विदेशी मुद्रा व्यापार संकेत

उन्होंने कहा, ‘80 अरब डॉलर (विदेशी मुद्रा हानि) वो कीमत है जो आरबीआई को रुपये को गिरने से बचाने और इसे एक निश्चित सीमा स्तर पर बनाए रखने के लिए चुकानी पड़ रही है. लेकिन बढ़ते चालू खाते के घाटे को देखते हुए रुपये को फिलहाल उसके हाल पर छोड़ देने में ही ज्यादा समझदारी होगी. रुपये के अवमूल्यन से निर्यात बढ़ाने में तो मदद मिल सकती है लेकिन इसकी गिरावट रोकने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार गंवाना कोई स्थायी रणनीति नहीं हो सकती है.’
‘रुपये को बचाने की कीमत’- हर हफ्ते $3.6 बिलियन गंवाए, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में एक दशक में सबसे बड़ी गिरावट दिखी
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साप्ताहिक स्टेटिस्टिकल सप्लीमेंट के मुताबिक, 9 सितंबर तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 550.8 अरब डॉलर था. ये 2020 के बाद सबसे कम है, जब यह आंकड़ा 580 अरब डॉलर पर पहुंच गया था.
जनवरी के पहले सप्ताह में भारत के पास 633 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, जिसका मतलब है कि इस कैलेंडर वर्ष में अब तक 82 अरब डॉलर से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है जो कि पिछले एक दशक में सबसे अधिक है.
एक दशक में सबसे ज्यादा कमी
पिछले 10 सालों की तुलना में यह कमी भारत में अब तक की सबसे तेज गिरावट है. कैलेंडर वर्ष 2011 (0.6 अरब डॉलर), 2012 (1.7 अरब डॉलर), 2013 (1.8 अरब डॉलर) और 2018 (13.28 अरब डॉलर) भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के घटने के गवाह हैं—लेकिन यह गिरावट उनके आकार की तुलना में मामूली थी.
बाकी सालों में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि दर्ज की गई है और इसमें से वर्ष 2020—जब सारी दुनिया कोविड-19 महामारी से प्रभावित रही—सबसे अधिक लाभकारी रहा. उस साल भारत की विदेशी मुद्रा संपत्ति में करीब 119 अरब डॉलर (2019 के अंत में 461 अरब डॉलर से बढ़कर 2020 के अंत तक 580 बिलियन डॉलर) की वृद्धि दर्ज की गई. 2021 के अंत तक, आंकड़ा 52 अरब डॉलर बढ़कर 633 अरब डॉलर पर पहुंच गया. पिछले साल 3 सितंबर को भारत ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार को 642.45 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर देखा था.
ऐसा क्यों हुआ?
विदेशी मुद्रा में कमी का मतलब है कि आरबीआई रुपये के गिरते मूल्य पर काबू पाने के लिए डॉलर बेच रहा है, जो जुलाई में 80 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया था.
ऐसा होने का एक सबसे बड़ा कारण यह है कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक यूएस फेडरल रिजर्व ने रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंची मुद्रास्फीति पर लगाम कसने के लिए प्रमुख ब्याज दरों में वृद्धि कर दी है. इस साल, यूएस फेड ने अब तक चार मौकों पर कर्ज पर ब्याज की दर बढ़ाई है—यह अगस्त में 2.25-2.5 प्रतिशत रही, जो मार्च में 0.25-0.5 प्रतिशत थी.
ऋण दर में बढ़ोतरी करके यूएस फेड दरअसल मुद्रा के तौर पर डॉलर का उपयोग करने वाले लोगों की क्रय शक्ति सीमित करना चाहता है. और जैसा इकोनॉमिक टाइम्स का एक विश्लेषण बताता है, इसका नतीजा यह हुआ कि भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने पिछले एक साल में 39 अरब डॉलर से अधिक की निकासी की.
डॉलर के मुकाबले अभी तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा रुपया, क्या USD के मुकाबले 80 के स्तर पर पहुंच जाएगा INR?
Published Date: July 12, 2022 9:34 AM IST
Dollar Vs Rupee: इक्विटी बाजारों में कमजोरी के बीच सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया आज 79.57 के नए ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया. यहां तक कि क्रूड ऑयल की कमजोरी भी रुपये को गिरने से नहीं रोक पाई.
यूरो इस चिंता विदेशी मुद्रा व्यापार संकेत के बीच कि ऊर्जा संकट यूरोप को मंदी की ओर ले जा सकता है. डॉलर के करीब 20 साल के निचले स्तर के करीब पहुंच गया
बढ़ेगी रुपये की स्वीकार्यता
आरबीआई ने यह एक अच्छा कदम उठाया है. इससे अपतटीय केंद्रों में रुपये को वैश्विक स्तर पर अधिक व्यापार योग्य बनाया जा सकेगा. मुझे लगता है कि एनडीएफ की मात्रा और बढ़ेगी. यह रुपये को अंतरराष्ट्रीय व्यापार वाली मुद्रा बनाने की दिशा में एक कदम है. आरबीआई के इस कदम से रुपये की स्वीकार्यता बढ़ेगी. यह विदेशी मुद्रा व्यापार संकेत लंबी अवधि में डॉलर के उपयोग को भी कमजोर करेगा. इन्हें डॉलर की भागीदारी के बिना सीधे कारोबार किया जा सकता है. इसे और अधिक व्यापार योग्य, स्वीकार्य विदेशी मुद्रा व्यापार संकेत बनाना. विदेशी खरीदार भारतीय बैंक में वोस्ट्रो खाता खोल सकते हैं और वे भारतीय निर्यातकों को भारतीय रुपये में भुगतान कर सकते हैं. एफएक्स जोखिम विदेशी खरीदार को हस्तांतरित हो जाता है क्योंकि रुपये की राशि तय हो जाती है.
