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म्यूचुअल फंड्स

म्यूचुअल फंड्स
3. म्यूचुअल फंड में आप 500 या 1000 रुपये से भी SIP की शुरुआत कर सकते हैं. आप यह भी तय कर सकते हैं कि कितने अंतराल पर इसमें निवेश करेंगे. यह साप्ताहिक, मासिक, तिमाही या सालाना म्यूचुअल फंड्स आधार पर हो सकता है. इस प्रकार कुछ समय के बाद आप एक बड़ी रकम जुटा सकते हैं.

म्यूचुअल फंड्स क्या हैं? – Mutual Funds kya hain?

म्यूचुअल फंड एक एैसा फंड है जो एैसेट मैनेजमेंट कंपनीस / कंपनीज (एएमसी) द्वारा मैनेज किया जाता है जिसमे ये कंपनीस कई इन्वेस्टर्स से पैसा जमा करती है और स्टॉक, बॉन्ड और शार्ट-टर्म डेट जैसी सिक्युरिटीज में पैसा इन्वेस्ट करती है।

म्यूचुअल फंड की कंबाइंड होल्डिंग्स को पोर्टफोलियो के रूप में जाना जाता है। इन्वेस्टर्स म्यूचुअल फंड के यूनिट्स खरीदते हैं। प्रत्येक यूनिट फंड में इन्वेस्टर के हिस्से के ओनरशिप और इससे होने वाली इनकम का रिप्रजेंटेशन करता है।

म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर्स के बीच एक लोकप्रिय विकल्प (पॉपुलर ऑप्शन) हैं क्योंकि वे आम तौर पर निचे दिये गये विशेषताएं प्रदान करते हैं:

फंड प्रोफेशनल तरीके से मैनेज करते हैं:

फंड मैनेजर इन्वेस्टर्स के लिए रिसर्च करते हैं। वे सिक्युरिटीज का सिलेक्शन करते हैं और उनके परफॉरमेंस को मॉनिटर करते हैं।

म्यूचुअल फंड आमतौर पर कई कंपनियों और इंडस्ट्रीज में इन्वेस्ट करते हैं। यह एक कंपनी के फ़ैल होने पर इन्वेस्टर्स के रिस्क को कम करने में मदद करता है।

लिक्विडिटी (Liquidity)

इन्वेस्टर्स आसान तरीके से अपने यूनिट्स को किसी भी समय रिडीम कर सकतें हैं।

इन्वेस्टर्स के पास म्यूचुअल फंड में अपना पैसा लगाने और अपनी संपत्ति बढ़ाने के कई विकल्प हैं। उदाहरण के लिए, इक्विटी (Equity) फंड्स, बॉन्ड फंड्स (फिक्स्ड इनकम फंड्स), डेट फंडस या फिर फंड्स जिनमे दोनों में इन्वेस्ट किया जा सकता हो, याने :बैलेंस फंड्स।

इक्विटी: शेयर्स (कॉमन स्टॉक), म्युचुअल फंड (MF): किसी कंपनी के शेयर खरीदना।

  • इक्विटी शेयरस लिक्विडिटी प्रदान करता; आप इनके वैल्यू बढ़ने पर, इन्हे बेच कर पैसा कमा सकतें है। कैपिटल मार्केट में आसानी से बिकता हैं।
  • अधिक लाभ की स्थिति में इनसे हाई रेट पर प्रॉफिट प्राप्त होता है।
  • इक्विटी शेयर होल्डर्स को कंपनी के मैनेजमेंट को नियंत्रित करने का कलेक्टिव अधिकार देता ह।
  • इक्विटी शेयर होल्डर्स को दो तरह से लाभ मिलता है, वार्षिक डिविडेंट और शेयर होल्डर्स के इन्वेस्टमेंट पर उसके मूल्य में वृद्धि होने के कारन से होने वाला लाभ ।
  • इक्विटी शेयरस में हाईएस्ट रिस्क होता है।
  • म्युचुअल फंड (MF) इसके तुलना में कम रिस्की होता है।
  • बहुत सारे इन्वेस्टर्स का कलेक्टिव फंड, एसेट मैनेजिंग कंपनीज द्वारा, अलग अलग सेक्टर्स के कंपनीज के शेयर्स खरीदने के लिए इन्वेस्ट कर, इन्वेस्टर्स को लाभ दिलाने के उद्देश्य से किया जाता है।

Mutual Fund क्या है? कैसे करें निवेश की शुरुआत? कितनी होगी कमाई?

