ऋण और निवेश

बैंकों की एफडी से ज्यादा आकर्षक हो गए हैं बांड, ब्याज दरों में तेजी के माहौल ने देश के ऋण बाजार को बनाया आकर्षक
बांड निवेश को हमेशा से कम रिटर्न वाला लेकिन सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता रहा है। 10 वर्ष वाले बांड्स पर रिटर्न 7.4 प्रतिशत के स्तर पर है। आरबीआइ ब्याज दरों को बढ़ा रहा है उसे देखते हुए बांड पर रिटर्न मौजूदा स्तर से ज्यादा ही रहने की संभावना है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: पिछले तीन दिनों से बांड बाजार में थोड़ी नरमी का माहौल है, लेकिन इसके बावजूद शेयर बाजार और दूसरे वित्तीय बाजारों की अस्थिरता को देखते हुए वहां रौनक कायम है। इसके पीछे वजह यह है कि भारत, अमेरिका समेत दुनिया की तमाम प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में ब्याज दरों में वृद्धि हो रही है और इस दौर के अभी जारी रहने की संभावना है। जब भी ब्याज दरों में वृद्धि होती है तो बांड में रिटर्न हो जाता है। अभी भारतीय बांड बाजार में 10 वर्ष की परिपक्वता अवधि वाले बांड्स पर रिटर्न 7.40 प्रतिशत से ज्यादा है जो बैंकों की जमा अवधि से बेहतर है। ऐसे में खुदरा निवेशकों को अपने कुल पोर्टफोलियो का एक हिस्सा बांड्स में निवेश करने की सलाह दी जा रही है।
बांड निवेश को हमेशा से कम रिटर्न वाला लेकिन सुरक्षित निवेश विकल्प माना ऋण और निवेश जाता रहा है। मिलवुड केन इंटरनेशनल के सीईओ निश भट्ट का कहना है कि कुछ महीने पहले तक भारत में ब्याज दरें सबसे न्यूनतम स्तर पर थीं। बैंकों के पास जरूरत से ज्यादा तरलता (फंड) उपलब्ध थी। अब ब्याज दरों में वृद्धि का सिलसिला शुरू हो गया है। यह सभी तरह के ऋण प्रपत्रों में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए फायदे ऋण और निवेश का सौदा है। उन्होंने कहा कि 10 वर्ष वाले बांड्स पर रिटर्न 7.4 प्रतिशत के स्तर पर है। जिस तरह से आरबीआइ ब्याज दरों को बढ़ा रहा है उसे देखते हुए अभी बांड पर रिटर्न मौजूदा स्तर से ज्यादा ही रहने की संभावना है। निवेशकों को इस माहौल का फायदा उठाने के लिए अपने कुल पोर्टफोलियो का एक हिस्सा बांड्स में लगाना चाहिए। वैसे स्थायित्व के हिसाब से बैंकों की सावधि जमा स्कीमों को सबसे ज्यादा सुरक्षित माना जा सकता है जबकि बांड रिटर्न पर कई बार घरेलू और वैश्विक हालातों का असर पड़ता है।
निश्चित दायरे में ही रहता है बांड पर रिटर्न
इक्विटी या शेयर बाजार में निवेश करने का मतलब यह होता है कि हम उस कंपनी में एक खास हिस्सेदारी खरीद रहे हैं। वहीं किसी कंपनी, सरकार या किसी दूसरी एजेंसी की तरफ से जारी बांड में जब हम निवेश करते हैं तो इसका मतलब होता है कि हम उन्हें ऋण मुहैया कराते हैं। इसलिए इन्हें डेट यानी ऋण प्रपत्र भी कहते हैं। इनमें इक्विटी बाजार की तरह कभी भी उतार-चढ़ाव नहीं आता है। इन पर रिटर्न एक निश्चित दायरे में ही ऊपर-नीचे होता है। इसलिए इन्हें सुरक्षित रिटर्न माना जाता है। आम ग्राहक ब्रोकर के जरिये या म्यूचुअल फंड्स के जरिये बांड में निवेश कर सकते हैं। आरबीआइ ने भी सरकारी प्रतिभूतियों में सीधे निवेश करने की सुविधा शुरू कर दी है।
