भारतीय शहरों में चलने लगी विदेशी मुद्रा

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सुधरी आबोहवा तो हटीं पाबंदियां
दिल्ली व पड़ोसी शहरों में जहरीली हो चुकी हवा में अब कुछ सुधार हुआ है। जिसके बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने ग्रेप-4 की पाबंदियों को वापस ले लिया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक 6 नवंबर को बीते 24 घंटे में दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 339 दर्ज किया गया, जो शुक्रवार को 450 था। इस तरह यह सूचकांक गंभीर श्रेणी से घटकर बहुत खराब श्रेणी में आ गया है।
रविवार को नोएडा का एक्यूआई 330, गाजियाबाद का 288, गुरुग्राम का 308 और फरीदाबाद का 311 दर्ज किया गया। आयोग के द्वारा एक्यूआई में सुधार के कारण प्रदूषण संबंधी ग्रेप के चौथे चरण की पाबंदी हटा दी गई हैं। इस चरण के तहत 3 नवंबर को दिल्ली में जरूरी सामानों के अलावा अन्य डीजल ट्रकों की प्रवेश पर रोक के साथ ही राजधानी के अंदर दिल्ली में पंजीकृत मीडियम और भारी वाहनों के संचालन पर भी पाबंदी लगाई गई थी।
हालांकि आवश्यक सामानों से जुड़े वाहनों को छूट दी गई थी। आवश्यक सामानों और सेवाओं को छोड़कर अन्य बीएस-4 के डीजल वाहनों के दिल्ली और पड़ोसी शहरों में चलाने पर पाबंदी लगी थी। प्रदूषित या गैर अधिकृत ईंधन पर चलने वाले उद्योगों पर भी पाबंदी थी। आपातकालीन उद्योग दूध, डेयरी, दवाइयों व मेडिकल सामानों को छूट थी।
सरकारी और निजी दफ्तरों में 50 फीसदी कर्मी वर्क फ्रॉम होम, स्कूल व कॉलेज बंद करने और वाहन सम-विषम आधार पर चलाने का निर्णय राज्य सरकारों पर छोड़ दिया गया था। अब ये पाबंदियां हवा सुधरने के बाद ग्रेप हटने से आयोग की ओर से निरस्त हो गई हैं। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ग्रेप-4 के इस आदेश के संबंध में सोमवार को उच्च स्तरीय बैठक करेंगे।
इस बीच, पराली जलने की घटनाएं बढ़ रही है। इस साल अक्टूबर में पंजाब में 16,004 हरियाणा में 1,995 उत्तर प्रदेश में 768 और राजस्थान में 318 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। पिछले साल अक्टूबर में पंजाब में 13,269, हरियाणा में 2,914 उत्तर प्रदेश में 1060 और राजस्थान में 124 पराली जलने की घटनाएं हुई थी।
केंद्रीय विज्ञान व तकनीक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि राजस्थान और पंजाब में क्रमशः 160 और 20 फीसदी पराली जलाने की घटनाएं बढ़ते प्रदूषण के लिए चिंताजनक हैं, जबकि हरियाणा में 30 और उत्तर प्रदेश में 38 फीसदी इन घटनाओं में कमी आई है। सिंह ने कहा कि पंजाब में नवंबर माह के 5 दिन में ही 13,396 पराली जलने की घटनाएं दर्ज की गई, जबकि पूरे अक्टूबर में यह आंकड़ा 16,002 था। इस साल अक्टूबर में कुल 19,085 पराली जलने की घटनाएं दर्ज की गई, जबकि पिछले साल अक्टूबर में यह आंकड़ा 17,367 था।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान द्वारा संचालित वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (एक्यूईडब्ल्यूएस) ने पीएम 2.भारतीय शहरों में चलने लगी विदेशी मुद्रा 5 के प्रदूषण स्तर में पराली जलाने के योगदान का अनुमान लगाया है। इसके अनुसार 1 नवंबर को यह योगदान 9.7 फीसदी, 2 नवंबर को 7.4 फीसदी, 3 नवंबर को 32 फीसदी और 4 नवंबर को 17.8 फीसदी अनुमानित है।
