क्रिप्टोकरेंसी बाजार

व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली

व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली
वैसी पद्धति जिसमें लेखा एक पक्ष में नहीं किया जाता हैं “ इकहरा लेखा प्रणाली ” के नाम से जाना जाता हैं। इसमें केवल Personal Account ही खोले जाते हैं। Real Account तथा Nominal Account नहीं खोले जाते हैं।

WTO और विवाद निपटान का संकट

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में विश्व व्यापार संगठन के विवाद निपटान तंत्र और समक्ष स्थित मौजूदा चुनौतियों पर चर्चा की गई व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

विश्व व्यापार संगठन (WTO) की अपीलीय प्राधिकरण के तीन में से दो सदस्य इसी माह (दिसंबर) में कार्यमुक्त हो गए हैं, ज्ञात हो कि अब प्राधिकरण में मात्र एक ही सदस्य बचा है। इसके अतिरिक्त WTO के अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष एक अन्य समस्या यह है कि पिछले वर्ष अमेरिका ने इसमें नई नियुक्तियों पर वीटो का प्रयोग करते हुए रोक लगा दी थी, क्योंकि अमेरिका को लगता है कि विश्व व्यापार संगठन पक्षपात की भावना से कार्य करता है। ऐसे में जानकारों का कहना है कि विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय प्राधिकरण ढहने के कगार पर है और यदि वैश्विक समुदाय द्वारा अतिशीघ्र इसकी स्थिति पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया तो इसकी प्रासंगिकता पर प्रश्नचिह्न लगता दिखाई दे सकता है।

पृष्ठभूमि

    व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली
  • WTO के नियमों के अनुसार, विवाद निपटान तंत्र या अपीलीय प्राधिकरण को कार्य करने के लिये कम-से-कम तीन सदस्यों की आवश्यकता होती है और बीते दिनों 2 सदस्यों की कार्यमुक्ति से अपीलीय प्राधिकरण का संचालन पूरी तरह से रुक गया है।
  • कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष मौजूद इस चुनौती से व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली स्वयं WTO के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो सकता है, क्योंकि विवादों को निपटाने की व्यवस्था संगठन का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य माना जाता है।
  • दरअसल बीते वर्ष अमेरिका ने वीटो का प्रयोग करते हुए प्राधिकरण में नए सदस्यों की नियुक्ति और 4 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके सदस्यों की पुनर्नियुक्ति पर रोक लगा दी व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली थी।
  • अमेरिका ने स्वयं के साथ हुए ‘अनुचित’ व्यवहार का हवाले देते हुए विश्व व्यापार संगठन पर शक्तियों का दुरुपयोग करने और पक्षपात की भावना से कार्य करने का आरोप लगाया था।
    • अमेरिका के इस निर्णय के समर्थकों का मानना है कि WTO ने चीन को उसकी अर्थव्यवस्था मज़बूत करने का अवसर दिया है। साथ ही वह चीन द्वारा व्यापक रूप से प्रयोग की जा रहीं अनुचित व्यापार प्रथाओं के लिये भी कुछ नहीं कर रहा।

    WTO का विवाद निपटान तंत्र

    • WTO की विवाद निपटान प्रणाली में किसी भी व्यापार विवाद को आरंभ में संबंधित सदस्य देशों के बीच परामर्श के माध्यम से निपटाने की कोशिश की जाती है।
    • यदि यह उपाय सफल नहीं होता है तो मामला एक विवाद पैनल (Dispute Panel) के पास जाता है। विवाद पैनल का निर्णय अंतिम होता है, लेकिन उसके निर्णय के खिलाफ अपील अपीलीय प्राधिकरण (Appellate Body-AB) के समक्ष की जा सकती है।
      • ज्ञात हो कि WTO का विवाद निस्तारण तंत्र दुनिया में सबसे सक्रिय तंत्रों में से एक है।

      क्यों महत्त्वपूर्ण है अपीलीय प्राधिकरण?

