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एक ब्रोकर का चयन

एक ब्रोकर का चयन
शेयर ब्रोकर आपका दोस्त नहीं है। वह एक डॉक्टर की तरह होता है, जो मरीज से दवा के बदले शुल्क लेता है। अगर आप सही डॉक्टर के पास नहीं पहुंचेंगे तो खामियाजा आपको ही भुगतना पड़ेगा।

ट्रेडिंग खाते: संचालन एक ब्रोकर का चयन की प्रणाली और होने के फायदे

ट्रेडिंग खातों ने लोगों के शेयर बाजार में काम करने के तरीके में क्रांति ला दी है। शेयरों को बनाए रखने का यह नया तरीका ओपन आउटरी की पुरानी प्रणालियों की तुलना में अधिक सुविधाजनक और तेज साबित हुआ है। ट्रेडिंग खातों की सहायता से, भौतिक संपर्क और उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे दोनों पक्षों के लिए समय की बचत होती है।

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एक ब्रोकर का चयन

Written by Web Desk Team | Published :November 21, 2022 , 11:06 am IST

महंगाई का मुकाबला करने के लिए, शेयर बाजारों और अन्य फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में निवेश और ट्रेडिंग पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है. यदि आप अपनी गाढ़ी कमाई को केवल फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे ट्रेडिशनल फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट (traditional financial instrument) में सेव करते हैं, तो आप अपने फाइनेंशियल गोल को पूरा करने से पीछे रह सकते हैं.

एक बिगिनर के रूप में आपको शेयर बाजार चुनौतीपूर्ण लग सकता है, हालांकि हम आपको आश्वस्त करते हैं कि ऑनलाइन ट्रेडिंग सीखना बहुत आसान है. ऑनलाइन ट्रेडिंग के आने से पहले, जो व्यक्ति बॉन्ड, शेयर, एक ब्रोकर का चयन या अन्य सिक्योरिटीज जैसे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट को खरीदना या बेचना चाहते थे, उन्हें अपनी ब्रोकरेज फर्मों से संपर्क करना पड़ता था और उन्हें उनकी ओर से लेनदेन की व्यवस्था करने के लिए कहना पड़ता था. इसके बाद, प्राइस चेक करने, कॉन्ट्रैक्ट वेरीफाई करने और अंत में ट्रेड की पुष्टि करने की एक लंबी प्रक्रिया का पालन करना पड़ता था. हमें उस फीस को नहीं भूलना चाहिए जो ये ट्रेडिशनल ब्रोकर सर्विस के लिए मांगते थे. फिर आया डिस्काउंट ब्रोकर्स या ऑनलाइन ब्रोकर्स का युग, जिसने खेल को पूरी तरह से बदल दिया. इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग जो पहले कुछ चुनिंदा लोगों के लिए विशेष रूप से उपलब्ध थी अब बहुत बड़ी संख्या में आम लोगों के लिए उपलब्ध कराया गया है.

ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या है?
ऑनलाइन ट्रेडिंग फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट को ऑनलाइन खरीदने और बेचने का एक सुविधाजनक तरीका है. इन लेन-देन को ऑनलाइन ब्रोकर्स के माध्यम से आसान बनाया जा सकता है जो इक्विटी, कमोडिटीज, बॉन्ड, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड, फ्यूचर्स आदि जैसे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट की एक विस्तृत श्रृंखला की पेशकश करते हैं.

ऑनलाइन ट्रेडिंग के क्या फायदे हैं?
किसी भी समय कहीं से भी ट्रेड करने की सुविधा: यदि आपके पास स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्शन तक पहुंच है एक ब्रोकर का चयन तो आप अपने मोबाइल ट्रेडिंग ऐप से किसी भी समय (बाजार के घंटों के दौरान) कहीं से भी ट्रेड/निवेश कर सकते हैं.

