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परेतो विश्लेषण क्या है

परेतो विश्लेषण क्या है
परैटो के मानदण्ड के अनुसार यदि कोई परिवर्तन किसी को हानि नहीं पहुँचाता तथा कुछ लोगों को श्रेष्ठतर बनाता है, तो वह सुधार है। जैसा कि बॉमल (Baumol) ने स्पष्ट से व्याख्या निम्न शब्दों में की है : “कोई परिवर्तन जो किसी को हानि नहीं पहुँचाता तथा कुछ लोगों को (इनके स्वयं के अनुमान में) श्रेष्ठतर बनाता है, आवश्यक रूप से सुधार समझा जाना चाहिए।”

परेतो विश्लेषण क्या है

सटीक और यथार्थवादी डेटा का उपयोग करके एक व्यवस्थित दृष्टिकोण के ढांचे के भीतर समस्याओं के समाधान और प्रणाली में सुधार की क्षमता प्रदान करना।

गुणवत्ता की अवधारणा और शब्दावली IPC और बुनियादी अवधारणाओं प्रक्रिया दृष्टिकोण समस्या परेतो विश्लेषण क्या है क्या है? समस्या को हल करने के लिए व्यवस्थित दृष्टिकोण डेटा क्या है और इसे कैसे एकत्र किया जाता है? डेटा विश्लेषण तकनीक (स्कोर आरेख, हिस्टोग्राम, वितरण आरेख, मोशन ग्राफ, नियंत्रण चार्ट) समस्या विश्लेषण तकनीक (प्रवाह आरेख, फिशबोन, स्वोट विश्लेषण, बल क्षेत्र विश्लेषण, कारण विश्लेषण, परेतो) आइडिया जनरेशन और निर्णय लेने की प्रक्रिया परेतो विश्लेषण क्या है यह तकनीक का उपयोग करना चाहिए। केस स्टडी कैसी है?

प्रतिभागी प्रोफाइल: सभी कर्मचारी।

परीक्षा: प्रशिक्षण के अंत में, परीक्षा संभव है।

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परेतो विश्लेषण

पेरेटो एनालिसिस 80/20 नियम के आधार पर व्यावसायिक निर्णय लेने के लिए प्रयोग की जाने वाली तकनीक है। यह एक निर्णय लेने की तकनीक है जो सांख्यिकीय रूप से एक सीमित संख्या में इनपुट कारकों को अलग करती है क्योंकि परिणाम पर सबसे बड़ा प्रभाव पड़ता है, या तो परेतो विश्लेषण क्या है वांछनीय या अवांछनीय है।

पेरेटो विश्लेषण इस विचार पर आधारित है कि किसी परियोजना के लाभ का 80% कार्य 20% करने से प्राप्त किया जा सकता है या इसके विपरीत 80% समस्याओं का 20% कारणों का पता लगाया जाता है।

परेतो विश्लेषण को समझना

1906 में, इतालवी अर्थशास्त्री विलफ्रेडो पेरेटो ने पाया कि इटली में 80% भूमि पर देश के केवल 20% लोगों का स्वामित्व था। उन्होंने इस शोध को आगे बढ़ाया और पाया कि पूरे यूरोप में अनुपातहीन धन वितरण समान था। 80/20 नियम औपचारिक रूप से नियम यह है कि शीर्ष 20 एक के लिए एक देश की आबादी खातों की% का अनुमान का 80% के रूप में परिभाषित किया गया था देश के धन या कुल आय ।

जोसेफ जुरान, एक रोमानियाई-अमेरिकी व्यवसाय सिद्धांतकार, पारेतो के शोध कार्य के 40 साल बाद प्रकाशित होने के बाद लड़खड़ा गया, और 80/20 के शासन को पारेतो के सिद्धांत का असमान वितरण नाम दिया । जूरन ने व्यावसायिक स्थितियों में परेतो के सिद्धांत को यह समझने के लिए विस्तारित किया कि क्या नियम व्यवसायों द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं पर लागू किया जा सकता है। उन्होंने देखा कि गुणवत्ता नियंत्रण विभागों में, अधिकांश उत्पादन दोष सभी दोषों के कारणों के एक छोटे प्रतिशत से उत्पन्न हुए, एक घटना जिसे उन्होंने “महत्वपूर्ण कुछ और तुच्छ कई” के रूप में वर्णित किया।

पारेटो विश्लेषण का उदाहरण

एक कंपनी अपनी ऑनलाइन खुदरा कपड़ों की वेबसाइट से उत्पाद रिटर्न में हाल ही में वृद्धि की खोज कर सकती है। चूंकि रिटर्न की संख्या एक निश्चित परेतो विश्लेषण क्या है सीमा से ऊपर है, कंपनी के विश्लेषकों ने कारणों पर शोध और नज़र रखना शुरू कर दिया है। मुख्य कारण वेबसाइट के साथ एक तकनीकी गड़बड़ प्रतीत होता है जो कई विभागों में ऑनलाइन दुकानदारों द्वारा चयनित कपड़ों के आकार को गलत तरीके से बताता है।

