शेयर बाजार में कयास पर अंकुश जरूरी

मानों ने कम ऊंचाई चीन ने उसूरी नदी के बीच द्वीप खबरोवस्क के कौशल दिखाए, साथ-साथ क्लादीवोस्तोक पर भी अपना दावा ठोक ल्ली गोलियां और दिया है, जिसकी वजह से दोनों देशों में संबंध ऊपरी ए। चीन ने अपने तौर पर जरूर अच्छे दिखते हैं, लेकिन असलियत बेस का इस्तेमाल इसके विपरीत हैं। सच्चाई यह है कि रूस चीन के ३वीं ग्रुप आर्मी के ऊपर रत्ती भर विश्वास नहीं करता। रूस जब पिछले 100 दिनों से यूक्रेन के साथ युद्ध शेयर बाजार में कयास पर अंकुश जरूरी में व्यस्त है, ठीक उस समय चीन ने रूस की ल काम है। एक पीठ में छुरा मार दिया। ऐसा कोई मित्र देश नहीं करता, लेकिन चीन इस समय अपने निजी स्वार्थ नहीं उसी महीने में को लेकर अंधा हो चुका है। इस स्वार्थ के चलते भ्यास कर रहा था। चीन ने दुनिया के कई देशों से दृश्मनी मोल ले लो है। बाकी देश भी इस इंतजार में है कि कब चीन मी सांझेदारी के ऊपर का वह दिन आएगा, जब वे अपने साथ हुई नाइंसाफी उस समय भी चीन का पलट कर जवाब दे सकेंगे।
शेयर बाजार में कयास पर अंकुश जरूरी
शेयर बाजार शेयर बाजार में कयास पर अंकुश जरूरी में कीमतों में बड़े पैमाने पर उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। शेयर कीमतों में बदलाव या वृहद स्तर पर बाजार में अनिश्चितता के लिए केवल शेयर से जुड़ी मूल बातों को प्रभावित करने वाले कारक ही उत्तरदायी नहीं होते हैं। मनोधारणा या अव्यावहारिक सोच और इससे उत्पन्न होने शेयर बाजार में कयास पर अंकुश जरूरी वाली परिस्थितियां भी बाजार में कारोबार पर असर डालती हैं। सभी लोग यह तथ्य स्वीकार भी कर चुके हैं। सक्षम बाजार सिद्धांत (एफिशिअंट मार्केट थ्योरी या ईएमटी) पर पहले किए गए शोध में केवल यह पाया गया था कि वित्तीय बाजारों में पर्याप्त प्रतिस्पद्र्धा होती है शेयर बाजार में कयास पर अंकुश जरूरी इसलिए ज्यादातर कारोबारियों के लिए मुनाफा कमाने के अवसर निरंतर उपलब्ध नहीं रहते हैं। दिलचस्प बात यह है कि यह सिद्धांत अव्यावहारिक कीमतों और बाजार में अत्यधिक अनिश्चितता की स्थिति के साथ भी लागू हो सकता है। इस संदर्भ में सक्षम बाजार का सिद्धांत स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं करता है। शेयर बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव का व्यापक असर होता है और इससे निवेशक, वास्तविक अर्थव्यवस्था और आर्थिक कल्याण आदि पहलू भी प्रभावित होते हैं।
रवि शंकर का लेख : बढ़ती महंगाई पर अंकुश जरूरी
खाद्य पदार्थ के आसमान छू रहे दाम से पहले ही लोग परेशान थे। अब पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी ने उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है। यूपी चुनाव खत्म होने के शेयर बाजार में कयास पर अंकुश जरूरी बाद इनके दाम बढ़ने के कयास लगाए जा रहे थे, जो सच होने लगा है। चुनाव खत्म होते होने के महज कुछ ही दिन बादर सोई गैस के दाम बढ़ा दिए गए, तो वहीं पेट्रोल-डीजल के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं। मौजूदा हालत यह है कि देश के कई हिस्सों में ईंधन की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर शेयर बाजार में कयास पर अंकुश जरूरी हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि अब पेट्रोलियम विपणन कंपनियां अपने घाटे की भरपाई कर रही हैं। कच्चे तेल की कीमतों के बढ़ोतरी के बावजूद 137 दिन पेट्रोल और डीजल की कीमतें नहीं बढ़ाने से भारत की तेल कंपनियों को 19,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। वैसे ही डीजल व पेट्रोल के दाम भी करीब साढ़े चार माह बाद बढ़े हैं। तेल कंपनियों ने 4 नवंबर, 2021 से 21 मार्च, 2022 के बीच पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव नहीं किया, जबकि नवंबर में कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल थी जो इस दौरान बढ़कर 110 डॉलर के पार पहुंच गई। यह ठीक है कि विधानसभा चुनाव के चलते लोगों ने राहत की सांस ली थी, लेकिन अब फिर से दाम बढ़ने से लोग व्यथित हैं। मालूम हो, भारत अपनी तेल की जरूरत पूरी करने के लिए आयात पर 80 से 85 फीसदी निर्भर है।
