नौसिखिया लोगों के लिए इक्विटी निवेश

FundsIndia: Mutual Funds & SIP
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म्यूचुअल फंड में निवेश करना आसान हो गया
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योग्य म्यूचुअल फंड विशेषज्ञ
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सभी के लिए आसान स्टॉक मार्केट निवेश
बीएसई और एनएसई दोनों पर कुछ ही समय में सर्वोत्तम इक्विटी में निवेश करना शुरू करें। एक नौसिखिया नौसिखिया लोगों के लिए इक्विटी निवेश या एक विशेषज्ञ, फंड्सइंडिया के बहुमुखी मंच ने आपको कवर किया है। एक आसान फंड निवेश अनुभव प्राप्त करें!
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ईएलएसएस म्यूचुअल फंड से टैक्स बचाएं
टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड - ईएलएसएस फंड (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) में निवेश करें और धारा 80सी के तहत अपनी कर योग्य आय से ₹46,800 टीडीएस तक बचाएं। ईएलएसएस टैक्स सेविंग फंड में 3 साल की लॉक-इन अवधि होती है - एफडी (5 साल) और पीपीएफ (15 साल) की तुलना में अधिक रिटर्न, और अधिक लचीलेपन की पेशकश।
एनपीएस के साथ सेवानिवृत्ति तैयार
पेंशन वृद्धावस्था के लिए वरदान है, खासकर निजी क्षेत्र की नौकरियों से सेवानिवृत्त होने वाले व्यक्तियों के लिए। एनपीएस (नेशनल पेंशन सिस्टम) व्यक्तियों को कम जोखिम वाले भूख निवेश मंच प्रदान करके उनकी सेवानिवृत्ति की योजना बनाने में मदद करता है।
डेरिवेटिव मार्केट में निवेश करें
FundsIndia प्लेटफॉर्म के भीतर वायदा और विकल्प में निवेश करना शुरू करें। निवेश के तमाम विकल्पों के साथ डेरिवेटिव बाजार भी निवेशकों के लिए संपत्ति पैदा करने के लिए उपलब्ध कराया गया है।
बैंक स्तर की सुरक्षा
आपका डेटा सुरक्षित और सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जाता है - उच्च सुरक्षा के लिए डेटाबेस में संग्रहीत होने से पहले पासवर्ड एकतरफा एन्क्रिप्टेड होते हैं। सभी संचार - या तो आपके साथ, या म्यूचुअल फंड कंपनियों और अन्य सेवा प्रदाताओं के साथ - 256-बिट एन्क्रिप्टेड हैं, और हमारा डेटा शीर्ष स्तरीय होस्टिंग सेवा प्रदाताओं द्वारा होस्ट किया जाता है।
शीर्ष म्युचुअल फंड की सूची
- एसबीआई म्यूचुअल फंड
- रिलायंस म्यूचुअल फंड
- फ्रैंकलिन म्यूचुअल फंड (फ्रैंकलिन टेम्पलटन)
- आईसीआईसीआई म्यूचुअल फंड
- एचडीएफसी म्यूचुअल फंड
- एचएसबीसी म्यूचुअल फंड
- भारती नौसिखिया लोगों के लिए इक्विटी निवेश एक्सा म्यूचुअल फंड
- डीएसपी म्यूचुअल फंड (डीएसपी ब्लैकरॉक)
- एक्सिस म्यूचुअल फंड
- आदित्य बिड़ला म्यूचुअल फंड (बिड़ला सन लाइफ)
- आईडीएफसी म्यूचुअल फंड
- कोटक म्यूचुअल फंड
- एलएंडटी म्यूचुअल फंड
- मिरे म्यूचुअल फंड (मिराए एसेट)
- सुंदरम म्यूचुअल फंड
- टाटा म्यूचुअल फंड
- यूटीआई म्यूचुअल फंड
- इनवेस्को म्युचुअल फंड
- प्रधान म्युचुअल फंड
- एलआईसी म्यूचुअल फंड
- बीएनपी परिबास म्यूचुअल फंड