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संघर्ष से लेकर जलवायु संकट तक, महात्मा गांधी के विचारों में आज की चुनौतियों का जवाब है: प्रधानमंत्री
मोदी ने ग्रामीण विकास की दिशा में सरकार के विभिन्न प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का अलग होना ठीक है। अंतर ठीक है, असमानता नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि महात्मा गांधी के विचारों में जलवायु संकट सहित आधुनिक समय की चुनौतियों का जवाब है। साथ ही, प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य की दिशा में काम करने के लिए गांधी से प्रेरित है।
यहां गांधीग्राम ग्रामीण संस्थान के 36वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘गांधीवादी मूल्य बहुत प्रासंगिक होते जा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चाहे संघर्ष को समाप्त करने की बात हो या जलवायु संकट, महात्मा गांधी के विचारों में आज की कई चुनौतियों का जवाब है। गांधीवादी जीवन शैली के छात्र के रूप में आपके पास एक बड़ा प्रभाव डालने का एक बड़ा अवसर है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘महात्मा गांधी को सबसे अच्छी श्रद्धांजलि उनके दिल के करीबी विचारों पर काम करना है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी ने खादी को गांवों में ‘‘स्वशासन के औजार’’ के रूप में देखा और उनसे प्रेरित होकर केंद्र देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘खादी को लंबे समय तक उपेक्षित किया गया। लेकिन ‘नेशन के लिए खादी से लेकर फैशन के लिए खादी’ के आह्वान के माध्यम से यह बहुत लोकप्रिय हो गयी है और पिछले आठ वर्षों में बिक्री में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।’’
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) का पिछले साल रिकॉर्ड एक लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यहां तक कि वैश्विक फैशन ब्रांड भी खादी को अपना रहे हैं क्योंकि यह पर्यावरण के अनुकूल सामग्री है। यह बड़े पैमाने पर उत्पादन की क्रांति नहीं है। यह जनता द्वारा उत्पादन की क्रांति है।’’
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी चाहते थे कि गांवों का विकास हो और साथ ही उन्होंने ग्रामीण जीवन के मूल्यों के संरक्षण को प्राथमिकता दी। मोदी ने कहा, ‘‘हमारा दृष्टिकोण ‘आत्मा गांव की, सुविधा शहर की’ है।’’ तमिल में नारे को दोहराते हुए उन्होंने कहा, ‘ग्रामथिन आनामा, नागरथिन वसाथी।’
मोदी ने ग्रामीण विकास की दिशा में सरकार के विभिन्न प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का अलग होना ठीक है। अंतर ठीक है, असमानता नहीं है। लंबे समय तक शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच असमानता बनी रही। लेकिन आज देश इसे सुधार रहा है।’’
उन्होंने कहा कि इसमें छह करोड़ घरों में नल का पानी और 2.5 करोड़ बिजली कनेक्शन शामिल हैं। मोदी ने कहा कि स्वच्छता एक अवधारणा है जो महात्मा गांधी को बहुत प्रिय थी और ‘स्वच्छ भारत’ के माध्यम से इसमें क्रांति ला दी गई है ‘‘लेकिन हम केवल बुनियादी चीजें प्रदान करने पर ही नहीं रुक रहे हैं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी का लाभ गांवों तक भी पहुंच रहा है। करीब दो लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ने के लिए छह लाख किलोमीटर ऑप्टिक फाइबर केबल बिछाई गई हैं। इंटरनेट डेटा की कम लागत से ग्रामीण क्षेत्रों को फायदा हुआ है।’’
