आपको कैसे पता चलेगा कि बाजार में तेजी है या मंदी?

महंगाई न सिर्फ भारत के लिए बल्कि बाकी दुनिया के लिए भी चिंता का कारण बनी हुई है. इस चुनौती ने कई देशों के केंद्रीय बैंकों को ब्याज दरों में वृद्धि करने के लिए प्रेरित किया है. जैसा कि हम जानते हैं, मुद्रास्फीति और ब्याज दर के बीच सीधा संबंध है. मुद्रास्फीति तब शुरू होती है जब वस्तुओं और सेवाओं की कीमत बढ़ जाती है जबकि आपको कैसे पता चलेगा कि बाजार में तेजी है या मंदी? लोगों की क्रय शक्ति कम हो जाती है. मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि से उच्च मुद्रास्फीति होती है (सीमित मात्रा में माल को खरीदने के लिए लोगों के पास अधिक धन होता है) और अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति में कमी से मुद्रास्फीति कम होती है. जैसा कि वर्तमान स्थिति में है मुद्रास्फीति बढ़ रही है और आरबीआई ने मुद्रा आपूर्ति को कम करने के लिए हस्तक्षेप किया है या दूसरे शब्दों में उस दर को बढ़ा दिया है जिस पर कमर्शियल बैंक रिजर्व बैंक आपको कैसे पता चलेगा कि बाजार में तेजी है या मंदी? से उधार लेते हैं.
भारत एक स्थिर अर्थव्यवस्था, फिर भी जोखिम के प्रति सचेत रहना समझदारी
पिछले एक साल में भारत और वैश्विक स्तर पर इक्विटी बाजार अस्थिर रहा हैं। लगातार बढ़ती महंगाई को विश्व के सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में वृद्धि करके नियंत्रित कर रहे हैं। इन चुनौतियों और अस्थिर बाहरी वातावरण के बावजूद एक सकारात्मक बात यह है कि भारत एक स्थिर अर्थव्यवस्था का आनंद ले रहा है।
Published: November 02, 2022 04:31:11 pm
पिछले एक साल में भारत और वैश्विक स्तर पर इक्विटी बाजार अस्थिर रहा हैं। लगातार बढ़ती महंगाई को विश्व के सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में वृद्धि करके नियंत्रित कर रहे हैं। इन चुनौतियों और अस्थिर बाहरी वातावरण के बावजूद एक सकारात्मक बात यह है कि भारत एक स्थिर अर्थव्यवस्था का आनंद ले रहा है। भारत एक साल या पांच साल के आधार पर लगभग सभी उभरते बाजारों से बेहतर प्रदर्शन करते हुए सभी प्रमुख बाजारों में एक अलग मुकाम बनाए हुए है। भारतीय इक्विटी वैल्यूएशन अभी भी उनके लॉंग टर्म एवरेज और दूसरे बाजारों की तुलना में अच्छा रहा है। भारत का सेंट्रल बैंक, भारत सरकार और कॉरपोरेट्स सभी ने मिलकर अब तक स्थिति को बहुत अच्छी तरह से संभाला है। इसके बावजूद, जोखिम के प्रति सचेत रहना समझदारी है क्योंकि मार्केट मूल्यांकन सस्ता नहीं है। आज दुनिया पहले की तुलना में बहुत अधिक आपस में जुड़ी हुई है और इस लिहाज से अगर दुनिया में कोई समस्या आती है तो भारत में इक्विटी निवेशकों के लिए सफर इतना आसान भी नहीं हो सकता है। हमारा मानना है कि जब यूएस फेड यह घोषणा करता है कि मुद्रा को सख्ती से साथ आपको कैसे पता चलेगा कि बाजार में तेजी है या मंदी? निपटा जा चुका है तो यह इक्विटी के लिए एक बड़े असेट क्लास के रूप में उभरने आपको कैसे पता चलेगा कि बाजार में तेजी है या मंदी? का बड़ा मौका होगा। हमें नहीं पता कि ऐसा कब होगा और तब तक हम उम्मीद करते हैं कि मार्केट में उतार-चढ़ाव बना रहेगा।
rsi indicator in hindi – RSI से पता करे स्टॉक उपर जायेगा या निचे।
rsi indicator in hindi / rsi indicator kya hota hai
नमस्ते दोस्तों। आज हम समझने वाले है की rsi indicator in hindi में क्या होता है। और इसका ट्रेडिंग में का महत्त्व है। क्या हम rsi इंडिकेटर का इस्तेमाल करके ट्रेडिंग में अच्छे खासे पैसे कमा सकते है। और आखिर rsi इंडिकेटर का इस्तेमाल करते कैसे है। इन सब के बारे में हम आज विस्तार में जानने वाले है।