क्या है म्यूचुअल फंड? कैसे करें निवेश की शुरुआत

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 अगस्त 2022,
  • (अपडेटेड 04 अगस्त 2022, 6:53 PM IST)

हम सभी ने म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के बारे में कभी न कभी तो सुना ही होगा. लेकिन निवेश का फैसला सभी नहीं ले पाते हैं. ये भी सच है कि अधिकतर लोगों को इस बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है. ऐसे लोग निवेश करना तो चाहते हैं, लेकिन डरते हैं कि कहीं पैसा डूब ना जाए? आज हम आपके लिए म्यूचुअल फंड से जुड़ी पूरी जानकारी लेकर आए हैं.

क्या हैं म्यूचुअल फंड?

म्यूचुअल फंड एक ऐसा फंड है, जो AMC यानी एसेट मैनेजमेंट कंपनीज ऑपरेट करती है. इन कंपनियों में कई लोग अपने पैसे निवेश करते हैं. म्यूचुअल फंड द्वारा इन पैसों को को बॉन्ड, शेयर मार्केट समेत कई जगहों पर निवेश किया जाता है.

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आसान शब्दों में कहें तो म्यूचुअल फंड बहुत सारे लोगों के पैसे से बना एक फंड (Fund) होता है. यहां पर एक फंड मैनेंजर होता है, जो फंड को सुरक्षित तरीके से थोड़ा-थोड़ा करके अलग-अलग जगह पर निवेश करते हैं. म्यूचुअल फंड से आप न सिर्फ शेयर बाजार में बल्कि गोल्ड पर भी निवेश कर सकते हैं.

क्या है एैसेट मैनेजमेंट कंपनी(AMC)?म्यूचुअल फंड्स

ऐसी कंपनियां विभिन्न निवेशकों के द्वारा जमा किए गए फंडों को विभिन्न जगहों जैसे इक्विटी, बॉन्ड, गोल्ड, आदि में निवेश करती हैं और इस निवेश से मिलने वाले रिटर्न को निवेशकों में फंड यूनिट्स के अनुसार बांट देती हैं. एक अच्छा फंड मैनेजर फंड को सही तरीके से निवेश कर उसपर ज्यादा से ज्यादा रिटर्न प्राप्त कर सकता है, जिससे निवेशक को अच्छे रिटर्न प्राप्त होंगे.

किस तरह से म्यूचुअल फंड काम करता है, ध्यान से समझते हैं?

बाजार की चाल का अंदाजा लगाने के चक्कर में न पड़ें

आम निवेशकों को लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट से जुड़े फैसले करते समय बाजार की चाल का सटीक अंदाजा लगाने के चक्कर में ज्यादा नहीं पड़ना चाहिए. बल्कि सही म्यूचुअल फंड का चुनाव करने के बाद उसमें नियमित निवेश पर ध्यान देना चाहिए. सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) इसका सबसे बेहतर तरीका है. इससे न सिर्फ नियमित निवेश का लाभ मिलता है, बल्कि बाजार के उतार-चढ़ावों के बीच संतुलित रिटर्न पाने में भी मदद मिलती है. ऐसा करने की जगह अगर आप बाजार के तलहटी पर पहुंचने पर निवेश करने और फिर पीक पर बेचकर मोटा मुनाफा कमाने का ख्वाब देखेंगे, तो कामयाबी मिलने की गुंजाइश बहुत ही कम रहेगी. ऐसा इसलिए, क्योंकि बाजार कब अपने सबसे निचले स्तर पर है और कब पीक पर, ये पक्के तौर पर किसी को पता नहीं होता. इसीलिए कहा जाता है कि लगातार नियमित रूप से निवेश करना और अपनी पूंजी को बढ़ने के लिए पूरा टाइम देना, बाजार की सही टाइमिंग से ज्यादा जरूरी है.