अपने निवेश को रियल-टाइम के आधार पर ट्रैक करें और निवेश का निर्णय आसानी से लें: आप अपने निवेश और ट्रेंड्स को एक ही प्लेटफॉर्म पर ट्रैक कर सकते हैं. अधिकांश प्लेटफ़ॉर्म ढेर सारे डेटा पॉइंट भी प्रदान करते हैं जिनसे आप खुद भी रिसर्च कर स्टॉक और अन्य वित्तीय साधनों में ट्रेड कर सकते हैं. यह आपको स्मार्ट निवेश और ट्रेडिंग डिसीजन लेने में मदद कर सकता है. जब भी आप अपने फोन या कंप्यूटर से लॉग इन करते हैं तो आप रीयल-टाइम प्रॉफिट या लॉस देख सकते हैं.

ट्रेड करने से पहले अपने ब्रोकर से संपर्क करने की आवश्यकता नहीं: आपको कोई भी लेनदेन करने से पहले अपने ब्रोकर से बात करने की भी आवश्यकता नहीं है. इनफॉर्म्ड इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग डिसीजन लेने के लिए, आपको ऑनलाइन ट्रेडिंग सीखनी चाहिए और डेटा पॉइंट, पैटर्न, ट्रेंड और प्राइस मूवमेंट की समझ प्राप्त करनी चाहिए.

शुरुआती लोग ऑनलाइन ट्रेडिंग कैसे शुरू कर सकते हैं?
1) ब्रोकर का चयन करें: शुरुआती लोगों के लिए ऑनलाइन ट्रेडिंग में पहला कदम यह निर्धारित करना है कि ब्रोकर वैध है या नहीं. यह देखना होगा कि यह सेबी पंजीकृत ब्रोकर है या नहीं. हर एक ब्रोकर को अपनी सेबी पंजीकृत आईडी को अपनी आधिकारिक वेबसाइटों पर डिस्प्ले करना जरूरी है. एक बार जब आप ब्रोकर की वैधता चेक कर लेते हैं, तो आपको दो प्रकार के ऑनलाइन ब्रोकरों में से चुनना होगा:

– डिस्काउंट ब्रोकर या
– फुल-सर्विस ब्रोकर्स

एक डिस्काउंट ब्रोकर आपको कम शुल्क में सभी आवश्यक ट्रेडिंग टूल प्रदान करेगा, एक फुल-सर्विस ब्रोकरेज फर्म आपको उच्च शुल्क में निवेश सलाह प्रदान करेगी. इस प्रकार आपकी आवश्यकताओं के आधार पर, आप यह तय कर सकते हैं कि आप डिस्काउंट ब्रोकर या फुल-सर्विस ब्रोकर के साथ जाना चाहते हैं. असल में, डी-आई-वाई ट्रेडर बनने के लिए इंटरनेट पर कई संसाधन उपलब्ध हैं जिनके माध्यम से आप ऑनलाइन ट्रेडिंग और शेयर बाजारों के बारे में सीख सकते हैं. आप डिस्काउंट ब्रोकरेज चुन सकते हैं. यदि आपके पास अपने दम पर ट्रेड करने का ज्ञान है, यदि आप निवेश करना चाहते हैं, लेकिन आपके पास बाज़ार का समय या समझ नहीं है, तो एक फुल-सर्विस ब्रोकरेज अकाउंट एक बेहतर विकल्प हो सकता है.

2) डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलें: शुरुआती लोगों के लिए ऑनलाइन ट्रेडिंग शुरू एक ब्रोकर का चयन करने के लिए अगला कदम और आरंभ करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण कदम डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलना है. डीमैट अकाउंट एक बैंक खाते की तरह होता है जहां यह आपके स्टॉक, एमएफ इत्यादि को डीमैटरियलाइज्ड रूप में रखता है जैसे बैंक आपकी नकदी रखता है. जबकि, ट्रेडिंग अकाउंट एक इंटरफ़ेस है जिससे आप एक्चुअल ट्रांजैक्शन कर सकते हैं. इन दिनों डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलना बेहद सहज, तेज और पेपरलेस हो गया है. एक बार जब आप कुछ बेसिक डॉक्यूमेंट प्रस्तुत कर देते हैं तो आप उसी दिन से ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं.