rsi indicator एक leading indicator है। जो की स्टॉक के ट्रेंड चेंज होने के पहले ही सिग्नल दे देता है। की स्टॉक ऊपर जानेवाला है या फिर निचे। इसीलिए इसे लीडिंग इंडिकेटर भी बोलते है। अगर आपको leading indicators के बारे में नहीं पता तो आप हमारी पिछली पोस्ट पढ़ सकते है। उसमे हमने leading indicators के बारे में विस्तार में बताया है।
rsi indicator in hindi / rsi indicator kya hota hai
rsi indicator in hindi
rsi का full फॉर्म होता है relative strength index .यानि की ये इंडिकेटर स्टॉक की strength यानि की ताकद बताता है। की स्टॉक ऊपर जा सकता है की निचे। अगर interday trading में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला इंडिकेटर हे तो वो rsi indicator है।
rsi indicator स्टॉक्स के चार्ट में होने वाले मोमेंटम का ट्रेंड को दर्शाता है। और इसे oscillator भी कहा जाता है। क्युकी ये इंडिकेटर ० ते १०० के बिच में घूमता रहता है। और स्टॉक overbought हे या फिर oversold है। ये दर्शाने का काम rsi indicator करता है।
rsi indicator कैसे काम करता है
rsi indicator ० ते १०० के बिच में ट्रेंड दिखने के कारन ये कभी ० के निचे और १०० के ऊपर नही जाता। इसके में तीन स्तर होते है। जैसे की ३०,५०,और ७० ये इसके महत्वपूर्ण स्तर है। इनका मतलब होता है की। अगर rsi अगर ५० से १०० के बिच है मतलब स्टॉक आपको कैसे पता चलेगा कि बाजार में तेजी है या मंदी? का मोमेंटम अभी पॉजिटिव यानि की बुलिश है। और अगर rsi का स्तर ० से लेकर ५० के बिच होता है तो इसका मतलब स्टॉक का मोमेंटम नेगेटिव यानि की बेयरिश है।
rsi indicaor १४ दिनों का average निकाल के आपको स्टॉक की strength बताता है। हलाकि हम उसका average चेंज आपको कैसे पता चलेगा कि बाजार में तेजी है या मंदी? भी कर सकते है। जाइए की हम 20 दिनों का भी average निकल सकते है। या आप अपने हिसाब से इसका average निकल सकते है। लेकिन डिफ़ॉल्ट १४ दिनों का average निकलने ये सही होता है। ये इंडिकेटर ज्यादातर technical analysis में इस्तेमाल किया जाता है।
अगर rsi ५० के ऊपर जा रहा है इसका मतलब शेयर में तेजी आने की संभवना होती है। या स्टॉक की प्राइज भी ऊपर जाने लगाती है। लेकिन अगर rsi ५०के निचे अपना ट्रेंड बना रहा होता है ,यानि की शेयर में बिकवाली होना शुरू हुआ है ,यानि स्टॉक निचे जाने की संभावना होती है।
RSI indicator के फायदे
ये एक मोमेंटम indicator होने के कारन ये आपको स्टॉक के चार्ट का मोमेंटम बताता है। और अगर मार्केटover bought (औसत से ज्यादा खरीद ) हे तो ये आपको outbought का सिग्नल आपको कैसे पता चलेगा कि बाजार में तेजी है या मंदी? पहले ही दे देता है। इससे आप पहल की स्टॉक का रिवर्सल पता करके के स्टॉक में short selling भी कर सकते है। आपको अच्छ मुनाफा कमाने का मौका ये इंडिकेटर देता है।
और अगर मार्केट over sold यानि की औसत से ज्यादा बिकवाली स्टॉक में है तो ये इंडिकेटर आपको over sold का सिग्नल पहले ही दे देता है। और ऐसा मन जाता है की स्टॉक जब भी over bought होता है। या फिर over sold होता है। तो मार्केट में रिवर्सल जरूर आता आपको कैसे पता चलेगा कि बाजार में तेजी है या मंदी? है। तो इसी रिवर्सल को पहलेही पहनके आप इसमें अच्छा मुनाफा काम सकते है।
निष्कर्ष
rsi indicator एक ऐसा इंडिकेटर हे जो आपको मार्किट की ताकत बुलिश है या फिर बेयरिश है ये दर्शाता है। फिर उसके हिसाब से आप अपना ट्रेड ले सकते है। लेकिन इसे समझने के लिए आपको इसे candle stick chart पर लगाना जरुरी है। उससे ही आपको इसका अंदाजा हो जायेगा की ये काम कैसे करता है।
शेयर बाजार में निवेश करने का आकर्षक है अवसर, सस्ते दाम पर मौजूद हैं अच्छे शेयर