द्वितीयक समस्या एक खराब ग्राहक सेवा का अनुभव है, जिसके परिणामस्वरूप दुकानदार सही आकार के कपड़ों के बदले धन वापसी के लिए चयन करते हैं। चूंकि मुद्दे फर्म के लिए खोए हुए राजस्व में अनुवाद करते हैं, इसलिए विश्लेषकों ने प्रत्येक मुद्दे के लिए जिम्मेदार राजस्व हानि की मात्रा के आधार पर निम्नलिखित मुद्दों को स्कोर किया: तकनीकी गड़बड़, खराब ग्राहक सेवा, और लंबी अवधि में खोए हुए ग्राहक।

फर्म द्वारा सामना की गई समस्या की पहचान करने के लिए एक पेरेटो चार्ट और ग्राफ का उपयोग किया जा सकता है। चार्ट में पंजीकृत समस्या हो सकती है “अपने ऑनलाइन पोर्टल से उच्च रिटर्न।” कारणों की सूची को प्रत्येक कारण के साथ रेटिंग या स्कोर के साथ चार्ट पर दिखाया जाएगा।

परैटो अनुकूलतम | परैटो मानदण्ड | परैटो अनुकूलतम की दशाएँ

वी० परैटो सर्वप्रथम परेतो विश्लेषण क्या है अर्थशास्त्री थे जिन्होंने उपयोगिता के क्रमवाचक विचार (ordinal concept of utility) के आधार पर कल्याणकारी अर्थशास्त्र का विचार प्रस्तुत किया। परैटो ने उपयोगिता की मापनीयता तथा उसकी अन्तर्वैयक्तिक तुलना के विचार को गलत सिद्ध किया तथा स्पष्ट किया कि पूर्ण प्रतियोगिता समाज को अनुकूलतम कल्याण की स्थिति को प्राप्त करने में सहायक होती है। अत: परैटो ने सामान्य अनुकूलतम (General optimum) का विचार प्रस्तुत किया। परैटो की सामान्य (अथवा सामाजिक) अनुकूलतम वह स्थिति है जिसके अन्तर्गत साधनों (inputs) अथवा उत्पादन (outputs) पुनराबंटन (re-allocation) द्वारा बिना कम से कम एक व्यक्ति को हीनतर (worse off) किए हुए किसी अन्य व्यक्ति को श्रेष्ठतर (better off) करना सम्भव नहीं होता है। जैसा कि परैटो ने स्वयं स्पष्ट रूप में लिखा है, “हम लोग अधिकतम सन्तुष्टि या कल्याण की स्थिति को परिभाषित करते हैं जिसके अन्तर्गत किसी प्रकार का ऐसा सूक्ष्म परिवर्तन करना असम्भव होता है कि स्थिर रहने वाली संतुष्टियों को छोड़कर, सभी व्यक्तियों की सन्तुष्टियाँ बढ़ जाएँ अथवा घट जाएँ। इस प्रकार परैटो अनुकूलतम की दशा में संसाधनों के पुनर्गठन द्वारा बिना किसी अन्य व्यक्ति के कल्याण को कम किए किसी अन्य व्यक्ति के कल्याण में वृद्धि करना असम्भव होता है। अत: यदि किसी स्थिति में समाज से वस्तुओं तथा सेवाओं अथवा उत्पादन के साधनों के विभिन्न प्रयोगों में पुनर्वितरण द्वारा कल्याण में परेतो विश्लेषण क्या है वृद्धि सम्भव है तो वह अनुकूलतम दशा नहीं होगी।

परैटो अनुकूलतम की दशाएँ (Conditions of Pareto Optimum)

परैटो ने सामाजिक कल्याण को अधिकतम (अनुकूलतम) करने के लिए उत्पादन तथा विनिमय क्षेत्र की अनेक दशाओं की व्याख्या की है जिसके द्वारा उत्पादन तथा उनके वितरण को अधिकतम सामाजिक कल्याण के अनुरूप बनाने का प्रयत्न किया जाता है। यहाँ पर परैटो अनुकूलतम की विभिन्न दशाओं की व्याख्या करने के पूर्व उनकी मान्यताओं के विषय में जान लेना आवश्यक प्रतीत होता है।

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उद्देश्य

    परेतो विश्लेषण क्या है
  • निर्णय लेने, महत्वपूर्ण सोच और रचनात्मक समस्या को सुलझाने के कौशल का निर्माण और विस्तार करें
  • समस्याओं को हल करने और निर्णय लेने के लिए तार्किक और रचनात्मक दृष्टिकोण लागू करें
  • कारणों की पहचान करने और समाधान उत्पन्न करने के लिए पारंपरिक और रचनात्मक उपकरणों का उपयोग करें
  • व्यावसायिक उपकरण के रूप में रचनात्मकता और पार्श्व सोच को रोजगार दें
  • काम पर उनके सामने आने वाली वास्तविक समस्याओं का विश्लेषण और समाधान करें
  • 'सही सवाल' पूछने और जटिल निर्णय लेने के तनाव पर काबू पाने का विश्वास हासिल करें
  • ऊपरी प्रबंधन के साथ विश्वसनीयता का प्रदर्शन और निर्माण करें
  • समस्या-समाधान और निर्णय लेने के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण विकसित करें

