निवेश और अर्थव्यवस्था

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FDI Investment: अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर, भारत को इस साल मिलेगा 100 अरब डॉलर का विदेशी निवेश
By: ABP Live | Updated at : 24 Sep 2022 10:32 PM (IST)
Edited By: Sandeep
भारत में एफडीआई निवेश
FDI Investment In India 2022: भारत की अर्थव्यवस्था (Economy of India) को लेकर एक अच्छी खबर सामने आ रही है. दरअसल केंद्र की मोदी सरकार का दावा है कि उसका एक प्रमुख कार्यक्रम मेक इन इंडिया (Make in India) भारत की अर्थव्यवस्था का कायाकल्प करने में अहम भूमिका निभा रहा है. इससे दुनिया के सामने भारत की एक नई तस्वीर बनी है. अब दुनिया भारत को एक प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग सेंटर के रूप में देखने लगी है.
Make in India को 8 साल पूरे निवेश और अर्थव्यवस्था
केंद्र सरकार का कहना है कि देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) तेजी से बढ़ रहा है निवेश और अर्थव्यवस्था और यह चालू वित्त वर्ष 2022-23 में 100 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा. भारत में FDI निवेश को सरल और सुगम बनाने पर सरकार ने अच्छा प्रयास किया है. सरकार ने देश में कौशल विकास सुविधाओं के विस्तार के लिए 2014 में मेक इन इंडिया योजना की शुरुआत की थी. इसे 25 सितंबर 2022 को 8 साल पूरे हो जाएंगे.
FDI Investment: अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर, भारत को इस साल मिलेगा 100 अरब डॉलर का विदेशी निवेश
By: ABP Live | Updated at : 24 Sep 2022 10:32 निवेश और अर्थव्यवस्था PM (IST)
Edited By: Sandeep
भारत में एफडीआई निवेश
FDI Investment In India 2022: भारत की अर्थव्यवस्था (Economy of India) को लेकर एक अच्छी खबर सामने आ रही है. दरअसल केंद्र की मोदी सरकार का दावा है कि उसका एक प्रमुख कार्यक्रम मेक इन इंडिया (Make in India) भारत की अर्थव्यवस्था का कायाकल्प करने में अहम भूमिका निभा रहा है. इससे दुनिया के सामने भारत की एक नई तस्वीर बनी है. अब दुनिया भारत को एक प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग सेंटर के रूप में देखने लगी है.
Make in India को 8 साल पूरे
केंद्र सरकार का कहना है कि देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) तेजी से बढ़ रहा है और यह चालू वित्त वर्ष 2022-23 में 100 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा. भारत में FDI निवेश को सरल और सुगम बनाने पर सरकार ने अच्छा प्रयास किया है. सरकार ने देश में कौशल विकास सुविधाओं के विस्तार के लिए 2014 में मेक इन इंडिया योजना की शुरुआत की थी. इसे 25 सितंबर 2022 को 8 साल पूरे हो जाएंगे.
RBI अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनाए रखने के लिए 30,000 करोड़ रु का करेगा निवेश
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश की अर्थव्यवस्था में वित्तीय निवेश और अर्थव्यवस्था स्थिरता बनाए रखने के लिए 30,000 करोड़ रुपये की चलनिधि लगाने की घोषणा की है। RBI ने यह निर्णय सभी बाजार सेंगमेंट सामान्य रूप से पर्याप्त चलनिधि और कारोबार के आम संचालन को सुनिश्चित करने की दिशा में बढ़ावा देने के लिए लिया है, क्योंकि कुछ वित्तीय बाजार COVID-19 के प्रकोप के चलते आर्थिक तनाव का सामना कर रहे हैं।
रिजर्व बैंक खुले बाजार के परिचालन (OMOs) के तहत सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद के लिए कुल 30,000 करोड़ निवेश और अर्थव्यवस्था रुपये की चलनिधि का उपयोग करेगा। यह राशि मार्च 2020 के महीने में 15,000 रुपये की दो किस्तों में लगाई जाएगी।
वैश्विक मंदी के बावजूद निवेश की उम्मीदें
यकीनन वैश्विक मंदी की चुनौतियों का भारत पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। 13 जून को भारत के शेयर बाजार में भी बड़ी गिरावट दिखी। बैंचमार्क सेंसेक्स गोता लगाकर 52,846 अंकों पर बंद हुआ। डॉलर के मुकाबले रुपया 78 के पार चला गया। लेकिन फिर भी दुनिया के आर्थिक और वित्तीय संगठनों के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था दूसरे देशों की तुलना में गतिशील बनी हुई है। वैश्विक क्रैडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत की रेटिंग नकारात्मक से उन्नत करके स्थिर की है। खास बात यह भी है कि चुनौतियों के बीच भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश का सुकूनदेह परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है। संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (अंकटाड) की रिपोर्ट 2022 के अनुसार भारत की एफडीआई रैंकिंग पिछले वर्ष 2021 में एक पायदान चढ़कर 7वें स्थान पर पहुंच गई है। हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 83.57 अरब डॉलर का रिकॉर्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त किया है। अब चालू वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की ओर अधिक एफडीआई प्रवाह की नई संभावनाएं बढ़ी हैं।
अगले साल हो सकते हैं सस्ते लोन: अर्थव्यवस्था संभलने के भरोसे इक्विटी और क्रूड जैसे रिस्की एसेट में बढ़ रहा है निवेश
अगले साल से एक बार फिर ब्याज निवेश और अर्थव्यवस्था दरों में कटौती शुरू हो सकती है। इस निवेश और अर्थव्यवस्था साल के आखिर तक भारत समेत दुनियाभर में ब्याज दरें बढ़ने का सिलसिला पलट सकता है। कॉपर-गोल्ड रेश्यो पीक से उतरना इसका सबसे मजबूत संकेत है। विश्लेषकों के मुताबिक यह ब्याज दरों में गिरावट शुरू होने से पहले की स्थिति होती है।
कॉपर-गोल्ड रेश्यो 83 के रिकॉर्ड ऊंचे स्तर से 79 पर
15 जुलाई को कॉपर-गोल्ड रेश्यो 83 के रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर था, जो अभी 79 पर आ गया है। अमेरिकी अर्थशास्त्री क्रिस किंबल ने एक नोट में लिखा, ‘2022 की पहली छमाही ब्याज दरें बढ़ने का दौर रहा। निवेश और अर्थव्यवस्था बढ़ती महंगाई से राहत के लिए दुनियाभर के ज्यादातर केंद्रीय बैंकों ने नीतिगत दरें बढ़ाईं, लेकिन दूसरी छमाही के हालात अलग हैं। कमोडिटी के दाम घटने निवेश और अर्थव्यवस्था लगे हैं और महंगाई कम होने लगी है। इसके चलते ब्याज दरों में कटौती भी शुरू हो सकती है।’