भारतीय विदेशी मुद्रा बाजार

एक अच्छा विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बन सकता है

एक अच्छा विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बन सकता है
सुपारी पर लाल धागा लपेटकर मां लक्ष्मी के चरणों के साथ स्पर्श करवाकर अपने पर्स में रखने से धन के भंडार भरे रहते हैं।

PunjabKesari Keep this thing in purse

आयातित तेलों के दाम टूटने से बीते सप्ताह खाद्य तेलों के भाव में गिरावट

नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) विदेशी आयातित खाद्य तेलों के भाव टूटने के बीच बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सरसों, सोयाबीन, मूंगफली सहित सभी तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट दर्ज हुई।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि विदेशों से आयात होने वाले तेल-तिलहनों के दाम में जोरदार गिरावट रहने से कोई तेल-तिलहन अछूता नहीं रहा और सभी गिरावट में आ गये। स्थिति यह हो गयी कि कई खाद्य तेल मिलों के सामने अस्तित्व बचाने का संकट पैदा हो गया है।
सूत्रों ने कहा कि आयातित तेलों के मुकाबले देशी तेल-तिलहन थोड़ा महंगे जरूर बैठते हैं लेकिन इसमें देश को दूसरा फायदा है। उन्होंने अपने तर्क के पक्ष में कहा कि औसतन प्रति व्यक्ति खाद्य तेल की प्रतिदिन की खपत 50 ग्राम होती है लेकिन देश की मुद्रास्फीति पर यह गहराई से असर डालने में सक्षम है। डीओसी, खल आदि के महंगा होने से देश के मुर्गीपालन, मवेशीपालन किसान प्रभावित होते हैं। यानी दूध, मक्खन, अंडे एवं चिकन (मुर्गी मांस) के दाम बढ़ते हैं जिनका सीधा असर मुद्रास्फीति पर होता है। आयातित पाम और पामोलीन से हमें डीओसी या खल नहीं मिल सकता और इसे अलग से आयात करने की जरूरत होगी जिसके लिए विदेशी मुद्रा खर्च करनी होगी।
बाजार सूत्रों ने कहा, ‘‘विदेशी तेलों में आई गिरावट हमारे देशी तेल-तिलहनों को चोट पहुंच रही है जिससे समय रहते नहीं निपटा गया तो स्थिति संकटपूर्ण होने की संभावना है। विदेशी तेलों के दाम धराशायी हो गये हैं और हमारे देशी तेलों के उत्पादन की लागत अधिक बैठती है। अगर स्थिति को संभाला नहीं गया तो देश में तेल-तिलहन उद्योग और इसकी खेती गंभीर रूप से प्रभावित होगी। सस्ते आयातित तेलों पर आयात कर अधिकतम करते हुए स्थिति को संभाला नहीं एक अच्छा विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बन सकता है गया तो किसान तिलहन उत्पादन बढ़ाने के बजाय तिलहन खेती से विमुख हो सकते हैं क्योंकि देशी तेलों के उत्पादन की लागत अधिक होगी।
सूत्रों ने कहा कि कई तेल-तिलहन विशेषज्ञ पूर्वोत्तर राज्यों सहित देश के कुछ अन्य भागों में पाम की खेती बढ़ाने की सलाह देते हैं और इस दिशा में सरकार ने प्रयास भी एक अच्छा विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बन सकता है किये हैं। ऐसा करना एक हद तक सही है लेकिन यदि हमें पशुचारे, डीआयल्ड केक (डीओसी) और मुर्गीदाने की पर्याप्त उपलब्धता और आत्मनिर्भरता चाहिये तो वह सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला जैसी फसलों से ही प्राप्त हो सकती है। निजी उपयोग के अलावा इसका निर्यात कर देश विदेशी मुद्रा भी अर्जित कर सकता है। तेल-तिलहन के संदर्भ एक अच्छा विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बन सकता है में इन वास्तविकताओं को ध्यान में रखकर ही कोई फैसला लिया जाना चाहिये।
सूत्रों ने कहा कि देश के प्रमुख तेल संगठनों को सरकार को जमीनी हकीकत भी बतानी चाहिये कि सस्ते खाद्य तेलों के आयात से देश एक अच्छा विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बन सकता है के तेल-तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर होने का लक्ष्य गंभीर रूप से प्रभावित होगा और इस स्थिति को बदलने के लिए इन सस्ते आयातित तेलों पर पहले की तरह और हो सके तो अधिकतम सीमा तक आयात शुल्क लगा दिया जाना चाहिये। अगर खाद्य तेलों के दाम कम रहे तो खल की भी उपलब्धता कम हो जायेगी।
सूत्रों ने कहा कि सरकार को खाद्य तेलों के आयात की ‘कोटा प्रणाली’ को समाप्त करने के बारे में सोचना चाहिये। उन्होंने कहा कि जब सूरजमुखी का आयातित तेल का दाम पहले से लगभग 50 रुपये किलो नीचे चल रहा है तो ऐसे में किसान इस फसल को कैसे बोयेगा? सूत्रों के मुताबिक, पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 175 रुपये घटकर 7,100-7,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल समीक्षाधीन सप्ताहांत में 750 रुपये घटकर 14,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 110-110 रुपये घटकर क्रमश: 2,120-2,250 रुपये और 2,180-2,305 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।
सूत्रों ने कहा कि विदेशों में खाद्य तेलों के भाव टूटने से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव क्रमश: 125-125 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 5,450-5,550 रुपये और 5,260-5,310 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
गिरावट के आम रुख के बीच समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल भी क्रमश: 850 रुपये, 600 रुपये और 1,250 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 13,400 रुपये, 13,250 रुपये और 11,एक अच्छा विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बन सकता है 500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सस्ते खाद्य तेल आयात के सामने बेपड़ता होने और गिरावट के आम रुख के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहनों कीमतों में गिरावट देखने को मिली। समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली तिलहन का भाव 150 रुपये टूटकर 6,360-6,420 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल गुजरात 150 रुपये टूटकर 14,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 35 रुपये की गिरावट के साथ 2,390-2,655 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
सूत्रों ने कहा कि विदेशी तेलों के दाम धराशायी होने के दबाव में सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में भी गिरावट आई। समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 500 रुपये टूटकर 8,450 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 500 रुपये घटकर 9,950 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 600 रुपये हानि के साथ 9,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
तेल कीमतों पर दबाव होने के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल भी 950 रुपये टूटकर 11,450 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बंद हुआ।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

