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लघु स्थिति

लघु स्थिति
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Class 10th Social Science Short Type Question || कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान भूगोल GEOGRAPHY का महत्वपूर्ण ‘लघु उत्तरीय’ प्रशन लघु स्थिति और उत्तर

उत्तर – मृदा के कटाव और उसके बहाव की प्रक्रिया को मृदा अपरदन कहा जाता है। मृदा के बनने और अपरदन की क्रियाएँ आमतौर पर साथ-साथ चलती हैं और दोनों में संतुलन होता है। मृदा संरक्षण के विविध तरीके हो सकते हैं जो मानवीय लघु स्थिति क्रिया-कलाप द्वारा अनुप्रयोग में लाए जा सकते हैं। फसल-चक्रण द्वारा मृदा के पोषणीय स्तर को बरकरार रखा जा सकता है। गेहूँ, कपास, मक्का, आलू आदि के लगातार उगने से मृदा में ह्रास उत्पन्न होता है। इसे तेलहन-दलहन पौधे की खेती के द्वारा पुनः प्राप्त किया जा सकता है। अतः फसल-चक्रण मृदा संरक्षण में सहायक सिद्ध होता है।

3. बिहार में वन सम्पदा की वर्तमान स्थिति का वर्णन कीजिए।

उत्तर – बिहार विभाजन के बाद बिहार में वनों की स्थिति दयनीय हो गई है। वर्तमान में अधिकतर भूमि कृषि योग्य हैं। बिहार में 764.14 हेक्टेयर में ही वन क्षेत्र बच गया है, जो बिहार के भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 6.87 प्रतिशत है। यहाँ प्रति व्यक्ति वन भूमि का औसत मात्र 0.05 हेक्टेयर है जो राष्टीय औसत 0.53 हेक्टेयर से बहुत ही कम है। बिहार के 38 जिलों में से 17 जिलों से वन क्षेत्र समाप्त हो गया है। पश्चिमी चम्पारण, मुंगेर, बाँका, जमुई, नवादा, नालन्दा, गया, रोहतास कैमूर और औरंगाबाद जिलों के वनों की स्थिति कुछ बेहतर हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल 3700 वर्ग किलोमीटर है। शेष में अवक्रमित वन क्षेत्र हैं, जहाँ वन के नाम पर केवल झुरमुट बच गये हैं। सिवान, सारण, भोजपुर, बक्सर, पटना, गोपालगंज, वैशाली, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, बेगूसराय, मधेपुरा, खगड़िया में एक प्रतिशत से भी कम भूमि में वन मिलते हैं।

4. वन विनाश के मुख्य कारकों को लिखें।

अथवा, वन विनाश के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारणों लघु स्थिति की विवेचना कीजिए।

उत्तर – वन विनाश के मुख्य कारक इस प्रकार हैं

(i) भारत में वनों के ह्रास का एक बड़ा कारण कृषिगत भूमि का फैलाव है। पर्वोत्तर और मध्य भारत में जनजातीय क्षेत्र में स्थानान्तरी (झूम) खेती अथवा स्लैश और ‘बर्न’ खेती के चलते वनों का ह्रास हुआ है।

(ii) बड़ी विकास योजनाओं से भी वनों को बहुत नुकसान हुआ है।

(iii) वनों एवं वन्य जीवों के विनाश में पशुचरण और ईंधन के लिए लकड़ियों के उपयोग की भी काफी भूमिका रही है।

(iv) रेल-मार्ग, सड़क मार्ग निर्माण, औद्योगिक विकास एवं नगरीकरण ने भी वन विस्तार को बड़े पैमाने पर तहस-ही किया है।

5. जलोढ़ मृदा से क्या समझते हैं? इस मृदा में कौन-कौन सी फसलें उगाई जा सकती हैं? जलोढ़ मिट्टी के विस्तार वाले राज्यों के नाम बताएँ।