      • विदित है कि अपीलीय प्राधिकरण की स्थापना वर्ष 1995 में की गई थी और तब से व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली अब तक विश्व व्यापार संगठन (WTO) के संज्ञान में तकरीबन 500 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय विवाद लाए जा चुके हैं एवं लगभग 350 से अधिक मामलों में निर्णय भी दिया है।
      • संगठन का विवाद निपटान तंत्र दुनिया में सबसे अधिक सक्रिय तंत्रों में से एक है और अपीलीय प्राधिकरण इन मामलों में सर्वोच्च प्राधिकारी है।
      • विश्व व्यापार संगठन की विवाद निपटान प्रक्रिया को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रवाह में सुगम सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

      प्राधिकरण की निष्क्रियता का प्रभाव

      • यदि विश्व व्यापार संगठन के अपीलीय प्राधिकरण को निष्क्रिय घोषित कर दिया जाता है तो WTO के समक्ष अपने अंतर्राष्ट्रीय विवादों को ले जाने वाले देशों को पैनल द्वारा लिये गए निर्णय को अनिवार्य रूप से लागू करना होगा, चाहे उसमें किसी प्रकार भी प्रकार की त्रुटी क्यों न हो।
      • वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद को कम करने के लिये बीते कुछ वर्षों से चले आ रहे प्रयासों के मद्देनज़र प्राधिकरण की निष्क्रियता WTO के ढाँचे को कमजोर कर सकती है।
      • वर्तमान में व्यापार तनाव एक प्रमुख चिंता है। उदाहरण के लिये अमेरिका-चीन एवं अमेरिका-भारत के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ रहा है।
      • यदि यह प्राधिकरण समाप्त हो जाता है तो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विवादों में उलझे देशों को निस्तारण के लिये कोई मंच नहीं रह जाएगा।

      भारत पर प्रभाव

      • WTO के अपीलीय प्राधिकरण की निष्क्रियता बिलकुल भी भारत के हित में नहीं है, क्योंकि इसके कारण भारत के कई विवाद अधर में रह जाएँगे।
      • ज्ञात हो कि वर्ष 1995 से अब तक भारत कुल 54 विवादों में प्रत्यक्ष भागीदार रहा है, जबकि 158 विवादों में तीसरे पक्ष के रूप में शामिल रहा है।
      • इसी वर्ष फरवरी में अपीलीय प्राधिकरण ने भारत और जापान के मध्य चल रहे एक विवाद में अपील के लिये कर्मचारी उपलब्ध कराने की असमर्थता व्यक्त की थी।
        • ध्यातव्य है कि यह विवाद भारत द्वारा लोहे और इस्पात उत्पादों के आयात पर लगाए गए कुछ सुरक्षा उपायों से संबंधित है।

        विश्व व्यापार संगठन और उसकी प्रासंगिकता

        • विश्व व्यापार संगठन विश्व में व्यापार संबंधी अवरोधों को दूर कर वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1995 में मराकेश संधि के तहत की गई थी।
        • वर्ष 1995 में WTO के अस्तित्व में आने के बाद से विश्व में व्यापक परिवर्तन आया है जिनमें से कई परिवर्तन गहन संरचनात्मक प्रकृति के रहे हैं। नई प्रौद्योगिकियों ने हमारे सोचने, संवाद और व्यापार करने के तरीकों को बदल दिया है।
        • वर्ष 1995 में विश्व की 0.8 प्रतिशत से भी कम आबादी इंटरनेट का उपयोग कर रही थी, जबकि जून 2019 में यह संख्या लगभग 57 प्रतिशत है।
        • संचार प्रौद्योगिकियों और कंटेनराइज़ेशन (वस्तु परिवहन का सुगम साधन) ने लागत को कम कर दिया है तथा देश से आयात-निर्यात होने वाले घटकों की मात्रा में वृद्धि की है जिससे उत्पादन शृंखला के अंतर्राष्ट्रीयकरण में वृद्धि हुई है।
          • उदाहरण के लिये आईफोन (iPhone) में लगभग 14 मुख्य घटक होते हैं जिनका निर्माण 7-8 बहुराष्ट्रीय कंपनियों (40 से अधिक देशों में उनकी शाखाओं में) द्वारा किया जाता है।

