छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है

कर्ज नहीं बचत की ओर बढ़ाएं कदम
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में तीसरी बार मुख्य ब्याज दरों में कटौती का एलान किया है। अप्रैल, 2012 से अब तक रेपो दर में दो फीसद की कटौती की जा चुकी है। लेकिन बैकों की कर्ज पर ब्याज दरें लगभग जस की तस हैं। समझना आसान है। लगातार ऊंची महंगाई कर्ज और जमा दरों को ऊपर बनाए हुए है। ऐसे में निवेशकों का जोर सस्ते कर्ज से हटकर बचत को सुरक्षित रखने पर होना चाहिए। अर्थशास्त्र का एक शब्द है जीवन निर्वाह की लागत यानी कॉस्ट ऑफ लिविंग। हम बचत अथवा निवेश इसी कॉस्ट ऑफ लिविंग को ध्यान में रखकर करते हैं। इस लागत के लिए अगर कोई सरकारी आंकड़ा करीब नजर आता है तो वह है खुदरा मूल्य पर आधारित महंगाई दर। यह दर अभी 11 फीसद के करीब है। लैडर 7 एडवाजरी के फाउंडर सुरेश सदागोपन के मुताबिक निवेश का ऐसा कोई भी जरिया नजर नहीं आ रहा है, जो महंगाई दर के असर को खत्म कर सके। सिर्फ शेयर बाजार ही लंबी अवधि में 12 से 15 फीसद का रिटर्न दे पाया है। लेकिन बीते पांच सालों में शेयर बाजार के रिटर्न का हाल भी खस्ता ही रहा है। ऐसे में लंबी अवधि में बेहतरीन टैक्स फ्री रिटर्न का जरिया है पीपीएफ यानी पब्लिक प्रॉविडेंट फंड जहां 8.5 फीसद सालाना का रिटर्न मिल रहा है। इसके बाद बारी आती है टैक्स फ्री बांड्स की, जहां 7.3 से 8 फीसद का रिटर्न मिलता है।
लब्बो लुआब यह है कि फिलहाल बाजार से जुड़े रिटर्न मुश्किल में हैं, क्योंकि इन पर राजनीतिक रंग के साथ चुनाव की आहट सर माथे चढ़ चुकी है। एसएमसी के जगन्नाथम के मुताबिक साल भर शेयर बाजार से रिटर्न की उम्मीद करना निराश कर सकता है। यूरोपीय संघ की मंदी ने अनिश्चतता को और भी बढ़ा दिया है। देश में मौजूदा राजनीतिक माहौल में आर्थिक सुधारों का हाल क्या होगा किसी से छिपा नहीं है। ऐसे में भारत में विकास दर को बढ़ावा देने के लिए आरबीआइ ब्याज दरों में कितनी कटौती कर पाएगा, कहना मुश्किल है। कई जानकार मानते है कि दिसंबर तक रिजर्व बैंक 75 आधार अंकों (बेसिस प्वाइंट) की कटौती करेगा, लेकिन कई विशेषज्ञों के मुताबिक कटौती केवल 25 आधार अंकों की ही हो पाएगी। ऐसे में छोटे निवेशकों को सावधान रहना चाहिए।
क्या करें छोटे निवेशक:
सामान्य निवेशक जिनके लिए ज्यादा जोखिम उठाना संभव नहीं, उनके लिए मौजूदा ब्याज दरों के माहौल में डेट म्युचुअल फंड अच्छा विकल्प है। अच्छे फंड मैनेजर निवेश पर 10 से 11 फीसद का सालाना रिटर्न दे पाते हैं। इंडेक्सेशन छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है के बाद इनका रिटर्न 9.5 फीसद के करीब बैठता है। इसे बेहतर कहा जा सकता है। सदागोपन की सलाह है कि छोटे निवेशकों को डायनमिक बांड फंड में निवेश करना चाहिए, जिसमें फंड मैनेजर आपकी ओर से पोर्टफोलियो में यथोचित बदलाव करता रहता है।
उनके मुताबिक बिरला सनलाइफ का डायनमिक बांड फंड, आइडीएफसी का डामनमिक फंड ग्रोथ कुछ अच्छे विकल्प हैं। वैसे भी जानकारों की राय है कि छोटे निवेशकों को बैलेंस फंड में ही निवेश करना चाहिए, जिससे उन्हें बाजार में तेजी का फायदा भी मिल पाए और डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश की स्थिरता का लाभ भी।
