एक सुरक्षित दलाल कौन है?

संक्षेप में:
लोकसभा चुनाव 2019 न्यूज़: किसानों को लूटने वालों को जेल के अंदर करूंगा-मोदी
- मायावती (आजमगढ़ की एक चुनावी सभा में)
PM ने कहा कि वे मौन रहकर इसका जवाब देना चाहेंगे. राहुल एक सुरक्षित दलाल कौन है? गांधी ने एक विदेशी मैगजीन में इंटरव्यू दिया कि किसी भी रूप में वह मोदी की छवि को ध्वस्त करना चाहते हैं, मतलब वह (राहुल) जो बोल रहे हैं वह मोदी की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए कर रहे हैं, यानी उन्होंने गंदे और गलत रास्ते इसीलिए अपनाए कि मोदी की छवि खराब की जा सके.
पत्थरबाजों को आजादी देना चाहती है कांग्रेस: मोदी
- PM मोदी द्वारा गोद लिए गए गांव का एक निवासी
वन विभाग की फर्जी एनओसी
चंद्रदीप ने वन भूमि बेचने के लिए डीएफओ, बोकारो के जाली एनओसी (492, दिनांक 27 दिसंबर, 2014) का उपयोग किया है. इसकी जानकारी मिलने के बाद डीएफओ ने अपने पत्रांक-3654, दिनांक 17.12.2019 के जरिये कहा है कि उनके कार्यालय से पत्रांक संख्या-492, दिनांक 17.12.2014 निर्गत नहीं किया गया है. यह कथित एनओसी फर्जी है.
वन विभाग ने लिखा उपायुक्त एक सुरक्षित दलाल कौन है? को पत्र
वन प्रमंडल पदाधिकारी, बोकारो ने उपायुक्त बोकारो को पत्र लिखकर बताया है कि मौजा बांधगोंडा अंतर्गत थाना नंबर-35, प्लॉट नंबर 978 की वन भूमि की फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी बना कर बिक्री की गयी है. विभाग ने जमाबंदी को रद्द करने के लिए भी लिखा है. इस बारे में चास के वन क्षेत्र पदाधिकारी ने अंचल अधिकारी को बिक्री की गयी वन भूमि की जमाबंदी रद करने के लिए लिखा था. इसके आलोक में सीओ ने अखबारों में विज्ञापन देकर उक्त जमीन की खरीद-बिक्री करने वाले लोगों को अपना पक्ष रखने को भी कहा गया था. लेकिन अभी तक न तो जमाबंदी रद्द होने की सूचना है और न ही वन भूमि की खरीद-बिक्री करनेवालों पर किसी तरह की कार्रवाई की जानकारी है.
वन भूमि हड़पने के उद्देश्य से जमीन दलाल चंद्रदीप कुमार ने उक्त जमीन के मूल रैयत के एक सुरक्षित दलाल कौन है? वंशज अशोक शर्मा की जगह अपने भाई कुलदीप कुमार को अशोक शर्मा बना दिया. कुलदीप कुमार ने अशोक शर्मा बनकर 1 एकड़ वन भूमि की फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी चंद्रदीप कुमार के नाम लिख दी. यही एक सुरक्षित दलाल कौन है? नहीं, फर्जी पीओए के आधार पर चंद्रदीप ने अपने छोटे भाई सकलदेव कुमार और रिश्तेदार राज कुणाल को गवाह भी बना दिया. हैरानी की बात तो यह है कि फर्जी पीओए बनाते समय जमीन में मूल रैयत अशोक शर्मा की जमीन ही नहीं बची थी. इसके अलावा चंद्रदीप ने पावर 1 एकड़ जमीन का लिया था, मगर उसने 1.29 एकड़ जमीन बेच दी.
इस डीड से बेची गयी जमीन
डीड संख्या 4753 से 6 डिसमिल, 6928 से 6 डिसमिल, 105/2015 से 20 डिसमिल, 1177/2015 से 28 डिसमिल, डीड एक सुरक्षित दलाल कौन है? संख्या 1178/15 से 6 डिसमिल, डीड संख्या 1179/15 से 6 डिसमिल, डीड संख्या 1180/15 से 6 डिसमिल, डीड संख्या 1728/15 से 11 डिसमिल, डीड संख्या 2614/15 से 6 डिसमिल तथा डीड संख्या 3431/2015 से 6 डिसमिल जमीन विभिन्न लोगों को रजिस्ट्री कर दी गयी है.
चंद्रदीप कुमार द्वारा बेची गयी जमीन के खरीदार कुंवर जी पांडेय, रीता कुमारी, सुनीता सिन्हा, आशा देवी, दामोदर सिंह, रेणु सिन्हा, प्रशांत चंद्रवंशी, बासुदेव, चंद्र किशोर झा, सुनीता सिन्हा आदि हैं.
एक सुरक्षित दलाल कौन है?