जाम से मुक्ति दिलाने के लिए भारी वाहनों का प्रवेश बंद, 5 दिसंबर से लागू होगा नया रूट चार्ट

जाम से मुक्ति दिलाने के लिए भारी वाहनों का प्रवेश बंद, 5 दिसंबर से लागू होगा नया रूट चार्ट

कांग्रेस संचालन समिति की बैठक शुरू, अधिवेशन की तिथि और स्थल को लेकर होगा फैसला

कांग्रेस संचालन समिति की बैठक शुरू, अधिवेशन की तिथि और स्थल को लेकर होगा फैसला

Foreign Settlement In Kundli: कुंडली के ये योग, विदेशी धरती पर व्यक्ति को बनाते हैं राजा

Foreign Settlement In Kundli: कुंडली के ये योग, विदेशी धरती पर व्यक्ति को बनाते हैं राजा

Friday special: पर्स में रखें ये चीज, मां लक्ष्मी भरेंगी भंडार

Vastu Tips For Purse: हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है। जो भी उनकी सच्चे दिल से पूजा करता है, वह उनके भंडार भरे रखती हैं। पैसों की जरूरत हर किसी को होती है क्योंकि उसके बिना व्यक्ति की जरूरतें पूरी नहीं हो सकती। कई लोग तो धन का अभाव दूर करने के लिए पर्स में न जाने कौन-कौन सी वस्तुएं रख लेते हैं लेकिन कोई भी चीज पर्स में रखने से पहले उसका अच्छा-बुरा प्रभाव जान लेना चाहिए। कई बार तो भूल से कुछ ऐसी वस्तुएं भी रखी जाती हैं, जिनका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और वो सकारात्मकता को नष्ट कर देता है। तो आइए हम आपको बताते हैं, कुछ ऐसी एक अच्छा विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बन सकता है चीजे जिन्हें पर्स में रख लेने से धन की देवी मां लक्ष्मी धन के भंडारे भरे रखती हैं।

श्रीलंका, नेपाल से नहीं सीखा सबक, चीन की गिरफ्त में फंसता जा रहा है बांग्लादेश

Bangladesh hasn’t learned the China lesson from Nepal and Sri Lanka

चीन, एक ऐसा शिकारी देश है जो आए दिन कोई न कोई नया शिकार ढूंढ़ता ही रहता है फिर चाहे वह श्रीलंका हो या नेपाल परन्तु अब उसे एक नया शिकार मिल गया है और उसका नाम है बांग्लादेश। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बांग्लादेश में चीन अपने निवेश को लगातार बढ़ाता जा रहा है और बांग्लादेश उसे रसगुल्ला समझकर गपककर खाता जा रहा है लेकिन उसे यह पता होना चाहिए कि इस चीनी रसगुल्ले को पहले भी कई देशों एक अच्छा विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बन सकता है ने खाया है और उनकी क्या स्थिति हुई है वो किसी से छिपी नहीं है।