          आगे की राह

          • जब अपीलीय प्राधिकरण में नए सदस्यों की नियुक्ति का निर्णय लिया जाता है तो इसमें WTO के सभी सदस्यों की आम सहमति ज़रूरी होती है। अगर इनमें सहमति नहीं बन पाती है तो मतदान का प्रावधान है। ऐसे में अमेरिका के हठ को देखते हुए इस प्राधिकरण के पुनः कार्यान्वयित न होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
          • इस स्थिति को देखते हुए विवादों के निपटान हेतु कई राज्यों ने तदर्थ समाधान को अपनाने का प्रयास किया है।
            • इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे राष्ट्रों ने अग्रिम रूप से उन दोनों के बीच विवाद में पैनल के फैसले को अपील नहीं करने के लिये सहमति व्यक्त की है।
            • इसके अलावा यूरोपीय संघ (EU), नॉर्वे और कनाडा ने भी मध्यस्थता के माध्यम से डिस्प्यूट सेटलमेंट अंडरस्टैंडिंग (DSU) के अनुच्छेद 25 का उपयोग करते हुए किसी भी विवाद को हल करने हेतु एक अंतरिम अपील प्रणाली पर सहमति व्यक्त की है।

            प्रश्न: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विवाद के निपटान में WTO के अपीलीय प्राधिकरण की भूमिका की जाँच करते हुए इसके समक्ष स्थित मौजूदा संकट और उसके प्रभावों को स्पष्ट कीजिये।

            वस्तु विनिमय प्रणाली बनाम मुद्रा प्रणाली: क्या अंतर है?

            वस्तु विनिमय और मुद्रा प्रणाली के बीच प्राथमिक अंतर यह है कि मुद्रा प्रणाली बार्टरिंग के माध्यम से सीधे व्यापारिक वस्तुओं और सेवाओं के बजाय एक विनिमय प्रणाली के रूप में कागज या सिक्का के रूप में एक सहमत-रूप का उपयोग करती है। दोनों प्रणालियों के फायदे और नुकसान हैं, हालांकि आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रा प्रणाली का अधिक व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

            चाबी छीन लेना

            • स्थानीय समुदाय के भीतर बार्टरिंग सिस्टम का उपयोग किया गया था, लेकिन प्रौद्योगिकी और परिवहन में प्रगति आधुनिक समाज के लिए वैश्विक स्तर पर वस्तु विनिमय करना संभव बनाती है।
            • बार्टरिंग की अपनी सीमाएं हैं, जिसके कारण मुद्रा प्रणाली का निर्माण हुआ।
            • प्रारंभिक सभ्यताओं में, आम सहमति वाले व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली सामान, जैसे कि जानवरों की खाल या नमक, एक मुद्रा के रूप में कार्य किया जाता है जो व्यक्ति वस्तुओं और सेवाओं के लिए विनिमय कर सकते हैं।

            वस्तु विनिमय प्रणाली

            ज्ञात इतिहास की शुरुआत के बाद से, मनुष्यों ने व्यापार प्रणाली में वस्तुओं और सेवाओं का एक दूसरे के साथ आदान-प्रदान किया। बार्टरिंग का इतिहास 6000 ईसा पूर्व के सभी तरह से है। मेसोपोटामिया जनजातियों द्वारा प्रस्तुत किया गया था, फोनेटर्स द्वारा बार्टरिंग को अपनाया गया था। Phoenicians समुद्र के पार विभिन्न अन्य शहरों में स्थित उन लोगों के लिए माल रोक दिया। परंपरागत रूप से, स्थानीय समुदाय के भीतर वस्तु विनिमय प्रणाली का उपयोग किया जाता था, लेकिन प्रौद्योगिकी और परिवहन में प्रगति आधुनिक समाज के लिए वैश्विक स्तर पर वस्तु विनिमय करना संभव बनाती है।

            अंडे और दूध के साथ एक किसान उन्हें जन्मदिन का केक और रोटी के लिए स्थानीय बेकर के लिए व्यापार कर सकता है। बेकर तब दूध और अंडे का उपयोग अधिक रोटी सेंकने के लिए करता है, जिसे वह अपने ओवन की मरम्मत के लिए भुगतान के रूप में उपकरण मरम्मत करने वाले को देता है। बार्टरिंग से बातचीत करना आसान हो जाता है लेकिन मुद्रा प्रणाली के लचीलेपन का अभाव है। कई छोटे व्यवसाय अपनी सेवाओं के लिए गैर-मौद्रिक भुगतान स्वीकार करते हैं और आईआरएस इन बार किए गए लेनदेन को कर-रिपोर्टिंग उद्देश्यों के लिए मुद्रा लेनदेन के समान मानते हैं।