- महिंद्रा म्यूचुअल फंड
- श्रीराम म्यूचुअल फंड
- मोतीलाल ओसवाल म्यूचुअल फंड
- टाटा म्यूचुअल फंड
- क्वांटम म्यूचुअल फंड
देसी निवेशकों के पसंदीदा बने रहेंगे म्युचुअल फंड
कूद गए। म्युचुअल फंड उद्योग इस रुख से बेफिक्र है और इसे तेजी के बाजार की घटना बताया है। पारदर्शिता, कम लागत और निवेश के कई विकल्पों के कारण म्युचुअल फंड भारतीय निवेशकों की अग्रणी पसंद बना रहेगा। मंगलवार को आयोजित 'बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट' में म्युचुअल फंड उद्योग के दिग्गजों ने ये बातें कही।
देश के सबसे बड़े म्युचुअल फंड एसबीआई एमएफ के प्रबंध निदेशक व सीईओ विनय टोंस ने कहा, मौजूदा तेजी में सतर्क रुख अपनाया जाना चाहिए क्योंंकि यह तेजी निवेशकोंं को वैसे शेयर की खरीद के लिए लुभा सकता है, जो फंडामेंटल के लिहाज से सही नहीं है। किसे म्युचुअल फंड की दरकार नहींं है? अगर आप हमारी तरफ से पेश योजनाओं व समाधान पर नजर डालेंगे तो नौसिखिया से लेकर सधे निवेशक तक म्युचुअल फंड में निवेश के जरिये बेहतर अर्जित करेंगे। उद्योग ने पिछले कई साल में बचतकर्ताओं को निवेशक में तब्दील कर शानदार काम नौसिखिया लोगों के लिए इक्विटी निवेश किया है।
आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक व सीईओ ए बालासुब्रमण्यन ने कहा, एमएफ कई चक्र से गुजरा है, बाजार के उतार-चढ़ाव देखे हैं और देश में निवेशकोंं के लिए सबसे भरोसेमंद निवेश के साधनों में से एक के तौर पर उभरा है। उन्होंंने कहा, पिछले साल बाजार में उतरने वाले नए निवेशकों ने बाजार का सिर्फ एक ही पक्ष देखा है।
बालासुब्रमण्यन के मुताबिक, उद्योग ने जीडीपी का करीब 15 फीसदी सृजित किया है और बचत को पूंजी बाजार में लाने में अहम भूमिका निभाई है।
डीएसपी एमएफ के प्रबंध निदेशक व सीईओ कल्पेन पारेख ने कहा कि पारंपरिक इक्विटी व बॉन्डोंं, कमोडिटीज व वैश्विक इक्विटी से अलग एमएफ कई योजनाओं की पेशकश है, जो हर खुदरा निवेशकों से लेकर कॉरपोरेट व बैंंक ट्रेजरी के लिए फिट हो सकता है। इसमें संदेह नहींं है कि पिछले साल ब्रोकिंग उद्योग में नए खाते खुलने की दर ऊंची रही है, लेकिन हम उससे सीख सकते हैं। जितने ब्रोकिंग खाते खुलेंगे, उनका इस्तेमाल ईटीएफ खातों नौसिखिया लोगों के लिए इक्विटी निवेश के तौर पर भी हो सकता है। सफर लंबा है लेकिन मुझे भरोसा है कि हम अलग-अलग तरह के निवेशकों का मकसद पूरा कर पाएंगे।
एचडीएफसी एमएफ के प्रबंध निदेशक व सीईओ नवनीत मुनोत ने कहा, म्युुचुअल फंड में कोई भी निवेश कर सकता है, चाहे वह बचत करने वाला हो और जो निवेश करना चाहता हो, चाहे आपात जरूरत के लिए हो या फिर आय सृजन के लिए या फिर लंबी अवधि में गाढ़ी कमाई के लिए। उन्होंने कहा कि म्युचुअल फंड ज्यादा विनियमित और सख्ती के दायरे में हैं। यह ताजा रुझान चुनौती और अवसर, दोनों है। नौसिखिया लोगों के लिए इक्विटी निवेश उन्होंने कहा कि सितंबर तिमाही में 30 लाख फोलियो शामिल हुए।