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बैंक की निवेश नीति , सिद्धांत - Bank's Investment Policy Principles
बैंक की निवेश नीति , सिद्धांत - Bank's Investment Policy Principles
विभिन्न साधनों से प्राप्त पूँजी बैंक के पास बेकार नहीं पड़ी रहती, बल्कि उसके निवेश द्वारा बैंक लाभ कमाता है। बैंक द्वारा किए गए कुछ निवेश अलाभप्रद भी होते हैं, परंतु बैंक की स्थापना का प्रधान उद्देश्य तो पूँजी के ऋण और निवेश निवेश द्वारा लाभ कमाना ही होता है। विभिन्न देशों में आर्थिक परिस्थितियाँ तथा बाजार की दशाएँ अलग-अलग होने के कारण वहाँ बैंकों के निवेश की नीतियाँ भी अलग-अलग होती है। बैंको की निवेश नीति क्या हो, इस संबंध में कोई निश्चित नियम नहीं बनाए जा सकते। फिर भी बैंक को निवेश नीति निश्चित करते समय बडी सावधानी से काम लेना चाहिए।
निवेश नीति का सिद्धांत
सामान्यतः निम्नलिखित सिद्धांतों के आधार पर पूँजी का निवेश करने से बैंक सुरक्षित रूप से लाभ कमाने में समर्थ को सकते हैं:
(1) निधि की सुरक्षा - निवेश करने समय बैंक का उद्देश्य सुरक्षा सर्वप्रथम होना चाहिए, क्योंकि निवेश के सुरक्षित न रहने पर स्वयं बैंक का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। निवेश की सुरक्षा के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है जैसे- (1) बैंक को अपना समस्त धन किसी एक ही व्यक्ति अथवा व्यवसाय को ऋण के रूप में नहीं देना चाहिए। (2) बैंक को यथासंभव दीर्घकालीन ऋण नही देने चाहिए। (3) ऋणी द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली जमानत की भली-भाँति जांच कर लेनी चाहिए और यह देख लेना चाहिए कि जमानत का बाजार मूल्य ऋण के मूल्य से अधिक है अथवा नहीं, (4) ऋणी के व्यक्तिगत आचरण तथा चरित्र के विषय में सूचना प्राप्त कर लेनी चाहिए तथा (5) बैंकों को चाहिए कि वे सस्ती साख नीति न अपनाए ताकि ऋणियों में अपव्यय की भावना उत्पन्न न होने पाए।
(2) तरलता - तरलता से अभिप्राय जमा के बदले में नकद मुद्रा देने की क्षमता से है।
बैक का अस्तित्व जनता के विश्वास पर निर्भर करता है और जनता का विश्वास इस बात पर आधारित रहता है कि बैंक में जमाराशि को नकद मुद्रा में परिवर्तित करने की क्षमता सदा होगी। ऋण और निवेश तरलता की दृष्टि से ये बातें आवश्यक है - (1) बैंक का सर्वाधिक तरल साधन नकद कोष है, इसलिए साधारणतः अपनी कुल जमाओं का 20 से 25 प्रतिशत तक बैंक अपने पास नकदी के रूप में रखना चाहिए। (2) बैंक को चाहिए कि उन साधनों में निवेश करे, जिसमें बिना क्षति के स्थानापरिवर्ती साध्यता का गुण हो जैसे बैंक के अभियोचित एवं अल्पकालीन ऋण तथा अल्पकालीन सरकारी प्रतिभूतियों एवं उच्चकोटि के वाणिज्यिक पत्र जैसे अंश व ऋणपत्र आदि, (3) बैंक को केवल उन्हीं सरकारी प्रतिभूतियों तथा उच्चकोटि के व्यावसायिक पत्रों में निवेश करना चाहिए जो कुछ आवश्यक शर्तों की पूर्ति करते हैं तथा केंद्रीय बैंक द्वारा पुनः कटौती के लिए स्वीकार किए जा सकते है, ताकि सकट की स्थिति में बैंकों के द्वारा केंद्रीय बैंक की अंतिम सहायता के रूप में सहायता प्राप्त की जा सके।