ग्रामीण क्षेत्रों के भविष्य के लिए टिकाऊ कृषि को महत्वपूर्ण बताते हुए मोदी ने कहा कि प्राकृतिक खेती और रासायनिक मुक्त खेती के लिए जबरदस्त उत्साह है। यह उर्वरक आयात पर देश की निर्भरता को कम करता है। यह मिट्टी के स्वास्थ्य और मानव स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी जैविक खेती योजना खासकर पूर्वोत्तर में चमत्कार कर रही है। पिछले साल के बजट में केंद्र ने प्राकृतिक खेती से संबंधित नीति बनाई थी।’’
मोदी ने कहा, ‘‘टिकाऊ खेती के संबंध में, एक और महत्वपूर्ण बिंदु है जिस पर आपको ध्यान देना चाहिए-कृषि को मोनोकल्चर (एक क्षेत्र में एक ही तरह की फसल) से बचाने का समय आ गया है। अनाज, बाजरा और अन्य फसलों की कई देशी किस्मों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है. ये अनाज पौष्टिक और जलवायु के अनुकूल हैं। इसके अलावा, फसल विविधीकरण से मिट्टी और पानी की बचत हो सकती है।’’
अक्षय ऊर्जा पर प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में स्थापित सौर ऊर्जा की क्षमता लगभग 20 गुना बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि अगर गांवों में सौर ऊर्जा का प्रसार हो जाए तो भारत ऊर्जा के मामले में भी आत्मनिर्भर हो सकता है।
मोदी ने कहा कि गांधीवादी विचारक विनोबा भावे ने कहा था कि ग्राम-स्तरीय निकायों के चुनाव ‘विभाजनकारी’ होते हैं क्योंकि समुदाय और परिवार टूट जाते हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात में इसका मुकाबला करने के लिए राज्य सरकार ने एक योजना शुरू की, जहां आपसी सहमति से नेता चुनने वाले गांवों को अलग से प्रोत्साहन दिया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इससे सामाजिक संघर्ष बहुत कम हो गए। युवा पूरे भारत में एक समान भारतीय शहरों में चलने लगी विदेशी मुद्रा तंत्र विकसित करने के लिए ग्रामीणों के साथ काम कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर गांवों को जोड़ा जा सकता है, तो वे अपराध, मादक पदार्थ और असामाजिक तत्वों जैसी समस्याओं से लड़ सकते हैं। महात्मा गांधी ने एकजुट और स्वतंत्र भारत के लिए लड़ाई लड़ी। गांधीग्राम अपने आप में एकता की कहानी है। यहीं पर हजारों ग्रामीण गांधी जी की एक झलक के लिए ट्रेन से आए थे।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि तमिलनाडु हमेशा से राष्ट्रीय चेतना का स्थान रहा है और स्वामी विवेकानंद के पश्चिम से लौटने पर उनका जोरदार स्वागत किया गया।
प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु के नीलगिरि में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत को लोगों के ‘वीरवनक्कम’ (वीरों को सलामी) का भी जिक्र किया। काशी तमिल संगमम कार्यक्रम पर, उन्होंने कहा कि यह जल्द ही उत्तर भारत में आयोजित होगा और काशी तथा तमिलनाडु के बीच जुड़ाव का जश्न मनाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘काशी के लोग तमिलनाडु की भाषा और संस्कृति का जश्न मनाने के लिए उत्सुक हैं। यही तरीका ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ है। एक दूसरे के लिए यह प्यार और सम्मान हमारी एकता का आधार है।’’ उन्होंने कहा कि ऐसे समय जब दुनिया सदी के सबसे बड़े वैश्विक संकट का सामना कर रही है, भारत का उज्जवल भविष्य है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान हो, सबसे गरीब लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा की बात हो, दुनिया का विकास इंजन होने के नाते भारत ने दिखाया है कि यह किस चीज से बना है। दुनिया को भारत से महान काम करने की उम्मीद है क्योंकि भारत का भविष्य युवाओं की ‘कर सकते हैं’ वाली पीढी के हाथ में है।’’
तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि और मुख्यमंत्री एम के स्टालिन भी दीक्षांत समारोह में मौजूद थे। राज्य में सत्तारूढ़ दल द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से रवि को राज्यपाल के नाते उनके कुछ ‘अनुचित’ कदमों के लिए बर्खास्त करने का आग्रह करने के कुछ दिनों बाद दोनों की यह पहली सार्वजनिक उपस्थिति थी।
अपने संबोधन में, स्टालिन ने शिक्षा की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया और आरक्षण लाभ सहित इस क्षेत्र में विभिन्न पहल पर प्रकाश डाला। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘शिक्षा ही एकमात्र ऐसी संपत्ति है, जिसे किसी भी परिस्थिति में कोई भी नहीं छीन सकता है। यह राज्य सरकार का कर्तव्य है कि वह शिक्षा का खजाना प्रदान करे। इसलिए, मैं केंद्र सरकार से अपील करता हूं कि वह शिक्षा को राज्य सूची के तहत वापस लाकर राज्य सरकार के ऐसे प्रयासों का समर्थन और प्रोत्साहित करे।’’
स्टालिन ने कहा, ‘‘जब संविधान बनाया गया था और लागू हुआ, शिक्षा को मूल रूप से राज्य सूची में रखा गया था। इसे आपातकाल की अवधि के दौरान समवर्ती सूची में ले जाया गया। मैं अनुरोध करता हूं कि केंद्र सरकार, विशेष रूप से प्रधानमंत्री शिक्षा को राज्य सूची में वापस लाने के लिए प्रयास करें।’’
कई छात्रों ने स्नातक की डिग्री प्राप्त की, जिसमें प्रधानमंत्री ने चार को स्वर्ण पदक प्रदान किए। संगीतकार इलैया राजा और कर्नाटक संगीत के प्रसिद्ध वादक उमयालपुरम के शिवरामन को विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
सुधरी आबोहवा तो हटीं पाबंदियां
दिल्ली व पड़ोसी शहरों में जहरीली हो चुकी हवा में अब कुछ सुधार हुआ है। जिसके बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने ग्रेप-4 की पाबंदियों को वापस ले लिया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक 6 नवंबर को बीते 24 घंटे में दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 339 दर्ज किया गया, जो शुक्रवार को 450 था। इस तरह यह सूचकांक गंभीर श्रेणी से घटकर बहुत खराब श्रेणी में आ गया है।
रविवार को नोएडा का एक्यूआई 330, गाजियाबाद का 288, गुरुग्राम का 308 और फरीदाबाद का 311 दर्ज किया गया। आयोग के द्वारा एक्यूआई में सुधार के कारण प्रदूषण संबंधी ग्रेप के चौथे चरण की पाबंदी हटा दी गई हैं। इस चरण के तहत 3 नवंबर को दिल्ली में जरूरी सामानों के अलावा अन्य डीजल ट्रकों की प्रवेश पर रोक के साथ ही राजधानी के अंदर दिल्ली में पंजीकृत मीडियम और भारी वाहनों के संचालन पर भी पाबंदी लगाई गई थी।
हालांकि आवश्यक सामानों से जुड़े वाहनों को छूट दी गई थी। आवश्यक सामानों और सेवाओं को छोड़कर अन्य बीएस-4 के डीजल वाहनों के दिल्ली और पड़ोसी शहरों में चलाने पर पाबंदी लगी थी। प्रदूषित या गैर अधिकृत ईंधन पर चलने वाले उद्योगों पर भी पाबंदी थी। आपातकालीन उद्योग दूध, डेयरी, दवाइयों व मेडिकल सामानों को छूट थी।
