स्टॉक डिविडेंड vs स्टॉक स्प्लिट

Expert Ki Raay
Dividend kya hota hai? l Dividend kaise milta hai
डिविडेंड क्या होता है? What is dividend? जब हम किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो हम उस कंपनी में शेयर होल्डर हो जाते हैं। कंपनी अपना बिजनेस करती है तथा कंपनी को जो भी मुनाफा होता है, कंपनी उस मुनाफे को अपने शेयर होल्डर में प्रति शेयर के अनुसार बांट…
स्टॉक डिविडेंड vs स्टॉक स्प्लिट
स्टॉक मार्किट में Dividend क्या होता है ?
- Post last modified: July 26, 2020
- Post author: Yogesh Singh
- Post category: Share Market
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दोस्तों यदि आपने कभी स्टॉक मार्किट में निवेश करने का सोचा है तो आपने dividend शब्द जरूर सुना होगा आखिर डिविडेंड क्या होता है और कैसे आप स्टॉक मार्किट से डिविडेंड के जरिये भी पैसा कमा सकते है जिसमे आपको पैसे कमाने के लिए शेयर्स को बेचने की जरुरत नहीं पड़ती तो आज हम जानेगे की डिविडेंड क्या होता है ( Dividend meaning in Hindi ) आइये विस्तार में जानते है |
Dividend का मतलब क्या होता है ( Dividend meaning in Hindi ) ?
(Dividend meaning in Hindi) डिविडेंड का हिंदी में अर्थ होता है लाभांश मतलब की – लाभ का अंश कंपनी को हुए मुनाफे का थोड़ा सा हिस्सा जो निवेशको को दिया जाता है उसे डिविडेंड या लाभांश कहा जाता है |
स्टॉक मार्किट में Dividend क्या होता है ?
जब कंपनी अपने हुए मुनाफे में से सभी तरह के टैक्स और बाकी देनदारी हटा कर बचे हुए मुनाफे का कुछ हिस्सा अपने शेयरधारकों को देती है तो उसे डिविडेंड/लाभांश कहा जाता है |
ये डिविडेंड सभी शेयरधारकों को उनके पास रखे हुए शेयर्स के हिसाब से दिया जाता है | मान लीजिये अगर TCS कंपनी ने 20 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड देने का निर्णय लिया है और आपके पास TCS के 100 शेयर मौजूद है तो आपको :100*20 =2000 रुपये डिविडेंड प्राप्त होगा |
Dividend को कैसे Calculate किया जाता है ?
Dividend की गणना हमेशा कंपनी के Face Value के आधार पर ही की जाती है उसका कंपनी के मौजूदा share price कोई लेना देना नहीं होता | आइये जानते है Dividend की गणना कैसे की जाती है –
मान लीजिये Infosys के Share price की मौजूदा कीमत 800 रूपये प्रति शेयर है लेकिन उसकी Face Value 10 रूपये प्रति शेयर है |
उस साल कंपनी अपने निवेशकों को 200% डिविडेंड देने का फैसला करती है तो वो 200% dividend की गणना face value के आधार पर ही की जायगी न की मौजूदा उस कंपनी के share price पर जिसका मतलब 10 रूपये प्रति शेयर Face Value के हिसाब से 200% यानी 20 रूपये प्रति शेयर डिविडेंड दिया जायगा |
Dividend कितने प्रकार के होते है –
स्टॉक मार्केट में कंपनी दो तरह से डिविडेंड देने की घोषण करती है- Interim Dividend और Final Dividend
- Interim Dividend – कंपनी द्वारा जब फाइनेंसियल ईयर के भीतर ही quarterly डिविडेंड देने की घोषणा की जाती है तो उसे Interim Dividend कहा जाता है |
- Final Dividend – कंपनी द्वारा जब फाइनेंसियल ईयर के अंत में Annual डिविडेंड देने की घोषणा की जाती है तो उसे Final Dividend कहा जाता है |
Dividend का पैसा किस Account में आता है ?