स्टीड के अनुसार, "बैंक को केवल कार्यशील पूँजी की पूर्ति के लिए ही ऋण देना चाहिए, अचल या स्थायी पूँजी ऋण और निवेश बनाने के लिए नहीं । "
(3) लाभदायकता :- चूँकि बैंक का उद्देश्य अपने निवेश द्वारा लाभ कमाना होता है, इसलिए बैंक को अपने धन का इस प्रकार निवेश करना चाहिए कि उसे नियमित रूप से पर्याप्त मात्रा में लाभ प्राप्त होता रहे। इस संबंध में ध्यान देने योग्य बात यह है कि प्राय तरलता तथा लाभदायकता दोनों एक दूसरे से विपरीत होते हैं। नकद कोष पूर्णत तरल साधन हैं परंतु इससे कोई आय प्राप्त नहीं होती। दूसरी ओर दीर्घकालीन ऋण तथा अग्रिम अधिक लाभदायक होते है, परंतु तरल नहीं होते।
( 4 ) जोखिम ऋण और निवेश का विभिन्नीकरण - बैंकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि उसके अधिकाश घन का निवेश एक ही प्रकार के ऋणों,
व्यवसायों तथा प्रतिभूतियों में न हो। बैंकों को अपना धन विविध प्रकार के ऋणों अथवा व्यवसायों आदि में लगाना चाहिए ताकि एक ओर ही हानि को दूसरी ओर के लाभ से पूरा किया जा सके। इनके अतिरिक्त जैसा पहले कहा गया है समस्त ॠण एक ही व्यक्ति अथवा फर्म को देने के बजाय अनेक व्यक्तियों तथा फर्मों को छोटे-छोटे ऋण देना अधिक अच्छा होता है।
(5) प्रतिभूतियों की विक्रेयता - सुरक्षा तथा तरलता की दृष्टि से ऐसी प्रतिभूतियों में निवेश करना अच्छा होता है जिन्हें आवश्यकता पड़ने पर आसानी से बाजार में बेचा जा सके। सरकारी तथा उत्तम श्रेणी की व्यावसायिक प्रतिभूतियों, अच्छी कंपनियों के अशो तथा ऋणपत्रो, विनिमयसाध्य साख पत्रों तथा तैयार माल की जमानत पर ऋण देने से बैंकों द्वारा निवेश करना अच्छा होता है। इसके विपरीत, अचल संपति के आधार पर दिया गया ऋण अच्छा नहीं माना जा सकता है। (6) अन्य सिद्धांत - बैंकों को निवेश करने समय यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि (1) यथासंभव निवेश ऐसी प्रतिभूतियों अथवा वस्तुओं में किया जाय जिनकी कीमतों में अपेक्षाकृत अधिक स्थिरता रहती है। (2) यथासंभव ऐसी प्रतिभूतियों में निवेश को प्राथमिकता दी जाय जो आय कर से मुक्त हो, अथवा जिन पर कर कम लगता हो । (3) बैंकों को अपनी निवेश नीति सरकार और केंद्रीय बैंक द्वारा निर्धारित नियमों के आधार पर तय करनी चाहिए।
एनआरएलएम गरीबों को सस्ती लागत प्रभावी विश्वसनीय वित्तीय सेवाओं के लिए सार्वभौमिक पहुँच की सुविधा। इन वित्तीय सेवाओं पर वित्तीय साक्षरता, बैंक खाते, बचत, ऋण, बीमा, प्रेषण, पेंशन और परामर्श में शामिल हैं। एनआरएलएम वित्तीय समावेशन और निवेश की रणनीति की कोर बैंकिंग प्रणाली के “गरीब पसंदीदा ग्राहकों को बनाने और बैंक ऋण जुटाने है
गरीब के संस्थानों पूंजी में परिरात करना
एनआरएलएम उनके संस्थागत और वित्तीय प्रबंधन क्षमता को मजबूत ऋण और निवेश बनाने और मुख्यधारा के बैंक वित्त आकर्षित करने के लिए उनके ट्रैक रिकॉर्ड के निर्माण के लिए, गरीबों की संस्थाओं को शाश्वत फंड और संसाधन के रूप में समुदाय निवेश फंड (सीआईएफ) परिक्रामी प्रदान करता है।
