छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम व्यापक बाजार के लिए नए वित्त वर्ष की शानदार शुरुआत की उम्मीद कर सकते हैं।’’ 19 अप्रैल, 2021 को स्मॉलकैप अपने 52-सप्ताह के निचले स्तर 20,282.07 अंक पर आ गया था। वहीं इस साल 18 जनवरी को यह 31,304.44 अंक के अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंचा था।
छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है
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सर्राफा बाजार में तेजी जारी, 53 हजार के करीब पहुंचा सोना
नई दिल्ली, 15 नवंबर (हि.स.)। शादी के सीजन के लिए हो रही खरीदारी के सपोर्ट और अंतरराष्ट्रीय बाजार में आए उछाल के कारण आज भारतीय सर्राफा बाजार में भी तेजी का माहौल बना रहा।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में फिलहाल सोने की कीमत 1,770.18 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर पहुंच गई है। इसी तरह चांदी भी 22.01 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर कारोबार कर रहा है। हालांकि प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों की वजह से इस तेजी को अस्थायी माना जा रहा है।
भारतीय सर्राफा बाजार में मांग में आई तेजी की वजह से आज सोने की कीमत 53 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर के करीब पहुंच गई। हालांकि अभी भी सोना अपने ऑल टाइम हाई लेवल से करीब 3,700 रुपये नीचे कारोबार कर रहा है। सोने की अलग अलग श्रेणियों में आज 447 रुपये प्रति 10 से लेकर 261 रुपये प्रति 10 ग्राम तक की तेजी दर्ज की गई। सोने की तरह ही सर्राफा बाजार में चांदी में भी आज तेजी का रुख बना रहा। खरीदारी के सपोर्ट से ये चमकीली धातु आज 62,500 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर के करीब पहुंच गई।
इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक घरेलू सर्राफा बाजार में आज कारोबारी यानी 24 कैरेट (999) सोने की औसत कीमत 447 रुपये की तेजी के साथ उछल कर 52,877 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) हो गई। इसी तरह 23 कैरेट (995) सोने की कीमत भी 445 रुपये की बढ़त के साथ 52,665 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) हो गई। जेवराती यानी 22 कैरेट (916) सोने की कीमत में आज 409 रुपये प्रति 10 ग्राम की मजबूती दर्ज की गई। इसके साथ ही 22 कैरेट सोना 48,435 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गया। इसके अलावा 18 कैरेट (750) सोने की कीमत आज प्रति 10 ग्राम 335 रुपये चढ़ कर 39,658 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गई। 14 कैरेट (585) सोना आज 261 रुपये मजबूत होकर 30,933 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गया।
सर्राफा बाजार में बनी तेजी के माहौल का असर चांदी की कीमत पर भी नजर आया। आज के कारोबार में चांदी (999) में 884 रुपये प्रति किलोग्राम की उछाल दर्ज की गई। इस मजबूती के कारण ये चमकीली धातु आज उछल कर 62,467 रुपये प्रति किलोग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गई।
दरअसल, शादी के सीजन की शुरुआत के कारण भारतीय सर्राफा बाजार को काफी सहारा मिला है। पिछले 15 दिन के दौरान सोने की कीमत में प्रति 10 ग्राम करीब 2000 रुपये की तेजी आ चुकी है। इसी तरह चांदी की कीमत में भी 4 हजार से रुपये से अधिक का उछाल आ चुका है। 1 नवंबर को सोना 50,462 रुपये प्रति 10 ग्राम की कीमत पर ट्रेड कर रहा था, जो आज 52,877 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया है। इसी तरह 1 नवंबर को चांदी 58,200 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर कारोबार कर रहा था, जो आज 62,467 रुपये के स्तर पर आ गया है।
