समर्थन क्या है

न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में सब कुछ
एमएसपी का फुल फॉर्म मिनिमम सपोर्ट प्राइस होता है। न्यूनतम समर्थन मूल्य एक प्रकार का बाजार हस्तक्षेप है जिसका उपयोग भारत सरकार द्वारा कृषि उत्पादकों को कीमतों में तेज गिरावट से बचाने के लिए किया जाता है। भारत सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर बढ़ते मौसम की शुरुआत में विशिष्ट फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है। भारत सरकार ने उत्पादकों – किसानों – को बंपर उत्पादन वर्षों के दौरान कीमतों में गिरावट से बचाने के लिए एमएसपी निर्धारित किया है। एमएसपी को सरकार से उनकी उपज के लिए मूल्य की गारंटी दी जाती है। मुख्य लक्ष्य किसानों को संकटग्रस्त बिक्री के माध्यम से समर्थन देना और सार्वजनिक वितरण के लिए खाद्यान्न प्राप्त करना है। यदि बंपर उत्पादन और बाजार समर्थन क्या है की भरमार के कारण वस्तु का बाजार मूल्य घोषित न्यूनतम मूल्य से कम हो जाता है, तो सरकारी एजेंसियां किसानों द्वारा दी गई पूरी मात्रा को घोषित न्यूनतम मूल्य पर खरीद लेंगी। अब जब आपको एमएसपी का बुनियादी ज्ञान हो गया है, तो आइए इसके इतिहास और एमएसपी की कीमत निर्धारण प्रक्रिया के बारे में और जानें।
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न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2022-23: नई सूची, Minimum Support Price लॉगिन
Minimum Support Price 2022-23 | आइये जाने न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है और Minimum Support Price का अर्थ व परिभाषा क्या है | MSP List कैसे चेक करे और डाउनलोड करे, Niyuntam Samarthan Mulya 2022 Online Check | सरकार द्वारा किसानों का विकास करने का निरंतर प्रयास किया जाता है। जिसके लिए सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाएं समर्थन क्या है संचालित करती है। भारत सरकार द्वारा फसल की खरीद पर एक न्यूनतम मूल्य का भुगतान किया जाता है। इस मूल्य को न्यूनतम समर्थन मूल्य कहा जाता है।
इस लेख के माध्यम से आज आप को Minimum Support Price से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की जाएगी। आप इस लेख को पढ़कर जान सकेंगे कि MSP 2022-23 क्या होता है। इसके अलावा आपको इसका उद्देश्य, लाभ, विशेषताएं, सूची, पात्रता आदि से संबंधित जानकारी भी प्रदान की जाएगी। तो यदि आप Niyuntam Samarthan Mulye का पूरा ब्यौरा प्राप्त करना चाहते हैं तो आप से निवेदन है कि आप हमारे इस लेख को अंत तक पढ़े।
Minimum Support Price 2022-23
न्यूनतम समर्थन मूल्य किसी भी फसल के लिए न्यूनतम मूल्य होता है जिसे सरकार किसानों को प्रदान करती है। इस मूल्य से कम कीमत पर सरकार द्वारा फसल को नहीं खरीदा जा सकता। सरकार द्वारा न्यूनतम मूल्य पर फसल की खरीद की जाती है। केंद्र सरकार द्वारा वर्तमान में 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान किया जाता है। जिसमें 7 अनाज (धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार रागी और जौ), 5 दाले (चना, अरहर, उड़द, मूंग और मसूर), 7 तिलहन (रेपसीड-सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, कुसुम नाइजरसीड्) एवं 4 व्यवसायिक फसल (कपास, गन्ना, खोपरा और कच्चा जूट) शामिल है। किसान सम्मान निधि लिस्ट में अपना नाम देखें
Minimum Support Price किसानों एवं उपभोक्ताओं के लिए एक रियायती मूल्य सुनिश्चित करता है। कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष अनाज, दलहन, तिलहन और वाणिज्यिक फसलों जैसे कृषि फसलों के लिए संबंधित राज्य सरकारों एवं केंद्रीय विभागों द्वारा विचार करने के पश्चात एमएससी की घोषणा की जाती है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गई वृद्धि
जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं सरकार द्वारा न्यूनतम मूल्य पर किसानों से फसल की खरीद की जाती है। जिससे कि किसी भी किसान की फसल खराब ना हो। सरकार द्वारा प्रत्येक फसल के लिए एक मूल्य निर्धारित किया गया है। जिससे नीचे उस फसल की खरीद नहीं की जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा रबी सीजन 2022- 23 के अंतर्गत रबी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। जिससे कि किसानों को अधिक आय की प्राप्ति हो सके। यह आदेश फसलों के विधिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। मसूर, चना, जौ और कुसुम के फूलों के लिए किसानों को उनकी उत्पादन लागत की तुलना में अधिक मूल्य प्राप्त होगा। इसके अलावा तिलहन, दलहन और मोटे अनाज के पक्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है।
25 समर्थन क्या है प्रमुख कृषि फसलों पर प्रदान किया जाता है न्यूनतम समर्थन मूल्य