सचिन का संन्यास
‘क्रिकेट के भगवान’ सचिन रमेश तेंदुलकर संन्यास लेंगे, इस खबर का इंतजार हर किसी को था। लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं कि यह खबर ज्यों-ज्यों टलती जा रही थी, क्रिकेट प्रेमी खुश होते जा रहे हैं। मैदान में सचिन की मौजूदगी के हर मौके को वह आखिरी मौके की तरफ देखकर पूरा लुत्फ उठा रहे थे। हर शख्स को एक-न-एक दिन अपने काम से संन्यास लेना होता है। इस नियति को जानने के बावजूद हम नहीं चाहते थे कि सचिन क्रिकेट को अलविदा कहें। सच तो यह हम उन सौभाग्यशाली लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने देश की तीन सर्वकालिक महानतम विभूतियों- क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर, सदी के महानायक अमिताभ बच्चन, स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर- के युग में जन्म लिया है। ये तीनों कई एवरेस्टों को पार कर चुके हैं, फिर भी विनम्र व शालीन हैं और आलोचकों को अपने काम से जवाब देते हैं। इस ‘त्रिमूर्ति’ को पूरी दुनिया नमन करती है। अब यही उम्मीद है कि सचिन तेंदुलकर की सेवा अलग-अलग तरीकों से बीसीसीआई आगे भी लेती रहेगी।
पवन सुरेका राजस्थानी, जयमाता मार्केट, त्रिनगर, दिल्ली-35
चीन ने दोस्त रूस के इलाकों पर ही दावा ठोका
चीन का जोर चले तो पूरी दुनिया पर अपना कब्जा जताने से भी बाज न आए। चीन एक ऐसा देश है, जिसे लगता है पूरी धरती उसकी है और जहां पर वह हाथ डाले वह इलाका चीन का हो जाए। इसमें चीन के दोस्त-दुश्मन सब एक जैसे हैं। शेयर बाजार में कयास पर अंकुश जरूरी हाल ही में एक खबर फिर चर्चा में आई। चीन ने अपने दोस्त रूस की उसूरी नदी और उसके पास की कुछ जमीन पर अपना दावा ठोक दिया है। इसके अलावा रूस-चीन सीमा के पास खबरोवस्क इलाके पर और 16 वीं सदी का कोई ऐतिहासिक उदाहरण देकर रूस के सुदूर पूर्वी शहर व्लादीवोस्तोक पर भी अपना दावा ठोक दिया है।
उसूरी नदी के बीच में द्वीप और देमेनेस्की को लेकर चीन और सोवियत संघ के बीच लंबे समय तक संघर्ष चला था, फिर अचानक चीन ने सोवियत संघ पर वर्ष 1969 के मार्च महीने में आक्रमण भी किया था। इस मुद्दे पर दोनों देशों के संघर्ष ने युद्ध का रूप ले लिया था। इसमें 31 रूसी गाईस की मौत हो गई थी, जिसके बाद युद्ध शुरू हुआ था। इसके बाद 1991 में दोनों देशों में इसे लेकर एक समझौता भी हुआ था। जिस देमेनेस्की द्वीप को लेकर दोनों में युद्ध हुआ था, चीन ने उसका नाम झेनबाओ दाओ द्वीप रखा है और अंत में यह द्वीप चीन के कब्जे में आ गया। इससे पता चलता है कि चीन जमीन हथियाने में माहिर खिलाड़ी है।
2017 और 2012 के चुनावों में गोरखपुर की राजनीतिक तस्वीर कुछ ऐसी थी
कैम्पियरगंज विधानसभा
2017: कैम्पियरगंज सीट इस चुनाव में बीजेपी के खाते में गई थी. बीजेपी उम्मीदवार शेयर बाजार में कयास पर अंकुश जरूरी फतेह बहादुर ने कांग्रेस प्रत्याशी चिंता यादव को 32854 वोटों से हराया था.
2012: इस चुनाव में यहां एनसीपी उम्मीदवार फतेह बहादुर ने एसपी प्रत्याशी चिंता यादव को 8958 वोटों से हराया था.
पिपराइच विधानसभा
2017: इस चुनाव में यहां बीजेपी उम्मीदवार महेंद्र पाल सिंह ने बीएसपी प्रत्याशी आफताब आलम उर्फ गुड्डू भैया को 12809 वोटों से हराया था.
2012: पिपराइच सीट पर इस चुनाव में एसपी प्रत्याशी राजमती ने बीएसपी उम्मीदवार जितेंद्र को 35635 वोटों से हराया था.
गोरखपुर नगरीय विधानसभा
2017: इस चुनाव में गोरखपुर नगरीय सीट पर बीजेपी उम्मीदवार राधामोहन दास अग्रवाल ने कांग्रेस प्रत्याशी राना राहुल सिंह को 60730 वोटों से हराया था.