हालांकि, मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन का मानना है कि घरेलू सर्राफा बाजार में अभी व्यक्तिगत खरीदारी का ही जोर बना हुआ है। ज्यादातर लोग शादी की जरूरत के मुताबिक ही ज्वेलरी की खरीद कर रहे हैं लेकिन बड़े निवेशक अभी भी बाजार से दूरी बनाए हुए हैं। इसकी वजह से सर्राफा बाजार की तेजी को लेकर अनिश्चितता वाली स्थिति बनी हुई है।
मयंक मोहन के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में आज सोने की कीमत में मामूली तेजी जरूर आई है लेकिन वैश्विक परिस्थितियों की वजह से इस तेजी को अस्थाई माना जा रहा है। इसलिए शादी के सीजन के बावजूद प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियां बनने पर भारतीय सर्राफा बाजार में कभी भी गिरावट का रुख बन सकता है। सोने और चांदी के कारोबार में बनी वैश्विक अनिश्चितता के कारण निवेशक अभी भी बड़ा निवेश करने से बच रहे हैं। इसलिए जब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने चांदी की कीमत में स्थिरता नहीं आती है, तब तक छोटे निवेशकों को अपनी निवेश योजना काफी सोच समझकर बनानी चाहिए।
हिन्दुस्थान समाचार/ योगिता/दधिबल
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अभी भी निवेश का मौका: इस साल 70000 तक जा सकता है सेंसेक्स; एक्सपर्ट्स से जानिए अब कैसे और कहां बनेगा पैसा
भारतीय शेयर बाजार ने वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही यानी सितंबर खत्म होने से पहले ही नया इतिहास रच दिया है। सेंसेक्स ने ये अकेला रिकॉर्ड नहीं बनाया है। कई और भी रिकॉर्ड हैं जो इसके साथ जुड़ गए हैं। सेंसेक्स ने 10,000 पाइंट्स यानी 50,000 से 60,000 तक का सफर सिर्फ 161 दिनों में पूरा किया। जबकि 40,000 से 50,000 तक जाने में इसने 415 दिन लगाए थे।
जानकारों की मानें तो बाजार में तेजी मार्च तक जारी रहेगी। छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है वहीं, दिसंबर तक सेंसेक्स 70,000 के आंकड़े को पार कर सकता है।
छोटी अवधि में थोड़ी गिरावट, लंबी अवधि में जोरदार फायदा
जानकार मान रहे हैं कि छोटी अवधि में कुछ गिरावट आ सकती है, लेकिन लंबी अवधि में तेजी जारी रहेगी। बाजार के लिए जो भी निगेटिव माहौल थे, उनसे वो बाहर आ चुका है।
रियल एस्टेट, कैपिटल गुड्स और इंफ्रा सेक्टर में निवेश करें
स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के रिसर्च हेड संतोष मीणा कहते हैं कि निफ्टी और सेंसेक्स ने कोरोना के समय निचले स्तर से 140% की ग्रोथ की है। कोरोना की दूसरी लहर में IT सेक्टर ने तेजी दिखाई है। यहां से कोई गिरावट बाजार में आती है तो निवेशकों को रियल एस्टेट, कैपिटल गुड्स और इंफ्रा सेक्टर में निवेश करना चाहिए। साथ ही म्यूचुअल फंड के SIP में भी निवेशक पैसे लगा सकते हैं। हो सकता है कि अक्टूबर में थोड़ी गिरावट बाजार में आ जाए, पर बाजार अगले 2-3 सालों तक तेजी में रह सकता है।
खरीदारी करें, लेकिन एक बार मे पूरे पैसे न लगाएं
कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च हेड श्रीकांत चौहान कहते हैं कि भारत के लिए सेंसेक्स का 60,000 बड़ा अचीवमेंट है। खासकर तब, जब पूरी दुनिया के बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है। इस साल में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने अच्छी खरीदारी बाजार में की है। आने वाले महीने में कॉर्पोरेट की अर्निंग मजबूत रहेगी। जिससे बाजार की तेजी में मदद मिलेगी। छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है निवेशकों को चाहिए कि वे जिन शेयर्स में फायदा कमाए हैं, उसमें मुनाफा वसूली करें। उन्होंने कहा कि निवेशक चुनिंदा शेयर्स में खरीदारी करते रहें। खासकर मजबूत कंपनियों में मध्यम से लंबी अवधि के नजरिए से। यह खरीदारी चरणबद्ध तरीके से करनी चाहिए। यानी एक ही बार मे पूरे पैसे न लगाएं।
निवेशक असेट अलोकेशन का रास्ता अपनाएं
महिंद्रा मैनुलाइफ म्यूचुअल फंड के इक्विटी के मुख्य निवेश अधिकारी कृष्णा संघवी कहते हैं कि निवेशकों को असेट अलोकेशन का रास्ता अपनाना चाहिए। जो निवेशक कम समय के लिए निवेश चाहते हैं, उन्हें लालच पर रोक लगानी चाहिए। लंबे समय के निवेशक म्यूचुअल फंड के SIP में निवेश कर सकते हैं। उनका कहना है कि इस दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से है। यह अनुमान है कि 2030 तक हमारी अर्थव्यवस्था तीसरे नंबर पर आ जाएगी, जो अभी 7वें नंबर पर है। इक्विटी मार्केट लगातार इकोनॉमी की ग्रोथ पर चलता रहेगा।
घरेलू संकेत पॉजिटिव
कोटक सिक्योरिटीज के इंस्टीट्यूशनल हेड प्रतीक गुप्ता कहते हैं कि बाजार में तेजी बनी रह सकती है। घरेलू संकेत काफी पॉजिटिव हैं। वैक्सीनेशन की रफ्तार तेज है और ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाएं कम हैं। इससे आर्थिक ग्रोथ की रफ्तार भी बढ़ने की उम्मीद है।
भारतीय अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से बाहर आ चुकी
ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के पीएमएस हेड आनंद शाह कहते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से बाहर आ चुकी है। कोरोना के दौरान आई ग्रोथ में तेज गिरावट अब जोरदार तेजी में बदल चुकी है। कोरोना काल छोड़ दिया जाए तो पिछले 4-5 साल से ग्रोथ का पहिया तेजी से घूम रहा है।
इस बीच कंपनियों के नतीजे भी अच्छे आ रहे हैं। यानी शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों की ग्रोथ भी बेहतरीन रही है, जो आने वाले समय में भी जारी रह सकती है। जानकारों का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में सेंसेक्स में शामिल कंपनियों की ग्रोथ 35% तक रह सकती हैं। वहीं अगले फाइनेंशियल ईयर (2022-23) में ये ग्रोथ 20% तक रह सकती है।
US फेड का ब्याज दरों में बदलाव न करने का फैसला
भारतीय बाजार की तेजी के कई कारण होंगे। खासकर बाजार को विदेशी निवेशकों से अच्छा सपोर्ट मिल रहा है। इसको अमेरिका और दूसरे देशों के सेंट्रल बैंक की तरफ से फैसलों से समझा जा सकता है। अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने अगले 6 महीने तक ब्याज दरों में किसी तरह का बदलाव न करने का फैसला किया है। दूसरे देशों में भी ब्याज दरें या तो निगेटिव हैं या बेहद कम। ऐसे में विदेशी निवेशक ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए दूसरे देशों में निवेश कर रहे हैं। इनमें भारतीय बाजार रिटर्न के लिहाज से उन्हें बेहतरीन लग रहा है।
पहले विदेशी निवेशक (FII) अगर बाजार से पैसे निकालते थे, तो बाजार में तेज गिरावट आती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं, गुरुवार को ही FII ने बाजार में केवल 358 करोड़ रुपए डाले जबकि उनके मुकाबले म्यूचुअल फंड्स यानी घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 1750 करोड़ रुपए का निवेश किया। घरेलू संस्थागत निवेशक अब भारतीय बाजार की गिरावट और बढ़त में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
कोरोना के बीच इतनी तेजी से क्यों बढ़ा बाजार?