एमएसपी के माध्यम से किसानों के लिए उत्पादन लागत पर कम से कम 50% का लाभ सुनिश्चित किया जाता है। इसके अलावा यदि किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अनुकूल शर्तें मिलती है या एमएसपी से बेहतर कीमत मिलती है तो वह गैर सरकारी दलों को अपनी फसल बेचने के लिए स्वतंत्र है। इस योजना को 1966 में आरंभ किया गया था। प्रतिवर्ष सरकार द्वारा 25 प्रमुख कृषि फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा की जाती है। जिसमें खरीफ सीजन में 14 फसलें और रबी सीजन में 7 फसलें शामिल होती हैं। 2020-21 में इस योजना के माध्यम से 2.04 करोड़ किसान लाभवंती हुए हैं। यह योजना किसानों को उनकी फसल का सही दाम दिलवाने के उद्देश्य से आरंभ की गई थी। इस योजना के माध्यम से देशभर के किसान सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनेंगे एवं उनके जीवन स्तर में भी सुधार आएगा।
Key Highlights Of Minimum Support Price
योजना का नाम | न्यूनतम समर्थन मूल्य |
किसने आरंभ की | केंद्र सरकार |
लाभार्थी | देश के किसान |
उद्देश्य | किसानों को फसल का सही दाम प्रदान करना |
आधिकारिक वेबसाइट | यहां क्लिक करें |
साल | 2022 |
न्यूनतम समर्थन मूल्य का मुख्य उद्देश्य
Minimum Support Price किसानों को अपनी फसल के सही दाम दिलवाने के उद्देश्य से आरंभ किया गया है। सरकार द्वारा लगभग 25 फसलों का एक न्यूनतम दाम तय कर दिया जाता है। जिस मूल्य से नीचे फसल को नहीं खरीदा जा सकता। यह योजना किसानों को उनकी फसल का सही दाम दिलवाने में कारगर साबित होंगी। इसके अलावा इस योजना के माध्यम से किसान सशक्त एवं आत्मनिर्भर भी बनेंगे। न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना किसानों के जीवन स्तर को सुधारने में भी कारगर साबित होगी। इसके अलावा उपभोक्ताओं तक भी फसल सही दामों में पहुंच सकेगी। इस मूल्य को कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष घोषित किया जाता है।
समर्थन क्या है
मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि की गई है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को अपनी मंजूरी दी।
प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक गेहूं के समर्थन मूल्य में पिछले साल के मुकाबले इस साल 110 रुपए की वृद्धि की गई है। गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 2,015 से बढ़ाकर 2023-24 के लिए 2,125 रुपए किया गया है।
मसूर के न्यूनतम समर्थन मूल्य में प्रति क्विंटल 500 रुपए की वृद्धि की गई है। इस तरह उसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,500 से बढाकर 6 हजार कर दिया गया है।
वहीं सरसों के लिए 400 रूपए प्रति क्विंटल वृद्धि पर सहमति दी गई है। वहीं कुसुम के लिए 209 रुपए प्रति क्विंटल, जबकि चने के लिए 105 और जौ के न्यूनतम समर्थन मूल्य में प्रति क्विंटल 100 रुपए की वृद्धि की गई है।
इसी तरह कैबिनेट ने सरसों की एमएसपी में 400 रुपए की वृद्धि करते हुए इसकी न्यूनतम कीमत को 5,050 से बढाकर 5,450 रुपए कर दिया है। इस तरह देखा जाए तो केंद्र सरकार ने दीपावली से पहले ही किसानों को बड़ा तोहफा दिया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कृषि लागत और मूल्य आयोग ने सभी रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 9 फीसदी की बढ़ोतरी की सिफारिश सरकार से की थी।
केंद्र सरकार द्वारा रबी फसलों के लिए एमएसपी में की यह वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को औसत उत्पादन लागत का कम से कम डेढ़ गुना करने का लक्ष्य रखा गया था जिससे किसानों को उनकी मेहनत का पूरा मेहनताना मिल सके।
देखा जाए तो रेपसीड और सरसों के लिए अधिकतम रिटर्न की दर 104 फीसदी है, इसके बाद गेहूं के लिए 100 फीसदी, मसूर के लिए 85 फीसदी और चने के लिए 66 फीसदी है जबकि जौ के लिए 60 प्रतिशत और कुसुम के लिए 50 प्रतिशत रिटर्न दर है।
दलहन और तिलहन की उत्पादकता में भी हुई है वृद्धि
देखा जाए तो वर्ष 2014-15 से तिलहन और दलहन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया गया है। इन प्रयासों के अच्छे परिणाम भी सामने आए हैं। सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक तिलहन उत्पादन 2014-15 में 2.75 करोड़ टन से बढ़कर 2021-22 में 3.77 करोड़ टन पर पहुंच समर्थन क्या है गया है। दलहन उत्पादन में भी इसी तरह की बढ़ोतरी देखी गई है।
पता चला है कि 2014-15 के बाद से दलहन और तिलहन की उत्पादकता में भी काफी वृद्धि हुई है। दलहन के मामले में 2014-15 में उत्पादकता 728 किग्रा/हेक्टेयर से बढ़ाकर 2021-22 में 892 किग्रा/हेक्टेयर पर पहुंच गई है। मतलब की उसके उत्पादन में प्रति हेक्टेयर 22.5 फीसदी की वृद्धि आई है। इसी तरह तिलहन फसलों की उत्पादकता भी 1075 किग्रा/हेक्टेयर से बढ़ाकर 2021-22 में 1,292 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है।
क्या होता है न्यूनतम समर्थन मूल्य? क्यों किया जाता है तय?