डिविडेंड का पैसा आपके उस अकाउंट में आता है जो अकाउंट आपके डीमैट अकाउंट से लिंक्ड होता है | जरूर पढ़े अगर आपको नहीं पता डीमैट अकाउंट क्या होता है ?
मान लीजिए कि मेरे पास PNB का सेविंग अकाउंट है और जो की मेरे डीमैट अकाउंट से Linked है तो जब भी कंपनी डिविडेंड देने का निर्णय करेगी तो वह डिविडेंड का स्टॉक डिविडेंड vs स्टॉक स्प्लिट पैसा सीधे मेरे PNB सेविंग अकाउंट में आ जाएगा |
क्या स्टॉक मार्किट में सभी कंपनिया Dividend देती है ?
किसी कंपनी का डिविडेंड देना उस कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स पर निर्भर करता है की वह डिविडेंड देना चाहती है की नहीं यह डायरेक्टर्स अपनी Annual General Meeting (AGM) मीटिंग में ये फैसला लेते है |
जरुरी नहीं है कि कोई कंपनी बड़ी है या अच्छा लाभ कमाती है तो वो डिविडेंड जरूर देगी या फिर जो कंपनी आज डिविडेंड देर ही है वह आगे भी डिविडेंड देगी जैसा की मैंने पहले ही आपको बताया उस कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स द्वारा निर्णय लिया जाता है की डिविडेंड देना है की नहीं |
ज्यादातर मौके पर छोटी कम्पनिया डिविडेंड नहीं देती अपितु वह पैसा कंपनी के विस्तार और अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाने में लगा देती है जिससे कंपनी के शेयर्स के भाव में बढ़ोतरी होती है और निवेशकों को बढ़ते हुए शेयर्स स्टॉक डिविडेंड vs स्टॉक स्प्लिट के भाव से फायदा होता है |
Note: यदि आप किसी कंपनी का डिविडेंड चेक करना चाहते है तो दिए हुए लिंक Money Control की वेबसाइट पर से चेक कर सकते है |
Dividend के निवेशकों को फायदे
डिविडेंड के फायदे इस प्रकार है –
- डिविडेंड आय का नियमित स्रोत हैं |
- कंपनी के डिविडेंड पर निवेशक को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता | इसलिए इसे Tax Free Income भी कहा जाता है |
- किसी भी निवेशक के लिए डिविडेंड एक Passive Income की तरह है जिसमे आपको कुछ नहीं करना पड़ता |
- कंपनी जो भी डिविडेंड देती है उस पर शेयर भाव का कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि कंपनी Face Value के आधार पर डिविडेंड देती है |
Dividend Yield क्या होता है?
Dividend Yield एक Financial ratio है जिसके अनुपात से हमे यह पता चलता है कि मौजूदा बाजार मूल्य पर निवेशकों को अपने किये हुए निवेश पर कितना dividend मिल रहा है ।
Dividend Yield की गणना करने के लिए आपको कंपनी के डिविडेंड को कंपनी के मौजूदा बाजार मूल्य से भाग करना पड़ता है और इसकी गणना भी face value के आधार पर ही की जाती है |
जैसा की हमने बताया डिविडेंड की गणना कैसे की जाती है तो अगर इनफ़ोसिस का डिविडेंड 20 % रूपये प्रति शेयर है और उसका मौजूदा बाजार मूल्य 1000 रूपये तो उसका dividend yield (20/1000)*100 =2% होगा |
Dividend के लिए महत्वपूर्ण तिथियां
जब भी किसी कंपनी द्वारा डिविडेंड देने की घोषणा की जाती है तो शरहोल्डर्स को तुरंत डिविडेंड नहीं मिलता डिविडेंड की घोषणा और उसके भुक्तान के बिच कई (Dates) तिथियां आती है जो इस प्रकार है –
- Dividend Declaration Date : यह वह Date होती है जिस Date में कंपनी डिविडंड देने की घोषणा अपने शेयरधारकों को देती है।
- Ex-Dividend date : यह वो date होती जो की डिविडेंड पाने की last date होती है मतलब की अगर किसी निवेशक ने last date से पहले कंपनी का शेयर खरीदा था तभी उसको को डिविडंड मिलेगा last date के बाद शेयर खरीदने वाले शेयरधारकों को डिविडंड नहीं मिलता |
