रुझान सूचक

रुझान सूचक
राष्ट्रपति जी ने कहा की उपलब्धता,गुणवत्ता तथा वहनीयता एक सुदृढ़ स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के तीन मजबूत आधार होते हैं
भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी ने आज(10 मई 2013)कानपुर में,गणेश शंकर विद्यार्थी स्मृति मेडिकल कॉलेज के दीक्षांत समारोह में भाग लिया|
इस अवसर पर बोलते हुए,राष्ट्रपति ने कहा कि स्वास्थ्य किसी भी देश की प्रगति का सूचक है| जब तक नागरिकों का स्वास्थ्य अच्छा न हो तब तक उनकी उत्पादक क्षमता का पूरा उपयोग नहीं किया जा सकता| उपलब्धता,गुणवत्ता तथा वहनीयता एक सुदृढ़ स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के तीन मजबूत आधार होते हैं| उन्होंने कहा कि सभी को स्वास्थ्य सेवा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए वहनीयता अत्यंत महत्वपूर्ण है| खर्चीला चिकित्सा उपचार कुछ लोगों,खासकर गरीबों के लिए भारी पड़ सकता है| अधिक मूल्य के कारण बहुत से लोग विशेषज्ञ चिकित्सा उपचार से वंचित रह जाते हैं| उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा प्रणाली में सुदृढ़ता लाकर,इस माहौल में सुधार लाया जाना चाहिए|
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी स्वास्थ्य सेवा कार्यनीति में,चिकित्सा उपचार और इंटरवेंशन से आगे की व्यवस्था भी होनी चाहिए| भारत जैसे देश में,जहां जीवन शैली संबंधी बीमारियों में बढ़ोत्तरी का रुझान दिखाई दे रहा है,निवारक स्वास्थ्य सेवा प्रासंगिक है| इसलिए हमारी स्वास्थ्य प्रणाली में केवल लोगों के उपचार की ही नहीं बल्कि इन स्वास्थ्य सेवा संबंधी स्थितियों से बचाव के लिए मार्गदर्शन की भी व्यवस्था होनी चाहिए| स्वच्छता और सफाई भी बीमरियों की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं| इस दिशा में किए जा रहे प्रयास कारगर हों यह सुनिश्चित करने के लिए,हमें स्थानीय प्रतिभागितात्मक निकायों के सक्रिय योगदान को प्रोत्साहन देना चाहिए|
राष्ट्रपति ने इस मेडिकल कॉलेज का आह्वान किया कि वह युवा चिकित्सों के मन रुझान सूचक में देशभक्ति और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना का समावेश करे| उन्होंने कहा कि युवा चिकित्सकों की,अधिक कौशल प्राप्त करने और अपने अवसरों में वृद्धि के लिए,रुझान सूचक प्रमुख विदेशी संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा एक सामान्य बात है| परंतु उन्हें अपनी मातृभूमि से पवित्र रिश्ता बनाए रखना चाहिए| उन्होंने कहा कि हमें देश के कल्याण के कार्य में ऐसे मेधावी और योग्य चिकित्सकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए उपाय तलाश करने चाहिएँ|
यह विज्ञप्ति 1915 बजे जारी की गई
कॉपीराइट © 2013
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भारतीय जनसंख्या की संरचना
एक समूह के भीतर लोगों की विस्तृत व्यक्तिगत विशेषताये जैसे की लिंग, आयु, वैवाहिक स्थिति, शिक्षा, व्यवसाय, और घर के मुखिया के साथ रिश्ते आदि के आधार पर किया गए वितरण को जनसंख्या संरचना कहा जाता है। जनसंख्या को दो भागों में बांटा गया हैं - ग्रामीण और शहरी, आकार और बस्तियों के कब्जे के आधार पर । ग्रामीण आबादी को छोटे आकार के ग्रामीण इलाकों में फैली हुइ बस्तियों के आधार पर ।
एक समूह के भीतर लोगों की विस्तृत व्यक्तिगत विशेषताये जैसे की लिंग, आयु, वैवाहिक स्थिति, शिक्षा, व्यवसाय, और घर के मुखिया के साथ रिश्ते आदि के आधार पर किया गए वितरण को जनसंख्या संरचना कहा जाता है। जनसंख्या को दो भागों में बांटा गया हैं - ग्रामीण और शहरी, आकार और बस्तियों के कब्जे के आधार पर । ग्रामीण आबादी को छोटे आकार के ग्रामीण इलाकों में फैली हुइ बस्तियों के आधार पर । शहरी आबादी - वो है जो बड़े आकार की बस्तियों जैसे की कस्बों और शहरों में रहती है। भारतीय आबादी की संरचना का ग्रामीण -शहरी विशेषताओं, भाषा, धर्म और व्यवसाय के आकार के संबंध में नीचे चर्चा की जाएगी :
ग्रामीण - शहरी संरचना
सामाजिक और आर्थिक विशेषताओं का एक महत्वपूर्ण सूचक जनसंख्या की संरचना को लोगो के निवास के स्थान के आधार पर किया गया वितरण है । आजादी के बाद से पहली बार जनसंख्या में पूर्ण वृद्धि शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक है। ग्रामीण - शहरी वितरण : 68.84 % और 31.16 %। शहरीकरण के स्तर में 2001 की जनगणना में 27.81 % से 2011 की जनगणना में 31.16 % की वृद्धि हुई। ग्रामीण जनसंख्या के अनुपात में 72.19 % से 68.84 % की गिरावट आई.