न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी, किसी फसल के लिए निर्धारित वो न्यूनतम कीमत है जिस पर सरकार, किसानों से उनकी उपज खरीदती है। ऐसे में सरकार जिस भाव पर किसानों से खाद्यान खरीदती है उसे ही न्यूनतम समर्थन मूल्य कहते हैं।
सरकार किसी फसल का एमएसपी इसलिए तय करती है ताकि किसानों को किसी भी हालत में उनकी उपज का न्यूनतम उचित मूल्य मिलता रहे, जिससे उन्हें हानि न उठानी पड़े। देखा जाए तो वर्तमान में, सरकार खरीफ और रबी दोनों मौसमों में उगने वाली 23 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है।
जानें क्या होता है न्यूनतम समर्थन मूल्य? कैसे तय करती है सरकार
मोदी सरकार ने बुधवार को धान का समर्थन क्या है न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 200 रुपये बढ़ा दिया है. आज कैबिनेट बैठक में सरकार ने खरीफ फसल का MSP बढ़ाने का फैसला लिया है.
विकास जोशी
- नई दिल्ली,
- 04 जुलाई 2018,
- (अपडेटेड 04 जुलाई 2018, 3:15 PM IST)
मोदी सरकार ने बुधवार को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 200 रुपये बढ़ा दिया है. आज कैबिनेट बैठक में सरकार ने खरीफ फसल का MSP बढ़ाने का फैसला लिया है. इससे किसानों को उनकी फसल का बेहतर मूल्य मिलने का रास्ता खुल गया है.
किसानों के हितों की रक्षा करने की खातिर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था लागू की गई है. अगर कभी फसलों की कीमत गिर जाती है, तब भी सरकार तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही किसानों से फसल खरीदती है. इसके जरिये सरकार उनका नुकसान कम करने की कोशिश करती है.
- अनाज: धान, गेहूं, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का और रागी
- दाल: चना, अरहर/तूर, मूंग, उड़द और मसूर
- तिलहन: मूंगफली, सरसों, तोरिया, सोयाबीन, सुरजमुखी के बीज, सीसम, कुसुम्भी और खुरसाणी, खोपरा, कच्चा कपास, कच्चा जूट, गन्ना, वर्जीनिया फ्लू उपचारित (BFC) तम्बाकू , नारियल शामिल है.
भारत सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिश पर कुछ फसलों के बुवाई सत्र से पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है. इससे किसानों को यह सुनिश्चित किया जाता है कि बाजार में उनकी फसल की कीमतें गिरने के बावजूद भी सरकार उन्हें तय न्यूनतम समर्थन मूल्य देगी.
ये है उद्देश्य:
न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था इसलिए लाई गई है ताकि बाजार में फसल की कीमतें कम होने के बाद किसानों को मजबूरीवश अपनी फसल कम कीमत पर न बेचनी पड़े. न्यूनतम समर्थन मूल्य तब काम आता है, जब बंपर उत्पादन समेत अन्य वजहों से बाजार में फसल की कीमत काफी गिर जाती है. तो ऐसे मौके पर सरकार किसानों से न्यूनतम मूल्य पर फसल खरीद लेती है.
जब भी CACP न्यूनतम समर्थन मूल्य की अनुशंसा करता है, तो वह कुछ बातों को ध्यान में रखकर ही इसे तय करता है. इसके लिए
- उत्पाद की लागत क्या है.
- इनपुट मूल्यों में कितना परिवर्तन आया है.
- बाजार में मौजूदा कीमतों का क्या रुख है.
- मांग और आपूर्ति की स्थिति क्या है.
- अंतरराष्ट्रीय मूल्य स्थिति,
- इसके अलावा सीएसीपी स्थानी, जिले और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्थितियों का जायजा लेने के बाद ही सब तय करता है.