विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाए

घरेलु संस्थागत निवेशक – DII और विदेशी संस्थागत निवेशक Foreign Institutiinal Investors और Mutual funds बहुत ज्यादा धनराशि के साथ शेयर बाजार में निवेश करते हैं
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# 1. निवेशक अपना पैसा ठीक प्रकार से निवेश कर सकते हैं
जब किसी कारणवश Share Market में गिरावट आ जाती है या कंपनियों को नुकसान हो जाता है तो कंपनियों के Share price कम हो जाते हैं और और Nifty गिर जाता है
और जब Nifty ऊपर जाता है तो इसका मतलब होता है कि शेयर बाजार अच्छा चल रहा है और कंपनिया अच्छा मुनाफा कमा रही हैं और ग्रोथ कर रही हैं जिससे उनके शेयरों के भाव बढ़ जाते विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाए हैं और Nifty भी ऊपर जाता है
इस प्रकार Nifty का सबसे महत्वपूर्ण फायदा ये है कि Nifty की चाल को देखकर Investors निवेशक अपना पैसा Share market में ठीक प्रकार से Invest कर सकते हैं
# 2. बेरोजगारी में कमी आती है
Nifty ke fayde – जब कंपनियों में ग्रोथ होती है और मुनाफा बढ़ता है तो ऐसी कंपनियों के शेयर प्राइस बढ़ने लगते हैं निवेशक ऐसी कंपनियों में ज्यादा Interested होते हैं और इनमें निवेश करते हैं Nifty ke fayde
इस प्रकार कंपनियो के पास बहुत सारा पैसा आ जाता है और वे अपने कारोबार और बिजनेस को और बड़ा करती हैं तथा बिजनेस को और बड़ा करने के लिए और ज्यादा व्यक्तियों और कर्मचारियों की आवश्यकता होती है
जिससे और ज्यादा नए लोगो को रोजगार मिलता है इस प्रकार Nifty के बढ़ने से देश मे बेरोजगारी की समस्या में कमी आती है
# 3. रुपिया मजबूत होता है
Nifty ke fayde – जब शेयर बाज़ार अच्छा होता है और कंपनिया मुनाफा कमा रही होती हैं तो तो हमारे शेयर बाज़ार की ओर विदेशी निवेशक भी आकर्षित होते हैं
और जब विदेशी निवेशक हमारे देश के शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो विदेशी मुद्रा Doller यूरो Pond हमारे देश में आती हैं जब विदेशी मुद्रा देश मे आती है तो रुपिया की वैल्यू बढ़ जाती है यानी रुपिया मजबूत होता है
# 4.महँगाई कम होती है
Nifty ke fayde – रुपये के मजबूत होने पर रुपिये की वैल्यू बढ़ जाती है जिससे हम उतने ही रुपिये में पहले की अपेक्षा विदेशों से ज्यादा आयात कर सकते हैं ज्यादा चीजें खरीद सकते हैं
इस प्रकार पहले के मुकाबले कम रुपये में ज्यादा वस्तुएं खरीद पाने के कारण हमारे देश मे भी वे वस्तुएं कम कीमत पर उपलब्ध हो सकेंगी
इस प्रकार शेयर बाज़ार और Nifty के बढ़ने से देश मे महंगाई में कमी आती है
कच्चे तेल को बाहर से मंगाना (आयात), विदेशी कर्ज कम करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह’ के प्रस्ताव
भारत का व्यापार घाटा नियंत्रण से बाहर है। हम जितना निर्यात(बाहर माल भेजना) कर रहे हैं उससे कहीं ज्यादा आयात(दूसरे देश से माल मंगाना) कर रहे हैं। इससे भारत सरकार डॉलर्स उधार लेने के लिए बाध्य/लाचार हो गई है और इससे विदेशी कर्ज और अमेरिका पर निर्भरता/आसरा बढ़ी है। हम व्यापार घाटा कैसे कम करेंगे और विदेशी कर्ज कैसे चुकाएंगे? और यह कैसे पक्का/सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में कर्ज न बढ़े?
