विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम

भारत में तो हम “अतिथि देवो भव” के विचारों पर चलने वाले लोग हैं। परंतु, भारत की तुलना में अन्य देशों में पर्यटकों का आवागमन अधिक है। वर्ष 2018 में सबसे अधिक पर्यटक फ़्रान्स (8.94 करोड़), स्पेन (8.28 करोड़), अमेरिका (7.96 करोड़), चीन (6.29 करोड़) एवं इटली (6.21 करोड़) में पहुंचे। जबकि भारत में केवल 1.74 करोड़ पर्यटक ही पहुंचे थे। पूरे विश्व में 140.1 करोड़ पर्यटकों ने विभिन्न देशों की यात्रा की। वर्ष 2018 में टर्की एवं वियतनाम ने पर्यटन में क्रमशः 21.7 प्रतिशत एवं 19.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। जबकि भारत ने 12.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की थी। इस वृद्धि दर को बहुत अधिक तेजी से बढ़ाने के विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम प्रयास करने होंगे। भारत में अध्यात्म (योगा, ध्यान, आश्रमों में भ्रमण), मेडिकल, शिक्षा, आदि क्षेत्रों में टुरिजम की असीम सम्भावनाएं मौजूद हैं। एतिहासिक महत्व के कई स्थान एवं बौध धर्म, इस्लाम धर्म, सिख धर्म एवं हिन्दू धर्म के कई धार्मिक स्थलों को विकसित किया जाकर विदेशी पर्यटकों को देश में आकर्षित किया जा सकता है। भारत सरकार द्वारा भी देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई उपाय किए जा रहे हैं। इनमे मुख्य हैं, स्वदेशी दर्शन योजना के अन्तर्गत 13 थिमेटिक सर्कट्स का विकास किया जाना, मेडिकल पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मेडिकल वीजा आसानी से जारी किया जाना, इनक्रेडिबल इंडिया अभियान-2 को प्रारम्भ किया जाना, सरदार वल्लभ भाई पटेल की विश्व में सबसे लम्बी 182 मीटर की स्टैचू की स्थापना किया जाना तथा होटेल एवं पर्यटन के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाकर 100 प्रतिशत किया जाना, आदि शामिल हैं। भारतीय पर्यटन उद्योग में 87 प्रतिशत हिस्सा देशी पर्यटन का है जबकि शेष केवल 13 प्रतिशत हिस्सा ही विदेशी पर्यटन का है।
विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम
अभी हाल ही में जारी की गई सीधी नियुक्ति मंच हायरेक्ट की 'जॉब इंडेक्स रिपोर्ट' के अनुसार, जून 2022 से अगस्त 2022 के तीन महीनों के दौरान टूर एंड ट्रेवल उद्योग में नए रोजगार के अवसरों में जोरदार तेजी देखी गई है, जो भारत के लिए रोजगार की दृष्टि से बहुत अच्छा संकेत माना जा सकता है। दरअसल कोविड महामारी के दौर का असर कम होने के बाद अन्य उद्योगों के साथ ही पर्यटन उद्योग भी अब तेजी से वापिस पटरी पर आ गया है। भारत में वित्त वर्ष 2022-23 के जून-अगस्त 2022 की अवधि के दौरान यात्रा और पर्यटन उद्योग में रोजगार के नए अवसरों में 28 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। मासिक आधार पर रोजगार के नए अवसरों में 8 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज हुई है। यह सब केंद्र सरकार द्वारा पर्यटन उद्योग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से समय समय पर लिए गए निर्णयों के चलते ही सम्भव हो पाया है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड जैसे राज्यों का योगदान इसमें बहुत अधिक रहा है। वाराणसी, अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, आदि जैसे धार्मिक शहरों में तो पर्यटकों की संख्या में अतुलनीय वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है। पर्यटन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश राज्य लगातार आगे बढ़ रहा है। केवल वाराणसी की ही चर्चा की जाय तो वाराणसी में पर्यटन के क्षेत्र में केवल 4 चार वर्षों में 10 गुना से अधिक की वृद्धि देखी गई है। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद से पर्यटकों की संख्या में बड़ा उछाल आया है। धार्मिक आयोजनों के इत्तर वाराणसी शहर में वाटर टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसके अंतर्गत चार क्रूज संचालित किए जा रहे हैं। देव दीपावली के साथ ही गंगा आरती, पंचकोसी यात्रा, अंतरग्रही परिक्रमा, घाटों का सुंदरीकरण, सारनाथ का विकास, गलियों का कायाकल्प भी पर्यटकों को बहुत लुभा रहा है। भारत में प्राचीन समय से धार्मिक स्थलों की यात्रा, पर्यटन उद्योग में, एक विशेष स्थान रखती है। एक अनुमान के अनुसार, देश के पर्यटन में धार्मिक यात्राओं की हिस्सेदारी 60 से विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम 70 प्रतिशत के बीच रहती है।
क्या होता है रेमिटेंस? जानिए कैसे आम आदमी और देश की अर्थव्यवस्था पर डालता है असर
TV9 Bharatvarsh | Edited By: शशांक शेखर
Updated on: Nov 18, 2021 | 2:27 PM
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, बारत ने साल 2021 में 87 अरब डॉलर का रेमिटेंस प्राप्त किया है. इसमें सबसे ज्यादा अमेरिका से आया है. कुल रेमिटेंस का केवल 20 फीसदी अकेले अमेरिका से आया है. यह रिपोर्ट वर्ल्ड बैंक की तरफ से जारी की गई है. यह दुनिया में किसी भी देश को मिलने वाला सबसे ज्यादा रेमिटेंस है.