- एनआरएलएम के सदस्यों को 'क्रेडिट पूरा करने के लिए कोष के रूप में Rs.10,000-15,000 के स्वयं सहायता समूहों को रिवाल्विंग फण्ड (आरएफ) प्रदान करता है दोहराने बैंक वित्त लाभ के लिए सीधे और के रूप में उत्प्रेरक पूंजी की जरूरत है। आरएफ अभ्यास 'Panchasutra' कर दिया गया है कि स्वयं सहायता समूहों को दिया जाता है (; नियमित बचत, नियमित रूप से अंतर-उधार लिया हुआ धन, समय पर भुगतान, नियमित रूप से बैठकों और खातों की अप-टू-डेट किताबें)।
- एनआरएलएम एसएचजी / ग्राम संगठनों के माध्यम से सदस्यों की ऋण जरूरतों को पूरा करने और विभिन्न स्तरों पर सामूहिक गतिविधियों की कार्यशील पूंजी जरूरतों को पूरा करने के लिए क्लस्टर स्तर पर एसएचजी फेडरेशन को बीज पूंजी के रूप में समुदाय निवेश कोष प्रदान करता है।
- स्वयं सहायता समूह फेडरेशन के लिए जोखिम न्यूनीकरण फंड (VRF) प्रदान करता है।
ऋण के लिए उपयोग
यही नहीं, स्वयं सहायता समूहों माइक्रो निवेश योजना के माध्यम से जाने के लिए अगले पांच years.For अधिक दोहराने खुराकों में हर घर के लिए सुलभ (- एनआरएलएम गरीब के संस्थानों में निवेश कम से कम 1,00,000 / के बैंक ऋण का लाभ उठाने होगा कि उम्मीद एमआईपी) समय-समय पर प्रक्रिया। एमआईपी घरेलू और एसएचजी स्तरों पर योजना और मूल्यांकन की एक भागीदारी की प्रक्रिया है। सदस्यों / स्वयं सहायता समूहों के लिए धन के प्रवाह एमआईपी के खिलाफ है। सभी पात्र स्वयं सहायता समूहों को मुख्यधारा वित्तीय संस्थाओं से प्रतिवर्ष 7% पर ऋण प्राप्त करने के लिए एनआरएलएम ब्याज दर में छूट प्रदान की है। इसके अलावा, अतिरिक्त 3% ब्याज दर में छूट केवल सबसे पिछड़े 250 जिलों में स्वयं सहायता समूहों द्वारा शीघ्र भुगतान पर उपलब्ध है।
एसएचजी क्रेडिट लिंकेज
मिशन समुदाय संस्थानों को केवल उत्प्रेरक पूंजी सहायता प्रदान करता है, यह बैंकों के ग्रामीण गरीब परिवारों के लिए ऋण की जरूरत के पूरे सरगम पूरा करने के लिए आवश्यक धन का बड़ा हिस्सा है कि उपलब्ध कराने की उम्मीद है। मिशन इसलिए एसएचजी बैंक ऋण की महत्वपूर्ण राशि का लाभ उठाने कि उम्मीद है।
- मिशन की अवधि पांच ऋण और निवेश साल से अधिक है, प्रत्येक एसएचजी रुपये का संचयी बैंक ऋण का लाभ उठाने में सक्षम होगा रखती है। 10,00,000 / - दोहराने खुराकों में, औसतन प्रत्येक सदस्य घरेलू रुपये का संचयी राशि ऐसे तक पहुँचता है। 100,000 / -।
- बैंक लिंकेज की सुविधा के लिए आदेश में, राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति(एसएलबीसी) एसएचजी बैंक लिंकेज और एनआरएलएम गतिविधियों में वित्तीय समावेशन के लिए विशेष उप समितियों का गठन होगा। इसी प्रकार, जिला स्तरीय समन्वय समितियों तथा प्रखंड स्तर समन्वय समितियों एसएचजी-बैंक लिंकेज और एनआरएलएम की समीक्षा करेंगे।
- मिशन इकाइयों को भी इस तरह के बैंक मित्रा / सखी, के रूप में क्षेत्र स्तर ग्राहक संबंध प्रबंधकों की सेवाओं का उपयोग करने की उम्मीद कर रहे हैं।
- इसके अलावा, उम्मीद कर रहे हैं गरीब के संस्थानों (बैंक लिंकेज और ऋणों की वसूली पर उप-समितियां) समुदाय आधारित वसूली तंत्र का गठन करने के लिए निर्देशित किया जाएगा।