3) ट्रेडिंग शुरू करें: निवेश या ट्रेडिंग शुरू करने से पहले, ऑनलाइन ट्रेडिंग सीखना, शेयर बाजारों का कुछ ज्ञान हासिल करना और वर्चुअल ट्रेडिंग का अभ्यास करना एक अच्छा आईडिया है. एक बार जब आप इसे जान लें तो अपने ट्रेडिंग अकाउंट के माध्यम से ट्रेडिंग शुरू करें. D-I-Y (do-it-yourself) इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग को आसान बनाने के लिए अपने ब्रोकर के प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध विभिन्न टूल्स का उपयोग करें.

निष्कर्ष ये है कि शेयर बाजार में शुरुआत करने के लिए आपको एक ऑनलाइन ब्रोकर का चयन करना होगा, एक डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलना होगा और ट्रेडिंग शुरू करनी होगी. सुनिश्चित करें कि आप अपने ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म और वेब पर उपलब्ध लर्निंग मटेरियल और टूल्स का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करते हैं

How to Choose a Stock Broker – शेयर ब्रोकर का चुनाव कैसे करें?

How to Choose a Stock Broker – शेयर ब्रोकर का चुनाव कैसे करें? स्टॉक मार्केट में निवेश करने से पहले आपको एक सही शेयर ब्रोकर चुनना बहुत ही जरूरी होता है। एक शेयर ब्रोकर आपके और स्टॉक एक्सचेंज के बीच में किसी भी शेयर की खरीद बिक्री या फिर लेनदेन के लिए एक मेडिएटर का काम करता है।

एक सही शेयर ब्रोकर चुनना इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि शेयर बाजार में शेयर या फिर स्टॉक की जितनी भी खरीद बिक्री होती है यह इन्हीं शेयर ब्रोकर के माध्यम से होती है। शेयर ब्रोकर एक पंजीकृत शेयर दलाल होता है। अगर आप सही शेयर ब्रोकर का चुनाव नहीं कर पाते। तो शेयर बाजार में अपने लेनदेन पर आपको कई सारी समस्या आ सकती है। आपको अपने ट्रांजिशन पर अधिक शुल्क अदा करना पड़ सकता है। यहां पर कमीशन भी मायने रखती है। लॉन्ग टर्म या लंबी अवधि के दौरान किए गए निवेश में 1% का अंतर भी आपको कहीं लाख रुपए घाटे में डाल सकती है। यही वजह है कि लोग अपने शेयर ब्रोकर को चुनने से पहले कई सारे बातों का ध्यान रखते हैं।

आज के हमारे इस लेख में हम यह जानेंगे कि आप एक सही How to Choose a Stock Broker – शेयर ब्रोकर का चुनाव कैसे करें?

How to Choose a Stock Broker – शेयर ब्रोकर का चुनाव कैसे करें?

शेयर बाजार से जब भी आप शेयर की खरीद बिक्री करते हो, तब आप सीधे स्टॉक एक्सचेंज किया फिर शेयर मार्केट से शेयर नहीं खरीदते हो।

आपको स्टॉक एक्सचेंज से शेयर की खरीद बिक्री करने के लिए एक पंजीकृत दलाल (Broker) की आवश्यकता होती है। आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि एक पंजीकृत ब्रोकर कौन होता है? एक पंजीकृत ब्रोकर SEBI द्वारा रजिस्टर्ड या पंजीकृत होता है।