वाशिंगटन स्थित विश्व बैंक ने बुधवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत के बाद चीन, मैक्सिको, फिलीपींस और मिस्र का स्थान है. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में रेमिटेंस 2022 में तीन फीसदी बढ़कर 89.6 अरब डॉलर होने का अनुमान है, क्योंकि अरब देशों से लौटने वाले लोगों का एक बड़ा हिस्सा वापसी का इंतजार कर रहा है. भारत में विदेशों से 2020 में 83 अरब डॉलर से अधिक धन भेजे गए थे.
6 फीसदी की तेजी का अनुमान
विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘रेमिटेंस के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता भारत में धन प्रवाह 4.6 फीसदी की वृद्धि के साथ 87 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.’’ बैंक ने कहा कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में प्रेषण 7.3 फीसदी बढ़कर 2021 में 589 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. यह पहले के अनुमानों की तुलना में अधिक है.
रेमिटेंस का भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है. यह सरकारी योजनाओं को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है. भारत सरकार की योजनाएं जैसे स्किल डेवलपमेंट, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया जैसे प्रोग्राम की सफलता में विदेशों से आने वाले रेमिटेंस का बड़ा योगदान होता है. यह भारत की जीडीपी को बढ़ाने में मदद करता है, साथ ही सरकार के सामने मुंह बाए खड़ी गरीबी की समस्या को भी कम करता है.
गरीबी दूर करने में होती है सरकार की मदद
भारत में इस फंड के ज्यादा हिस्से का इस्तेमाल किसी फैमिली से गरीबी को दूर करने, हेल्थ स्टेटस में सुधार लाने, शिक्षा में सुधार के कामों में होता है. कोरोना काल में जब सरकार ने गरीबों के खाते में पैसे ट्रांसफर किए थे, उस समय विदेशों से रेमिटेंस के रूप में आने वाले धन ने लोगों विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
इसके अलावा देश के विदेशी मुद्रा भंडार को बनाए रखने में भी रेमिटेंस का अहम योगदान होता है. अगर रेमिटेंस ज्यादा आता है तो इससे रुपए को भी मजबूती मिलती है. अगर रुपया मजबूत होगा तो आयात का बिल कम होगा. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया में 258 मिलियन यानी 25.8 करोड़ लोग अपने देश के छोड़कर दूसरे देशों में रहते हैं. ऐसे में रेमिटेंस में कम ज्यादा होता रहेगा, लेकिन किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में इसकी महत्ता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
संस्कृति- परंपराओं पर गर्व करें
कार्यालय संवाददाता-कुल्लू
अपनी संस्कृति और परंपराओं पर गर्व करने की आवश्यकता है। परंपराओं को पुर्नस्थापित करने की जरूरत है। यह अपील राज्यपाल राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शनिवार को कुल्लू के देवसदन में रूपी सिराज कला मंच और हिमाचल कला भाषा एवं संस्कृति अकादमी तथा संस्कार भारती हिमाचल प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए की। उन्होंने कहा कि लोक संस्कृति, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण इत्यादि ऐसे विषय हैं जिनसे हम सीधे तौर पर जुड़े हैं, उनपर चिंतन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संगोष्ठी के माध्यम से होने वाली चर्चा को सार्थक रूप देना हम सबकी जिम्मेदारी है। समाज में हमारा योगदान होना चाहिए, ताकि अन्यों को प्रेरणा मिल सके। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह नीति हमारी मानसिकता में बदलाव लाने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि दुनिया के विकसित राष्ट्र अपनी मातृ भाषा में विकास कर रहे हैं। हमें अपनी मातृ भाषा को पूर्ण रूप से अपनाकर आगे बढऩे की आवश्यकता है और यह इस शिक्षा नीति से संभव है। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने भारत की समृद्ध संस्कृति एवं उच्च परम्पराओं के विभिन्न पहलुओं पर चिंतन करने की आवश्यकता पर बल दिया।