बहुत ज्यादा स्कीम्स में निवेश करना सही नहीं

कई निवेशकों को लगता है कि अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने के लिए एक साथ बहुत सारे म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना जरूरी है. हमें ये बात याद रखनी चाहिए कि दरअसल हर म्यूचुअल फंड स्कीम अपने आपमें एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो है, जिसमें अलग-अलग तरह के इंस्ट्रूमेंट्स शामिल रहते हैं. बहुत ज्यादा स्कीम्स में निवेश करने पर आपके लिए उन्हें अच्छी तरह समझना और ट्रैक करना मुश्किल हो सकता. बेहतर यही होगा कि अच्छी तरह जांच-परख करके दो-तीन अच्छी म्यूचुअल फंड स्कीम्स को चुनें और उनमें नियमित रूप से निवेश करते रहें.

सीधे इक्विटी में निवेश करने के मुकाबले म्यूचुअल फंड में निवेश करना आम तौर पर कम जोखिम वाला होता है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि सभी म्यूचुअल फंड में एक बराबर रिस्क होता है. जिस तरह डेट फंड के मुकाबले इक्विटी फंड में ज्यादा रिस्क होता है, उसी तरह अलग-अलग इक्विटी फंड में जोखिम की आशंका भी अलग-अलग होती है. इसलिए सही स्कीम का चुनाव करते समय जोखिम उठाने की अपनी क्षमता यानी रिस्क प्रोफाइल को भी जरूर ध्यान में रखें. बाजार में तेजी के दौर में कई बार ऐसे निवेशक भी ज्यादा रिटर्न के लालच में इक्विटी फंड की तरफ चले जाते हैं, जिनकी रिस्क लेने की क्षमता बेहद कम है. इसी तरह ब्लूचिप फंड्स या लार्ज कैप फंड्स के मुकाबले मिड-कैप या स्मॉल कैप फंड्स में जोखिम और भी ज्यादा होता है. इसीलिए निवेश का फैसला करते समय जोखिम उठाने की अपनी क्षमता को कभी न भूलें.

पूरी रकम एक साथ न लगाएं

निवेशकों को म्यूचुअल फंड में अपनी पूरी रकम एक साथ लगाने से बचना चाहिए. अगर आपके पास निवेश के लिए एक साथ मोटी रकम मौजूद है, तो भी उसे धीरे-धीरे करके निवेश करना बेहतर रहता है. आप इसके लिए सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) की मदद ले सकते हैं. एसटीपी भी एसआईपी की तरह ही काम करता है, जिसमें आपकी रकम का कुछ हिस्सा हर महीने आपकी बताई स्कीम में निवेश किया जा सकता है. इससे आपके निवेश को बाजार की तेज उथल-पुथल के असर से बचाने में मदद मिलती है.

म्यूचुअल फंड्स दरअसल अलग-अलग तरह के एसेट क्लास में निवेश करने का जरिया हैं. इनके माध्यम से आप गोल्ड, इक्विटी, बॉन्ड जैसे अलग-अलग विकल्पों में पैसे लगाते हैं. लेकिन निवेश करने के बाद उसे पूरी तरह भूल न जाएं. अपने फंड्स को लगातार ट्रैक करते रहें और म्यूचुअल फंड्स बीच-बीच में उनके प्रदर्शन की समीक्षा भी करते रहें. अगर कोई स्कीम बाजार की तुलना में लगातार कम रिटर्न दे रही है, तो आप उसकी जगह किसी बेहतर स्कीम में निवेश का फैसला भी कर सकते हैं. अगर आपने ऐसा म्यूचुअल फंड्स नहीं किया, तो लंबे समय में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

Mutual Funds: इन तीन लोगों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए म्‍यूचुअल फंड में निवेश, वरना बाद में पछताना पड़ेगा

म्‍यूचुअल फंड में एफडी या अन्य फंड की तरह रिटर्न की गारंटी नहीं होती है, ऐसे में तीन तरह के लागों को म्‍यूचुअल फंड्स में इस्‍वेस्‍ट करने से बचना चाहिए.

इन तीन लोगों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए म्‍यूचुअल फंड में निवेश, वरना बाद में पछताना पड़ेगा (Zee Biz)

म्यूचुअल फंड का नाम हम सभी ने सुना है, लेकिन इसको ठीक से समझ नहीं पाते. दरअसल Mutual Fund एक ऐसा फंड है, जिसे AMC यानी एसेट मैनेजमेंट कंपनीज ऑपरेट करती है. ये फंड बहुत सारे लोगों के पैसों से बना होता है. AMC इन पैसों को मैनेज करने का काम करती हैं और पैसों को सुरक्षित तरीके से थोड़ा-थोड़ा करके निवेश करती हैं. ये पैसा शेयर बाजार के अलावा गोल्‍ड में भी लगाया जा सकता है. इस निवेश से जो रिटर्न प्राप्‍त होता है वो फंड यूनिट्स के हिसाब से निवेशकों के बीच बांट देती हैं.