एडलवाइस एमएफ की प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी राधिका गुप्ता ने कहा, 'गेम सिर्फ खाते खोलने से जुड़ा नहीं है। चुनौती लोगों को विभिन्न समय चक्रों के जरिये निवेश से जोड़े रखने की है। यह ऐसी लड़ाई है, जो हमें जीतनी होगी।' बड़ी तादाद में फिनटेक कंपनियां म्युचुअल फंड क्षेत्र में किस्मत आजमाने की तैयारी कर रही हैं। म्युचुअल फंडों के प्रमुख इसे खतरे के तौर पर नहीं देख रहे हैं, बल्कि वह इसे देश के दूर-दराज इलाकों में उद्योग की पहुंच में सुधार के रूप में मान रहे हैं।
कोटक महिंद्रा एमएफ के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह ने कहा, 'कंपनियों की संख्या जितनी ज्यादा होगी, उतना ही अच्छा है। हम आज शहरी-केंद्रित हैं और हमें भारत के हरेक पिनकोड तक पहुंचना होगा। ऐसा करने के लिए हमें सभी कंपनियों से सामूहिक प्रयास की जरूरत होगी।' अंतरराष्ट्रीय फंड पिछले दो साल में निवेयशकों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं। हालांकि फंड प्रमुखों का मानना है कि यह महत्वपूर्ण था कि निवेशकों ने सबसे पहले भारतीय इक्विटी को पसंद किया और फिर विविधता के प्रयास में अंतरराष्ट्रीय इक्विटी की ओर रुख किया, और ऐसी कंपनियों या व्यवसायों में निवेश पर जोर दिया, जो भारत में मौजूद नहीं हैं।
पारेख ने कहा, 'इक्विटी निवेश भारत और पूरी दुनिया में श्रेष्ठ व्यवसायों की खरीदारी के समान है। निवेशकों को सतर्कतापूर्वक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय इक्विटी के समावेश के साथ हाइब्रिड पोर्टफोलियो तैयार करने पर ध्यान देना चाहिए। कई ऐसी विदेशी कंपनियां हैं जो भारत में मौजूद कंपनियों के मुकाबले तेज रफ्तार से बढ़ रही हैं। विविध चक्रों और मल्टी-कंट्री पोर्टफोलियो पर ध्यान देने वाले देशों को अस्थिरता घटाने में मदद मिल सकती है।'
पैसिव योजनाओं की वृद्घि के बावजूद ऐक्टिव योजनाएं शीर्ष फंड हाउसों के पोर्टफोलियो के बड़े हिस्से में शामिल बनी हुई हैं। कई परिसंपत्ति प्रबंधकों ने निवेश विविधता लाने और निवेशकों को व्यापक विकल्प मुहैया कराने के प्रयास में अपने पोर्टफोलियो में पैसिव योजनाओं की पेशकश की थी।
टैक्स फंड में निवेश के दौरान क्या आपके मन भी हैं ये सवाल?
म्यूचुअल फंड सलाहकार उन्हें टैक्स फंड्स (ईएलएसएस) में निवेश की सलाह दे रहे हैं. ज्यादातर निवेशक अब भी टैक्स स्कीम को लेकर दुविधा में हैं.
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर गौरव मोंगा के अनुसार, "नए निवेशक टैक्स स्कीमों में अपने निवेश को लेकर चिंतित हैं. उन्हें लगता है कि निवेश की पहली तारीख के तीन साल बाद ही वे पूरी रकम निकाल सकते हैं. इस वजह से वे काफी निराश होते हैं."
गौरतलब है कि ईएलएसएस स्कीमों में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर आयकर अधिनियम के सेक्शन 80सी के तहत छूट का प्रावधान है. सेक्शन 80सी में दर्ज सभी विकल्पों की तुलना में एलएसएस का अनिवार्य लॉक इन पीरियड सबसे कम है.
