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स्वचालित निवेश के लाभ

स्वचालित निवेश के लाभ
आरओआई = (आरएम टूल्स के लाभ) / (आरएम टूल्स की लागत) * 100

स्वचालित निवेश के लाभ

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आवश्यकता प्रबंधन उपकरण निवेश के आरओआई की गणना कैसे करें?

आवश्यकता प्रबंधन उपकरण निवेश के आरओआई की गणना कैसे करें?

उत्पाद विकास के लिए आवश्यकता प्रबंधन (आरएम) उपकरण आवश्यक हैं, लेकिन इन निवेशों पर प्रतिफल क्या है? दूसरे शब्दों में, खर्च को सही ठहराने के लिए आप आवश्यकता प्रबंधन टूल के लाभों की गणना कैसे करते हैं? आरओआई को मापते समय विचार करने के लिए कई कारक हैं, जिसमें कर्मचारियों की उत्पादकता में वृद्धि और संचालन लागत में कमी शामिल है। इन लाभों को स्वचालित निवेश के लाभ समझकर, आप आवश्यकता प्रबंधन टूल में निवेश करने और अपनी उत्पाद विकास प्रक्रिया में सुधार करने के लिए एक मजबूत मामला बना सकते हैं।

ROI क्या है?

आरओआई एक प्रदर्शन उपाय है जिसका उपयोग किसी निवेश की दक्षता का मूल्यांकन करने या कई अलग-अलग निवेशों की दक्षता की तुलना करने के लिए किया जाता है। आरओआई सीधे निवेश से "धन" रिटर्न को मापने की कोशिश करता है और आमतौर पर प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।

तो, आवश्यकताएँ प्रबंधन उपकरण के लिए ROI क्या है?

आवश्यकताओं के लिए आरओआई प्रबंधन उपकरण आरएम उपकरण की लागत से विभाजित लाभ (कर्मचारी उत्पादकता में वृद्धि, संचालन लागत में कमी, आदि) के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। प्रतिशत प्राप्त करने के लिए इस अनुपात को 100 से गुणा किया जाता है।

लेकिन आवश्यकताएँ प्रबंधन उपकरण के लिए ROI की गणना कैसे मदद करती है?

कर्मचारियों की उत्पादकता में वृद्धि और संचालन लागत में कमी सहित आवश्यकता प्रबंधन उपकरणों के लिए कई लाभों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इन लाभों को समझकर, आप आरएम टूल्स में निवेश करने और अपनी उत्पाद विकास प्रक्रिया में सुधार करने के लिए एक मजबूत मामला बना सकते हैं। आरओआई की गणना करते समय, निर्णय लेने से पहले निवेश के सभी संभावित लाभों पर विचार करना महत्वपूर्ण है। इस जानकारी के साथ, आप इस बारे में एक सूचित निर्णय लेने में सक्षम होंगे कि आवश्यकताएँ प्रबंधन उपकरण आपके संगठन के लिए सही हैं या नहीं।

आवश्यकता प्रबंधन टूल के लिए ROI की गणना करना:

आरओआई एक प्रदर्शन उपाय है जिसका उपयोग किसी निवेश की दक्षता का मूल्यांकन करने या कई अलग-अलग निवेशों की दक्षता की तुलना करने के लिए किया जाता है। आरओआई सीधे निवेश से "धन" रिटर्न को मापने की कोशिश करता है और आमतौर पर प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।

आरओआई = (आरएम टूल्स के लाभ) / (आरएम टूल्स की लागत) * 100

सबसे पहले, आपको प्रत्येक परियोजना के लिए स्टाफिंग लागत की स्वचालित निवेश के लाभ गणना करनी होगी। हमारे उदाहरण में यह 2,400,000 अमरीकी डालर है। फिर कुल परियोजना लागत के प्रतिशत के रूप में उद्योग के औसत पुनर्विक्रय का उपयोग यह गणना करने के लिए करें कि आपकी परियोजना पर कितना पुनर्विक्रय होगा। हमारे मामले में यह लगभग 30% (लगभग 720,000 USD) है। आवश्यकताओं के मुद्दों के कारण संपूर्ण पुनर्विक्रय आमतौर पर लगभग 70% होता है। नतीजतन, अक्षमताओं के कारण आवश्यकताओं के पुनर्विक्रय की लागत लगभग 504,000 अमरीकी डालर है।