उत्तर – उत्तर भारत का मैदान हिमालय की तीन महत्वपूर्ण नदी प्रणालियों से सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र द्वारा लाए गए जलोढ़ के निक्षेप से बना है। बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, असम, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, उत्तराखण्ड आदि. राज्यों में जलोढ़ मिट्टी का विस्तार है। राजस्थान एवं गुजरात में भी एक संकरी पंटी के रूप में जलोढ़ मृदा का प्रसार है। पूर्वी तटीय मैदान स्थित महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों द्वारा निर्मित डेल्टा का भी निर्माण जलोढ़ ही हुआ है। कुल मिलाकर भारत में लगभग 6.4 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र पर जलोढ़ मृदा फैली हुई है।

यह मिट्टी गन्ना, चावल, गेहूँ, मक्का, दलहन जैसी फसलों के लिए अपयक्त मानी जाती हैं। अधिक उपजाऊ होने के कारण इस मिट्टी पर गहन की जाती है। परिणामतः, यहाँ जनसंख्या का घनत्व भी अधिक है।

GEOGRAPHY (भूगोल)
1 भारत संसाधन एवं उपयोग पार्ट 1
2 भारत संसाधन एवं उपयोग पार्ट 2
3 भारत संसाधन एवं उपयोग पार्ट 3
4 भारत संसाधन एवं उपयोग पार्ट 4

High School Exam Geography Short Type VVI Question कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान लघु उत्तरीय प्रशन

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Farmers Protest in Karnal: करनाल में आज भी इंटरनेट बंद, लघु सचिवालय के बाहर किसानों का धरना जारी

करनाल में किसानों का धरना जारी

Interner Suspended in Karnal: प्रशासन का कहना है कि इंटरनेट सेवाओं के दुरुपयोग जैसे मोबाइल एसएमएस, सोशल मीडिया के माध्यम से झूठी अफवाहों का प्रसार हो सकता है जिससे सार्वजनिक संपत्ति और सुविधाओं को नुकसान पहुंचाने की स्पष्ट संभावना है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 09, 2021, 14:04 IST

चंडीगढ़. हरियाणा के करनाल जिले में किसानों के धरने (Farmers Protest) के चलते गुरुवार यानी आज भी इंटरनेट व एसएमएस सेवा बाधित रहेगी. हालांकि बुधवार रात को प्रशासन ने इंटरनेट सेवा (Internet Service) को बहाल करने का फैसला लिया था, लेकिन बाद में फिर से इंटरनेट बंद करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया. इंटरनेट पर यह पाबंदी आज रात 12 बजे तक जारी रहेगी. करनाल में पिछले महीने पुलिस के लाठीचार्ज पर जिला अधिकारियों और प्रदर्शनरत किसानों के बीच बुधवार को एक अन्य दौर की वार्ता विफल रही. इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे जिला मुख्यालय पर अपना धरना अनिश्चितकाल तक जारी रखेंगे.

इससे पहले छह सितंबर को रात साढ़े 12 बजे से सात सितंबर को रात 11 बजकर 59 मिनट तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद की गयी थीं और स्थिति के अब भी संवेदनशील होने के कारण यह निलंबन गुरुवार आधी रात तक के लिए बढ़ा दिया गया है. अब ताजा आदेश में कहा गया है कि स्थिति की समीक्षा की गई और इसे अब भी तनावपूर्ण माना गया है.

आदेश में प्रदर्शनकारियों के अनिश्चितकाल तक धरना करने के आह्वान का जिक्र करते हुए कहा गया है, ‘हरियाणा के एडीजीपी (सीआईडी) नौ सितंबर को मेरे संज्ञान में लेकर आए कि स्थिति की समीक्षा की गयी है और हालात अब भी तनावपूर्ण हैं और कभी भी स्थिति बिगड़ सकती है जिससे करनाल जिले में जन सुरक्षा और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.’

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अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राजीव अरोड़ा द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि करनाल जिले में वॉयस कॉलिंग के अलावा मोबाइल नेटवर्क पर मुहैया कराए जाने वाली सभी सेवाएं निलंबित रहेगी. इसमें कहा गयाा है कि मोबाइल फोन पर सोशल मीडिया मंचों जैसे कि व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्वीटर के जरिए गलत सूचनाओं और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के निलंबन का आदेश दिया गया.