हालांकि, यदि आपने ईएसएलएस में एसआईपी के जरिए निवेश किया नौसिखिया लोगों के लिए इक्विटी निवेश है, तो तीन साल का यह लॉक-इन पीरियड अलग-अलग समय में पूरा होगा. इसका अर्थ है कि हर एसआईपी को तीन वर्ष के लॉक-इन पीरियड के बाद ही आप उसे बेच सकते हैं.
एक्सिलेंट इंवेस्टमेंट एडवाइजर्स के संस्थापक पुनीत ओबेरॉय का मानना है कि निवेशक म्यूचुअल फंड सलाहकारों की बात नहीं मान रहे हैं. उन्होंने कहा, "निवेशक दिसंबर में ईएलएसएस में निवेश के लिए आते हैं, जब उन्हें सिर्फ स्टेटमेंट जमा करने की चिंता सताती है. वे अपनी शंकाएं दूर नहीं करते."
इसके अलावा निकासी की योजना भी म्यूचुअल फंड सलाहकारों के लिए माथापच्ची का काम है. ओबेरॉय का मानना है कि तीन साल के लॉन-इन पीरियड के बाद पैसा निकालना समझदारी का संकेत नहीं, क्योंकि आप एक इक्विटी स्कीम में निवेश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, "पहली बात तो यह कि आप तीन साल बाद ही ईएलएसएस में निवेश की गई राशि को क्यों निकाल लेना चाहते हैं. इस स्कीम में कम से कम पांच साल तक निवेश करना चाहिए. यदि आपको अपना पैसा तीन साल बाद ही चाहिए, तो आप गलत जगह निवेश कर रहे हैं."
म्यूचुअल फंड सलाहकार इक्विटी स्कीम की सलाह तभी देते हैं, जब आपके पास निवेश के लिए कम से नौसिखिया लोगों के लिए इक्विटी निवेश कम पांच साल की अवधि हो. शॉर्ट टर्म में इक्विटी में जोखिम और अस्थिरता, दोनों ही ज्यादा हो सकती है. इसलिए जरूरी है कि आप अपने फंड को प्रदर्शन के लिए पर्याप्त समय दें.
The company will use the funds to strengthen its product and technology offering, expand its team and geographical footprint.
सलाहकारों का मानना है कि निवेशक अब भी ईएलएसएस की रिटर्न की गणना को नहीं समझ पा रहे हैं. उदाहरण के लिए कई निवेशकों का मानना है कि यदि किसी टैक्स फंड ने साल में 30 फीसदी का रिटर्न दिया है, तो उन्हें लगता कि उनके हर एसआईपी पर उन्हें 30 फीसदी रिटर्न मिलेगा.
हालांकि, यह धारणा गलत है. यह सिर्फ तभी सच हो सकता है यदि आपने एक साल पहले एकमुश्त निवेश किया हो. चूंकि एसआईपी पूरे नौसिखिया लोगों के लिए इक्विटी निवेश साल के दौरान होती है, इसलिए एसआईपी का रिटर्न अलग-अलग होता है.
गौरतलब है कि एसआईपी के रिटर्न की गणना एकमुश्त निवेश जितनी सरल नहीं है. एसआईपी का रिटर्न उसी आधार पर देखा नौसिखिया लोगों के लिए इक्विटी निवेश जाता है, जितने समय तक वह निश्चित राशि निवेश की गई होती है. इसलिए रिटर्न निकालने का प्रक्रिया जटिल हो जाती है.
ज्यादातर सलाहकारों का मानना है कि यदि आप अंतिम समय की दौड़ में रहते हैं या फिर आपके मन में ऊपर दिए गए सवाल हैं तो आपको ईएलएसएस में निवेश नहीं करना चाहिए. टैक्स फंड में निवेश का इकलौता मकसद टैक्स बचाना नहीं, बल्कि आपका वित्तीय लक्ष्य भी होना चाहिए.
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
एसबीआई म्युचुअल फंड में निवेश कैसे करें?
एसबीआई म्युचुअल फंड में निवेश करना पहले से कहीं अधिक सरल बना दिया गया है चाहे आप अनुभवी निवेशक हों या इस क्षेत्र में नौसिखिया। आप वेबसाइट या इन्वेस्टएप पर निवेश शुरू कर सकते हैं।
डेट और इक्विटी में क्या अंतर है?