निमेश शाह, नई दिल्ली। कोरोनावायरस से संबंधित घटनाक्रमों और इससे उपजी चिंताओं के मद्देनजर बाजार ने घरेलू और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। वर्तमान में, इक्विटी वैल्यूएशन सस्ते हैं और निवेशकों में घबराहट का माहौल है। अतीत में इस तरह की घटनाएं लंबी अवधि के इक्विटी निवेश के लिए आकर्षक साबित हुए हैं। ऐसा अवसर एक दशक में एक बार आता है।
पिछली बार निवेशकों को ऐसा मौका 2008 और 2001 में मिला था। तीन से पांच साल तक के निवेशक भारतीय शेयरों से उम्मीद से ज्यादा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। याद रखें, जब भी बाजार बुरे दौर से गुजरता है तो समाचार का प्रभाव बेहद नकारात्मक होता है और कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता है कि आगे क्या होगा। इसका पता तो अतीत में जाने के बाद ही लगता है। यहां तक कि डेट मार्केट वर्तमान में आकर्षक दिखाई पड़ता है और साथ ही निवेश का एक दिलचस्प अवसर प्रस्तुत करता है। इसका कारण अच्छे क्रेडिट का प्रसार है। इसलिए, यहां भी हमारे पास एक दशक में एक बार कॉर्पोरेट पेपर में निवेश करने और इस समय इक्विटी में निवेश करने का अच्छा अवसर आया है।
बस कुछ दिनों में फिर सोने-चांदी में आएगी तेजी
सोने, चांदी की कीमत आपको कैसे पता चलेगा कि बाजार में तेजी है या मंदी? में तेजी से गिरावट का कारण अर्थशास्त्री भले ही वायदा कारोबार और साईप्रस द्वारा काफी मात्रा में जमा सोना बाजार में उतारने की बात कह रहे है लेकिन असलियत कुछ और है। ज्योतिषशास्त्री और स्टॉक गुरू जयगोविंद शास्त्री कहते हैं कि यह घटना ऐसे समय में ही क्यों हुई जब बुध कुंभ से अपनी नीच राशि मीन में पहुचे।
वास्तव में बाजार का इस तरह लुढ़कने का कारण कुछ और नहीं बुध की यह स्थिति है। ज्योतिष का नियम है कि जब बुध अपनी नीच राशि मीन में होते हैं तब अर्थव्यवस्था में गिरावट एवं आर्थिक अपराध की घटनाओं में वृ्द्धि होती है। बुध कालपुरुष की बुद्धि हैं इसलिए जब ये नीच राशिगत होते हैं तो अपने से संबंधित क्षेत्र जैसे बैंक, बीमा एवं कमोडिटी बाज़ार के निवेशकों को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता आपको कैसे पता चलेगा कि बाजार में तेजी है या मंदी? है।
बुध के मीन राशि में होने के कारण ही पश्चिम बंगाल में हुआ आर्थिक घोटाला सामने आया! ऐसे अवसरों का पहले भी कई लोगों ने दुरूपयोग किया है जैसे हर्षद मेहता, अब्दुकरीम तेलगी जिनके कारण हज़ारों निवेशकों को अर्श से फर्श पर आना पड़ा है और कई निवेशक तो इसी नुकसान के कारण आत्महत्या भी कर चुके हैं!
मंदी का खतरा वास्तविक, भारत को रेपो रेट बढ़ाने से कहीं ज्यादा कुछ करने की जरूरत
Guest Author | Edited By: मोहन कुमार
Updated on: May 27, 2022 | 12:10 AM
के गिरिप्रकाश
कुछ हफ्ते पहले एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के प्रबंध निदेशक ने बढ़ती लागत को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि इनपुट कॉस्ट (Input Cost) बढ़ने से पूरी परियोजना की लागत काफी बढ़ गई है और ये मुनाफे को भी काफी हद तक प्रभावित कर रही है. उनकी कंपनी अकेली नहीं है, जिसका मुनाफा कम हो गया है. महंगाई (Inflation), डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट और घटते विदेशी मुद्रा भंडार (सितंबर 2021 में 642.45 अरब डॉलर से 29 अप्रैल, 2022 को 597.7 डॉलर) ने न केवल कॉरपोरेट्स के लिए बल्कि आम आदमी के लिए भी संकट को बढ़ा दिया है. इसके अलावा स्टार्ट-अप्स को पैसे की कमी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि कई पैसा लगाने वाले वेंचर कैपिटलिस्ट (VC) ने हाथ खींच लिए हैं.