यदि हम मानते हैं कि एक अच्छा आवश्यकता प्रबंधन समाधान विकास लागत में 10% की कटौती कर सकता है, तो लागत बचत $50,400 (504,000 USD x 0,1) है। यदि आप निवेश पर लाभ को व्यय (आपके आवश्यकता प्रबंधन सॉफ़्टवेयर का खरीद मूल्य) से विभाजित करते हैं, तो यह पता लगाना आसान है कि आप समय के साथ कितना पैसा बचाएंगे। दूसरी ओर, उपकरण की निवेश लागत प्रत्येक विक्रेता के मूल्य निर्धारण मॉडल के आधार पर भिन्न हो सकती है।

आवश्यकता प्रबंधन उपकरण के लिए आरओआई की गणना के लिए विचार:

RM टूल के लिए ROI की गणना करते समय विचार करने के लिए कई कारक हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • कर्मचारियों की उत्पादकता में वृद्धि
  • संचालन लागत में कमी
  • बेहतर उत्पाद विकास

इन लाभों को समझकर, आप आरएम टूल्स में निवेश करने और अपनी उत्पाद विकास प्रक्रिया में सुधार करने के लिए एक मजबूत मामला बना सकते हैं। आवश्यकता प्रबंधन उपकरण निवेश की दक्षता का मूल्यांकन करते समय आरओआई याद रखने के लिए एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है।

आवश्यकताएँ प्रबंधन उपकरण कई लाभ प्रदान करते हैं जो आपकी उत्पाद विकास प्रक्रिया में सुधार कर सकते हैं। इन निवेशों के आरओआई को समझकर, आप आरएम टूल्स में निवेश के लिए एक मजबूत मामला बना सकते हैं।

निष्कर्ष:

आरओआई, या निवेश पर लाभ, एक गणना है जो आपको यह समझने में मदद करती है कि आपके आवश्यकता प्रबंधन उपकरण कार्यान्वयन ने कितना लाभ अर्जित किया है। RM टूल्स के लिए ROI की गणना करने के लिए, आपको निम्नलिखित जानकारी जाननी होगी: आपके टूल्स लाइसेंस की लागत, टूल का उपयोग करने वाले कर्मचारियों द्वारा बिताया गया समय, और RM टूल्स के उपयोग के परिणामस्वरूप उत्पन्न राजस्व में वृद्धि। देखें कि संगठनों ने ओर मुड़कर कितने घंटे बचाए हैं विज़र सॉल्यूशंस ट्रेसिबिलिटी मैट्रिक्स उत्पादन, परीक्षण योजना, पुन: प्रयोज्य, और कई अन्य विभिन्न चुनौतियों के लिए उनकी आवश्यकता प्रबंधन समाधान के रूप में।

स्वायत्त निवेश तथा प्रेरित निवेश में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

gardenheart653

स्वायत्त निवेश( स्वतंत्र)-- स्वतंत्र निवेश से तात्पर्य ऐसे निवेश से है जो आय में कमी और वृद्धि के बावजूद भी एक सामान्य स्थिति में बना रहता है ना ही घटता है और ना ही बढ़ता है अर्थात आय से स्वतंत्र होता है कींस अपने आय व्यय के दृष्टिकोण अथवा आय गुणक मॉडल मैं स्वतंत्र निवेश की धारणा का प्रयोग कर सकता है और इस प्रकार आय बेलोच होता है इसे वहिजात घटक जैसे किसी नवप्रवर्तन आविष्कार जनसंख्या तथा श्रम शक्ति की वृद्धि अनुसंधान सामाजिक तथा कानूनी संस्थाएं मौसम परिवर्तन युद्ध क्रांति इत्यादि प्रभावित करते हैं परंतु मांग में परिवर्तन से यह नहीं प्रभावित होता बल्कि वह मांग को प्रभावित करता है आर्थिक तथा सामाजिक उपरिव्ययो मैं सरकार अथवा निजी उधम द्वारा किया गया निवेश स्वायत्त निवेश होता है बिल्डिंग बांध सड़कों नेहरों स्कूलों अस्पतालों इत्यादि पर किया गया व्यय इस प्रकार के निवेश में शामिल होते हैं क्योंकि इन परियोजनाओं में निवेश सामान्य रूप से सार्वजनिक नीति से संबंध रहता है इसीलिए स्वायत्त निवेश को सार्वजनिक निवेश समझा जाता है दीर्घकाल में सब प्रकार का निजी निवेश स्वायत्त बन जाते है