लघु सचिवालय परिसर के प्रवेश द्वार पर डटे किसान

इस बीच, धरने के तीसरे लघु स्थिति दिन प्रदर्शनकारी करनाल में लघु सचिवालय परिसर के प्रवेश द्वार पर डटे हुए हैं. किसान संघ के नेताओं ने कहा कि अधिकारियों और आम जनता को प्रवेश करने से नहीं रोका जाएगा. उनकी मुख्य मांग आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा से संबंधित है. सिन्हा को किसानों के 28 अगस्त के प्रदर्शन के दौरान एक टेप में पुलिसकर्मियों को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया कि अगर प्रदर्शनकारी सुरक्षा तोड़ते हैं तो उनका सिर फोड़ देना.

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लघु वित्तीय बैंकों के लिए लाइसेंस सिस्टम पर अगस्त में निर्णय : रिजर्व बैंक

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (लघु स्थिति आरबीआई) लघु वित्तीय बैंकों के लिए सदासुलभ लाइसेंस जारी करने की व्यवस्था के बारे में अगस्त 2019 में दिशानिर्देश जारी करेगा. रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को इसकी जानकारी दी. रिजर्व बैंक ने कहा कि छोटे कर्जदारों के लिए बैंकिंग सुविधा को बढ़ावा देने और प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के लिये यह किया जा रहा है.

रिजर्व बैंक ने सितंबर 2015 में 10 निकायों को लघु वित्तीय बैंकिंग में उतरने की मंजूरी दी थी. सदासुलभ लाइसेंस व्यवस्था में निकायों को पात्रता होने की स्थिति में लघु वित्तीय बैंक का लाइसेंस लेने के लिए रिजर्व बैंक तक पहुंचने की सुविधा मिलेगी.पात्र निकायों को लाइसेंस के लिए इंतजार नहीं करना होगा क्योंकि यह मांग के आधार पर उपलब्ध होगा.रिजर्व बैंक ने अपने बयान में विकास तथा नियमन की नीतियों के बारे में कहा कि उसने निजी क्षेत्र को भुगतान बैंक और लघु स्थिति लघु वित्तीय बैंक का लाइसेंस देने के संबंध में 27 नवंबर 2014 को लाइसेंस जारी किया था.

उसने कहा कि इस तरह के बैंकों को लेकर अनुभव जुटा लेने के बाद अब इनके लिए सदासुलभ लाइसेंस व्यवस्था पर विचार किया जा रहा है.बयान में कहा लघु स्थिति गया, ‘‘लघु वित्तीय बैंकों को देखें तो दस निकायों को ऐसे लाइसेंस जारी किये गये.इनमें से आठ बैंकों को बाद में आरबीआई अधिनियम की दूसरी अनुसूची में भी शामिल कर लिया गया.लघु वित्तीय बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा से यह पता चलता है कि उन्होंने प्राथमिकता क्षेत्रों के लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया और इस तरह से वे वित्तीय समावेश को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी पर खरा उतरे.'

जिन 10 निकायों को लघु वित्तीय बैंकिंग का लाइसेंस मिला था उनमें उज्जीवन फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, जनलक्ष्मी फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, ईएसएएफ माइक्रोफाइनेंस एंड इंवेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, इक्विटास होल्डिंग्स लिमिटेड, एयू फाइनेंशियर्स (इंडिया) लिमिटेड, कैपिटल लोकल एरिया बैंक लिमिटेड, दिशा माइक्रोफिन प्राइवेट लिमिटेड, आरजीवीएन (नॉर्थ ईस्ट) माइक्रोफाइनेंस लिमिटेड, सूर्योदय माइक्रो फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड और उत्कर्ष माइक्रो फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं.

रिजर्व बैंक ने कहा कि इस कारण छोटे कर्जदारों को बैंकिंग सुविधाएं मुहैया कराने तथा प्रतिस्पर्धिता बढ़ाने के लिये इस क्षेत्र में नये निकायों की जरूरत है.बैंक की समीक्षा रपट में कहा गया है, ‘‘अत: अगस्त 2019 के अंत तक छोटे वित्तीय बैंकों के लिये सदासुलभ लाइसेंस की व्यवस्था के संदर्भ में दिशानिर्देश लाने का प्रस्ताव है.यह भी निर्णय लिया गया है कि भुगतान बैंक की श्रेणी में सदासुलभ लाइसेंस की व्यवस्था पर विचार करने से पहले इन बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए अभी और समय की जरूरत है.'