- Record Date : इस दिन कंपनी अपने Record Book में देखती है की उसके शेयर किन किन लोगो के पास है फिर उनको ही डिविडंड दिया जाता है
- Dividend Payout Date : वास्तव में इसी date को शेयर धारको को कंपनी द्वारा डिविडंड दिया जाता है।
Conclusion
दोस्तों आज हमने जाना डिविडेंड क्या होता है (Dividend meaning in Hindi) बाज़ार में जो कंपनी डिविडेंड देती है उनसे निवेशकों को फायदा होता ही है लेकिन यदि कोई कंपनी डिविडेंड नहीं देती और वह पैसा अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाने नए Services ,नए Products ,नया बिज़नेस शुरू करने के लिए करती है तब भी निवेशको को ही इसका फ़ायदा होता है |
क्योंकि अगर वह पैसा कंपनी की Growth में लगता है और कंपनी की Growth होती है तो जाहिर है उस कम्पनी के शेयर के दाम भी बढ़ेंगे तो जब निवेशकों के शेयर के दाम बढ़ेंगे तब भी निवेशकों को ही फायदा होगा |
What is Share or Stocks |शेयर या स्टॉक क्या होता है?
भारत में पिछले कुछ सालों में लगभग 5 से 6 करोड से भी ज्यादा डिमैट अकाउंट (Demat Account) खोले गए हैं। यानी के काफी लोग ऐसे हैं, जो शेर बाजार में म्यूच्यूअल फंड (Mutual funds) या शेयरों (Shares) में निवेश की शुरुआत कर रहे हैं। तो उन्हें शेयर बाजार या शेयर के बारे में कुछ खास ज्ञान नहीं है। और वह लोग म्यूच्यूअल फंड और शेयरो में निवेश कर रहे हैं। इनमें से काफी लोगों को तो पता भी नहीं होगा, कि शेयर होता क्या है। वह बस किसी यार दोस्त के कहने पर ही डिमैट खाता खोल दिया और निवेश शुरू कर दिया है। लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि शेयर या स्टॉक होता क्या है। और कंपनियां शेयर क्यों बेचती हैं। तो चलिए जानते हैं।
शेयर या स्टॉक्स क्या होता है | what is share or stocks ?
शेयर का अर्थ होता है, हिस्सा या भाग। शेयर किसी भी कंपनी में हमारा हिस्सा या अंश होता है। स्टॉक का मतलब भी शेयर ही होता है। अमेरिका में शेयर को स्टॉक्स कहते हैं। इसलिए हम भी शेयर को स्टॉक् भी कहते हैं। लेकिन इन में कोई अंतर नहीं होता है। यह बस उस कंपनी के उस हिस्से का नाम ही है, जिसे हम शेयर कहते हैं। यानी के जब हम किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं, तो हम उस कंपनी का एक हिस्सा खरीदते हैं। शेयर की हिंदी परिभाषा है, “किसी कंपनी के कुल पूंजी को कई बराबर हिस्सों में बांट देने पर जो पूंजी का सबसे छोटा हिस्सा बनता है उसी हिस्से को शेयर या स्टॉक कहा जाता है” इसको ऐसे समझते हैं, यहां मैं आपको रिलायंस का ही उदाहरण दूंगा क्योंकि रिलायंस और मुकेश अंबानी के बारे में हम सब जानते हैं। इसलिए आप को समझना थोड़ा आसान रहेगा। मान लो आपके पास रिलायंस के 10 शेयर हैं। लेकिन रिलायंस के पास कुल मिलाकर लगभग 676 करोड से भी ज्यादा शेयर हैं। यानी के रिलायंस में अपनी कंपनी को 676 करोड भागों में बांट रखा है। तो उसमें से आप का हिस्सा 10 शेयर है। यानी रिलायंस को पूरे साल में जितना लाभ होगा, वह उसके सभी शेरहोल्डर में बराबर-बराबर बंटेगा। जिसके पास रिलायंस के जितने शेयर होंगे उसको उतना ही पैसा मिलेगा। मान लो रिलायंस प्रति शेयर ₹10 का डिविडेंड दे रही है और आपके पास उसके 10 शेयर हैं, तो आपको ₹100 का डिविडेंड मिलेगा।
कंपनियां शेयर क्यों जारी करती हैं?