परंपरागत निवेशक मंहगाई से बचने के लिए सोने और जमीन में निवेश करना ज्यादा पसंद करते हैं। अर्थशास्त्रीय गणित भी यही कहता है कि इन दोनों ही एसेट क्लास की सप्लाई सीमित है और मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है तो इनकी कीमतें हमेशा बढ़ेंगी। लेकिन इस तथ्य को नहीं भूलना चाहिए कि शेयर, कमोडिटी, ब्याज दर की ही तरह सोने और रीयल एस्टेट भी एक चक्र में प्रदर्शन करती हैं। साल 1995 से 2003 के बीच रीयल एस्टेट ने रिटर्न के नाम पर कुछ भी नहीं दिया, जबकि 2003 के बाद निवेशकों का पैसा 5 से 7 गुना तक बढ़ गया।
अब चूंकि लोगों का विश्वास शेयर बाजार पर नहीं जम रहा और सोने में भी इस साल रिटर्न मिलने की संभावना कम ही है, रीयल एस्टेट की मांग बनी हुई है। लेकिन जानकार मानते हैं कि आगे जाते हुए रीयल एस्टेट में भी रिटर्न गिरेंगे और कई सालों तक निराश करेंगे। इसलिए अभी इस क्षेत्र में बड़ा निवेश तयशुदा रिटर्न की गारंटी नहीं है। सोने को लेकर भी असमंजस जारी है।
वैश्विक अनिश्चितता भले ही सोने को थोड़ा सहारा दे, लेकिन वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने साल 2013 में सोने में रिटर्न को लेकर आशंका ही जताई है। इसलिए मंहगाई से लड़ने के लिए रीयल एस्टेट लघु अवधि में भले ही आपकी कुछ मदद करे, मगर सोने पर भरोसा करना कतई उचित नहीं।
‘2013-14 के दौरान हेडलाइन इंफ्लेशन एक दायरे में ही रहने की उम्मीद है। .. चालू खाते के घाटे को लेकर चिंता गंभीर बनी हुई है। ऐसे में मौद्रिक नीति भले ही विकास को तरजीह दे, मगर इसमें ढील देने की गुंजाइश कम बचती है।’
-डी सुब्बाराव गवर्नर, आरबीआइ
-सरकार ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) में 5.82 फीसद हिस्सेदारी ऑफर फॉर सेल के जरिये बेची। कंपनी का इश्यू 23 मार्च को आया। इसका फ्लोर प्राइस 63 रुपये प्रति शेयर तय किया गया। इससे सरकार को 1500 करोड़ रुपये से ज्यादा मिले।
-सेबी ने म्युचुअल फंडों को जोखिम के आधार पर कलर कोडिंग के दिशानिर्देश जारी किए हैं। अब सर्वाधिक जोखिम वाले फंडों के लिए भूरे, मध्यम जोखिम वाले फंडों के लिए पीले और सबसे कम जोखिम वाले फंडों के लिए नीले रंग का इस्तेमाल किया जाएगा।
-रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस ने स्वास्थ्य बीमा योजना लांच की है, जिसमे पूरे परिवार को हेल्थ कवर मुहैया कराया जा रहा है। रिलायंस लाइफकेयर फॉर य़ू एडवांडेज प्लान में तीन साल के लिए एक ही प्रीमियम में पूरे परिवार को हेल्थ कवर देने का वादा किया गया है।
-बीमा नियामक इरडा ने स्वास्थ्य बीमा विनियम 2013 को अधिसूचित कर दिया है। इरडा का दावा है कि इन दिशानिर्देशों के लागू होने के बाद ग्राहकों को हेल्थ बीमा की बेहतर सुविधा मिलने में आसानी होगी।
-सरकार ने साल 2013-14 में उधारी का कैलेंडर जारी कर दिया है। पहले छह माह में 3.49 लाख करोड़ रुपये उठाए जाएंगे। इसके बाद बांड बाजार में तेजी देखी गई।
-साइप्रस में जारी कर्ज संकट को लेकर 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने के भाव तीन हफ्तों के उच्चतम स्तर 1615 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर पहुंच गए।