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लघु अवधि में कार कीमतें स्थिर रहेंगी, इस महीने से मांग सुधरेगी: फॉक्सवैगन इंडिया

कारों की कीमतें लघु अवधि में स्थिर रहेंगी क्योंकि कोविड-19 की दूसरी लहर ने मांग-आपूर्ति की स्थिति को काफी हद तक संतुलित कर दिया है। फॉक्सवैगन पैसेंजर कार्स इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह राय जताई।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: June 06, 2021 18:58 IST

लघु अवधि में कार कीमतें स्थिर रहेंगी, इस महीने से मांग सुधरेगी: फॉक्सवैगन इंडिया - India TV Hindi News

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लघु अवधि में कार कीमतें स्थिर रहेंगी, इस महीने से मांग सुधरेगी: फॉक्सवैगन इंडिया

मुंबई: कारों की कीमतें लघु अवधि में स्थिर रहेंगी क्योंकि कोविड-19 की दूसरी लहर ने मांग-आपूर्ति की स्थिति को काफी हद तक संतुलित कर दिया है। फॉक्सवैगन पैसेंजर कार्स इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह राय जताई। मई महीने में वाहन कंपनियों की बिक्री में गिरावट आई है। 2021 के पहले तीन माह में दबी मांग की वजह से वाहन कंपनियों की बिक्री उल्लेखनीय रूप से बढ़ी थी। कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच कई राज्यों में आवाजाही पर अप्रैल और मई में अंकुश लगाया गया, जिससे कारों की बिक्री पर भी असर पड़ा है।

फॉक्सवैगन पैसेंजर कार्स इंडिया के ब्रांड निदेशक आशीष गुप्ता ने कहा कि जून से मांग में सुधार की उम्मीद है, क्योंकि अंकुशों में ढील दी जा रही है। साथ ही टीकाकरण भी बढ़ रहा है और लघु स्थिति मानसून सामान्य है। पीटीआई-भाषा को ई-मेल के जरिये दिए जवाब में गुप्ता ने कहा कि कैलेंडर साल की पहली तिमाही में वास्तव में मांग आपूर्ति से अधिक हो गई थी जिसकी वजह से इंतजार की अवधि बढ़ गई और बाजार में कीमतों में ऊपर की ओर लघु स्थिति करेक्शन हुआ।

प्रमुख वाहन कंपनियों मारुति सुजुकी, हुंदै, महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा मोटर्स तथा टोयोटा किर्लोस्कर की बिक्री मई में अप्रैल की तुलना में घटी है। महामारी की दूसरी लहर से उत्पादन और आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है। गुप्ता ने कहा, ‘‘फिलहाल मौजूदा लॉकडाउन की वजह से हम बिक्री में गिरावट देख रहे हैं। अप्रैल में ग्राहकों को आपूर्ति 20 प्रतिशत प्रभावित हुई। मई में ज्यादातर देश लॉकडाउन में था। ऐसे में आपूर्ति में करीब 70 प्रतिशत की गिरावट आई।’’

लघु स्थिति

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भारत में रोजगार की स्थिति

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Date: 16-05-16

भारत में रोजगार की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।

अलग-अलग संस्थानों और सरकारी सर्वेक्षणों में भी यह बात सामने आ रही है।

  • अगर हम आठ श्रमिक आधारित उद्योगों में किए गए श्रमिक ब्यूरो के सर्वेक्षण को सही माने; तो 2011 में जहाँ नौ लाख रोजगार थे, उसमें 2013 में19 लाख और 2015 में मात्र 1.35 लाख रोजगार रह गये हैं।
  • जबकि आंकड़े दिखाते हैं कि हर महीने लगभग दस लाख नए लोग रोजगार की तलाश में जुड़ जाते हैं।
  • राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी रोजगार के अवसर बढ़ाने की आवश्यकता को लेकर कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को अगले दस वर्षों में लगभग5 करोड़ रोजगार के अवसर बढ़ाने होंगे।
  • 2011 की जनगणना से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था में7 प्रतिशत की प्रतिवर्ष की औसत बढ़ोत्तरी हुई, रोजगार की वृद्धि दर केवल 1.8 प्रतिशत ही रही।

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