साल 2020 के मार्च में लगे पहले लॉकडाउन ने बाजार को जबरदस्त प्रभावित किया। इस दौरान सेंसेक्स 25,681 के लेवल पर गया तो लगा कि यहां से उबरने में बाजार को काफी समय लगेगा। पर जैसा कि सरकार ने भी आपदा में अवसर तलाशने की बात कही तो बाजार ने उससे आगे का अवसर तलाशा। यह अवसर था नए रिकॉर्ड का, निवेशकों की कमाई का, कंपनियों की कमाई का और मजबूत IPO के बाजार का।
भारतीय कंपनियों का मजबूत प्रदर्शन
कोरोना के दौरान बाजार की बढ़त का सबसे बड़ा कारण था, भारतीय कंपनियों का मजबूत प्रदर्शन। मार्च के अंतिम हफ्ते में लगे लॉकडाउन के बाद मई से ही अर्थव्यवस्था खुलने लगी थी, जब फ्लाइट्स का आवागमन शुरू कर दिया गया था। कोरोना के दौरान अर्थव्यवस्था भले प्रभावित हुई, लेकिन मई 2020 के बाद से ही इसके पॉजिटिव संकेत नजर आने लगे थे।
कोरोना के दौरान बाजार ने बेहतरीन प्रदर्शन किया
कोरोना के दौरान बाजार ने जो बेहतरीन प्रदर्शन किया उसके कई कारण रहे। कोरोना को कंट्रोल में लाने में सफलता, कंपनियों का रिकॉर्ड प्रॉफिट, विदेशी निवेशकों का रुझान, IPO बाजार की तेजी और कंपनियों द्वारा पैसा जुटाने जैसे कारण रहे हैं। सरकार और रिजर्व बैंक ने इस दौरान खुलकर अर्थव्यवस्था के लिए काम किया और राहत पैकेज दिए। पिछले साल जुलाई से दिसंबर के बीच 3,095 कंपनियों का प्रॉफिट 1.45 लाख करोड़ रुपए रहा, जिसने कई सालों के रिकार्ड को तोड़ दिया। पहली बार भारत के सभी सरकारी बैंकों ने मार्च में समाप्त वित्त वर्ष में फायदा कमाने का रिकॉर्ड बनाया।
बाजार बढ़ने के दौरान नए निवेशक कितने आए?
निवेशकों की संख्या अगस्त 2020 में 5.37 करोड़ से बढ़कर अब 8 करोड़ हो गई है। जहां तक निवेशकों की बात है तो सबसे ज्यादा निवेशक महाराष्ट्र, गुजरात और फिर दिल्ली से आते हैं। हालांकि कोरोना में यह रुझान बदला तो नहीं, पर छोटे शहरों से भी निवेशकों की भागीदारी बढ़ने लगी। निवेशकों की संख्या बढ़ने के मामले में महाराष्ट्र गुजरात पीछे हो गए छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है जबकि छोटे राज्य आगे हो गए।
छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है
नई दिल्ली, 15 नवंबर (हि.स.)। शादी के सीजन के लिए हो रही खरीदारी के सपोर्ट और अंतरराष्ट्रीय बाजार में आए उछाल के कारण आज भारतीय सर्राफा बाजार में भी तेजी का माहौल बना रहा।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में फिलहाल सोने की कीमत 1,770.18 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर पहुंच गई है। इसी तरह चांदी भी 22.01 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर कारोबार कर रहा है। हालांकि प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों की वजह से इस तेजी को अस्थायी माना जा रहा है।
भारतीय सर्राफा बाजार में मांग में आई तेजी की वजह से आज सोने की कीमत 53 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर के करीब पहुंच गई। हालांकि अभी भी सोना अपने ऑल टाइम हाई लेवल से करीब 3,700 रुपये नीचे कारोबार कर रहा है। सोने की अलग अलग श्रेणियों में आज 447 रुपये प्रति 10 से लेकर 261 रुपये प्रति 10 ग्राम तक की तेजी दर्ज की गई। सोने की तरह ही सर्राफा बाजार में चांदी में भी आज तेजी का रुख बना रहा। खरीदारी के सपोर्ट से ये चमकीली धातु आज 62,500 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर के करीब पहुंच गई।
इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक घरेलू सर्राफा बाजार में आज कारोबारी यानी 24 कैरेट (999) सोने की औसत कीमत 447 रुपये की तेजी के साथ उछल कर 52,877 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) हो गई। इसी तरह 23 कैरेट (995) सोने की कीमत भी 445 रुपये की बढ़त के साथ 52,665 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) हो गई। जेवराती यानी 22 कैरेट (916) सोने की कीमत में आज 409 रुपये प्रति 10 ग्राम की मजबूती दर्ज की गई। इसके साथ ही 22 कैरेट सोना 48,435 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) के स्तर छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है पर पहुंच गया। इसके अलावा 18 कैरेट (750) सोने की कीमत आज प्रति 10 ग्राम 335 रुपये चढ़ कर 39,658 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गई। 14 कैरेट (585) सोना आज 261 रुपये मजबूत होकर 30,933 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गया।
सर्राफा बाजार में बनी तेजी के माहौल का असर चांदी की कीमत पर भी नजर आया। आज के कारोबार में चांदी (999) में 884 रुपये प्रति किलोग्राम की उछाल दर्ज की गई। इस मजबूती के कारण ये चमकीली धातु आज उछल कर 62,467 रुपये प्रति किलोग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गई।
दरअसल, शादी के सीजन की शुरुआत के कारण भारतीय सर्राफा बाजार को काफी सहारा मिला है। पिछले 15 दिन के दौरान सोने की कीमत में प्रति 10 ग्राम करीब 2000 रुपये की तेजी आ चुकी है। इसी तरह चांदी की कीमत में भी 4 हजार से रुपये से अधिक का उछाल आ चुका है। 1 नवंबर को सोना 50,462 रुपये प्रति 10 ग्राम की कीमत पर ट्रेड कर रहा था, जो आज 52,877 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया है। इसी तरह 1 नवंबर को चांदी 58,200 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर कारोबार कर रहा था, जो आज 62,467 रुपये के स्तर पर आ गया है।
हालांकि, मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन का मानना है कि घरेलू सर्राफा बाजार में अभी व्यक्तिगत खरीदारी का ही जोर बना हुआ है। ज्यादातर लोग शादी की जरूरत के मुताबिक ही ज्वेलरी की खरीद कर रहे हैं लेकिन बड़े निवेशक अभी भी बाजार से दूरी बनाए हुए हैं। इसकी वजह से सर्राफा बाजार की तेजी को लेकर अनिश्चितता वाली स्थिति बनी हुई है।
मयंक मोहन के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में आज सोने की कीमत में मामूली तेजी जरूर आई है लेकिन वैश्विक परिस्थितियों की वजह से इस तेजी को अस्थाई माना जा रहा है। इसलिए शादी के सीजन के बावजूद प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियां बनने पर भारतीय सर्राफा बाजार में कभी भी गिरावट का रुख बन सकता है। सोने और चांदी के कारोबार में बनी वैश्विक अनिश्चितता के कारण निवेशक अभी भी बड़ा निवेश करने से बच रहे हैं। इसलिए जब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने चांदी की कीमत में स्थिरता नहीं आती है, तब तक छोटे निवेशकों को अपनी निवेश योजना काफी सोच समझकर बनानी चाहिए।
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Small Stocks Big Return: पिछले साल स्मॉलकैप शेयरों ने निवेशकों को 36.64 प्रतिशत का तगड़ा रिटर्न दिया है। माना जा रहा है कि 2022-23 में भी स्मॉलकैप का बेहतर प्रदर्शन जारी रहेगा। मिडकैप में 3,926.66 अंक या 19.45 प्रतिशत की बढ़त रही। सेंसेक्स वित्त वर्ष 2021-22 में 9,059.36 अंक यानी 18.29 प्रतिशत चढ़ा।
हाइलाइट्स
- पिछले साल स्मॉलकैप शेयरों ने निवेशकों को 36.64 प्रतिशत का तगड़ा रिटर्न दिया है
