और भी कई फायदे हैं. दरअसल, भारत में निवेश के लिए सोना गोल्ड और ईटीएफ एक भरोसेमंद विकल्प होता है. वर्षों से लोग अपनी बचत को सोने में निवेश करते आए हैं. आइए जानते हैं, सोने में निवेश के अलग-अलग विकल्पों के बारे में.
आज की तारीख में डिजिटल तरीके से गोल्ड में निवेश सबसे बेहतर विकल्प है. जिसके जरिये आप बेहतर रिटर्न हासिल कर सकते हैं. इस कड़ी में पहला नाम सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bonds) का आता है. यह एक तरह का पेपर गोल्ड या डिजिटल गोल्ड होता है, जिसमें आपको एक सर्टिफिकेट दिया जाता है कि आप किस रेट पर सोने की कितनी मात्रा में निवेश कर रहे हैं.
सॉवरेन गोल्ड बांड्स
साल 2015 से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश का विकल्प आया है. यह आरबीआई जारी करता है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में कम से कम एक ग्राम सोने की खरीदारी की जा सकती है. निवेशकों को ऑनलाइन या कैश से इसे खरीदना होता है और उसके बराबर मूल्य का सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड उन्हें जारी कर दिया जाता है. इसकी मैच्योरिटी पीरियड आठ साल की होती है. लेकिन पांच साल के बाद इसमें बाहर निकलने का विकल्प भी है. फिजिकली सोने की खरीदारी कम करने के लिए यह स्कीम लॉन्च की गई है. (Photo: File)
सॉवरेन गोल्ड बांड्स के फायदे
अगर फायदे की बात करें तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में सालाना 2.5 फीसदी का ब्याज भी मिलता है. गोल्ड बॉन्ड में न्यूनतम एक ग्राम सोना का निवेश किया जा सकता है और आम आदमी के लिए अधिकतम निवेश की सीमा चार किलोग्राम है, जबकि हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के लिए चार किलोग्राम और ट्रस्ट के लिए यह सीमा 20 किलोग्राम है. पिछले कुछ सालों में लोगों का रुझान सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में तेजी से बढ़ा है.
गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF)
अगर आपको गोल्ड बॉन्ड में निवेश करना महंगा लग रहा है तो आप ऑनलाइन गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) में निवेश कर सकते हैं. इसके लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना चाहिए. गोल्ड ईटीएफ या म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करने का फायदा यह है कि आप इनकी बड़ी आसानी से ऑनलाइन खरीद-बिक्री कर सकते हैं.
गोल्ड ETF एक इन्वेस्टमेंट फंड होता है, जिसकी शेयर बाजार में एक्सचेंजों पर शेयरों की तरह ही खरीद-फरोख्त होती है. इलेट्रॉनिक फॉर्म में होने की वजह से ये सुरक्षित होते हैं. यह फिजिकल गोल्ड के मुकाबले ज्यादा लिक्विड होता है, यानी इसकी खरीद-फरोख्त आसान होती है. इसमें कम से गोल्ड और ईटीएफ कम मात्रा में आप सोने में निवेश कर सकते हैं और मेकिंग चार्ज जैसा नुकसान नहीं होता. इसमें आपको प्योरिटी को लेकर भी किसी तरह की चिंता नहीं होती.
गोल्ड म्यूचुअल फंड
गोल्ड फंड एक तरह के म्यूचुअल फंड होते हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्वर्ण भंडारों में निवेश करते हैं. इसके द्वारा भी आप घर में फिजिकल गोल्ड रखने की झंझट से बचते गोल्ड और ईटीएफ हुए सोने में निवेश कर सकते हैं. ऐसे ज्यादातर फंड गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते हैं. इसकी भी खरीद-फरोख्त आसान होती है. आप किसी बैंक में, किसी इनवेस्टमेंट एजेंट के पास जाकर या किसी म्यूचुअल फंड की वेबसाइट से ऑनलाइन इसकी खरीद कर सकते हैं.
डिजिटल गोल्ड
सोने में निवेश के लिए डिजिटल गोल्ड भी एक जरिया है. कई बैंक, मोबाइल वॉलेट और ब्रोकरेज कंपनियां एमएमटीसी-पीएएमपी या सेफगोल्ड के साथ टाइअप कर अपने ऐप के जरिए गोल्ड की बिक्री करती हैं. इसके अलावा आप शेयर बाजार में कमोडिटी एक्सचेंज के तहत भी गोल्ड की खरीद-बिक्री कर सकते हैं.
फिजिकली गोल्ड
सबसे पुराना और आसान तरीका है, लोग निवेश के तौर पर सोने की ज्वेलरी या फिर सिक्के खरीदते हैं. आप किसी ज्वेलर्स के पास जाकर या फिर ऑलनाइन गोल्ड खरीद सकते हैं. कई कंपनियां घर तक ज्वेलरी पहुंचा देती हैं. ग्रामीण इलाकों में लोग आज भी सोने में निवेश के लिए ज्वेलरी ही चुनते हैं.
फिजिकली गोल्ड के नुकसान
अगर आप निवेश के लिहाज से सोना खरीदना चाहते हैं तो डिजिटल गोल्ड में निवेश करना चाहिए. क्योंकि ज्वेलरी खरीदते वक्त मेकिंग चार्ज वसूला जाता है. लेकिन जब आप वही ज्वेलरी बेचने के लिए जाएंगे तो मेकिंग चार्ज माइनस कर दिया जाता है. इसके अलावा ज्वेलरी में प्योरिटी को लेकर भी मन में सवाल उठता है. इन कारणों से फिजिकली सोना खरीदना एक तरह से घाटे का सौदा है.