एसबीआई म्युचुअल फंड में निवेश करना पहले से कहीं अधिक सरल बना दिया गया है चाहे आप अनुभवी निवेशक हों या इस क्षेत्र में नौसिखिया। आप वेबसाइट या इन्वेस्टएप पर निवेश शुरू कर सकते हैं।
निवेश करने के लिए सबसे अच्छा फंड कौन सा है?
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नियमित और प्रत्यक्ष योजनाओं के बीच क्या अंतर है?
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अस्थिर बाजार में बुद्धिमानी से करें संपत्ति आवंटन, मिलेगा बेहतर रिटर्न
साल 2018 में प्रवेश करते हुए हमने देखा की शेयर बाजार अपने उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहा था। बीएसई सेंसेक्स 36,400 के स्तर पर पहुंच गया था।इसके बाद अचानक, जनवरी माह में हमने इक्विटी और बैलेंस्ड म्युचुअल फंड में 21,069 करोड़ रुपए का प्रवाह देखा। हालांकि यह एक अच्छा संकेत था कि निवेशक इक्विटी निवेश करने लगे। घरेलू बचत का ट्रेंड तो बदला लेकिन इसके बाद एेसा लगने लगा कि निवेश 'जोखिम' शब्द का अर्थ भूल गए हैं।
ट्रेड वाॅर आैर फेड रिजर्व के फैसले से पड़ा बाजार पर असर
हाल में बाजार में गिरावट वैश्विक स्तर पर हुई गिरावट के कारण हुई है। ट्रम्प के नेतृत्व वाली प्रशासन ने स्टील और एल्यूमीनियम के आयात शुल्क को लागू करने के लिए तैयार हो गई है। वैश्विक बाजार में गिरावट का दूसरा कारण अमरीकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि के कारण रहा है। अमरीकी फेडरल ब्याज दरों में वृद्धि के साथ, वैश्विक बाजार से सुरक्षा के लिए एक तेजी रही है, जिसमें उभरते हुए बाजारों में अमरीका को शामिल किया गया है। वैश्विक जोखिम का कारण भारतीय बाजार पर भारी पड़ा है, जो कि वित्त वर्ष 2012 के लिए पहले से ही उच्चतम तिमाही जीडीपी संख्या से सकारात्मक खबरों के साथ-साथ हाल के राज्य के चुनावों के परिणामों को भी छूट दे चुका है।
निवेशक ले रहे जाेखिम का संज्ञान
अस्थिर समय के बीच इक्विटी मार्केट के साथ, नौसिखिया इक्विटी निवेशक जो केवल तेजी को देख रहे थे, वे वास्तव में इक्विटी के लिए क्या देखें? छोटी अवधि में इक्विटीज अस्थिर हो जाते हैं और निवेशक अब इस जोखिम का संज्ञान ले रहे हैं। यह एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि ऐसे निवेशकों को अधिक सावधानी बरतने और अन्य इक्विटी वर्गों में निवेश करने के बारे में सोचने की संभावना है, जो कि सिर्फ इक्विटी नौसिखिया लोगों के लिए इक्विटी निवेश मार्केट के विपरीत है।
बाजार में जारी रहेगा उतार-चढ़ाव का दौर
हमारे विचार में आगे भी भारतीय बाजार में उतार-चढ़ाव रहने की संभावना है। बाजार में बढ़ोतरी से जो सुधार की उम्मीद थी, वह अभी तक नहीं हुआ है। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले 12 से 18 महीनों में आय की वृद्धि बढ़ेगी। हालांकि, कच्चे तेल की स्थिर कीमतें से भारतीय बाजार को सपोर्ट मिल सकता है। इन सब के बावजूद आखिरकार कॉरपोरेट आय पर बहुत कुछ निर्भर करेगा क्योंकि वह ही बाजार को ऊंचाई पर ले जाने में मदद करेगा। हालांकि, अमरीका द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण बाजारों के लिए हेडविंड्स बढ़ रहे हैं। यहां तक कि अगर कंपनी के प्रदर्शन में सुधार होता है, तो ब्याज दरों में किसी भी समान वृद्धि से बाजार में कोई लाभप्रद लाभ नहीं दिखाई देगा।