            मुद्रा प्रणाली

            बार्टरिंग की अपनी सीमाएँ हैं। स्थानीय लोहार को दो रोटियों की आवश्यकता होती है, लेकिन यदि बेकर को अपने घोड़े के लिए नए जूतों के बजाय नलसाजी सेवाओं की आवश्यकता होती है, तो लोहार को एक प्लम्बर ढूंढना चाहिए, जिसे व्यापार करने के लिए नए साधनों की आवश्यकता होती है। इस परेशानी को खत्म करने के लिए मुद्रा प्रणाली विकसित की गई। प्रारंभिक सभ्यताओं में, आम सहमति वाले सामान, जैसे कि जानवरों की खाल या नमक, एक मुद्रा के रूप में कार्य किया जाता है जो व्यक्ति वस्तुओं और सेवाओं के लिए विनिमय कर सकते हैं।

            जैसे-जैसे मुद्रा प्रणाली समय के साथ आगे बढ़ी, सिक्के और कागज के नोट अपनी अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करने और क्षेत्र के भीतर व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए विकसित हुए। सिक्के में आमतौर पर तांबे, चांदी और सोने से बने विभिन्न मूल्यों के सिक्कों के कई रंग होते थे। सोने के सिक्के सबसे मूल्यवान थे और इनका उपयोग बड़ी खरीद, सेना के भुगतान और राज्य की गतिविधियों के समर्थन के लिए किया जाता था। खाते की इकाइयों को अक्सर एक विशेष प्रकार के सोने के सिक्के के मूल्य के रूप में परिभाषित किया गया था। चांदी के सिक्कों का उपयोग मध्यवर्ती आकार के लेनदेन के लिए किया जाता था, और कभी-कभी खाते की एक इकाई को भी परिभाषित किया जाता था, जबकि तांबे या चांदी के सिक्कों या उनमें से कुछ मिश्रण को रोजमर्रा के लेनदेन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था।

            अधिकांश देश अब एक मौद्रिक मुद्रा प्रणाली का उपयोग करते हैं, लेकिन व्यक्ति अभी भी एक अन्य सहमत-मुद्रा प्रणाली को रोक सकते हैं या अपना सकते हैं। इन विकल्पों का उपयोग राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली के प्रतिस्थापन के रूप में या इसके अलावा किया जा सकता है।

            व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली

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            वैश्वीकरण को सफल बनाने के लिए .

            Solution : i) सरकार को ऐसी नीतियाँ बनानी चाहिए, जो न केवल संपन्न तथा शक्तिशाली लोगों, बल्कि देश के सभी लोगों के हितों की सुरक्षा करें।
            (ii) सरकार सुनिश्चित कर सकती है कि श्रम कानून सही ढंग से अपनाए जाएँ और श्रमिकों को उनके अधिकार मिलें।
            (iii) सरकार केवल छोटे व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली पैमाने तथा स्थानीय उत्पादकों के लिए कुछ उद्योग सुरक्षित रख सकती है।
            (iv) यदि आवश्यक हो तो सरकार कोटा प्रणाली, आयात क(र आदि व्यापार तथा निवेश प्रतिबंधों का प्रयोग कर सकती है।
            (v) यह न्यायोचित शर्तों के लिए विश्व व्यापार संगठन से समझौता कर सकती है।
            (vi) यह समान हितों व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली वाले विकासशील देशों के साथ मिलकर विश्व व्यापार संगठन में विकसित देशों के प्रभाव का विरोध कर सकती है।

            व्यापार के लिए एक ज्ञात प्रणाली

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            इकहरा लेखा प्रणाली | Single Entry System In Hindi

            व्यवसाय बड़ा हो या छोटा एक व्यापारी के मन में यह सवाल अवश्य आता है आखिर व्यवसाय में कितना लाभ हुआ, बिजनेस की आर्थिक स्थिति कैसी है, हिसाब किताब रखने के लिए इकहरा लेखा प्रणाली या द्वि- अंकन प्रणाली ठीक रहेगा या कोई अन्य प्रणाली। ऐसे तमाम सवाल उसके चारों तरफ घूमते रहते हैं। आज इस पोस्ट में आप इकहरा लेखा प्रणाली अर्थात अपूर्ण लेखा प्रणाली के बारे में विस्तार से जानेंगे।

            इकहरा लेखा प्रणाली क्या हैं?(सिंगल एंट्री सिस्टम)