- माना जा रहा है कि 2022-23 में भी स्मॉलकैप का बेहतर प्रदर्शन जारी रहेगा
- मिडकैप में 3,926.66 अंक या 19.45 प्रतिशत की बढ़त रही
- सेंसेक्स वित्त वर्ष 2021-22 में 9,059.36 अंक यानी 18.29 प्रतिशत चढ़ा
ट्रेडिंगो के संस्थापक पार्थ न्यति ने कहा कि सभी तरह की चिंताओं को पार पाते हुए बाजार मजबूत जुझारू क्षमता दिखा रहा है। हम संरचनात्मक तेजड़िया बाजार में है, लेकिन बीच-बीच में बाजार में कुछ ‘करेक्शन’ आ सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘परंपरागत रूप से मिडकैप और स्मॉलकैप का प्रदर्शन तेजड़िया बाजार से बेहतर होता है। मेरा मानना है कि वित्त वर्ष 2022-23 में भी इनका प्रदर्शन मुख्य बेंचमार्क से बेहतर रहेगा, क्योंकि तमाम तरह की दिक्कतों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था एक अच्छी वृद्धि की राह पर अग्रसर है।’’
न्यति ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से अप्रैल का महीना शेयर बाजारों के लिए सबसे अच्छा रहता है। खासकर मिडकैप और स्मॉलकैप के मामले में। पिछले 15 में से 14 साल में बीएसई का स्मॉलकैप सूचकांक लाभ के साथ बंद हुआ है। इस दौरान इसमें औसतन सात प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
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उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम व्यापक बाजार के लिए नए वित्त वर्ष की शानदार शुरुआत की उम्मीद कर सकते हैं।’’ 19 अप्रैल, 2021 को स्मॉलकैप अपने 52-सप्ताह के निचले स्तर 20,282.07 अंक पर आ गया था। वहीं इस साल 18 जनवरी को यह 31,304.44 अंक के छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंचा था।
इसी तरह मिडकैप पिछले साल 19 अक्टूबर को 27,246.34 अंक के अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था। इसने 19 अप्रैल, 2021 को अपने 52-सप्ताह के निचले स्तर 19,423.05 अंक को छुआ था। सेंसेक्स 19 अक्टूबर, 2021 को अपने सर्वकालिक उच्चस्तर 62,245.43 अंक पर पहुंचा था।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘पिछले पांच-छह माह के दौरान व्यापक बाजार में ‘करेक्शन’ की वजह से स्मॉलकैप और मिडकैप निवेश के अच्छे विकल्प के रूप में उभरे हैं। हालांकि, निकट भविष्य में मुद्रास्फीति को लेकर अनिश्चितता बनी हुई और अर्थव्यवस्था की सुस्ती की वजह से उतार-चढ़ाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।’’
शेयर बाज़ार में आया उछाल वाकई बुलबुला है?
विभिन्न एक्ज़िट पोल में भारत की अगली सरकार भारतीय जनता पार्टी की अगुआई में बनने के पूर्वानुमानों के बाद से शेयर बाज़ार में ऐतिहासिक उछाल देखा गया. लेकिन क्या ये एक स्थिर बढ़ोतरी है या सिर्फ एक बुलबुला.
आइए जानते हैं इस बारे में क्या कहना है शेयर बाज़ार के जानकार और 'वैल्यू रिसर्च' के सीईओ धीरेंद्र कुमार का.
क्या मौजूदा उछाल सिर्फ़ एक बुलबुला है?
शेयर बाज़ार में बीते दिनों आए उछाल को बुलबुला नहीं कहा जा सकता है. बाज़ार बीते कई महीनों से सकारात्मकता का इंतज़ार कर रहा था और एक नई सरकार की उम्मीद के चलते ये उछाल देखने को मिला है.
बीते 3-4 साल में बाज़ार आगे बढ़ा ही नहीं इसलिए, ये एक नई शुरुआत का सूचक भी हो सकता है.
शेयर बाज़ार कैसे पहुंचा 24,000 के स्तर तक?
शेयर बाज़ार में निवेश बढ़ा है और ये कहना ज्यादा बेहतर होगा कि बिकवाली कम हुई है. पिछले चार-पांच साल से देसी निवेशक बाज़ार से गायब थे और बीते दो-तीन महीनों में वो एक बार फिर सक्रिय हुए हैं.