एक स्टॉक ब्रोकर कोई भी एक व्यक्ति हो सकता है कोई एक कंपनी हो सकती है। या फिर कोई संस्था या ग्रुप हो सकता है। स्टॉक ब्रोकर, की सहायता से ही हम स्टॉक एक्सचेंज पर बिकवाली यानी की खरीद बिक्री का काम करते हैं।

इसके एवज में ब्रोकर को ब्रोकरेज (Brokerage) यानी कि एक तरह का शुल्क या कमीशन हमें दलाल या ब्रोकर को अदा करनी पड़ती है। ब्रोकर की सहायता से ही हम शेयर के आर्डर को स्टॉक एक्सचेंज मार्केट जैसे कि NSE और BSE को देते हैं। जो एक तरह से मध्यस्ता कार्य करते हुए, हमारे आर्डर को पूरा करता है।

शेयर दलाल का क्या-क्या काम होता है? What is the Work of Stock Broker?

जैसा कि हमने ऊपर इसके बारे में बताया है कि एक स्टॉक ब्रोकर, SEBI के अंतर्गत पंजीकृत होता है। जोकि किसी भी निवेशक और स्टॉक मार्केट के बीच में मीडिएटर (Mediator) के रूप में कार्य करती है। यानी कि सीधे शब्दों में कहें तो, शेयर बाजार यानी कि स्टॉक एक्सचेंज में होने वाले खरीद बिकवाली के सभी कार्य कोई भी निवेशक स्टॉक ब्रोकर के माध्यम से ही करता है। एक स्टॉक ब्रोकर SEBI के अंतर्गत पंजीकृत होने के साथ-साथ वह SEBI के नियमों का पालन भी करता है।

चलिए हम इसे एक उदाहरण द्वारा समझते हैं कि किस तरह से निवेशक और स्टॉक मार्केट के बीच में स्टॉक ब्रोकर कार्य करता है। यहां पर आपको इस बात का ध्यान भी रखना है कि स्टॉक मार्केट में जितनी भी लेनदेन होती है। वह आज स्टॉक ब्रोकर के माध्यम से ही होती है।

मान लीजिए कि एक निवेशक को XYZ कंपनी के शेयर की आवश्यकता है। इसके लिए निवेशक अपने स्टॉक ब्रोकर के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर उस कंपनी के शेयर को खो जेएगा। उस कंपनी के 100 शेयर खरीदने के लिए अपने स्टॉक ब्रोकर को ऑर्डर देता है। स्टॉक ब्रोकर आपके ऑर्डर को स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) पर भेजता है। और उपलब्ध शुगर की मात्रा के अनुसार आपका ऑर्डर पूर्ण होता है।

संबंधित कंपनी के शेयर खरीदने के लिए, आप जो स्टॉक ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग अकाउंट (trading account) मेंटेन कर रहे हैं। उससे पैसों को डिबेट कर लिया जाता है। और यह पैसों को शेयर बेचने वाले के ट्रेडिंग खाते पर ट्रांसफर कर दिया जाता है।

आपके द्वारा खरीदे गए शेयर को आपके डीमेट अकाउंट (DEMAT Account) पर हस्तांतरण कर दिया जाता है। इस तरह से स्टॉक ब्रोकर आपके एवं स्टॉक मार्केट के बीच में किसी भी ऑर्डर को पूरा करने के लिए मीडिएटर के रूप में कार्य करती है।

एक अच्छे स्टॉक ब्रोकर का चुनाव कैसे करें? How to Choose a Stock Broker

शेयर बाजार में खरीद बिकवाली सिर्फ पंजीकृत शेयर दलालों के माध्यम से की जाती है। इसलिए निवेशक के लिए सही दलाल का चयन करना बहुत ही जरूरी होता है। शेयर ब्रोकर के मामले में विश्व के सबसे लोकप्रिय निवेशक वारेन बफे की बात काफी रोचक है:-