स्वायत्त निवेश को रेखा चित्र में क्षैतिज अक्ष के समांतर वक्र i1 I' के रूप में दिखाया गया है यह प्रकट करता है कि आय के सभी स्तरों पर निवेश की मात्रा oI0 स्थिर रहती है वक्र का ऊपर की और सरक कर I I" पर चले जाना आय के सब स्तरों परoI2 की स्थिर दर से निवेश के निरंतर प्रभाव को प्रकट करता है पर आय निर्धारण के लिए 45 डिग्री की रेखा वाले चित्र में स्वायत्त वक्र को निर्धारित किया जाता है

हिंदुस्तान यूनिलीवर बुंदेलखंड में करेगी 700 करोड़ रुपये का निवेश

हमीरपुर जिले के सुमेरपुर में बने एचयूएल के इस नए संयंत्र का लोकार्पण स्वचालित निवेश के लाभ करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 700 करोड़ रुपये का निवेश इस क्षेत्र में लाखों प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि जिस बुंदेलखंड से कभी निवेशक भागते थे और युवा पलायन करते थे, वहां अब बड़ी कंपनियां निवेश कर रही हैं।

इस निर्माण इकाई और वितरण केंद्र का लखनऊ से लोकार्पण करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां महिलाओं और विकलांग व्यक्तियों को प्राथमिकता के साथ सेवायोजित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूनिलीवर घरेलू प्रयोग की वस्तु बनाने वाली वैश्विक कंपनी है। ऐसे में बुंदेलखंड के किसानों के आय संवर्धन में कंपनी बड़ी भूमिका निभा सकती है। यहां के किसान नवाचार अपनाने वाले हैं। यूनिलीवर इनके सहयोग से अनेक उत्पादों के लिए कच्चा माल प्राप्त कर सकती है।

एचयूएल स्वचालित निवेश के लाभ के मुख्य कार्या​धिकारी और प्रबंध निदेशक संजीव मेहता ने बताया कि नई इकाई अत्याधुनिक स्प्रे ड्राइड डिटर्जेंट फैक्टरी है, जहां लोकप्रिय लॉन्ड्री ब्रांड सर्फ एक्सेल सहित प्रमुख यूनिलीवर ब्रांड उत्पादों का निर्माण होगा। अत्याधुनिक तकनीक से लैस इस फैक्टरी में ऑटोमेटिक स्टोरेज भी हैं और यह एक वितरण केंद्र के रूप में भी काम करेगी।

मेहता ने कहा कि कंपनी ने यहां स्वचालित वितरण केंद्र स्थापित किया है, जो यूनिलीवर के लिए दक्षिण एशिया में अपनी तरह का पहला केंद्र है। सुरक्षित और निर्बाध संचालन के लिए वितरण केंद्र नवीनतम सुरक्षा सुविधाओं से भी लैस है। उन्होंने बताया कि यूनिलीवर स्थानीय लॉजिस्टिक्स बाजार विकसित करने और प्रदेश में आपूर्तिकर्ता एकीकरण पहल के माध्यम से अपने आपूर्तिकर्ताओं और सहायक कंपनियों की संख्या बढ़ाने पर भी काम कर रही है।

वाहन स्क्रैपिंग पॉलिसी से नए निवेश के साथ हजारों रोजगार के अवसर होंगे पैदा: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने वाहन स्क्रैपिंग नीति के तहत स्क्रैपिंग संबंधी बुनियादी सुविधाओं में निवेश आमंत्रित करने के लिए एक सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि अनफिट वाहनों को सड़क से हटाने में नेशनल ऑटोमोबाइल स्क्रैपेज पॉलिसी अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि इस नीति से 10,000 करोड़ रुपये का नया निवेश भी आएगा और हजारों रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