भाषा-संबंधी संरचना
प्रमुख भारतीय भाषाओं के बोलने वालों के आधार पर चार भाषाओ के परिवार प्रमुख है जिनको आगे उनके उप - परिवारों और शाखाओं या समूहों के रूप में बांटा जा सकता हैं।
परिवार
उप-परिवार
शाखा/समूह
भाषण क्षेत्र
मेघालय , निकोबार इस्लैंडस
वेस्ट बंगाल , बिहार , उड़ीसा , असम , मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र , इंडिया से बाहर
तमिलनाडु, कर्नाटक, केरला
आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश , उड़ीसा, महाराष्ट्र
बिहार, उड़ीसा वेस्ट बंगाल, मध्य प्रदेश
सिनो -तिब्बतन (किरात ) 0 . 85 %
जम्मू-कश्मीर , हिमाचल प्रदेश , सिक्किम
असम, नागालैंड , मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय
इंडो-यूरोपियन (आर्यन ) 73 %
जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश,
उत्तर प्रदेश,राजस्थान , हरयाणा , मध्य प्रदेश,
बिहार, उड़ीसा, वेस्ट बंगाल, असम, गुजरात , महाराष्ट्र , गोवा
धार्मिक संरचना
अधिकांश भारतीयों के सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन को प्रभावित करने वाला सबसे प्रमुख कारणों में से एक प्रमुख कारण धर्म है। वस्तुतः धर्म लोगों के परिवार और समुदाय के जीवन के लगभग सभी पहलुओं में व्याप्त है, इसलिए धार्मिक संरचना का अध्ययन विस्तार से करना महत्वपूर्ण है। पिछले दशक (2001-2011) में विभिन्न धर्मो की जनसंख्या वृद्धि दर में कमी आई है। हिन्दू जनसंख्या वृद्धि दर 19.92% पिछले एक दशक के आंकड़े से 16.76% कम हुई है, जबकि मुस्लिम जनसँख्या की विकास दर में 29.52% (1991-2001) के पिछले आंकड़े से 24.60% (2001-2011) में तेज गिरावट आई है ।पिछले 6 दशकोंमें मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि दर में इस तरह की तेज गिरावट नहीं आई थी। ईसाई जनसंख्या वृद्धि दर 15.5% थी , जबकि सिख जनसंख्या वृद्धि दर 8.4% ही रही। जैनियों के सबसे शिक्षित और धनी समुदाय ने 2001-2011 में केवल 5.4% के आंकड़ा के साथ सबसे कम विकास दर दर्ज कराई । आगामी 2021 की जनगणना में हिंदू, मुस्लिम और ईसाई धर्म की वृद्धि दर में ओर अधिक गिरावटआने की उम्मीद है, जबकि अन्य धर्मों सिख धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म की विकास दर स्थिर रहने की उम्मीद कर रहे है क्यूंकि पहले से ही इन धर्मो की विकास दर धीमी है.
share market : डॉलर के मुकाबले रुपये में जोरदार तेजी
घरेलू शेयर बाजार में आई तेजी और फेड की बैठक के फैसले से पहले डॉलर में आई कमजोरी से देसी करेंसी रुपये को सपोर्ट मिला है। बीते सत्र में भी डॉलर के मुकाबले रुपया थोड़ी बढ़त बनाते हुए 76.18 रुपए प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
Yoyocial News
घरेलू शेयर बाजार (share market) में आई तेजी और फेड की बैठक के फैसले से पहले डॉलर में आई कमजोरी से देसी करेंसी रुपये को सपोर्ट मिला है। भारतीय करेंसी रुपये की बुधवार को पिछले सत्र से करीब 21 पैसे की रुझान सूचक बढ़त के साथ 75.97 रुपये प्रति डॉलर पर खुलने के बाद 75.86 रुपये प्रति डॉलर पर बना हुआ था, जबकि इससे पहले हाजिर में देसी करेंसी ने 75.83 रुपये प्रति डॉलर तक की बढ़त बनाई जोकि 10 रुझान सूचक अप्रैल के बाद रुपये का सबसे ऊंचा स्तर है।
करेंसी बाजार के जानकार बताते हैं कि कोरोना के कहर से ठप पड़ी आर्थिक गतिविधियों के पटरी पर लौटने की उम्मीदों से एशियाई शेयर बाजारों में तेजी का रुझान देखा जा रहा है जबकि दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत का सूचक डॉलर इंडेक्स में कमजोरी आई है।
बीते सत्र में भी डॉलर के मुकाबले रुपया थोड़ी बढ़त बनाते हुए 76.18 रुपए प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत का सूचक डॉलर इंडेक्स बुधवार को लगातार चैथे दिन कमजोर हुआ है। डॉलर इंडेक्स पिछले सत्र के मुकाबले 0.21 फीसदी की कमजोरी के साथ 99.727 पर कारोबार कर रुझान सूचक रहा था।
बता दें कि कोरोना के प्रकोप के दौरान डॉलर इंडेक्स छह अप्रैल को 101.03 तक उछला था।एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट (एनजीं एवं करेंसी रिसर्च) अनुज गुप्ता ने बताया कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की बैठक के नतीजों से पहले डॉलर में कमजोरी आई है। दरअसल, कोरोना महामारी के आर्थिक प्रभावों को कम करने के लिए किस गए उपायों के बाद भविष्य की नीति को लेकर फेड इस बैठक में विचार कर सकता है।
गुप्ता ने कहा कि घरेलू शेयर बाजार में तेजी से भी देसी करेंसी को सपोर्ट मिला है।