चीन के शिकंजे में फंसने जा रहा है बांग्लादेश

दरअसल, बांग्लादेश से अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए चीन वहां के बुनियादी एक अच्छा विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बन सकता है ढांचे में बड़े स्तर पर निवेश कर रहा है। इसके साथ ही वह दोनों देशों की मुद्रा में आदान-प्रदान को सरल बनाने का प्रयास भी कर रहा है। उदाहरण के लिए अभी हाल के महीनों में चीन ने बांग्लादेश के साथ मिलकर इन्फॉर्मेशन और कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी पर चल रहे प्रोजेक्ट का तीसरा चरण पूरा किया है। यही नहीं, बिजली क्षेत्र के लिए चीन बांग्लादेश को लगभग 1.7 अरब डॉलर का कर्ज भी देने जा रहा है।

अब यदि चीन द्वारा किए गए पुराने पापों को देखा जाए तो बिना किसी लाभ के वह किसी भी देश में निवेश नहीं करता है। उदाहरण के लिए हम श्रीलंका को देख सकते हैं कि कैसे वहां की महिंदा राजपक्षे सरकार ने बिना सोचे समझे चीनी निवेश को स्वीकार कर लिया और बाद में जब कर्ज नहीं चुका पाए तो हंबनटोटा हवाईअड्डा चीन को सौंपना पड़ा। इसके अलावा राजधानी कोलंबो में कोलंबो पोर्ट सिटी के लिए 99 साल की लीज पर जगह भी दे दी गई जो आज चीन के कब्जे में है। हालांकि महिंदा राजपक्षे की सरकार तो गिर गई और वो देश छोड़कर भी भाग गए लेकिन श्रीलंका बुरी तरह से कंगाल हो गया और आज भी वहां की स्थिति में कुछ अधिक सुधार नहीं हुआ है।

बांग्लादेश चीन से क्यों ले रहा है कर्ज?

बीबीसी के एक लेख के अनुसार बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में बहुत हद तक कमी आई और उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ से 4.5 अरब डॉलर के क़र्ज़ की मांग भी की ताकि वह अपने खाली होते विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर रख सके। ऐसे में यह स्पष्ट हो जाता है कि बांग्लादेश के आर्थिक हालात ठीक नहीं है इसलिए इस मौके का फायदा उठाते हुए चीन वहां लगातार अपने निवेश को बढ़ाता जा रहा है और बांग्लादेश मुफ्त का चंदन समझकर घिसता जा रहा है परन्तु यह चंदन कब विष में बदल जाएगा किसी को नहीं पता।

नेपाल हो, श्रीलंका हो, पाकिस्तान हो या फिर बांग्लादेश, चीन का इन सभी देशों में निवेश करने के पीछे का उद्देश्य है ‘बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट’ जिसके जरिए वह पुराने सिल्क रूट को दोबारा से बनाकर एशिया से लेकर यूरोप तक बिना किसी रुकावट के व्यापार करना चाहता है। परन्तु कोविड के चलते पिछले दो सालों से इस प्रोजेक्ट पर काम लगभग बंद ही था लेकिन अब वह बांगलादेश को अपने जाल में फंसा रहा है और धीरे-धीरे अपने ‘बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट’ एक अच्छा विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बन सकता है को भी शुरू कर रहा है।

ये है बांग्लादेश की बर्बादी का रास्ता

इसके अलावा 5 नवंबर को बांग्लादेश के एक अख़बार ‘प्रोथोम आलो’ में छपी एक ख़बर के अनुसार चीनी राजदूत ली जिमिंग ने बांग्लादेश के सामने एक बड़ा प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव में चीन का कहना है कि अगर बांग्लादेश सरकार तीस्ता बैराज प्रोजेक्ट पर काम करना चाहती है तो चीन इसके लिए तैयार है। यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि तीस्ता नदी के पानी का इस्तेमाल भारत और बांग्लादेश दोनों करते हैं। दोनों देशों के बीच जल बंटवारे को लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। ऐसे में तीस्ता नदी पर चीन के सहयोग से कोई भी निर्माण बांग्लादेश और भारत के बीच पुराने विवाद को और बढ़ा सकता है। इसीलिए बांग्लादेश के सामने एक यह भी चुनौती है कि पड़ोसी और मित्र देश भारत के साथ अपने संबंधों को किस तरह अच्छा बनाए रखना है।

यदि बांग्लादेश में आ रहे चीनी निवेश को लेकर संक्षेप में कहा जाए तो यह बांग्लादेश की बर्बादी का रास्ता साबित हो सकता है। क्योंकि चीन बिना किसी स्वार्थ के किसी भी देश को यूं ही मुफ्त में सहायता नहीं करता है और अगर चीन इस निवेश के माध्यम से मानवतावादी बन रहा है तो उससे एक बात कहना तो बनता है कि “भाई पड़ोस में ताइवान भी है वहां भी थोड़ी मानवता दिखा लो”।

रेटिंग: 4.56
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 458
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *