जगह रोक आदेश

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिन्हा की पीठ ने मामले की सुनवाई की। इसके बाद हिंदू सेना ने भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की है। बता दें कि ज्ञानवापी के सर्वे का आदेश वाराणसी की कोर्ट ने दिया था। इस मामले में मुस्लिम पक्ष पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 (Places of Worship Act, 1991) के आधार पर दलीलें दे रहा है। इस कानून को 1991 में बनाया गया था।
Delhi News: हाई कोर्ट के अगले आदेश तक दिल्ली में एक भी पेड़ काटने पर रोक, इन परियोजनाओं पर पड़ सकता है असर
By: ABP Live | Updated at : 20 May 2022 10:25 AM (IST)
(दिल्ली हाई कोर्ट की पेड़ काटने पर रोक)
Delhi Pollution: दिल्ली हाई कार्ट जगह रोक आदेश ने राष्ट्रीय राजधानी में पेड़ गिराये जाने पर गुरुवार को रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि शहर में पारिस्थितिकीय और पर्यावरण गिरावट को कम करने का और कोई तरीका नहीं जगह रोक आदेश है. पेड़ों के संरक्षण से संबंधित एक अवमानना मामले पर सुनवाई कर रहे जस्टिस नाजमी वजीरी ने कहा कि शहर में पिछले तीन साल में 29,000 पेड़ काटे गये. हालांकि अदालत की इस रोक से कुछ परियाजनाओं पर असर पड़ सकता है.
अगली तारीख तक पेड़ों को नहीं गिराया जाएगा
जस्टिस नाजमी वजीरी ने कहा, "हमने पेड़ों को काटे जाने पर रोक लगा जगह रोक आदेश दी है. सुनवाई की अगली तारीख तक पेड़ों को नहीं गिराया जाएगा. मामले में अगली सुनवाई के लिए दो जून की तारीख तय की गयी. उन्होंने कहा, पिछले तीन साल में कुल 29,946 पेड़ काटने की अनुमति दी गयी, जो गणना करने पर 27 पेड़ प्रतिदिन या 1.13 पेड़ प्रति घंटा है." जस्टिस वजीरी पेड़ों के संरक्षण को लेकर पारित आदेश के उल्लंघन के आरोप में अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहे थे.
Agnipath Scheme: अग्निपथ योजना पर रोक लगाने से दिल्ली हाई कोर्ट का इनकार, केंद्र से 4 हफ्ते में मांगा जवाब
aajtak.in
- नई दिल्ली ,
- 25 अगस्त 2022,
- (अपडेटेड 25 अगस्त 2022, 1:09 PM IST)
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा सेना में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने केंद्र से अग्निपथ योजना की शुरुआत से पहले सशस्त्र बलों में लंबित प्रक्रियाओं के बारे में अलग से जवाब दाखिल करने को भी कहा है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर चार सप्ताह के भीतर संबंधित मंत्रालयों के माध्यमस से केंद्र से जवाब मांगा है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था. शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय से आग्रह किया था कि वो इन याचिकाओं पर जल्द सुनवाई करे और शीघ्र निपटाए. इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता न कहा कि कई हाईकोर्ट में इस योजना को चुनौती दी गई है. बेहतर होगा की सभी याचिकाओं की सुनवाई किसी एक जगह हो.
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हाई कोर्ट में 6 याचिकाएं दायर
सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि अग्निपथ योजना के खिलाफ अलग-अलग हाई कोर्ट में 6 याचिकायें दायर हुई हैं. याचिकाकर्ता शेखावत ने कहा कि विभिन्न हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है. एसजी ने कहा कि किसी हाई कोर्ट ने अभी कोई आदेश नहीं दिया है. बता दें कि दिल्ली के अलावा केरल, पटना, पंजाब-हरियाणा, उत्तराखंड, कोच्चि के हाईकोर्ट और ट्राइब्यूनल में अग्निपथ योजना के खिलाफ याचिकाएं लंबित हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने पास लंबित तीनों याचिकाओं को भी दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए ट्रांसफर किया.
2019 का रिक्रूटमेंट प्रोसेस न रुके
एक याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि 2019 से चल रहे रिक्रूटमेंट प्रोसेस पर रोक न लगे क्योंकि उन लोगों को अब अपॉइंटमेंट लेटर मिलने वाला है. सुप्रीम कोर्ट ने अग्निपथ योजना के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर किया. अब दिल्ली हाईकोर्ट ही अग्निपथ योजना से संबंधित कई हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओ पर सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद असंतुष्ट पक्ष सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं.