-25 मार्च को साइप्रस के आर्थिक संकट का हल खोजने के लिए वहां की सरकार, आइएमएफ और यूरोपीय संघ के साथ बेलआउट पैकेज पर सबकी निगाह रहेगी।
-29 मार्च को आरबीआइ द्वारा जारी होने वाले चौथी तिमाही के चालू खाते घाटे के आंकड़ों पर निगाह रखें।
-फ्यूचर रिटेल, बाटा इंडिया और एम्फेसिस के नतीजे इस हफ्ते आ रहे हैं। एनटीपीसी, एनएमडीसी, नेस्ले इंडिया लाभांश की घोषणा करने वाली हैं।
-एचडीएफसी के फिक्स्ड मैच्योरिटी म्युचुअल फंड प्लान की कई सीरीज में निवेश की अंतिम तारीख 25 मार्च है। कुछ रीयल्टी फर्मे अपनी कीमतें घटा सकती हैं। निवेशक नजर रखें।
-सनस्टार रीयल्टी का आइपीओ 25 मार्च और चैनल नाइन का 26 मार्च को बंद हो रहा है। ओपल लक्जरी टाइम और आशापुरा फैशन के आइपीओ इस हफ्ते आ रहे हैं।
जरुरी जानकारी | बीते वित्त वर्ष में ‘छोटे’ शेयरों ने दिया 36.64 प्रतिशत का ‘बड़ा’ रिटर्न
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. बीते वित्त वर्ष 2021-22 में छोटे शेयरों (स्मॉलकैप) ने निवेशकों को 36.64 प्रतिशत का बड़ा रिटर्न दिया है। इस तरह छोटी कंपनियों के शेयरों ने प्रतिफल देने के मामले में सेंसेक्स और निफ्टी को पीछे छोड़ दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2022-23 में भी स्मॉलकैप का बेहतर प्रदर्शन जारी रहेगा। .
नयी दिल्ली, तीन अप्रैल बीते वित्त वर्ष 2021-22 में छोटे शेयरों (स्मॉलकैप) ने निवेशकों को 36.64 प्रतिशत का बड़ा रिटर्न दिया है। इस तरह छोटी कंपनियों के शेयरों ने प्रतिफल देने के मामले में सेंसेक्स और निफ्टी को पीछे छोड़ दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2022-23 में भी स्मॉलकैप का बेहतर प्रदर्शन जारी रहेगा। .
भू-राजनीतिक तनाव, मुद्रास्फीति की चिंता और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली से पिछले वित्त वर्ष के अंतिम महीनों में हालांकि बाजार को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था।
विश्लेषकों ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही बहुत अच्छी रही, जबकि दूसरी छमाही में बाजार को उतार-चढ़ाव से जूझना पड़ा।
बीते वित्त वर्ष में बीएसई का स्मॉलकैप सूचकांक 7,566.32 अंक या 36.64 प्रतिशत चढ़ गया। वहीं मिडकैप में 3,926.66 अंक या 19.45 प्रतिशत की बढ़त रही। इसकी तुलना में सेंसेक्स वित्त वर्ष 2021-22 में 9,059.36 अंक यानी 18.29 प्रतिशत चढ़ा।
ट्रेडिंगो के संस्थापक पार्थ न्यति ने कहा कि सभी तरह की चिंताओं को पार पाते हुए बाजार मजबूत जुझारू क्षमता दिखा रहा है। हम संरचनात्मक तेजड़िया बाजार में है, लेकिन बीच-बीच में बाजार में कुछ ‘करेक्शन’ आ सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘परंपरागत रूप से मिडकैप और स्मॉलकैप का प्रदर्शन तेजड़िया बाजार से बेहतर होता है। मेरा मानना है कि वित्त वर्ष 2022-23 में भी इनका प्रदर्शन मुख्य बेंचमार्क से बेहतर रहेगा, क्योंकि तमाम तरह की दिक्कतों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था एक अच्छी वृद्धि की राह पर अग्रसर है।’’
न्यति ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से अप्रैल का महीना शेयर बाजारों के लिए सबसे अच्छा रहता है। खासकर मिडकैप और स्मॉलकैप के मामले में। पिछले 15 में से 14 साल में बीएसई का स्मॉलकैप सूचकांक लाभ के साथ बंद हुआ है। इस दौरान इसमें औसतन सात प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम व्यापक बाजार के लिए नए वित्त वर्ष की शानदार शुरुआत की उम्मीद कर सकते हैं।’’ 19 अप्रैल, 2021 को स्मॉलकैप अपने 52-सप्ताह के निचले स्तर 20,282.07 अंक पर आ गया था। वहीं इस साल 18 जनवरी को यह 31,304.44 अंक के अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंचा था।
इसी तरह मिडकैप पिछले साल 19 अक्टूबर को 27,246.34 अंक के अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था। इसने 19 अप्रैल, 2021 को अपने 52-सप्ताह के निचले स्तर 19,423.05 अंक को छुआ था।
सेंसेक्स 19 अक्टूबर, 2021 को अपने सर्वकालिक उच्चस्तर 62,245.43 अंक पर पहुंचा था।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘पिछले पांच-छह माह के दौरान व्यापक बाजार में ‘करेक्शन’ की वजह से स्मॉलकैप और मिडकैप निवेश के अच्छे विकल्प के रूप में उभरे हैं। हालांकि, निकट भविष्य में मुद्रास्फीति को लेकर अनिश्चितता बनी हुई और अर्थव्यवस्था की सुस्ती की वजह से उतार-चढ़ाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।’’
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सॉफ्टवेयर इंजिनियर से वैल्यू इन्वेस्टर का सफ़र: मोहनीश पबराय ने कैसे हासिल की इतनी बड़ी उपलब्धि
अपने समय के सबसे सफल वैल्यू इन्वेस्टर, मोहनीश पबराय, वॉरेन बफे को अपना इन्वेस्टमेंट गुरु मानते हैं। बफे के वैल्यू इन्वेस्टमेंट के तरीके का अनुसरण करते हुए उन्होंने शेयर बाज़ार में सफलतापूर्वक निवेश किया।
उनके अनिवार्य तौर पर लम्बी अवधि के इक्विटी पोर्टफोलियो ने 517 प्रतिशत का मुनाफा कमाया जबकि एसएंडपी का मुनाफा 2000 में अपनी स्थापना से लेकर अब तक 43 प्रतिशत रहा। वॉरेन बफे से चाहे कितनी भी तुलना होती हो लेकिन मोहनीश इस क्षेत्र में काफी बाद में आये। 30 साल की उम्र तक उन्होंने छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है बफे का नाम भी नहीं सुना था। लेकिन जब उन्होंने सुना तो वह खुद सफल निवेशक बनने के लिए बफे के निवेश के सिद्धांतों का पालन करने लगे।
पबराय भारतीय मूल के अमेरिकी निवेशक हैं
पबराय मुंबई में पले-बढ़े। वह कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने अमेरिका गए। स्नातक करने के बाद उन्होंने टेललैब्स के अनुसंधान एवं विकास विभाग में काम करना शुरू किया।
पबराय की उद्यमशीलता का सफ़र 1991 में शुरू हुआ जब उन्होंने एक सफल आईटी कंसल्टिंग एवं सिस्टम इंटीग्रेशन कंपनी ट्रांसटेक इंक की स्थापना की। उन्होंने अपनी कंपनी 1999 में बेच दी और इसी साल पबराय इन्वेस्टमेंट फंड की शुरुआत की। शुरुआत में फंड के पास प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति (एसेट अंडर मैनेजमेंट-एयूएम) के तौर पर 10 लाख डॉलर थे जो 2019 में बढ़कर 57 करोड़ डॉलर हो गया। फंड ने भारत और अन्य विकासशील देशों में निवेश कर 2013 तक एसएंडपी 500 को 1103 प्रतिशत पीछे छोड़ दिया क्योंकि पबराय का मानना है कि अमेरिकी बाज़ार में गलत मूल्य वाले या अपनी उचित कीमत से कम मूल्य वाले बहुत शेयर नहीं हैं।
इन्वेस्टर के तौर पर पबराय, वॉरेन बफे की वैल्यू इन्वेस्टिंग के मुरीद हैं। उन्होंने एक बार बफे के साथ खाना खाने के लिए 6,50,000 डॉलर खर्च किये थे।
पबराय की सफलता के मुक़ाम
- पबराय सबसे सफल वैल्यू इन्वेस्टर में से एक हैं और वह वैल्यू इन्वेस्टिंग के वॉरेन बफे के सिद्धांतों का पालन करते हैं।
- पबराय इन्वेस्टमेंट फिलहाल निवेशकों के आधे अरब डॉलर का प्रबंधन का रही है। पबराय ने बेंचमार्क को लगातार पीछे छोड़ा है और अपने तथा निवेशकों दोनों के लिए मुनाफा कमाया है।
- अपने 10 करोड़ डॉलर से अधिक के मौजूदा नेटवर्थ के साथ वह समाज में दक्षिणा फाउंडेशन के ज़रिये योगदान कर रहे हैं जिसकी स्थापना उन्होंने भारत के गरीबों की मदद के लिए की है।
निवेश के सिद्धांत
'कम जोखिम, उच्च अनिश्चितता' निवेश की समझ
उन्होंने एक किताब लिखी है धंधो इन्वेस्टर, जिसमें उन्होंने कहा है कि कम जोखिम, अत्यधिक अनिश्चितता का मेल बहुत असामान्य है क्योंकि दोनों पैमाने एक-दूसरे से अलग दिशा में चलते हैं। ज़्यादा जोखिम का मतलब है नुकसान की ज़्यादा गुंजाइश जबकि अनिश्चितता का मतलब है विभिन्न किस्म के संभावित परिणाम। उनका कहना है कि जब बाज़ार जोखिम और अनिश्चितता के बीच में उलझा हो तो वह मौका होता है मुनाफे का।
पबराय का सुझाव है कि निवेशकों को उद्यमियों की तरह सोचना चाहिए जो ज़्यादा मुनाफे के लिए कम जोखिम के कारोबार के मौके की तलाश में होते हैं।
ऐसी कंपनियों में निवेश करें जो स्थापित हों और जिनमें बदलाव की गति धीमी हो
उनके मुताबिक, ऐसे कंपनियों में निवेश करें जो स्थापित हों और जिनका कारोबार मॉडल स्पष्ट हो और दीर्घकालिक मुनाफा सुनिश्चित करती हों। ऐसी कंपनियों में स्टार्टअप के मुकाबले कम जोखिम होता है, लेकिन वे अपने कारोबार की रणनीति में बदलाव कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। उनहोंने कहा, "ऐसे मामूली उत्पादों की तलाश करें जिनकी सबको ज़रुरत होती है। इस अनिवार्यता का पालन करने भर से 99 प्रतिशत संभावित निवेश विकल्प दूर हो जाते हैं।"
पबराय ने सात सवालों के साथ एक चेकलिस्ट तैयार किया जो निवेशकों के लिए किसी निवेश का महत्त्व ज़ाहिर कर सकता है और वे निम्नलिखित हैं।
- क्या मैं उस कंपनी को समझता हूँ और क्या यह प्रतिस्पर्धा के दायरे में है?
- क्या मैं आज के कारोबार के अन्तर्निहित मूल्य को समझता हूँ? क्या मैं उस अन्तर्निहित मूल्य के प्रति आश्वस्त हूँ? भविष्य में मूल्य में बदलाव की क्या संभावना है?
- क्या शेयर की कीमत आम तौर पर उससे कम है जितनी होनी चाहिए और क्या यह स्थिति अगले 2-3 साल तक बनी रहे वाली है?
- यदि मुझे इस कंपनी में निवेश करना ही है तो क्या मैं अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा लगाऊंगा?
- गिरावट का जोखिम कितना है?
- क्या कंपनी में मोट है, मतलब क्या कंपनी में प्रतिस्पर्धा झेलने और उल्लेखनीय मुनाफ़ा कमाने की क्षमता है?
- क्या कंपनी का प्रबंधन ईमानदार और सक्षम है?
उपरोक्त सवाल पूछने से निवेशकों को निवेश के बारे में फैसला करने में मदद मिलेगी। ये बुनियादी सवाल वैल्यू इन्वेस्टिंग की बुनियाद तय करते हैं जिसकी बात पबराय करते हैं।
पबराय का मशहूर कथन है, "चित आया तो मैं जीता, पट हुई तो ज़्यादा नुकसान नहीं होगा। " इस कथन, एक निवेशक के तौर पर उनके सिद्धांत को बयां करता है। इसका मतलब है कि कम जोखिम वाले शेयर लें लेकिन जिनमें मुनाफे की संभावना बहुत अधिक हो। पबराय का मानना है कि वैल्यू इन्वेटमेंट का को निम्न मानकों पर ध्यान देना चाहिए।
- बजाय जोखिम भरे स्टार्टअप के अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाली स्थापित कंपनी के शेयर ख़रीदना। पबराय अपने गुरु वॉरेन बफे का अनुसरण करते हैं और वह भी निवेशक के तौर पर स्टार्टअप में अभी निवेश नहीं करते।
- बहुत धीमे बदलाव वाले उद्योग की साधारण कंपनियों के शेयर खरीदें। आक्रामक निवेशक अक्सर इन शेयरों से बचते हैं लेकिन वैल्यू इन्वेस्टर ये शेयर खरीदते हैं और लम्बी अवधि में विशाल मात्रा में संपत्ति सृजन करते हैं।
- तंगहाल उद्योग की तंगहाल कंपनी के शेयर खरीदना जहाँ सुरक्षा के मार्जिन से आकर्षक मूल्य के मौके पैदा होते हैं।
- प्रतिस्पर्धा के लिहाज़ से लम्बे समय तक लाभ की स्थिति में रहने वाली या मुनाफे के मोट वाली कंपनियों में निवेश में करें। ये वॉरेन बफे के पसंदीदा शेयर हैं।
- जब बाज़ार की बेतरतीबी आपके पक्ष में हो तो जम कर निवेश करें और इंतज़ार करें बाज़ार से अपने निवेश पर आकर्षक मुनाफा मिलने का।
- ऐसी कंपनियों के शेयर खरीदें जिनकी कीमत उनके वास्तविक मूल्य से बेहद कम है और अगले 2-3 साल तक उनके इसी स्तर पर बने रहने की संभावना है।
- कम जोखिम वाले भारी अनिश्चितता वाली कंपनियों की तलाश करें क्योंकि अक्सर बाज़ार इन कंपनियों का वास्तविक मूल्य नहीं समझ पाता सो इनकी इनकी कीमत वास्तविक मूल्य से कम होती है।
- आर्बिट्राज के मौके का इंतज़ार करें जब थोड़े समय के लिए ये कंपनियां बेहद-मुनाफा देने वाली बन जाती हैं।
पबराय का कहना है कि निवेशक अपनी नवोन्मेषी रणनीति तैयार करने के बजाय एक दूसरे की नक़ल करते हैं। वह ज़ोर देते हैं कि बाज़ार को अपने हाल पर छोड़कर धैर्य रखना चाहिए। निवेशक के तौर पर वह कम पी/ई अनुपात वाले और ज़्यादा मुनाफा देने वाले, विशेष तौर पर प्रतिकूल शेयर चुनते हैं। जब वह ऐसे किसी शेयर की पहचान करते हैं, वह सुरक्षा का मार्जिन तैयार कर ऐसी बेतरतीबी को इकठ्ठा करते और फिर बड़ा दांव लगाते हैं।
पबराय ने वैल्यू इन्वेस्टिंग पर कई किताबें लिखीं हैं। सबसे लोकप्रिय है धंधो इन्वेस्टर, जिसमें उन्होंने अपने वैल्यू इन्वेस्टिंग के फॉर्मूले का ब्योरा दिया है। वह अपने वेबसाइट चाय विद पबराय पर निवेश का अपना आईडिया साझा करते हैं। कई अन्य वैल्यू इन्वेस्टर की तरह वह भी वॉरेन बफे के निवेश के सिद्धांतों के मुरीद हैं और निवेश के लिए मज़बूत बुनियादी तत्वों वाली कंपनियों का चुनाव करने के मामले में उनका अनुसरण करते हैं। वह मज़बूत कारोबार और वित्तीय स्थति वाले सस्ते शेयरों की तलाश में रहते हैं और धंधो ढाँचे के तहत उनका संचालन करते हैं।
IRFC IPO: शेयर बाजार की कमजोरी ने लिस्टिंग से पहले घटाया वैल्यूएशन
IRFC IPO: शेयर बाजार की कमजोरी ने लिस्टिंग से पहले वैल्यूएशन घटा दिया है.
Updated: January 28, 2021 2:छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है 53 PM IST
IRFC IPO: भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC) आईपीओ शेयर आवंटन को अंतिम रूप दे दिया गया है, लेकिन कंपनी को इसकी लिस्टिंग से पहले एक समस्या से जूझना पड़ रहा है, क्योंकि शेयर बाजार में इस समय कमजोरी देखी जा रही है. मार्केट अपने पीक से काफी नीचे आ चुका है.
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ब्रोकरेज कंपनियों के मुताबिक, IRFC के शेयरों की लिस्टिंग 29 जनवरी को हो सकती है. हालांकि, व्यापक और प्राथमिक बाजारों में कमजोरी के बीच आईआरएफसी के शेयरों को उम्मीद से कम कीमतों पर सूचीबद्ध किया जा सकता है.
द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, बाजार में तेजी से बिकवाली के बाद, आईआरएफसी के शेयरों में ग्रे मार्केट में भी वो रफ्तार नहीं दिखाई दे रही है. यह ध्यान दिया जा सकता है कि गैरसूचीबद्ध शेयरों के लिए ग्रे मार्केट एक अनऑफिशियल मार्केट है.
आईआरएफसी के शेयर जो ग्रे मार्केट में प्रीमियम पर कारोबार कर रहे थे, लगता है कि इसकी कीमत तेजी से घट रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक निर्गम की घोषणा होने पर आईआरएफसी के गैरसूचीबद्ध शेयरों का ग्रे मार्केट प्रीमियम 1.5 से गिरकर 0.20-0.25 रुपये हो गया है.
आईआरएफसी के असूचीबद्ध शेयर इस सप्ताह की शुरुआत में प्रीमियम पर कारोबार कर रहे थे, लेकिन बाजार की नकारात्मकता के कारण मूल्य में तेजी से गिरावट आई है.
जैसे ही IRFC का शेयर वैल्यूएशन गिरता गया, गैरसूचीबद्ध बाजार के डीलर इसे व्यापक बाजारों में देखी गई नकारात्मक भावनाओं पर दोष मढ़ने लगे हैं. इसके अलावा केंद्रीय बजट 2021 के आगे अनिश्चितता भी बनी हुई है.
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, आईआरएफसी ही नहीं, अन्य आईपीओ के ग्रे मार्केट वैल्यूएशन में भी गिरावट देखी गई है.
आईआरएफसी आईपीओ, जो कैलेंडर वर्ष का पहला सार्वजनिक आईपीओ था, उसको लॉन्च किए जाने के बाद मार्केट में मजबूत प्रतिक्रिया मिली थी. लेकिन मजबूत फंडामेंटल्स के बावजूद, व्यापक बाजार में मौजूदा स्थितियों के कारण, आईआरएफसी के शेयरों ने ग्रे मार्केट पर कब्जा कर लिया है.
IRFC IPO को विस्तार से समझें
4,633 करोड़ रुपये के IRFC IPO में 118.80 करोड़ शेयरों तक का ताजा अंक और 59.40 करोड़ शेयरों का एक OFS शामिल था. आईपीओ का मूल्य बैंड 25-26 रुपये प्रति शेयर तय किया गया था.
IRFC, जो एक सरकारी स्वामित्व वाली NBFC है, भारतीय रेलवे की समर्पित निधि है. कंपनी के विकास और अन्य उद्देश्यों के लिए अपनी भविष्य की पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने इक्विटी पूंजी आधार में सुधार की दिशा में आईपीओ से आय का उपयोग करने की संभावना है.
गौरतलब है कि आईपीओ के 1,24,75,05,993 शेयरों के मुकाबले 4,35,22,57,225 शेयरों के लिए बोली प्राप्त हुई. रिटेल सेगमेंट को 3.66 गुना सब्सक्राइब किया गया, जबकि QIB श्रेणी के लिए यह 3.78 गुना और गैर-संस्थागत निवेशकों के लिए 2.67 गुना था.
आईपीओ के बाद, आईआरएफसी में सरकार की हिस्सेदारी 100 प्रतिशत से घटकर 86.4 फीसदी हो जाएगी.
IPO के लीड बुक रनिंग मैनेजर DAM Capital Advenders Limited, HSBC Securities and Capital Markets (India), ICICI Securities और SBI Capital Markets थे. सरकार को IRFC IPO से 1,544 करोड़ रुपये कमाने की उम्मीद है.
जब आईपीओ लॉन्च किया गया था, तो कई ब्रोकरेज हाउस ने निवेशकों को कंपनी के मूल्यांकन और स्वस्थ रिटर्न अनुपात को देखते हुए आईपीओ का सब्सक्रिप्शन लेने की सिफारिश की थी.