शेयर ब्रोकर आपका दोस्त नहीं है। वह एक डॉक्टर की तरह होता है, जो मरीज से दवा के बदले शुल्क लेता है। अगर आप सही डॉक्टर के पास नहीं पहुंचेंगे तो खामियाजा आपको ही भुगतना पड़ेगा।

अगर आप एक सही स्टॉक ब्रोकर का चुनाव नहीं करते हैं तो इसका खामियाजा सच में आप को ही भुगतना पड़ेगा। शेयर बाजार में निवेश करने वाले दिग्गज निवेशक इस बात को सही मानते हैं। लेकिन इन सबके बावजूद एक साधारण निवेशक अपने व्यवहार में यह नहीं झलकता कि वे ब्रोकर को लेकर के संजीदा हो। ज्यादातर निवेशक तो अपने शेयर ब्रोकर का नाम, उसकी फॉर्म तथा उसके फोन नंबर से ज्यादा कुछ नहीं जानते और शेयर की खरीद बिक्री के लिए पूरी तरह से अपने ब्रोकर पर ही आश्रित रहते हैं, और सोचते हैं कि ब्रोकर उनके लाभ के लिए ही सब कार्य कर रहा है।

यदि आप ऐसा सोचते हैं तो यह बिल्कुल गलत है। क्योंकि, सच तो यह है कि पैसा किसी के कंधे पर सवार होकर के नहीं कमाया जा सकता। अगर आप में सूझ बुझ, विश्लेषण क्षमता व जागरूकता नहीं है तो आपकी सहायता कोई नहीं कर सकता है। यदि आप में सूझबूझ और विश्लेषण की क्षमता और जागरूकता है तो आप अपने शेयर ब्रोकर से अधिक कार्य ले सकते हैं।

इसलिए किसी भी शेयर ब्रोकर का चुनाव करते समय उसके ट्रैक रिकॉर्ड, उसकी सेवा की गुणवत्ता, ग्राहकों के लिए सलाहकारी सेवा, मार्केट रिसर्च इत्यादि के अलावा ब्रोकर का व्यवहार भी खास मायने रखता है। यदि कोई ब्रोकर सस्ती सेवाएं उपलब्ध करवाता है। इसके एवज में ब्रोकरेज कम लेता है और लुभावनी खबरें देता है। तो इसका मतलब यह नहीं होता कि ब्रोकर का चयन आपके लिए फायदेमंद साबित होगा।

वैसे ब्रोकर और निवेशक का रिश्ता पूरी तरह से विश्वास पर टिका होता है। लेकिन फिर भी कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:-

  1. अगर कोई ब्रोकर आपको किसी खास कंपनी के स्टाफ को खरीदने के लिए कह रहा है। तो संभल जाइए किससे ब्रोकर को अधिक कमीशन मिल रहा होगा।
  2. आपको ब्रोकर की पैंतेरी बाजी को समझना आना चाहिए। बहुत से ब्रोकर अपने लाभ के लिए अपने ग्राहकों को ठगने का काम भी करते हैं।
  3. यदि आपका ब्रोकर आपकी जरूरत, वित्तीय स्थिति व्यक्तिगत इस गांव को जाने बिना आपके लिए ट्रेड करता है तो आपको जोखिम भी उठाना पड़ सकता है।
  4. एक अच्छे ब्रोकर को इस बारे में जानकारी होती है कि उसका ग्रहण किस तरह के स्टॉप पर ट्रेड करना चाहता है।
  5. एक ब्रोकर को इस बारे में जानकारी होती है कि अगर वह उस से नाखुश या फिर वह कर से संबंधित कुछ एक ब्रोकर का चयन शिकायत है तो वह सर्विस विभाग के अतिरिक्त SEBI पर जाकर भी शिकायत कर सकता है।
  6. सही ब्रोकर का चुनाव करने के लिए आप NSE और BSE की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर के उनकी सूची देख सकते हैं।
  7. एक अच्छे ब्रोकर का चुनाव करने से पहले किसी भी निवेशक को उनका ट्रेड रिकॉर्ड देखना जरूरी होता है।
  8. आप ऐसे ब्रोकर का चुनाव करें। जिस से संपर्क करने में आपको किसी भी तरह की कोई दिक्कत का सामना ना करना एक ब्रोकर का चयन पड़े।
  9. आजकल अनेक बैंक में ब्रोकिंग का कारोबार चल रहा है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि जहां पर आप डिमैट अकाउंट जिस बैंक पर खुलवा रहे हैं वहीं से आप Broking Account या Trading Account ले सकते एक ब्रोकर का चयन हैं।
  10. एक अच्छा ब्रोकर ग्रहक की सैर से संबंधित सुरक्षित ट्रेडिंग, ग्राहकों को निवेश संबंधी परामर्श और उनके पोर्टफोलियो को संचालित करता है। How to Choose a Stock Broker ( स्टॉक ब्रोकर का चुनाव कैसे करें)