गुजरात में एक इन्वेस्टर समिट को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि 75वें स्वतंत्रता दिवस से पहले आज का ये कार्यक्रम आत्मनिर्भर भारत के बड़े लक्ष्यों को सिद्ध करने की दिशा में एक और अहम कदम है। आज देश नेशनल ऑटोमोबाइल स्क्रैपेज पॉलिसी लॉन्च कर रहा है। ये पॉलिसी नए भारत की मोबिलिटी और मोटर सेक्टर को नई पहचान देगी।

कचरे से कंचन अभियान

पीएम ने कहा कि नई स्क्रैपिंग पॉलिसी, वेस्ट से वेल्थ (Waste to Wealth) कचरे से कंचन के अभियान की, सर्कुलर इकोनॉमी की एक अहम कड़ी है। उन्होंने कहा कि ये पॉलिसी, देश के शहरों से प्रदूषण कम करने और पर्यावरण की सुरक्षा के साथ तेज विकास की हमारे प्रतिबद्धताओं को भी दर्शाती है।

विकास को सस्टेनेबल और पर्यावरण के अनुकूल बनाएं

आज एक तरफ भारत डीप ओशन मिशन के माध्यम से नई संभावनाओं को तलाश रहा है, तो वहीं सर्कुलर इकोनॉमी को भी प्रोत्साहित कर रहा है। कोशिश ये है कि विकास को हम सस्टेनेबल बनाएं, पर्यावरण के अनुकूल बनाएं। इस पॉलिसी से सामान्य परिवारों को हर प्रकार से बहुत लाभ होगा।

स्क्रैपिंग पॉलिसी के लाभ

स्क्रैपिंग पॉलिसी का लाभ बताते हुए उन्होंने कहा कि सबसे पहला लाभ ये होगा कि पुरानी गाड़ी को स्क्रैप करने पर एक सर्टिफिकेट मिलेगा। ये सर्टिफिकेट जिसके पास होगा उसे नई गाड़ी की खरीद पर रजिस्ट्रेशन के लिए कोई पैसा नहीं देना होगा। इसके साथ ही उसे रोड टैक्स में भी कुछ छूट दी जाएगी।

दूसरा लाभ ये होगा कि पुरानी गाड़ी की मैंटेनेंस कॉस्ट, रिपेयर कॉस्ट, ईंधन दक्षता, इसमें भी बचत होगी।

तीसरा लाभ सीधा जीवन से जुड़ा है। दरअसल, पुरानी गाड़ियों, पुरानी टेक्नॉलॉजी के कारण रोड एक्सीडेंट का खतरा बहुत अधिक रहता है, जिससे मुक्ति मिलेगी।

चौथा, इससे हमारे स्वास्थ्य प्रदूषण के कारण जो असर पड़ता है, उसमें कमी आएगी।

सरकार हर मदद के लिए तैयार

पीएम ने आगे कहा कि आत्मनिर्भर भारत को गति देने के लिए, भारत में इंडस्ट्री को सस्टेनेबल और प्रोडक्टिव बनाने के लिए निरंतर कदम उठाए जा रहे हैं। हमारी ये पूरी कोशिश है कि ऑटो मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़ी वैल्यू चेन के लिए जितना संभव हो, उतना कम हमें इंपोर्ट पर निर्भर रहना पड़े।

इथेनॉल हो, हाइड्रोजन फ्यूल हो या फिर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, सरकार की इन प्राथमिकताओं के साथ इंडस्ट्री की सक्रिय भागीदारी बहुत जरूरी है।

पीएम ने निवेशकों से कहा कि R&D से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर तक, इंडस्ट्री को अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी होगी। इसके लिए जो भी मदद आपको चाहिए, वो सरकार देने के लिए तैयार है।

बता दें कि वाहन स्क्रैपिंग नीति का उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल और सुरक्षित तरीके से अनुपयुक्त एवं प्रदूषणकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए एक परिवेश तैयार करना है। इस नीति का उद्देश्य देश भर में स्वचालित परीक्षण स्टेशनों और पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधाओं के रूप में स्क्रैपिंग बुनियादी ढांचा स्थापित करना है।

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