एनआरएलएम सीधे या विभिन्न संस्थागत तंत्र और प्रौद्योगिकी का उपयोग कर मुख्यधारा वित्तीय संस्थानों के साथ साझेदारी में गरीबों की संस्थाओं के माध्यम से बचत, ऋण, बीमा (जीवन, स्वास्थ्य और संपत्ति) और प्रेषण के उत्पादों के पोर्टफोलियो बढ़ाने की दिशा में काम करता है।
आपके फिक्स्ड डिपॉजिट के अगेंट्स लोन
आपके फिक्स्ड डिपॉजिट के अगेंट्स लोन
अगस्त 2019 में सेबी सर्वे के अनुसार 95% से ज्यादा लोग अपने पैसों को बैंक में रखना पसंद करते हैं| वहीं 10% से भी कम लोग म्युचअल फंड और स्टॉक में निवेश करते हैं|
यह आश्चर्य चकित होने वाली बात नहीं है,कि ज्यादातर भारतीय परिवार निवेश के लिए फिक्स्ड डिपोसिट को चुनना ज्यादा पसंद करते हैं| वित्तीय की कम जानकारी होने के कारण भारतीयों की सुरक्षित संपत्ति में निवेश करने की इच्छा और आदत होती हैं | इसलिए ये आश्चर्य की बात नहीं हैं कि एफडी के बाद सबसे ज्यादा लोकप्रिय संपत्ति बीमा, सोना, पोस्ट ऑफिस में निवेश और और रियल स्टेट हैं |
फिक्स्ड डिपाजिट को लोग ज्यादा इसलिए भी पसंद करते हैं, क्योकि इसे समझना आसान हैं, दूसरा लाभ ये भी है कि फिक्स्ड डिपोसिट के साथ लोन लेने की संभावना होती हैं, इस ऋण का लाभ उठाने ऋण और निवेश के लिए ना ही क्रेडिट स्कोर और ना ही आय एलिजिबिटी क्रिटेरियन की ज़रूरत होती हैं|
प्रक्रिया
फिक्स्ड डिपॉजिट के अगेंट्स लोन लेने और आवेदन करने के लिए, व्यक्ति को अपनी संबंधित बैंक शाखा से फॉर्म प्राप्त करना होगा। एक ऋण आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेजों के साथ इस फॉर्म को जमा कर सकते हैं।
एलिजिबिटी
- उमीदवार 21 वर्ष का होना चाहिए|
- उमीदवार भारतीय नागरिक हो
- लीडिंग बैंक के साथ फिक्स्ड डिपोसिट होना चाहिए
ज़रूरी दस्तावेज़
सामान्य तौर पर बैंक आवेदन पत्र साथ निम्नलिखित दस्तावेज़ लगते हैं, हालांकि कोई अपने बैंक के साथ जांच कर सकता हैं|
- आवेदन पत्र
- फिक्स्ड डिपोसिट रसीद
- पासपोर्ट साइज फोटो
- मानीय पहचान पत्र फोटो
- घर के पते का प्रमाण
फिक्स्ड डिपोसिट के अगेंट्स लोन दर रेट
बैंक एफडी के खिलाफ एक आवेदक को उधार देता है, जिसे वह बैंक के पास रखता है। इसलिए, एफडी ऋण देने के लिए जमानत के रूप में काम करता है। इसलिए, लॉजिकल रूप से ऐसे ऋण पर ब्याज असुरक्षित ऋण से ऋण और निवेश कम होना चाहिए। यह दर आम तौर पर जमा की दर से 1 या 2 प्रतिशत अधिक होती है।
मिसाल के तौर पर, भारतीय स्टेट बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट के खिलाफ लोन के मामले में, लोन पर ब्याज टर्म डिपॉजिट रेट से 1% ज्यादा होता है। जबकि, एचडीएफसी और एक्सिस बैंक के लिए यह जमा दरों से 2% अधिक होता है। व्यक्तिगत ऋण दरों की तुलना में यह बहुत आकर्षक होता है, जो कि 10-12% की सीमा में है।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि कुछ बैंकों के साथ ऋण में फिक्स्ड डिपोसिट के मूल्य से 90% तक लाभ उठाया जा सकता है।
प्री-पेमेंट