फिक्स्ड इनकम और इक्विटी मार्केट दोनों ही अस्थिर
हमारे विचार में फिक्स्ड इनकम और इक्विटी मार्केट दोनों ही अस्थिर रहेगा। अस्थिरता निवेश करने का एक सामान्य हिस्सा है, इसलिए निवेशकों को आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए। निवेशकों के लिए इस तरह के माहौल में सिर्फ परिसंपत्ति आवंटन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
एसेट आवंटन कुंजी है
यह समझना जरूरी है कि इक्विटी एक शून्य-जोखिम वाले एसेट क्लास नहीं है, लेकिन निश्चित रूप से धैर्य और अनुशासित निवेश का पुरस्कार मिलता है। इसके अलावा वित्तीय बाजारों में अस्थिरता एक अभिन्न अंग है।जबकि इक्विटी उचित रिटर्न दे सकते हैं, फिर भी मध्यम अवधि के लिए रिटर्न की उम्मीदों को कम कर देना चाहिए, क्योंकि बाजार वैल्यूएशन पहले ही महंगा है। जब किसी भी परिसंपत्ति वर्ग को अर्थपूर्ण रूप से कम मूल्यांकन किया जाता है, तो उसके बाद आप अपने अधिकांश पोर्टफोलियो को इसमें निवेश करना चुन सकते हैं। यदि इक्विटी 2008 या 2013 जैसी सस्ती परिसंपत्ति वर्ग बन जाती है, तो केवल इक्विटी में निवेश करना बुद्धिमान भरा फैसला हो सकता है।
अपने पोर्टफोलियो में डेट फंड को जोड़ें
हम डेट फंड में निवेश की सलाह देते हैं, मुख्य रूप से छोटी अवधि के क्रेडिट फंड के माध्यम से। ऐसे फंड में, जोखिम अवधि सीमित होता है, क्योंकि पोर्टफोलियो में 'ए' या 'एए' कागजात होते हैं। इस बिंदु पर इनकी अच्छी संभावना है क्योंकि यील्ड तेजी से बढ़ गया है। वास्तव में, इनमें से कुछ श्रेणियों पर यील्ड-मैच्योरिटी काफी अधिक है जो पहले से तय था। आगे, लंबी अवधि के धन के लिए सकारात्मक दीर्घकालिक दृष्टिकोण को देखते हुए ये व्यवस्थित निवेश के लिए उपयुक्त हो सकते हैं। हमें इस श्रेणी में अल्पकालिक अस्थिरता की उम्मीद है, विशेष रूप से वैश्विक यील्ड बढ़ने के साथ। अस्थिर समय में व्यवस्थित निवेश लंबी अवधि के लिए धन सृजन में मदद करता है।
क्लोज एंडेड फंड के जरिए अवसर
ट्रिलियन डॉलर क्लब में प्रवेश करने के लिए भारत ने 60 साल लिए हैं। लेकिन आकार को दोगुना करने के लिए लगभग 7 साल लग गए। बढ़ते जीडीपी के साथ युवा जनसंख्या को जोड़ना, खपत एक स्थायी दीर्घ अवधि के लिए एक संरचनात्मक कहानी प्रतीत होती है। यहां उपलब्ध अवसरों को विवेकाधीन और गैर-विवेकाधीन व्यय में देखा जा सकता है। खपत बढ़ने से जो सेक्टर सबसे ज्यादा लाभान्वित होंगे वे हैं उपभोक्ता गैर-टिकाऊ, उपभोक्ता टिकाऊ, ऑटो, मनोरंजन, स्वास्थ्य सेवा शामिल हैं।
नाेट : उपरोक्त लेख निमेश शाह द्वारा लिखित है। वो आर्इसीअार्इसीआर्इ प्रूडेंशियल के एमडी आैर सीर्इआे हैं