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चीन में आर्थिक सुस्ती बढ़ने के संकेत, अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध छिड़ने का असर
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: September 14, 2018 15:28 IST
China's August activity data confirm the economy is on an entrenched slowing path
नई दिल्ली/बीजिंग। चीन की अर्थव्यस्था में नरमी के और अधिक संकेत मिले हैं। निवेश की रफ्तार नए न्यूनतम स्तर तक गिर गया है जबकि खुदरा खर्च और औद्योगिक उत्पादन विदेशी मुद्रा व्यापार संकेत एक स्तर पर स्थिर हो गया है। चीन को इस समय बहुत नाजुक संतुलन बिठाना पड़ रहा है। वह अपने वृद्धि के लिए निवेश और निर्यात पर जोर देने की जगह घरेलू निजी खपत बढ़ाने पर जोर देना पड़ रहा है। इसके साथ ही उसे भारी कर्ज के बोझ से भी जूझना पड़ रहा है।
और बढ़ेगा व्यापार घाटा
चटगांव यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के पूर्व प्रोफेसर मुइनुल इस्लाम ने आशंका जताई है कि आने वाले महीनों में व्यापार घाटा और बढ़ेगा। उन्होंने जर्मन मीडिया डॉयशेविले (डीडब्लू) से कहा- ‘इस वर्ष हमारा आयात 85 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। जबकि निर्यात 50 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नहीं होगा। 35 बिलियन डॉलर के व्यापार घाटे को विदेशों में रहने वाले बांग्लादेशियों की तरफ से भेजी जाने वाली रकम से पाटा नहीं जा सकता। इसलिए इस वर्ष बांग्लादेश को लगभग 10 बिलियन डॉलर के घाटे में रहना होगा।’
उपलब्ध सूचनाओं के मुताबिक बीते आठ महीनों में बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार 48 बिलियन डॉलर से घट कर 42 बिलियन डॉलर का रह विदेशी मुद्रा व्यापार संकेत गया है। मुइनुल इस्लाम का अनुमान है कि इस वित्त वर्ष में इसमें चार बिलियन डॉलर की और गिरावट आएगी। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश ने भी श्रीलंका की तरह ही हाल के वर्षों में बड़े पैमाने पर विदेशी कर्ज लिए हैं। ये कर्ज ऐसी परियोजनाओं के लिए लिये गए हैं, जिनसे निकट भविष्य में मुनाफा होने की उम्मीद नहीं है। इस्लाम ने बताया- ‘बांग्लादेश ने रूस से परमाणु संयंत्र लगाने के लिए 12 बिलियन डॉलर का कर्ज लिया। 2025 से इसकी किश्तें लौटानी होंगी, जिस पर बांग्लादेश को हर साल साढ़े 56 करोड़ डॉलर खर्च करने होंगे।’
बढ़ते व्यापार घाटे की चुनौती
इस समय एक ओर तेजी से बढ़ता देश का व्यापार घाटा तो दूसरी ओर तेजी से घटता हुआ देश का विदेशी मुद्रा भंडार आर्थिक चिंता का बड़ा कारण बन गया है। हाल ही में प्रकाशित विदेश व्यापार के आंकड़े तेजी से बढ़ते व्यापार घाटे का संकेत दे रहे हैं। इस वित्तीय वर्ष 2022-23 में अप्रैल-जून की तिमाही के दौरान भारत का कुल निर्यात बढक़र 121 अरब डॉलर रहा, वहीं इस अवधि में आयात और तेजी से बढक़र 190 अरब डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच गया। इस तरह इस तिमाही में भारत को 69 अरब डॉलर का घाटा हुआ। जहां जुलाई 2022 में देश में 66.27 अरब डॉलर मूल्य का आयात किया गया, वहीं 36.27 अरब डॉलर का निर्यात किया गया। ऐसे में जुलाई 2022 में भी 30 अरब डॉलर का व्यापार घाटा दिखाई दिया। यह व्यापार घाटा पिछले वर्ष जुलाई 2021 में 10.63 अरब डॉलर था। सालाना आधार पर जुलाई 2022 में आयात में 43.61 फीसदी वृद्धि हुई है। इसी तरह 19 अगस्त को भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का आकार घटते हुए 564.05 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3 सितंबर 2021 को 642.45 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर था। अब तक रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक मंदी की आशंका और कच्चे तेल की ऊंची कीमत के कारण जो डॉलर लगातार मजबूत हुआ है, वह डॉलर चीन और ताइवान के बीच गहरे तनाव के मद्देनजर और मजबूत होने की प्रवृत्ति बता रहा है।