            वैसे प्रणाली जो दोहरा लेखा प्रणाली पर पूर्णत आधारित नहीं होती है जिसमें व्यवसाय में हुए वित्तीय लेनदेन को एक पक्ष में या द्वि पक्ष या फिर किसी भी पक्ष में लेखा ही नहीं किया जाता हैं ‘इकहरा लेखा प्रणाली’ कहलाता हैं।

            इस प्रणाली को लोगों के द्वारा कई अलग- अलग नाम से जाना जाता हैं जैसे कि अपूर्ण लेखा प्रणाली, इकहरी लेखा प्रणाली तथा सिंगल एंट्री सिस्टम।

            विभिन्न विद्वानों के द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण परिभाषाएं-
            कोहलर – अपूर्ण लेखा प्रणाली बहीखाता कि वह प्रणाली है जिसमे नियम अनुसार रोकड़ और व्यक्तिगत खाते रखे जाते हैं यह हमेशा अपूर्ण दोहरा लेखा प्रणाली है जो परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तनशील होती हैं।

            बाटलीबॉय के शब्दों में – वास्तव में इकहरा लेखा प्रणाली पुस्तपालन की कोई प्रणाली नहीं है बल्कि अपूर्ण रूप से दोहरा लेखा प्रणाली हैं।

            वैसी पद्धति जिसमें लेखा एक पक्ष में नहीं किया जाता हैं “ इकहरा लेखा प्रणाली ” के नाम से जाना जाता हैं। इसमें केवल Personal Account ही खोले जाते हैं। Real Account तथा Nominal Account नहीं खोले जाते हैं।

            इकहरा लेखा प्रणाली की विशेषता तथा लक्षण

            • यह प्रणाली Personal Account को सबसे अधिक महत्व देता है। जिसके अंतर्गत Debtors और Creditors के ही खाते खोले जाते हैं।
            • इकहरा लेखा प्रणाली छोटे आकार के व्यवसाय के लिए उपयुक्त हैं।
            • इसमें लेखा अलग-अलग तरीकों से किया जाता हैं। इकहरा लेखा प्रणाली में लेखा दोनों साइड ( Dr. और Cr.), कुछ में एक साइड तथा कुछ लेनदेन ऐसे भी होते हैं जिनका बिल्कुल लेखा नहीं किया जाता हैं।
            • इसमें व्यापारिक और निजी वित्तीय सौदों के लिए रोकड़ बही (Cash Book) रखा जाता हैं।
            • इस प्रणाली में द्वि- अंकन की भांति ही सहायक पुस्तकों का इस्तेमाल किया जाता हैं।
            • अपूर्ण लेखा प्रणाली में सूचनाओं की जानकारी बिल, Voucher आदि की सहायता से रखी जाती हैं।
            • अपूर्ण लेखा प्रणाली को छोटे स्तर के व्यवसाय जैसे कि एकाकी व्यापार व साझेदारी व्यापार द्वारा रखा जाता हैं।
            • इसमें मजदूरी, ब्याज, वेतन आदि से संबंधित किसी भी तरह के खाते नहीं रखे जाते हैं।

            इकहरा लेखा प्रणाली के लाभ

            • यह प्रणाली अधिक सस्ती होती है जिस कारण से इसका इस्तेमाल अधिकतर छोटे स्तर के बिजनेसमैन करते हैं।
            • इकहरा लेखा प्रणाली में लोचशील पाया जाता हैं अर्थात किसी व्यवसाय की आवश्यकताओं के अनुसार इसमें आसानी से परिवर्तन किया जा सकता हैं।
            • इस लेखा प्रणाली का इस्तेमाल एक सामान्य व्यक्ति भी कर सकता हैं इसमें लेखांकन से संबंधित अधिक ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती हैं।
            • यह प्रणाली छोटे व्यवसायियों के लिए अधिक सुविधाजनक है क्योंकि इसमें सभी वित्तीय लेन देन का लेखा दोनों पक्ष में नहीं किया जाता हैं।
            • इसमें समय की बचत होती हैं।

            सिंगल एंट्री सिस्टम के दोष अथवा सीमाएं

            किसी भी बिंदु का लाभ है तो उसका हानि भी अवश्य होगा। अपूर्ण लेखा प्रणाली के निम्नलिखित दोष हैं-

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