प्रबंधक, पर्यवेक्षक और प्रशासक जो बेहतर समस्या को हल करने और निर्णय लेने के कौशल से लाभान्वित होंगे, और व्यावसायिक पेशेवर जो सही चाल और निर्णय लेने के लिए अपने अनुभव और अंतर्ज्ञान दोनों का उपयोग करके अपने महत्वपूर्ण सोच को अगले स्तर तक ले जाना चाहते हैं।

ताकिक तथा अताकिक क्रियाएँ

परेटो ने तार्किक क्रियाओं तथा इनसे सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के मानव व्यवहारों को ही समाजशास्त्र की मुख्य अध्ययन – वस्तु के रूप में स्वीकार किया है । यही कारण है कि उन्होंने अपने चिन्तन में अतार्किक क्रियाओं की तुलना में इन क्रियाओं की प्रकृति को विस्तार से स्पष्ट किया । परेटो का विचार है कि सभी मानवीय क्रियाओं को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जा सकता है :

( क ) ताकिक क्रियाएँ ( Logical Actions ) तथा

( ख ) अतार्किक क्रियाएँ ( Non Logical Actions ) ।

यदि सामान्य शब्दों में इनकी प्रकृति को समझा जाय तो यह कहा जा सकता है कि तार्किक क्रियाएं वस्तुनिष्ठ ( Objective ) होती हैं जबकि अतार्किक क्रियाओं का आधार भावनात्मक ( Subjective ) होता है । इसका तात्पर्य है कि जब कोई क्रिया को और दूसरे व्यक्तियों के दृष्टिकोण से यथार्थ होती है तब उसे ताविक क्रिया कहा जाता है लेकिन जब कोई क्रिया कुछ भ्रान्त तर्को , भावनाओं अथवा संवेगों पर आधारित होती है तब इसे अतार्किक क्रिया कहा जा सकता है । परेटो का कथन है कि ‘ कोई क्रिया तब तार्किक होती है यदि उससे सम्बन्धित लक्ष्य को वस्तुनिष्ठ रूप से प्राप्त किया जा सके तथा सर्वोत्तम ज्ञान के आधार पर उस लक्ष्य को प्राप्त करने से सम्बन्धित साधन भी उससे यथार्थ रूप से सम्बन्धित हों । इस प्रकार कर्ता तथा उस विषय का ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों के मस्तिष्क में जब किसी क्रिया के लक्ष्य और साधनों के बीच एक तार्किक सम्बन्ध स्पष्ट होता है तब ऐसी क्रिया को हम तार्किक क्रिया कहते हैं । अतार्किक क्रिया का तात्पर्य ऐसी सभी मानवीय क्रियाओं से है जो उपयुक्त अर्थ में ताकिकता की परिधि से बाहर होती हैं । यह क्रियाएँ एक ‘ अवशिष्ट श्रेणी ‘ ( Residual Category ) को प्रदर्शित परेतो विश्लेषण क्या है करती हैं । ” स्पष्ट है कि मानव व्यवहारों में ताकिक क्रियाओं की अपेक्षा अतार्किक क्रियाओं का अधिक समावेश होता है । इस तथ्य को एक उदाहरण की सहायता से स्पष्ट करते हए परेटो ने लिखा है कि समाज के नागरिक कानून को अपने सैद्धान्तिक रूप में तार्किक क्रिया का प्रतिनिधित्व करने वाला समझा जाता है लेकिन इस पर आधा रित न्यायाधीश का व्यवहार साधारणतया अतार्किक ही होता है । परेटो परेतो विश्लेषण क्या है के शब्दों में , ” न्यायालय के निर्णय भी एक बड़ी सीमा तक समाज में प्रचलित भावनाओं तथा हितों पर निर्भर होने के साथ ही बहुत कुछ व्यक्तिगत विचारों तथा संयोग से प्रभावित होते हैं । अनेक अवसरों पर यह निर्णय किसी संहिता अथवा लिखित कानन से बिल्कुल भी सम्बन्धित नहीं होते । ” इसका तात्पर्य है कि अनेक निर्णय यद्यपि वैयक्तिक धारणा से प्रभावित होते हैं लेकिन उन्हें कानून के आधार पर तर्कसंगत प्रमाणित कर दिया जाता है । इस प्रकार किसी भी निर्णय की प्रक्रिया में जो आन्त रिक शक्तियाँ क्रियाशील होती हैं , वे ही तार्किक तथा अतार्किक क्रियाओं के नाजुक विभेद को स्पष्ट करती हैं ।

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