रतलाम : 'जनता के पैसे से खिलवाड़ नहीं, निजीकरण स्वीकार नहीं'
रतलाम। सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर सोमवार से दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल प्रारंभ हुई। इससे बैंकों में ताले लगे रहे और जानकारी के अभाव में बैंक पहुंचे ग्राहकों को परेशान होकर निराश लौटना पड़ा। उधर, बैंकें बंद रहने से एटीएम पर दिनभर नकदी निकालने वालों की भीड़ लगी रही। कई एटीएम दोपहर तो कई एटीएम शाम तक खाली हो गए।
यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस से संबद्ध एआईबीईए, एआइबीओसी, एनसीबीई, एआइबीओए, बीईएफआइ, आइएनबीईएफ, आइएनबीओसी, एनओबीडब्ल्यू और एनओबीओ से जुड़े विभिन्ना विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम बैंकों में कार्यरत देशभर के लगभग दस लाख बैंक कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल में शामिल हुए। रतलाम में भारतीय स्टेट बैंक मुख्य शाखा मित्र निवास रोड पर धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया गया। 'साझा संघर्ष तेज करो.. तेज करो.. तेज करो. ', 'देश हमारा नीति विदेशी नहीं चलेगी.. नहीं चलेगी. ', 'जनता के पैसे से खिलवाड़ विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम नहीं, निजीकरण स्वीकार नहीं' आदि नारे लिखी तख्तियां थामकर बैंककर्मियों ने निजीकरण के खिलाफ आवाज बुलंद की। फोरम के पदाधिकारियों ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने आजादी से लेकर आज तक देश के चहुंमुखी विकास, उत्थान में बहुत बड़ा अभूतपूर्व योगदान दिया है। अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है। सरकारी बैंकों द्वारा एक मजदूर, आम व्यक्ति, किसान, छोटे व्यापारी से लेकर सभी वर्ग को सेवाएं दी गई है। इसके अलावा मुद्रा लोन, जन-धन खाते, प्रधानमंत्री स्वनिधि व अन्य सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन भी सरकारी बैंकों द्वारा विशेष रूप से किया गया है।
Pakistan News: आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को सऊदी अरब से मिलेगा 3 अरब डॉलर की मदद, सऊदी वित्त मंत्री ने दी जानकारी
Highlights सऊदी अरब से पाकिस्तान को जल्द ही आर्थिक मदद मिलने वाली है। यह आर्थिक मदद 3 अरब डॉलर के रूप में होगी। पाक पीएम द्वारा इस मदद से पाकिस्तान की अर्थ व्यवस्था के बदलने की उम्मीद जताई जा रही है।
Pakistan-Saudi Arabia Finanacial Help:सऊदी अरब जल्द ही पाकिस्तान को एक बहुत ही बड़ी आर्थिक मदद देने वाला है। इस बात की जानकारी दावोस में सऊदी वित्त मंत्री मोहम्मद अल-जादान ने रायटर को दी है। इस पर बोलते हुए उन्होंने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में कहा है कि "हम वर्तमान में पाकिस्तान को 3 अरब डॉलर की जमा राशि देने को अंतिम रूप दे रहे हैं।" सऊदी अरब के मुताबिक, किंगडम अपनी जमा राशि 3 अरब डॉलर के विस्तार को अंतिम रूप दे रहा है और ऐसे में इस आर्थिक मदद का एलान किया गया है। आपको बता दें कि इससे पहले पिछले साल सऊदी अरब ने अपने विदेशी भंडार का समर्थन करने में मदद के लिए पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक में 3 अरब डॉलर जमा किए थे।