आपके मन में सवाल आया होगा कि कोई भी कंपनी अपना शेयर या हिस्सा किसी और को क्यों देती है ? जब भी कोई व्यक्ति कोई कंपनी शुरू करता है, लेकिन बाद में अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए उसे धन या पैसे की आवश्यकता होती है। तो उसके पास दो ही रास्ते होते हैं। या तो वह कहीं से कर्ज लेकर अपने व्यवसाय का विस्तार करें या फिर अपनी कंपनी को शेयर बाजार में (listed) लिस्टेड करके IPO (Initial Public Offer) लाकर उसके शेयर बेच करके पैसा इकट्ठा करें जिससे वह अपने व्यवसाय का विस्तार कर सके। इस प्रकार शेयर बाजार में लिस्ट होकर के कंपनी को दो फायदे होते हैं। एक तो उनको शेयर बेचकर मिले पैसे पर कोई ब्याज नहीं देना पड़ता है। और अगर कलको उनको व्यवसाय में नुकसान होता है तो उनके नुकसान में शेयर धारक के रूप में भागीदार मिल जाते है। यानी अगर कंपनी को नुकसान होता है, तो वह सारा नुकसान केवल कंपनी के मालिक को ही नहीं उठाना पड़ेगा। बल्कि उस कंपनी में जितने भी शेरहोल्डर होंगे सभी में बंट जाएगा। और कंपनी को होने वाले लाभ का भी उनको हिस्सा मिलता है। जैसे रिलायंस में प्रमोटर यानी के मुकेश अंबानी परिवार की का हिस्सा लगभग 51% यानी के आधा है। और बाकी आधा हिस्सा 49% एफआइआई (FII), डीआईआई (DII) या मेरे आपके जैसे आम लोगों (Public) का है। तो Reliance को होने वाले लाभ का आधा हिस्सा ही मुकेश अंबानी या प्रमोटर अपने पास रख सकते हैं। बाकी आधा उसके शेयर होल्डर को देना पड़ेगा।
Types of share | शेर के प्रकार।
शेयर मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं।
- 1. इक्विटी शेयर (Equity Share)
- 2. प्रेफरेंस शेयर (Preference Share)
- 3. DVR Share (Differential Voting Rights)
1. इक्विटी शेयर (Equity Share) इन शेयरों को साधारण शब्दों में Ordinary Shares या साधारण शेयर के नाम से भी जाना जाता है। किसी भी कंपनी के द्वारा सबसे ज्यादा यही शेयर जारी किए जाते हैं। यह शेयर स्टॉक मार्केट में सक्रिय रूप से सेकेंडरी मार्केट (Secondary Market) में ट्रेड होते हैं। यह शेर भी आपको कंपनी के कमाई में भागीदार बनने का अवसर देते हैं। इक्विटी शेयर धारकों को कंपनी की मीटिंग में वोट देने का और लाभ स्टॉक डिविडेंड vs स्टॉक स्प्लिट में हिस्सा पाने का अधिकार होता है। कंपनी इनको डिविडेंड की देती है।
2. प्रेफरेंस शेयर (Preference Share) प्रेफरेंस शेयर होल्डर जैसा कि नाम से ही पता चलता है, कि इनको कंपनी में प्राथमिकता दी जाती है लेकिन इस प्रकार के शेयरधारकों को कंपनी की मीटिंग में वोटिंग का अधिकार प्राप्त नहीं होता है। कंपनी बंद होने की स्थिति में सबसे पहले प्रेफरेंस शेयर होल्डर को भुगतान किया जाता है। इसके अलावा इनको एक तय दर पर डिविडेंड दिया जाता है। जबकि इक्विटी शेयर होल्डर को दीया जाने वाले डिविडेंड की दर तय नहीं होती है।
3. DVR शेयर (DVR Share) इस तरह के शेयर धारकों के पास इक्विटी शेयर धारकों की तुलना में वोटिंग का अधिकार कम होता है। इस प्रकार के शेयरधारकों को कंपनी अतिरिक्त लाभांश देती है। डीवीआर शेयर की कीमत इक्विटी शेयर की तुलना में कम होती है।
शेयरों कैसे खरीदें?