दिल्ली में पेड़ों को काटने पर हाईकोर्ट ने अगले आदेश तक लगाई रोक
दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को अगले आदेश तक राजधानी में पेड़ों को काटने पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली की पारिस्थितिकी और पर्यावरणीय गिरावट को कम करने का कोई अन्य तरीका नहीं है। न्यायालय ने इस फैसले से सरकार सहित विभिन्न विभागों की कई परियोजनाएं प्रभावित होंगी।
जस्टिस नज्मी वजीरी ने पेड़ों के संरक्षण को लेकर पारित आदेशों के उल्लंन के आरोप में दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आरादेश दिया है। उन्होंने कहा कि ‘पिछले 3 सालों में 29 हजार से अधिक पेड़ काटे गए हैं, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या दिल्ली इसका खामियाजा भुगतने के लिए तैयार है। न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि अगले आदेश तक दिल्ली में पेड़ों को काटने पर रोक रहेगी। इसके साथ ही, न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 2 जून को तय किया है।
ज्ञानवापीः सुप्रीम कोर्ट ने कहा 'शिवलिंग' वाली जगह रहेगी सील, मस्जिद में नमाज़ भी जारी रहेगी
सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को आदेश दिया है कि मस्जिद परिसर में जिस जगह 'शिवलिंग' मिलने की बात कही जा रही है, उस जगह को संरक्षित रखा जाए. इसके साथ ही अदालत ने कहा कि मुस्लिम पक्ष के वहाँ नमाज़ पढ़ने पर कोई रोक नहीं होगी.
अदालत ने इस मामले पर सुनवाई की अगली तारीख गुरुवार तय की है.
हालांकि निचली जगह रोक आदेश अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रही कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई है. मुस्लिम पक्ष की ओर से ये मांग की गई थी कि ज्ञानवापी मस्जिद में यथास्थिति बरकरार रखी जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "वाराणसी की अदालत के फ़ैसले जगह रोक आदेश पर हुए विवाद का निराकरण करते हुए ये आदेश दिया जाता है कि 16 मई का आदेश केवल इसी हद तक प्रभावी रहेगा कि वाराणसी के ज़िलाधिकारी ये सुनिश्चित करेंगे कि अगर जिस जगह पर शिवलिंग पाया गया है, अगर वहां किसी के कदम पड़े तो उससे क़ानून और व्यवस्था की समस्या पैदा हो जाएगी."
शुक्रवार की सुनवाई में क्या हुआ था?
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लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई. इस बेंच में चीफ़ जस्टिस के अलावा जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली भी शामिल थे.
बेंच ने कहा, "याचिकाकर्ता की तरफ़ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी की बात सुनने के बाद हमारा ये मानना है कि इस मामले पर अदालत की रजिस्ट्री को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली बेंच के सामने सुनवाई के लिए इस केस को लिस्ट करने का निर्देश दिया जाए."
अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद की प्रबंध कमेटी का पक्ष रख रहे हुज़ेफ़ा अहमदी ने बेंच से कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में चल रहे सर्वे कार्य के ख़िलाफ़ याचिका दायर की गई है और उन्होंने इस मामले में अदालत से अंतरिम आदेश जारी किए जाने की मांग की.
वाराणसी ज़िला अदालत में क्या हुआ?
वाराणसी की निचली अदालत ने 12 मई को उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें कोर्ट द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर को बदलने की मांग की गई थी.
अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर को ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर के वीडियोग्राफ़ी के काम के लिए नियुक्त किया था. कोर्ट ने सर्वे कार्य को 17 मई तक पूरा करने का निर्देश दे रखा है.
ज़िला अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर की सर्वे कार्य में मदद के लिए दो और वकीलों को भी नियुक्त किया था.
अदालत ने वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित इस ज्ञानवापी मस्जिद में चल रहे सर्वे कार्य में बाधा पहुंचाने वालों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर जगह रोक आदेश जगह रोक आदेश दर्ज करने का निर्देश दिया था.
वाराणसी की अदालत ने 12 मई को ये फ़ैसला महिलाओं के एक समूह की याचिका पर दिया था. इन याचिकाकर्ताओं का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में हिंदू देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं और इनकी पूजा के लिए इजाज़त दी जानी चाहिए.
Gyanvapi Mosque Case: सुप्रीम कोर्ट का आदेश, 'शिवलिंग' की जगह को किया जाए सील, नमाज न हो बाधित; 19 मई को होगी अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की याचिका पर सुनवाई शुरू की जिसमें वाराणसी कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। वाराणसी की कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था जो वाराणसी में जगह रोक आदेश प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर से सटा हुआ है।
नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की याचिका पर ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर सुनवाई की, जिसमें वाराणसी कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। वाराणसी की कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण का आदेश दिया जगह रोक आदेश था, जो वाराणसी में प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर से सटा हुआ है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश दिया है। सुप्रीमकोर्ट ने बनारस में ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने की जगह की सुरक्षा का वाराणसी के जिलाधिकारी को निर्देश दिया है। लेकिन कहा कि मुस्लिमों के मस्जिद में जाकर नमाज करने पर कोई रोक नहीं होगी। कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की याचिका पर हिंदू पक्ष को नोटिस भी जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत की सुनवाई पर रोक लगाने की मस्जिद कमेटी की मांग ठुकराई। शीर्ष अदालत ने सुनवाई पर रोक का आदेश नही दिया।