सरकारी और निजी दफ्तरों में 50 फीसदी कर्मी वर्क फ्रॉम होम, स्कूल व भारतीय शहरों में चलने लगी विदेशी मुद्रा कॉलेज बंद करने और वाहन सम-विषम आधार पर चलाने का निर्णय राज्य सरकारों पर छोड़ दिया गया था। अब ये पाबंदियां हवा सुधरने के बाद ग्रेप हटने से आयोग की ओर से निरस्त हो गई हैं। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ग्रेप-4 के इस आदेश के संबंध में सोमवार को उच्च स्तरीय बैठक करेंगे।
इस बीच, पराली जलने की घटनाएं बढ़ रही है। इस साल अक्टूबर में पंजाब में 16,004 हरियाणा में 1,995 उत्तर प्रदेश में 768 और राजस्थान में 318 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। पिछले साल अक्टूबर में पंजाब में 13,269, हरियाणा में 2,914 उत्तर प्रदेश में 1060 और राजस्थान में 124 पराली जलने की घटनाएं हुई थी।
केंद्रीय विज्ञान व तकनीक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि राजस्थान और पंजाब में क्रमशः 160 और 20 फीसदी पराली जलाने की घटनाएं बढ़ते प्रदूषण के भारतीय शहरों में चलने लगी विदेशी मुद्रा लिए चिंताजनक हैं, जबकि हरियाणा में 30 और उत्तर प्रदेश में 38 फीसदी इन घटनाओं में कमी आई है। सिंह ने कहा कि पंजाब में नवंबर माह के 5 दिन में ही 13,396 पराली जलने की घटनाएं दर्ज की गई, जबकि पूरे अक्टूबर में यह आंकड़ा 16,002 था। इस साल अक्टूबर में कुल 19,085 पराली जलने की घटनाएं दर्ज की गई, जबकि पिछले साल अक्टूबर में यह आंकड़ा 17,367 था।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान द्वारा संचालित वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (एक्यूईडब्ल्यूएस) ने पीएम 2.5 के प्रदूषण स्तर में पराली जलाने के योगदान का अनुमान लगाया है। इसके अनुसार 1 नवंबर को यह योगदान 9.7 फीसदी, 2 नवंबर को 7.4 फीसदी, 3 नवंबर को 32 फीसदी और 4 नवंबर को 17.8 फीसदी अनुमानित है।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री पद के लिए ऋषि सुनक पहली पसंद क्यों बने, ये हैं 5 बड़ी वजह
ऋषि सुनक ब्रिटिश पीएम के लिए पहली पसंद क्यों बने, उनकी किस खूबियों ने पीएम पद का रास्ता साफ किया और ब्रिटेन के लोग उन्हें कितना पसंद करते हैं. जानिए इसकी 5 बड़ी वजह.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित गुप्ता
Updated on: Oct 25, 2022 | 1:44 PM
लिज ट्रस के इस्तीफे के बाद से ऋषि सुनक को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था और वही हुआ भी. वह मंगलवार को महाराजा चार्ल्स तृतीय से मिलकर देश के पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालेंगे. ऋषि सुनक ने ब्रिटेन में यूं नहीं इतिहास बनाया. इसके पीछे कई वजह रही हैं. जैसे- ब्रिटेन को लेकर उनकी स्पष्ट सोच और देश को आगे लेकर चलने की पुख्ता योजना जो लिज ट्रस के पास बिल्कुल नहीं थी.
दो महीने पहले तक पीएम पद के लिए होने वाले चुनाव के दौरान हुई बहस में इसका असर देखा गया था. चुनावी परिणाम में आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता कि सुनक लिज से बहुत पीछे नहीं थे, लेकिन लिज ने ‘भारतीय बनाम ब्रिटिश’ के मुद्दे को भुनाया और सुनक को पीछे छोड़ प्रधानमंत्री का पद हासिल कर लिया.