अब प्रश्न उठता है, कि हम शेयर खरीदे कैसे? वर्तमान समय में शेर खरीदना और बेचना बहुत ही ज्यादा आसान हो चुका है। बस आपके पास किसी भी शेयर ब्रोकर (Sher Broker) का डिमैट अकाउंट (Demat Account) होना चाहिए। और आप अपना डिमैट अकाउंट बड़ी ही आसानी से घर बैठे ऑनलाइन खोल सकते हैं। और ऑनलाइन ही किसी भी लिस्टेड कंपनी का शेयर बड़ी ही आसानी से खरीद और बेच भी सकते हैं। आपको कहीं पर भी जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, और अगर आपको शेयर बाजार का ज्ञान भी नहीं है। तो भी कर बैठे ही हमारे लेख पढ़कर या वीडियो देख कर के भी आपको शेयर बाजार के बारे में जानकारी मिल जाएगी। अगर आप को शेर खरीदना बेचना मुश्किल लगता है, तो आप म्यूच्यूअल फंड के द्वारा भी शेर बाजार में निवेश कर सकते हैं। जिससे आपको शेयर बाजार के बारे में ज्यादा जानकारी होने की भी जरूरत नहीं है। और आप अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। अगर निवेश की बात करें तो आपको शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड में निवेश करना ही चाहिए, क्योंकि शेयर बाजार में थोड़ा सा जोखिम (Risk) तो होता है, लेकिन अगर आप सही तरीके से सोच समझकर या थोड़ा बहुत ज्ञान प्राप्त करके शेयर बाजार में निवेश करते हैं, तो आप (Bank FD) से कई गुना अच्छा रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। और भविष्य में अपने पैसे को कई गुना बढ़ा सकते हैं। अगर आप शेयर बाजार में नए हैं, तो इंट्राडे ट्रेडिंग करने से बचें।
शेयर मार्केट में फेस वैल्यू क्या होती हे ?