ब्रोकर स्टॉक एक्सचेंज का सदस्य होता है। उसके पास या अधिकार होता है कि वह खुद के लिए तथा किसी और के लिए भी उस निवेश के लिए जो उस ब्रोकर के पास रजिस्टर्ड हो, शेयरों की खरीद बिक्री कर सकता है। पहले जहाँ किसी भी स्टॉक मार्केट पर शेयर दलाल या स्टॉक ब्रोकर बनने के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ते थे वहीं अब कुछ लाखों रुपए खर्च करके आप एक रजिस्टर्ड ब्रोकर बन सकते हैं। इसलिए एक सही ब्रोकर का चुनाव करते वक्त आपको इन सारी चीजों के बारे में जानकारी होना बेहद ही जरूरी है।

Admin Desk हम हिंदी भाषा में यहां सरल शब्दों में आपको ज्ञानवर्धक जानकारियां उपलब्ध कराने की कोशिश करते हैं। ज्यादातर जानकारी है इंटरनेट पर अंग्रेजी भाषा में मौजूद है। हमारा उद्देश्य आपको हिंदी भाषा में बेहतर और अच्छी जानकारी उपलब्ध कराना है।

फ्री में खुल जाएंगे डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट, यहां मिल रहा खास मौका

ब्रोकिंग कंपनियों के पास इक्विटी निवेश के लिए अलग-अलग प्रकार की प्राइसिंग प्लान हैं. अपनी जरूरत के अनुरूप प्लान का चयन करें.

फ्री में खुल जाएंगे डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट, यहां मिल रहा खास मौका

किसी भी वित्तीय सेवा की तरह ब्रोकर का चयन करते समय फीस और ब्रोकिंग शुल्क महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

TV9 Bharatvarsh | Edited By: संजीत कुमार

Updated on: Feb 06, 2022 | 8:30 AM

शेयर बाजार (Stock Market), इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) या न्यू फंड ऑफर (NFO) में पहली बार निवेश करने का प्लान बना रहे हैं तो यह आपके काम की खबर है. शेयर या आईपीओ में निवेश करने के लिए डीमैट (Demat Account) और ट्रेडिंग अकाउंट (Trading Account) की जरूरत होती है. इसके बिना आप निवेश कर पाएंगे. पहली बार निवेशकों को आकर्षित करने के लिए ब्रोकरेज हाउस ग्राहकों को फ्री डीमैट और ट्रेडिंग खाते प्रदान करते हैं. किसी भी वित्तीय सेवा की तरह ब्रोकर का चयन करते समय फीस और ब्रोकिंग शुल्क महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ब्रोकिंग कंपनियों के पास इक्विटी निवेश के लिए अलग-अलग प्रकार की मूल्य निर्धारण योजनाएं हैं. यहां ब्रोकरेज पर एक नजर डालते हैं जो मुफ्त डीमैट खातों की पेशकश कर रहे हैं.

बजाज फिनसर्व-

बजाज फिनसर्व (Bajaj Finserv) में निवेशक फ्री डीमैट और ट्रेडिंग खाते खोल सकते हैं. कोई भी खाता खोलने का ओपनिंग और एनुअल मेंटेनेंस चार्ज नहीं है. ब्रोकरेज दो सब्सक्रिप्शन ऑफर, एक फ्रीडम पैक और एक प्रोफेशनल पैक अलग-अलग ब्रोकरेज चार्ज के साथ प्रदान करता है. ध्यान दें कि वार्षिक सदस्यता शुल्क केवल पहले वर्ष के लिए फ्री है और उसके बाद के वर्ष के लिए 431 रुपये का चार्ज लिया जाएगा.

एसएमसी इन्वेस्ट-

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि एसएमसी इन्वेस्ट (SMC Invest) की वेबसाइट के मुताबिक, एक लिमिटेड पीरियड तक आप फ्री डीमैट खाता खोल सकते हैं. एक इंटिग्रेटेड डीमैट और ऑनलाइन ट्रेडिंग खाते के लिए ओपनिंग चार्ज जीरो है (जिसका चार्ज 599 रुपये का है) और साथ ही पहले वर्ष के लिए कोई एएमसी शुल्क नहीं है (जो पहले वर्ष के लिए 399 रुपये है).

स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया

स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (Stock Holding Corporation of India) पहली बार निवेश करने वालों को फ्री डीमैट अकाउंट खोलने की सुविधा देता है. फ्री SHCIL से मतलब है कि पहले साल के लिए निवेशकों को सालाना मेंटेनेंस चार्ज (AMC) नहीं देना होगा.

आईसीआईसीआई डायरेक्ट

आईसीआईसीआई डायरेक्ट (ICICI Direct) 3-इन-1 ट्रेडिंग खाता प्रदान करता है जिससे आपको डीमैट, ट्रेडिंग और बैंक खाता खोलने की सुविधा मिलती है. पहले वर्ष के लिए डीमैट खातों के लिए कोई एएमसी (वार्षिक रखरखाव शुल्क) नहीं है. दूसरे वर्ष से, हालांकि, 700 रुपये (टैक्स के बिना) का शुल्क लगाया जाता है. अगर डीमैट खाता बीएसडीए द्वारा कवर किया जाता है, तो 50000 रुपये तक मूल्य रखने के लिए कोई एएमसी शुल्क नहीं लिया जाता है.

अपनी जरूरत के अनुरूप योजना का चयन करें. सबसे बुनियादी एक फ्लैट प्राइसिंग प्लान है. इस प्लान में, ट्रेड की वैल्यूम के बावजूद ब्रोकरेज वही रहता है. दूसरा वॉल्यूम-लिंक्ड प्राइसिंग है जिसमें ब्रोकरेज नीचे आता रहता है क्योंकि ट्रेड की मात्रा एक निश्चित सीमा से ऊपर जाती है. यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो उस सीमा के आसपास ट्रेड करते हैं.

Share Market में निवेश के लिए ब्रोकर चुन रहे हैं? इन 5 बातों का ख्याल रखें

मार्च 2018 से अब तक 34 ब्रोकर डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं

Share Market में निवेश के लिए ब्रोकर चुन रहे हैं? इन 5 बातों का ख्याल रखें

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2018 से अब तक 34 ब्रोकर डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं. इस साल अब तक 3 ब्रोकर डिफॉल्टर हुए हैं.

ब्रोकिंग उद्योग के सूत्रों का कहना है कि ये डिफॉल्ट ज्यादातर ब्रोकरों द्वारा क्लाइंट सिक्योरिटीज और फंड के दुरुपयोग का परिणाम है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इस तरह की प्रथाओं पर रोक लगाने के लिए और कड़े मानदंडों की शुरुआत की है. जिसके बाद ये ब्रोकर उसकी अनुपालन नहीं कर सके और डिफॉल्टर हो गए.

अगर आप शेयर बाजार में निवेश करने वाले हैं तो ब्रोकर एक ब्रोकर का चयन चुनने से पहले इन बातों का ध्यान रखें.

1. अपने मार्जिन पर ट्रेड करें

सबसे पहले, जिस बात का निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए वो क्लाइंट मार्जिन के अलगाव और आवंटन से जुड़ा है. रेगुलेटर द्वारा यह एक बड़ा कदम है जो 2 मई से प्रभावी होगा.

वर्तमान में ग्राहकों की व्यक्तिगत सीमा तय करना ब्रोकर के हाथ में है. ब्रोकर देखता है कि पिछले सप्ताह तीन ग्राहकों ने लेन-देन नहीं किया है, तो वह सात ग्राहकों के बीच अपनी 10 लाख रुपये की सीमा निर्धारित कर सकता है. इसे ऐसे समझें, ब्रोकर ग्राहकों के एक समूह से संबंधित धन का उपयोग दूसरों के लेन-देन के लिए कर सकता है.

बिजनेस स्टैंडर्ड के रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI के नए नियम इस तरह के मामलों पर नजर रखेगी. 2 मई से ब्रोकरों को CCIL की बेवसाइट पर एक फाइल अपलोड करनी होगी. जिसमें प्रत्येक ग्राहक को दी जाने वाली सीमा का ब्रेक-अप देना होगा. इस जानकारी के आधार पर CCIL यह सुनिश्चित करेगा कि कोई ग्राहक अपनी व्यक्तिगत सीमा से अधिक पोजीशन न लें.

Zerodha के COO वेणु माधव कहते हैं, "इन मानदंडों की शुरूआत का मतलब यह होगा कि कोई ग्राहक दूसरे ग्राहकों की सीमा का उपयोग एक ब्रोकर का चयन करके उसके द्वारा जमा किए गए मार्जिन से अधिक की पोजीशन नहीं ले सकेगा."

2. फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा

अब फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा पेश की गई है. ब्रोकरों को न्यूनतम नेट वर्थ के अलावा फ्लोटिंग नेट वर्थ भी मेंटेन करना होगा. मान लीजिए की एक ब्रोकर का एवरेज कैश बैलेंस 10,000 करोड़ रुपये है, उसे अब 1,000 करोड़ रुपये का नेट वर्थ बनाए रखना होगा. ब्रोकरों को फरवरी 2023 तक इस मानदंड का पालन करना होगा.

3. भुगतान में देरी से सावधान रहें

ब्रोकर के साथ खाता खोलने से पहले ऑनलाइन रिव्यू जरूर पढ़ें. एक्सचेंजों की वेबसाइटों पर ब्रोकर के खिलाफ शिकायतों की जांच करें. यदि आपको भुगतान में देरी, धन के गलत प्रबंधन, या अनधिकृत ट्रेडों से संबंधित शिकायतें मिलती हैं, तो उस ब्रोकर से बचें. हाई लीवरेज के वादे के साथ ग्राहकों को लुभाने की कोशिश करने वाले किसी भी ब्रोकर से बचना चाहिए.

4. ब्रोकिंग चार्जेज का ध्यान रखें

अकसर ब्रोकर्स अपना एक ब्रोकर का चयन ब्रोकिंग चार्ज फिक्स्ड ही रखते हैं. हालांकि, ये कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. ऐसे में इस बारे में बात कर लेना भी जरूरी है.

5. अन्य सेवाओं की जानकारी

कुछ ब्रोकरेज हाउस सिर्फ इक्विटी ब्रोकिंग की सेवा ही नहीं प्रदान करतें, बल्कि कई प्रकार की अन्य सेवाएं भी आप तक पहुंचाते हैं. ऐसे में जान लें कि यह सेवाएं क्या हैं और आपके लिए इनकी क्या उपयोगिता है. इसके बाद ही ब्रोकर का चयन करें.

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