निवेशकों ने गोल्ड ईटीएफ से फरवरी में 248 करोड़ रुपए निकाले
नई दिल्लीः निवेशकों का रुझान अन्य विकल्पों की तुलना में शेयरों की ओर बढ़ने से फरवरी में गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड कोषों (ईटीएफ) से 248 करोड़ रुपए की निकासी देखने को मिली है। यह लगातार दूसरा महीना है जबकि गोल्ड ईटीएफ से निवेशकों ने निकासी की है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में निवेशकों ने गोल्ड ईटीएफ से 452 करोड़ रुपए निकाले थे। इससे पहले दिसंबर में गोल्ड ईटीएफ में शुद्ध निवेश 313 करोड़ रुपए रहा था।
निकासी के बावजूद इस श्रेणी में प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां (एयूएम) फरवरी के अंत तक बढ़कर 18,727 करोड़ रुपए हो गईं, जो जनवरी के अंत तक 17,839 करोड़ रुपए थीं। इस दौरान गोल्ड ईटीएफ में फोलियो की संख्या 3.09 लाख बढ़कर 37.74 लाख हो गई।
एलएक्सएमई की संस्थापक प्रीति राठी गुप्ता ने कहा कि यह रुख दर्शाता है कि स्वर्ण संपत्तियों को निवेशकों द्वारा पोर्टफोलियो के विविधीकरण और बाजार उतार-चढ़ाव में ‘हेजिंग’ के लिए इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस समय निवेशकों ने गोल्ड ईटीएफ से निकासी संभवत: आकर्षक रिटर्न की वजह से अपने पोर्टफोलियो को पुन: संतुलित करने के लिए की है।
मॉर्निंगस्टार इंडिया की वरिष्ठ विश्लेषक-प्रबंधक शोध कविता कृष्णन ने कहा कि निवेशक सोने को हमेशा ऐसी संपत्ति के रूप में तरजीह देते हैं जिसका इस्तेमाल जोखिम से बचाव और अपने निवेश के विविधीकरण के लिए किया जा सकता है।
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Gold ETF: निवेशकों का सोने से मोह नहीं हुआ भंग, जून तिमाही में गोल्ड ईटीएफ में निवेश किए 1328 करोड़ रुपये
निवेशकों ने गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (गोल्ड ईटीएफ) में जून 2021 को समाप्त तिमाही में 1328 करोड़ रुपये का निवेश किया है। विशेषज्ञों गोल्ड और ईटीएफ का मानना है कि चालू वित्त वर्ष के शेष महीनों में निवेश का यह प्रवाह जारी रहेगा।
नई दिल्ली, पीटीआइ। निवेशकों ने गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (गोल्ड ईटीएफ) में जून, 2021 को समाप्त तिमाही में 1,328 करोड़ रुपये का निवेश किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि चालू वित्त वर्ष के शेष महीनों में निवेश का यह प्रवाह जारी रहेगा। एसोसिएशन आफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। बता दें कि पिछले वर्ष समान तिमाही में गोल्ड ईटीएफ में निवेश का आंकड़ा 2,040 करोड़ रुपये रहा था।
क्वांटम म्यूचुअल फंड के सीनियर फंड मैनेजर (अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट) चिराग मेहता ने कहा कि कोरोना को देखते हुए पिछले साल जून तिमाही में गोल्ड ईटीएफ में निवेश उल्लेखनीय रहा था। इस साल जून की तिमाही में अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद के बीच निवेश का प्रवाह कुछ कम रहा है।
मार्केट पल्स के चीफ प्रोडक्ट आफिसर अरशद फहौम ने कहा कि पिछले साल गोल्ड ईटीएफ में महामारी की वजह से संपत्ति की कीमतों को लेकर अनिश्चितता बढ़ने और मुद्रास्फीति की वजह से निवेश बढ़ा था। इसी तरह की राय ग्रीन पोर्टफोलियो के सह-संस्थापक दिवम शर्मा ने भी जताई है। उन्होंने कहा कि 2020-21 की पहली छमाही में गोल्ड ईटीएफ में निवेश का प्रवाह काफी मजबूत रहा था। कोरोना की पहली लहर के बीच अनिश्चितता के चलते गोल्ड ईटीएफ की ओर निवेशक आकर्षित हुए थे।
गोल्ड ईटीएफ क्या होता है
पेपर गोल्ड (Paper Gold) में निवेश (Investment) करने का सबसे अच्छा तरीका गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) खरीदना है। यह एक ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड (Open Ended Mutual Fund) होता है, जो सोने की गिरते और चढ़ते भावों पर आधारित होता है। ईटीएफ बहुत अधिक कॉस्ट-इफेक्टिव होता है। एक गोल्ड ईटीएफ यूनिट का मतलब है कि एक ग्राम सोना और वह भी पूरी तरह से शुद्ध। यह सोने में इन्वेस्टमेंट के साथ स्टाक में निवेश का भी विकल्प देता है। गोल्ड ईटीएफ की खरीद और बिक्री शेयर की ही तरह बीएसई और एनएसई पर की जा सकती है।