नमस्ते दोतो। आज हम सीखने वाले हे की face value kya hoti he। और शेयर मार्किट में company की फेस वैल्यू की क्या एहमियत में। और इसका क्या इस्तेमाल होता हे। और किसी कंपनी की फेस वैल्यू कैसे देखते हे। इन सब के बारे में हम आज सीखने वाले हे।
face value kya hoti he
जब कोई नयी कंपनी शेयर मार्किट में प्रस्तावित होना चाहती हे। तो वो कंपनी उसका ipo प्रस्तावित करती हे। तो कंपनी अपने capital को कुछ परसेंट के हिसाब से शेयर्स की संख्याओं में बाट देती हे। और प्रति शेयर के हिस्से में जो कीमत आती हे। वही उस कंपनी की फेस वैल्यू रहती हे। और उसे ही फेस वैल्यू कहा जाता हे।
फेस वैल्यू कंपनी की मैन वैल्यू होती हे। ज्यादातर कंपनी की फेस वैल्यू १रु ,५ रु या फिर १० रु ही होती हे। कंपनी की फेस वैल्यू फिक्स होती हे। वो मार्किट वैल्यू की तरह ऊपर निचे नहीं होती।
जब किसी कंपनी की स्टॉक की कीमत उसके फेस वैल्यू से ऊपर ट्रेड करती हे। तो उसे share primium कहा जाता हे। और जब कोई स्टॉक की कीमत उसके फेस वैल्यू से निचे ट्रेड कराती हे। तो उसे share discount कहा जाता हे।
यह भी पढ़े – IPO क्या होता हे
face value ka use
फेस वैल्यू का इस्तेमाल
फेस वैल्यू और मार्किट वैल्यू दोनों अलग अलग होते हे। इनका एक दूसरे से कोई सम्भन्ध नहीं होता। डिविडेंड देने के वक्त फेस वैल्यू का ही इस्तेमाल किया जाता हे। जैसी की डिविडेंड देना हो तो वो फेस वैल्यू के परसेंटेज के ऊपर दिया जाता हे।
अगर समझो कंपनी की फेस वैल्यू १० रुपये हे। और कंपनीने २०० % का डिविडेंड घोषित किया। तो २०० % /face value = २० रुपये। इसका मतलब डिविडेंड २० रुपये प्रति शेयर के हिसाब से दिया जायेगा।
जब कोई भी कंपनी का stock split होता हे। तो उस कंपनी की फेस वैल्यू भी स्टॉक स्प्लिट के रेशो के हिसाब से split (परिवर्तन) होती हे।अगर समझा जाये तो किसी कंपनी का स्टॉक स्प्लिट होता हे १:५ के retio के हिसाब से। तो उसकी फेस वैल्यू भी १;५ के हिसाब से स्प्लिट होती हे। फेस वैल्यू १० हो तो १:५ स्प्लिट के हिसाब से वो २ रुपये हो जाएगी।
और कंपनी का डिविडेंड रेशो या स्टॉक स्प्लिट रेशो कंपनी के promotor diside करते हे। कंपनी शेयर मार्किट में प्रस्तावित होती हे। तो ज्यादातर कंपनी की फेस वैल्यू १० रुपये ही होती हे। और कंपनी की मार्किट वैल्यू का निर्णय लेना प्रोमोटर पर होता हे। प्रोमोटर चाहे तो मार्किट वैल्यू फेस वैल्यू के ऊपर भी तय कर सकती हे।
यद् रखे कंपनी की फेस वैल्यू हमेशा कंपनी के शेयर सर्टिफिकेट्स पर लिखी जाती हे। और ये सर्टिफिकेट्स पब्लिक को देखने के लिए मान्य होती हे। आप चाहे तो किसी भी कंपनी की फेस वैल्यू और शेयर्स सर्टिफिकेट्स देख सकते हे। कई लोग फंडामेंटल एनालिसिस में कंपनी की फेस वैल्यू भी देखते हे।
अगर आपको किसीभी कंपनी का फेस वैल्यू देखना हे तो। आप सेबी की nseindia वेबसाइट पर जाकर देख सकते हे। या फिर आप गूगल पर भी सर्च करके देख सकते हे। कंपनी का नाम और आगे फेस वैल्यू लिखने पर कंपनी की फेस वैल्यू आ जाएगी।
यकीं हे की फेस वैल्यू के बारे में आपकी कॉन्सेप्ट क्लियर हो गयी होगी। और अगर आपको हमारी ये आजकी पोस्ट अछि लगे तो आप इसे अपनी फॅमिली या दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। ताकि उनको भी face value kya hoti he ? के बारे में अच्छे से पता लग जाये।
आपको हमारी पोस्ट मदतगार साबित हुयी होगी ,और अगर आपको शेयर मार्किट या अन्य किसी विषय पर हमसे पूछना हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर भेज सकते हे। या आपको कोई बात समझ नहीं आयी हो। या face value kya hoti he इस पोस्ट में आप कुछ बदलाव चाहते हो तो कमेंट जरूर करियेगा। धन्यवाद !