पिछले दो सप्ताह में देसी निवेशकों ने काफ़ी ख़रीदारी की है. निवेशक म्यूचुअल फंड में लगा पैसा निकाल रहे थे, जो अब कम होता दिख रहा है.
कितना नया निवेश हुआ?
हमारे बाज़ार में विदेशी निवेश एक महत्वपूर्ण अनुपात में है और काफ़ी हद तक ये भी कारण रहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में आई कमज़ोरी का बहुत ज़्यादा दुष्प्रभाव शेयर बाज़ार पर नहीं पड़ा.
पिछले ढाई-तीन महीने में पहली बार म्यूचुअल फंड से बाज़ार में लगभग सात हज़ार करोड़ रुपए का निवेश हुआ है.
कौन कर रहा है निवेश?
पिछले चार-पांच दिनों में शेयर बाज़ार में जो उछाल आया है उसके पीछे बड़े स्टॉक ब्रोकर्स हो सकते हैं, जो केवल उम्मीद के बल पर छोटी अवधि के मुनाफ़े के लिए निवेश कर रहे हैं.
बैंकिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में निवेश हो रहा है जो पिछले कई सालों से ठंडे पड़े हुए थे. वहां से लोगों को बड़ी उम्मीद है कि कोई बड़ा बदलाव आ सकता है.
इससे पहले के लोकसभा चुनावों के वक़्त भी आया था उछाल
लोकसभा चुनावों के आगे-पीछे उछाल और गिरावट का उदाहरण मौजूद है. साल 2004 के चुनावों में निवेशक उम्मीद कर रहे थे कि भाजपा गठबंधन की सरकार वापस आएगी एक्ज़िट पोल भी यही कह रहे थे, लेकिन सरकार नहीं आई और शेयर बाज़ार 13-14 प्रतिशत तक गिर गया था.
जबकि 2009 में किसी को उम्मीद नहीं थी कि यूपीए की सरकार वापस आएगी, लेकिन यूपीए वापस आई और वो भी बिना लेफ्ट के समर्थन के, जिसके फलस्वरूप बाज़ार में 14-15 फ़ीसदी तक का उछाल आया था.
क्या इस स्तर पर स्थिर रहेगा सूचकांक?
16 मई को अगर देश को एक स्थिर सरकार मिल जाती है तो, नई सरकार की नीतियों और नेताओं को दिए गए पोर्टफोलियों के आधार पर शेयर बाज़ार प्रतिक्रिया देगा.
मुझे लगता है कि ये एक अच्छी, तेज़ शुरुआत भी हो सकती है. वहीं अगर सरकार बनने में देरी लगी या त्रिशंकु जैसी कोई स्थिति बनी तो मौजूदा स्तर से दस प्रतिशत तक की गिरावट भी हो सकती है क्योंकि, लगभग इतनी ही बढ़ोतरी पिछले चार-पांच महीने में हुई है.
क्या करना चाहिए छोटे निवेशकों को?
छोटे निवेशकों को रोज़ाना के स्टॉक टिप्स पर तुरंत भरोसा नहीं करना चाहिए और इस चुनावी उछाल से फ़ायदा उठाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. उन्हें लंबे दौर के लिए निवेश पर ध्यान देना चाहिए.
सूचकांक के क्रैश होने के ख़तरों से बचने के लिए क्या क़दम उठा रही है सरकार?
रिज़र्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि बीते कुछ सप्ताह से बाज़ार की वित्तीय व्यवस्था पर उनकी नज़र बनी हुई है और अगले कुछ दिनों में होने वाली किसी भी अनिश्चितता के लिए वो पूरी तरह से तैयार हैं.
बाज़ार के जानकारों का मानना है कि नियंत्रक और सरकारी एजेसियां शेयर बाज़ार में गिरावट या उछाल को पूरी तरह से नियंत्रित नहीं कर सकती, लिहाज़ा छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है ऐसे समय में किसी भी तरह का निवेश करने से पहले ठीक से सोच-समझ लेना चाहिए.
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