जो एक्स्ट्रा चार्ज देने के लिए राजी नहीं

म्यूचुअल फंड को संभालने के लिए आपके निवेश से expenses ratios के रूप में चार्ज लगता है. दरअसल AMC यानि कि एसेट मैनेजमेंट कंपनी फंड डिस्ट्रीब्यूशन और मार्केटिंग का खर्चा उठाती हैं, साथ ही AMC, म्यूचुअल फंड के ट्रांसफर कस्टोडियन, लीगल और ऑडिटिंग जैसे खर्च भी उठाती है. ऐसे सभी एक्सपेंस म्यूच्युअल फंड की यूनिट खरीदने वाले इन्वेस्टर्स से वसूले जाते हैं.

ये एक्सपेंस रेश्यो एक बार में नहीं वसूले जाते हैं. फंड हाउस अपने हर दिन के खर्चे को कैलकुलेट करते हैं, जिसके बाद इसे डेली बेसिस पर निकाला जाता है. एनुअल एक्सपेंस रेश्यो, साल के ट्रेडिंग डेज में डिवाइड होते हैं. जिन्हें टोटल एनवी पर लगाया जाता है. एक्सपेंस रेश्यो से यह पता चलता है कि आपके इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो से आपका म्यूच्युअल फंड मैनेजमेंट आपसे कितनी फीस ले रहा है. कई बार शुरू में ये चार्ज कम होता है, लेकिन बाद में यह ज्यादा हो जाता है. अगर आप निवेश में कोई चार्ज नहीं देना चाहते तो आपको म्यूचुअल फंड में निवेश नहीं करना चाहिए.


लंबे टाइम तक निवेश ना करना हो

ज्‍यादातर आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि म्यूचुअल फंड में तभी ज्‍यादा फायदा है, जब आप इसमें लंबे समय के लिए निवेश करें. वहीं इसमें लॉक इन पीरियड भी होता है. ऐसे में अगर आप लंबे समय तक के लिए निवेश नहीं कर सकते हैं, तो म्‍यूचुअल फंड का ऑप्‍शन न चुनें.

जब आप किसी अन्य फंड में निवेश करते हैं तो आपको इनकम टैक्स में छूट मिलती है. लेकिन म्‍यूचुअल फंड्स के साथ ऐसा नहीं है. म्यूचुअल फंड के रिटर्न पर भी टैक्स लगता है, जिससे आपका मुनाफा कुछ प्रतिशत से घट जाता है. अगर आप इसके लिए तैयार नहीं हैं, तो म्‍यूचुअल फंड में निवेश न करें.

विस्तार

बच्चों को पढ़ाना काफी महंगा हो गया है। लगातार बढ़ रही महंगाई के बीच बच्चों को विदेश में शिक्षा दिलाना बड़ी चुनौती है क्योंकि इसके लिए काफी पैसे की जरूरत होती है। उनके इस सपने के पूरा करने के लिए ज्यादातर माता-पिता शिक्षा ऋण लेते हैं। वहीं, कई माता-पिता कर्ज लेने से बचते हुए म्यूचुअल फंड का रास्ता अख्तियार करते हैं।

14 नवंबर यानी आज बाल दिवस है। म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू कर इस बाल दिवस पर आप बच्चों को बेहतर शिक्षा का तोहफा दे सकते हैं। लंबी अवधि के इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए म्यूचुअल फंड्स में अधिक रिटर्न के लिए समझदारी से निवेश करना होगा।

लक्ष्य अवधि के अनुसार करें चुनाव
बच्चों की शिक्षा एक दीर्घकालिक लक्ष्य है। इसे पूरा करने के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए कई विकल्प हैं। लेकिन, जोखिम उठाने की क्षमता और लक्ष्य अवधि के अनुसार फंड्स का चुनाव करना चाहिए।

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