वीडियो: ब्रोकर, डीलर और एजेंट के बीच अंतर? उर्दू / हिंदी
एजेंट बनाम ब्रोकर
एजेंट और ब्रोकर दो पेशे हैं जो किसी कंपनी के बीच में बिज़नेस करते हैं, जैसे इंश्योरेंस कंपनी या रियल एस्टेट डेवलपर, ग्राहक के पास। एजेंट और दलाल कंपनियों और उपभोक्ताओं के बीच लेनदेन और सूचना की सुविधा प्रदान करते हैं।
एजेंट कौन है?
एजेंट बीमा एजेंट या रियल एस्टेट एजेंट के रूप में काम करने वाला व्यक्ति हो सकता है। आमतौर पर, एक एजेंट बीमा कंपनी का प्रतिनिधित्व करता है जिसके लिए वह काम कर रहा है। वे बीमा पॉलिसियों और दावों से संबंधित सभी कागजी प्रक्रिया को पूरा करते हैं और आमतौर पर लेन-देन होने के बाद क्लाइंट के साथ अपने संबंध समाप्त कर लेते हैं। यह एक एजेंट का काम नहीं है कि आप अलग-अलग विकल्प दे सकें कि कौन सी योजना बेहतर है।
प्रसूताओं को लेकर कमीशनबाजी: उज्जैन कलेक्टर के दौरे में सरकारी अस्पताल एक सुरक्षित दलाल कौन है? से निजी अस्पतालों में मरीजों को भेजने का हुआ खुलासा
उज्जैन के सरकारी चरक अस्पताल से जनवरी महीने में डिलीवरी के लिए आईं एक हजार में से 429 प्रसूताओं को दलाल किसी न किसी बहाने से निजी अस्पताल ले गए। आरोप है कि इसमें चरक अस्पताल के कर्मचारी भी शामिल थे। जिन्हें मोटा कमीशन मिलता है। यह चौंकाने वाला खुलासा बुधवार को कलेक्टर आशीष सिंह के चरक अस्पताल के औचक निरीक्षण में हुआ। दरअसल, पिछले कुछ समय से चरक अस्पताल से प्रसूताओं को निजी अस्पतालों में ले जाने की शिकायतें कलेक्टर के पास पहुंच रहीं थीं। दैनिक भास्कर के प्रिंट संस्करण ने भी इस मुद्दे को काफी प्रमुखता से प्रकाशित किया था। चरक हॉस्पिटल में निजी अस्पताल की एंबुलेंस से प्रसूताओं को ले जाते कई बार देखा गया। कलेक्टर ने करीब तीन घंटे अस्पताल में रहकर अलग-अलग फ्लोर पर बने मेटरनिटी वार्ड, आई-ओटी तथा पोषण पुनर्वास केन्द्र एनआरसी का निरीक्षण किया। पोषण पुनर्वास केन्द्र पर मात्र तीन कुपोषित बच्चे भर्ती पाए जाने पर शहर व ग्रामीण के चार परियोजना अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं। कलेक्टर ने प्री-मेच्योर प्रसव वार्ड में जाकर महिलाओं से पूछा कि वे कितने दिनों से यहां भर्ती हैं। पूछताछ में खुलासा हुआ कि भर्ती महिलाओं में से कुछ महिलाएं प्राइवेट अस्पताल में भी ऑपरेशन एक सुरक्षित दलाल कौन है? करवाने के बाद फिर चरक अस्पताल में भर्ती हुई हैं। कलेक्टर के दौरे के बाद दो निजी अस्पतालों को नोटिस जारी किया है। कलेक्टर ने कहा कि सघन जांच के बाद इसमें अस्पताल के डॉक्टर व कर्मचारियों की संलिप्तता एवं निजी नर्सिंग होम की मिलीभगत मिलने पर दोनों के ही खिलाफ वैधानिक कार्रवाई एक सुरक्षित दलाल कौन है? की जाएगी। इन दो मामलों से जानिए, किस तरह से चरक और निजी अस्पतालों का है गठजोड़ मामला-1 बड़नगर निवासी सुल्ताना ने बताया वह पहले चरक अस्पताल में भर्ती हुई फिर किसी मैडम के कहने पर वह निजी अस्पताल चली गई। वहां पर दो दिन भर्ती रही। ऑपरेशन से बच्चा हुआ जो सात माह का था। अब फिर से शासकीय अस्पताल लौटी हूं। यहां पर प्री-मेच्योर बच्चे और उनका इलाज चल रहा है। निजी अस्पताल में एक लाख रुपये खर्च हुआ। मामला-2 उज्जैन निवासी दिलशाना ने कलेक्टर को बताया कि पहले शासकीय अस्पताल में भर्ती हुई थी। यहां से फ्रीगंज स्थित एक निजी हॉस्पिटल में ऑपरेशन करवाया और फिर वापस शासकीय अस्पताल में भर्ती हो गई। कलेक्टर ने दोनों मामलों को गंभीरता से लिया है। इस गठजोड़ में कौन-कौन शामिल है। किसके कहने से मरीज शासकीय अस्पताल छोड़कर प्राइवेट में गया और फिर शासकीय अस्पताल में लौटा है, इसकी पूरी जांच के बाद रिपोर्ट देने के निर्देश सीएमएचओ को दिए हैं। ये है पूरा खेल. महिला मरीजों को कागजों पर रैफर नहीं किया जाता है। उन्हें लामा यानी बगैर बताए हॉस्पिटल छोड़कर जाना दर्शाया जाता है या फिर उनसे लिखवा लिया जाता है कि हम अपनी इच्छा से यहां से जा रहे हैं। ऐसे में रैफरल केस की संख्या भी सीमित रह जाती है और रैफरल किए जाने का खेल भी चलता रहता है। इसमें शामिल आशा कार्यकर्ताओं और अस्पताल के कर्मचारियों को प्राइवेट अस्पतालों से पांच प्रतिशत तक कमीशन मिलता है। प्राइवेट अस्पताल डिलीवरी के 50 हजार से एक लाख रुपए तक वसूलते हैं। इसी बिल में से चरक के दलालों को कमीशन दिया जाता है। एक दलाल की हत्या तक हो चुकी है उज्जैन में चाहे शासकीय अस्पताल हों या फिर निजी अस्पताल। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक दलाल ने बताया कि सभी जगह दलाल हैं। निजी अस्पताल संचालक भी दूसरे अस्पतालों से मरीजों को अपने यहां भर्ती कराने के लिए उन्हें मोटी फीस देते हैं। कुछ साल दलाली के इसी धंधे में गोपाल नाम के एक दलाल की एक निजी अस्पताल के स्टाफ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।
मनीष जैन हाईकोर्ट में हुए पेश,अवैध अभ्यार्थियों के पद को बहाल रखने के लिए आवेदन पर सीबीआई जांच का निर्देश
पश्चिम बंगाल के कलकत्ता हाइकोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को यह जांच करने का निर्देश दिया कि किसके कहने पर पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) ने राज्य सरकार के विद्यालयों में अतिरिक्त पदों का सृजन कर अवैध रूप से के भर्ती किये गये कर्मचारियों की नौकरी भीत सुरक्षित करने के लिए एक आवेदन दायर किया था. सीबीआई हाइकोर्ट के पहले के आदेशों पर इस तरह के स्कूलों में अवैध नियुक्तियों की जांच कर रही है. न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली ने सीबीआइ को निर्देश दिया कि इस तरह का आवेदन दाखिल करने का फैसला लेने या निर्देश देने के स्रोत के बारे में रिपोर्ट सात दिन के भीतर अदालत में दाखिल की जाये. जस्टिस गांगुली ने आदेश दिया, मै सीबीआई को निर्देश देता हूं कि यह पता लगाने के लिए आज शाम से ही जांच के तत्काल कदम उठाये जाए कि यह किसकी देन है.
शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव कोर्ट में हुए पेश
मामले में अदालत ने गुरुवार को राज्य के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव मनीष जैन को भी हाइकोर्ट में हाजिर होकर जवाब देने के लिए कहा है. न्यायाधीश ने कहा कि शिक्षा सचिव को भी जेल जाना पड़ सकता है. ऐसे में आज सुबह ही मनीष जैन कोर्ट में एक सुरक्षित दलाल कौन है? पेश हो गये है. जहां उनसे पूछताछ की जा रही है.
गौरतलब है कि हाइकोर्ट के निर्देश पर स्कूल सेवा आयोग के चेयरमैन सिद्धार्थ मजूमदार व सचिव ने सभी दस्तावेज जमा किये हैं. इस पर न्यायाधीश ने आयोग के चेयरमैन से पूछा कि क्या आयोग ने कोई प्रस्ताव पेश किया है. इस प्रकार के निर्देश की कॉपी क्या जमा की गयी है. इस पर चेयरमैन ने कहा कि आयोग ने इस ते तरह का कोई निर्देश जारी नहीं किया. हालांकि उन्होंने कहा कि हाइकोर्ट में इसे लेकर अगर कोई आवेदन हुआ है तो आयोग के चेयरमैन होने के नाते वह इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं. इस पर न्यायाधीश ने कहा कि किसी और की गलती की जिम्मेदारी आप क्यों लेंगे. हम ऐसा न नहीं होने देंगे.
पहचान छिपा कर आयोग के नाम पर आवेदन करने वाले को लाया जाएं सामने
अदालत कहा कि एसएससी द्वारा पेश फाइलों का अध्ययन करने के बाद उसे ऐसे किसी निर्देश के बारे में पता नहीं चला जो आयोग के वकीलों को इस तरह का आवेदन दाखिल करने के लिए दिया गया हो. मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि भले ही आयोग के नाम पर ये आवेदन किये गये हैं, लेकिन आयोग ने यह आवेदन नहीं किया है. आयोग को सामने रख किसी ने ऐसा किया है. जस्टिस गांगुली ने कहा कि शिक्षा मंत्री यदि अदालत में मामला करना चाहते हैं तो उनका स्वागत है. अगर कोई 'दलाल' भी आवेदन करना चाहता है तो उसका भी स्वागत है. लेकिन ऐसे पहचान छिपा कर कौन आयोग के नाम पर आवेदन कर रहा है, उसे सामने लाना जरूरी है.