ऋषि सुनक ब्रिटिश पीएम के लिए पहली पसंद क्यों, उनकी किस खूबियों ने पीएम पद का रास्ता साफ किया और ब्रिटेन के लोग उन्हें कितना पसंद करते हैं… जानिए इसकी 5 बड़ी वजह…
1-कोरोनाकाल में ब्रिटेन को आर्थिक मंदी से उबारा
सुनक ने 2015 में अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत की और यॉर्कशायर के रिचमंड सांसद चुने गए. लगातार तीन बार जीत हासिल की और 2020 में बोरिस जॉनसन कैबिनेट मं राजकोष का चांसलर नियुक्त किया गया. यह वो पहला पद था जब सुनक ने ब्रिटेन के लोगों का दिल जीता. यह कोरोनाकाल का दौर था. ब्रिटेन आर्थिक मंदी से जूझ रहा था. ब्रिटेन को इन हालात से उबरने में सुनक ने मदद की. उनकी इस उपलब्धि के कारण हर वर्ग ने उनके काम को सराहा.
2- लिज की गलतियों ने भी सुनक को सबका पसंदीदा बनाया
लिज के फैसले और गलत नीतियों का फायदा सीधेतौर पर सुनक को मिला. ब्रिटेन के लोगों को भी यह अहसास हुआ कि प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने गलत नेता को चुन लिया है. सिर्फ जनता ही नहीं, कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों का भी यही मानना था. प्रधानमंत्री बनने के बाद लिज और सुनक में से जनता किसे सबसे ज्यादा पसंद करती है, इसका खुलासा YouGov के सर्वे में हुआ, जिसमें सबसे ज्यादा लोगों ने सुनक को पसंद किया गया.
सुनक, बोरिस जॉनसन और पैनी मॉरडेन्ट में से कौन सबसे बेहर ब्रिटिश प्रधानमंत्री साबित होगा, जब यह सवाल ब्रिटेन के लोगों से पूछा गया तो सुनक लोगों की पहल पसंद बने.
यह रहा वोटिंग का रिजल्ट
Would the following do a good or bad job as PM?
Rishi Sunak: 43% good / 40% bad Boris Johnson: 34% good / 56% bad Penny Mordaunt: 26% good / 35% badhttps://t.co/wjp8QwOPHW pic.twitter.com/vTXm6QrY5Z
— YouGov (@YouGov) October 21, 2022
3- होटल और टूरिज्म इंडस्ट्री को राहत दी
बतौर वित्तमंत्री अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐसे कदम उठाए जिससे लोगों के दिल में उन्होंने जगह बनाई. सुनक ने 2020 में होटल इंडस्ट्री के लिए चल रही ईट आउट टू हेल्प आउट स्क्रीम के लिए 15 हजार करोड़ रुपये की मदद की. इतना ही नहीं, कोरोना के कारण हालात बिगड़ने के बाद टूरिज्म इंडस्ट्री के हालात सुधारने के लिए उन्होंने 10 हजार करोड़ रुपये का पैकेज जारी किया.
4- कर्मचारियों और स्वरोजगार के लिए कदम उठाया
सुनक ने कर्मचारियों और स्वरोजगार से जुड़े लोगों के लिए कई कदम उठाए. 2021 में उन्होंने कर्मचारियों और स्वरोजगार से जुड़े लोगों को 2-2 लाख रुपये की सहायता राशि उपलब्ध कराई. जिस तरह सुनक ने देश के हालात को समझने और उसका समाधान निकालने की कोशिश की, वो ब्रिटेन के लोगों को पसंद आया.
5-सच साबित हुईं सुनक की आशंकाएं
ब्रिटेन के लिए सुनक की ज्यादातर आशंकाएं सच साबित हुईं. सुनक ने टैक्स में कटौती और सेंट्रल बैंक से लोन लेने की ट्रस नीति यानी ट्रसोनोमिक्स एक परी कथा बताया था. वो सच साबित हुई. मिनी बजट में ट्रस सरकार ने टैक्स कटौती की, लेकिन मिडिल क्लास को 19 फीसदी और अमीरों को 45 फीसदी की छूट दी गई. ब्रिटेन को महंगाई से बचाने के लिए उन्होंने विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने की सलाह दी थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. नतीजा,ब्रिटिश पाउंड डॉलर के मुकाबले 50 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया और महंगाई बेलगाम हो गई.