किसी को ऋण की अवधि के दौरान किसी भी बिंदु पर एक निश्चित जमा के अगेंट्स अपने ऋण को प्रीपे करने की अनुमति होती है। ऋण के एक अन्य प्रकार के विपरीत, जहां बैंक ऋणों को जल्दी बंद करने के लिए पूर्व-भुगतान जुर्माना वसूल सकते हैं, एफडी के खिलाफ ऋण इस तरह के कोई शुल्क नहीं लेते हैं। कोई भी दंड दिए बिना किसी भी समय अपने ऋण को बंद कर सकता है।
ऋण की अवधि परिपक्वता के लिए फिक्स्ड डिपोसिट के लिए शेष समय पर निर्भर होती है। ऋण की अवधि FD की परिपक्वता तिथि से अधिक नहीं हो सकती क्योंकि FD उधार देने वाले बैंक के लिए संपार्श्विक के रूप में कार्य करता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट को तोड़ने का विकल्प
जब किसी के पास बैंक के साथ एक सक्रिय FD होती है और उसे धन की आवश्यकता होती है, तो उसके पास 2 विकल्प होते हैं। पहला विकल्प एफडी को तोड़ना और फंड का उपयोग करना है। दूसरा विकल्प फिक्स्ड डिपॉजिट के खिलाफ ऋण प्राप्त करना है। जैसा कि हमने पहले ही चर्चा की है, एफडी के खिलाफ ऋण एक लागत का भुगतान करेगा जो एफडी से आपको प्राप्त होने वाले रिटर्न से अधिक है। तो, क्या आपके लिए FD को तोड़ना और अतिरिक्त ब्याज लागत को बचाना बेहतर नहीं होगा? इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए, दोनों विकल्पों के बीच के अंतर को समझें।
सुविधा - मौजूदा एफडी के खिलाफ ऋण प्राप्त करने के लिए, किसी को आवेदन प्रक्रिया से गुजरना होगा और आवश्यक दस्तावेज जमा करने होंगे, आदि दस्तावेजों के सत्यापन और अप्रूवल के बाद ही ऋण वितरित किया जाएगा। दूसरी ओर, जब कोई एफडी तोड़ता है, तो फंड ग्राहकों के खाते में लगभग वितरित हो जाते हैं।
अधिकतम राशि - आमतौर पर फिक्स्ड डिपॉजिट के खिलाफ बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋण की राशि 85-90% तक सीमित होती है। हालांकि, एफडी तोड़ने के मामले में, पूरी राशि बैंक खाते में जमा की जाती है।
लागत - फिक्स्ड डिपॉजिट के खिलाफ लोन लेते समय कोई लागत शामिल नहीं होती है। हालांकि, फिक्स्ड डिपॉजिट को प्री-मेच्योर करना छोटे पेनल्टी को लागू कर सकता है।
ब्याज दर - एफडी के खिलाफ ऋण एफडी पर रिटर्न की दर की तुलना में उच्च दर पर आता है।
एफडी के अगेंट्स ऋण और एफडी तोड़ने पर ऋण | ||
एफडी के अगेंट्स ऋण | एफडी तोडना | |
सुविधा | × | ✔ |
राशि | × | ✔ |
लागत | ✔ | × |
ब्याज | × | ✔ |
जैसा कि ऊपर दी गई तालिका से बताया जा सकता है, अधिकांश अंतर एफडी को तोड़ने के पक्ष में हैं। हालांकि, कुछ मानव प्रेजुसलिस हैं, जिन्हें हमें किसी निर्णय पर आने से पहले ध्यान में रखना चाहिए। एक साथ पैसा लगाना और एफडी की तरह लम्प-सम निवेश करना हमेशा बहुत मुश्किल होता है। इसलिए, एफडी को तोड़ने का सबसे अच्छा विकल्प नहीं हो सकता है। यदि कोई फिक्स्ड डिपॉजिट के खिलाफ ऋण लेता है, तो उसे ईएमआई चुकाने की आवश्यकता होती है जो अधिक सुविधाजनक हो सकता है।
इसके अलावा, किसी को ऋण की आवश्यकता और ऋण के अनुमानित कार्यकाल को ध्यान में रखना चाहिए। यदि एफडी की परिपक्वता के लगभग समान कार्यकाल के लिए धन की आवश्यकता होती है, तो कोई एफडी को तोड़ने पर विचार कर सकता है। हालांकि, अगर यह छोटी अवधि के लिए है, तो ऋण लेना एक बेहतर विकल्प हो सकता है।