और व्यापार घाटा कम करने पर प्रस्ताव देते समय एक मुख्य बात/समस्या जिसे अवश्य सुलझाना होगा वह है – कच्चा तेल (और इससे जुडे उत्पाद)। भारत अपनी कच्चे तेल की कुल खपत का लगभग 75 प्रतिशत बाहर से मंगाता (आयात करता) है। और इस कार्य में बहुत अधिक विदेशी मुद्रा(विनिमय) चला जाता है। और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों की बदौतरी, भारत सरकार को डॉलर उधार लेने और पेट्रोल विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाए के अंतिम/वास्तविक स्थानीय बिक्री दाम बढ़ाने पर मजबूर/बाध्य कर देती है। मेरे पास अंतिम पेट्राल के दाम/मूल्य को “स्थिर” करने का कोई प्रस्ताव नहीं है, लेकिन मैं यह अवश्य बताना चाहता हूँ कि जिन कानूनों का प्रस्ताव मैंने किया है, वे कैसे पेट्राल के बाहर से मंगाना(आयात) और पेट्राल के अंतिम बिक्री दाम पर प्रभाव डालेंगे और कैसे पेट्राल के बहार से मंगाने(आयात) से विदेशी कर्ज नहीं बढ़ेगा। मेरे प्रस्ताव के केन्द्र में निम्नलिखित बदलाव/परिवर्तन हैं:-
(43.विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाए 2) बाहर से माल मंगवाने (आयात) और विदेशी कर्ज कम करने के लिए प्रस्तावों की सूची (लिस्ट)
1. अधिकांश समानों पर लगभग 300 प्रतिशत का आयात शुल्क।
2. कुछ वस्तुओं पर `आयात करने वाले` को आयात शुल्क का कुछ भाग डॉलर में चुकाना होगा रूपए में नहीं।
उदाहरण – मेरे एक प्रस्ताव के अनुसार यदि कोई व्यक्ति कार या कार के किसी पार्ट-पुर्जे का आयात करता है तो आयात शुल्क 300 प्रतिशत होगा और इसे डॉलर में चुकाना होगा।
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बाहर से माल मंगवाने(आयात) की लागत को आयकर के उद्देश्यों के लिए घटाया जाने वाला खर्च नहीं माना जाएगा।
उपर्युक्त कानून से आयात(बाहर के देश से माल मंगाना) में कमी आएगी और व्यापार घाटा भी कम होगा।
(43.3) कच्चे तेल के बहार से मांगने (आयात) और सम्पूर्ण सप्लाई (आपूर्ति) का प्रबंध करने के लिए प्रस्तावों की सूची (लिस्ट)
- ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.)’ : 67 प्रतिशत कच्चे (तेल की) रायल्टी नागरिकों को और शेष/बाकी 33 प्रतिशत सेना को (दी जाए)
मेरा प्रमुख प्रस्ताव जनता को इस बात के लिए आश्वस्त करना है कि वे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) ’ कानून पर
हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर/बाध्य करें और तब ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) ’ का प्रयोग करके नागरिकों को चाहिए कि वे ‘नागरिक और सेना
के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.)’ कानून पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रधानमंत्री पर दबाव डालें। एक बार यदि ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी.
Sensex कि गणना कैसे होती है? How Sensex Calculated In Hindi
2. सभी शीर्ष 30 कंपनियों की मार्केट कैपिटलाइजेशन निर्धारित किया जाता है।
3. सभी कंपनियों की फ्री फ्लोट मार्केट कैप को निर्धारित किया जाता है।
Free float market capitalisation का मतलब कंपनी के सभी शेयर्स जो मार्केट में फ्लोट हो रहे हो, बस फर्क इतना होता है कि इसमें प्रोमोटर्स के शेयरों को नहीं जोड़ा जाता है।
उदाहरण के लिए किसी कंपनी ने बाजार में 300000 शेयर जारी किए हैं लेकिन इसमें 1.6 लाख शेयर प्रोमोटर्स के पास है तो फ्री फ्लोट मार्केट कैप 1.4 लाख शेयर है।
4. सेंसेक्स कि गणना नीचे बताए गए फॉर्मूला के आधार पर किया जाता हैं।
Sensex = [ Total Free Float Market Capitalisation / Base Market Capitalisation] * Base Index Value
5. सेंसेक्स कि गणना करने के लिए 1978-79 को base year माना जाता है। यह एक स्थिर वैल्यू होती है।
Sensex के फायदे
वैसे तो Sensex का सबसे बड़ा फायदा ट्रेडर और निवेशक को होता है। वह सेंसेक्स के जरिए बाजार में होने वाली गतिविधियों पर आसानी से नजर बना सकता है। अपने पैसे को सही जगह निवेश कर सकते है। परंतु सेंसेक्स से होने वाले कुछ और भी फायदे होते हैं जिसे निम्लिखित बताया गया है-
1. सेंसेक्स में तेजी आने से कंपनियों में निवेश बढ़ता है इससे कंपनी की मार्केट वैल्यू भी बढ़ती है।
2. जितना ज्यादा किसी कंपनी के शेयर की डिमांड होगी उतनी ही ज्यादा शेयर्स की वैल्यू बढ़ेगी। इससे कंपनी को खुद को विस्तार करने के लिए वित्तीय सहायता मिल जाती हैं।
3. शीर्ष 30 में आने वाली कंपनियों की Goodwill में बढ़ोतरी होती है।
4. सेंसेक्स पर विदेशी निवेशक की नजर रहती है अगर सेंसेक्स तेजी में है तो वह भी निवेश करते हैं। जिससे विदेशी मुद्रा हमारे देश में आता है। यह देश की अर्थव्यवस्था और कंपनी दोनों के लिए अच्छा होता है। साथ ही विदेशी निवेश से देश की मुद्रा और मजबूत होगी। जितना ज्यादा रुपया मजबूत होगा चीजें इतनी ही सस्ती होगी।
सेंसेक्स में कौन कौन सी कंपनी है?
1) अदानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड।
2) एशियन पेंट्स
3) एक्सिस बैंक लिमिटेड
4) बजाज ऑटो लिमिटेड
5) भारती एयरटेल लिमिटेड
6) सिप्ला
7) कोल इंडिया लिमिटेड
8) डॉ रेड्डीज लेबोरेटरीज लिमिटेड
9) एचडीएफसी बैंक लिमिटेड
10) हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड
11) हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड
12) हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड
13) आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड
14) आईटीसी
15) इंफोसिस लिमिटेड
16) कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड
17) लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड
18) लुपिन
19) महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड
20) मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड
21) एनटीपीसी विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाए लिमिटेड
22) तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड
23) पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
24) रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड
25) भारतीय स्टेट बैंक
26) सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड
27) टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड
28) टाटा मोटर्स
29) टाटा मोटर्स - डीवीआर साधारण
30) टाटा स्टील लिमिटेड
31) विप्रो लिमिटेड
जानिये SEBI और ED के बारे में | SEBI and ED Details in Hindi
सेबी (SEBI) एक शेयर बाजार जांच एजेंसी है, जो शेयर बाजार में निवेशकों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए काम करती है. इसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के रूप में भी जाना जाता है. उसी तरह ईडी को प्रवर्तन निदेशालय के रूप में जाना जाता है, यह भी एक जाच एजेंसी है, जो वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के राजस्व विभाग के तहत विशेष वित्तीय जांच एजेंसी के रूप में कार्य करता है और इसका लोकप्रिय नाम ईडी (ED) है.
जानिए क्या है सेबी (Know what is SEBI)
सेबी एक शेयर बाजार जांच एजेंसी है, जो शेयर बाजार में निवेशकों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए काम करती है. इसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के रूप में भी जाना जाता है. सेबी की स्थापना 12 अप्रैल 1988 को हुई थी, जिसका काम शेयर बाजार में दलालों द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी से लोगों को बचाना है.
लेकिन 1988 में, इस एजेंसी को कानूनी मान्यता नहीं दी गई थी. कुछ वर्षों के बाद, सेबी अधिनियम 1992 के तहत, इसे 30 जनवरी 1992 को वैधानिक मान्यता प्रदान की गई. इसके अलावा, सेबी अधिनियम 2002 के तहत इसे शेयर बाजार से संबंधित निम्नलिखित अधिकार दिए गए.
- अधिनियम 2002 के तहत, सेबी अब उन सभी धन को जुटाने के लिए नए तरीकों के साथ शामिल है, जो पहले सेबी के दायरे में नहीं थे.
- सेबी को किसी भी देश के नियमों के बारे में जानकारी पाने का पूरा अधिकार है.
- सेबी के पास आवश्यकता के अनुसार किसी भी धोखाधड़ी करने वाले व्यक्ति की कुर्की, खोज, जब्ती और गिरफ्तारी का पूर्ण अधिकार भी है.
- जो लोग योजना के नियमों का पालन नहीं करते हैं, सेबी को ऐसे लोगों को हिरासत में लेने का पूरा अधिकार है.
जानिए क्या है ईडी (Know what is ED)
ईडी को प्रवर्तन निदेशालय के रूप में जाना जाता है, यह भी एक जाच एजेंसी है, जो वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के राजस्व विभाग के तहत विशेष वित्तीय जांच एजेंसी के रूप में कार्य करता है और इसका लोकप्रिय नाम ED है, जिसे आर्थिक प्रवर्तन महानिदेशालय (Directorate General of Economic Enforcement) कहा जाता है.
ईडी की स्थापना 1 मई 1956 को हुई थी, जो केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के तहत विदेशी मुद्रा और मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम से संबंधित है. यह विदेशी मुद्रा अधिनियम 1973 के तहत एक प्रकार की असंवैधानिक जांच एजेंसी है, जो देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ असंवैधानिक रूप से काम करती है. ईडी के पांच मुख्य कार्यालय हैं और यह दिल्ली, चंडीगढ़, चेन्नई, मुंबई और कोलकाता में स्थित विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा कैसे कमाए है.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकार (ED Rights)
ईडी यानि प्रवर्तन निदेशालय को FERA 1973 और FEMA 1999 अधिनियम के तहत भारत सरकार द्वारा सभी वित्तीय जाँच करने का अधिकार दिया गया है. जिसमें विदेशी मुद्रा अधिनियम 1973 के तहत उल्लंघनों से निपटने के लिए पूरी छूट दी गई है. इसी प्रकार, भारत सरकार ने ईडी को निम्न अधिकार दिए हैं.