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gold and silver price today update : सर्राफा बाजार में तेजी रुख का दौर, निवेशक बरतें ये सावधानी
gold and silver price today update। निवेश के लिए ज्यादातर लोग सोने-चाँदी की कीमतों पर नजर रखते हैं। शादी के सीजन की शुरुआत की वजह से सर्राफा बाजार में तेजी का रुख बनता हुआ नजर आने लगा है। शादी के सीजन के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी सोने की कीमत में आई मामूली तेजी से भारतीय सर्राफा बाजार को सहारा मिला है। अंतर्राष्ट्रीय मार्किट में फिलहाल सोने की कीमत 1,700 डॉलर प्रति औंस के स्तर से ऊपर चली गई है, लेकिन प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों की वजह से इस तेजी को अस्थायी माना जा रहा है।
भारतीय सर्राफा बाजार में मांग में आई तेजी की वजह से आज सोने की कीमत 52,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को भी पार करके 52,560 रुपये के स्तर पर पहुंच गई। हालांकि अभी भी सोना अपने ऑल टाइम हाई लेवल से करीब 4,000 रुपये नीचे कारोबार कर रहा है। सोने की अलग-अलग श्रेणियों में आज 279 रुपये प्रति 10 ग्राम से लेकर 164 रुपये प्रति 10 ग्राम तक की तेजी दर्ज की गई। सोने की तरह ही सर्राफा बाजार में चांदी में भी आज तेजी का रुख बना रहा। खरीदारी के सपोर्ट से ये चमकीली धातु आज 61,500 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गई। (gold and silver price today update)
इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक घरेलू सर्राफा बाजार में आज कारोबारी यानी 24 कैरेट (999) सोने की औसत कीमत 279 रुपये की तेजी के साथ उछल कर 52,560 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) हो गई। इसी तरह 23 कैरेट (995) सोने की कीमत भी 278 रुपये की बढ़त के साथ 52,350 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) हो गई। जेवराती यानी 22 कैरेट (916) सोने की कीमत में आज 256 रुपये प्रति 10 ग्राम की मजबूती दर्ज की गई। (gold and silver price today update)
इसके साथ ही 22 कैरेट सोना 48,145 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गया। इसके अलावा 18 कैरेट (750) सोने की कीमत आज प्रति 10 ग्राम 209 रुपये चढ़ कर 39,420 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गई। जबकि 14 कैरेट (585) सोना आज 164 रुपये मजबूत होकर 30,748 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गया। (gold and silver price today update)
सर्राफा बाजार में बनी तेजी के माहौल का असर चांदी की कीमत पर भी नजर आया। आज के कारोबार में चांदी (999) में 146 रुपये प्रति किलोग्राम की उछाल दर्ज की गई। इस मजबूती के कारण ये चमकीली धातु आज उछल कर 61,500 रुपये प्रति किलोग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गई। (gold and silver price today update)
शादी के सीजन की शुरुआत के कारण भारतीय सर्राफा बाजार को काफी सहारा मिला है। पिछले 15 दिन के दौरान सोने की कीमत में प्रति 10 ग्राम करीब 2,000 रुपये की तेजी आ चुकी है। हालांकि बाजार में अभी व्यक्तिगत खरीदारी का ही जोर बना हुआ है। ज्यादातर लोग शादी की जरूरत के मुताबिक ही ज्वेलरी की खरीद कर रहे हैं, लेकिन बड़े निवेशक अभी भी बाजार से दूरी बनाए हुए हैं। इस वजह से सर्राफा बाजार की तेजी को लेकर अनिश्चितता वाली स्थिति बनी हुई है। (gold and silver price today update)
मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आज सोने की कीमत में मामूली तेजी जरूर आई है, लेकिन वैश्विक परिस्थितियों की वजह से इस तेजी को अस्थाई माना जा रहा है। इसलिए शादी के सीजन के बावजूद प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियां बनने पर भारतीय सर्राफा बाजार में कभी भी गिरावट का रुख बन सकता है। सोने और चांदी के कारोबार में बनी वैश्विक अनिश्चितता के कारण निवेशक अभी भी बड़ा निवेश करने से बच रहे हैं। इसलिए जब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने चांदी की कीमत में स्थिरता नहीं आती है, तब तक छोटे निवेशकों को अपनी निवेश योजना काफी सोच समझकर बनानी चाहिए। (gold and silver price today update)