विदेशी मुद्रा संकेत

विदेशी मुद्रा संकेत
रुपए को थामने के लिए विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा संकेत भंडार के इस्तेमाल की तैयारी Jansatta | July 23, 2022 छाता खरीदते हैं, ताकि बारिश होने पर इस्तेमाल कर सकें : रिजर्व बैंक गवर्नर
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कमजोर रुपए को सहारा देने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार के इस्तेमाल की तैयारी के पुख्ता संकेत देते हुए कहा कि बारिश के समय इस्तेमाल करने के लिए ही छाता खरीदा जाता है। अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपए की कीमत में आ रही गिरावट के बीच उन्होंने यह बात कही।
दास ने कहा कि मुद्रा बाजार के अचानक व अस्थिर उठापटक के दौरान आरबीआइ ने यह सुनिश्चित किया है कि विदेशी मुद्रा बाजार टिकाऊ ढंग से काम करे और उसे लेकर अपेक्षाएं भी धरातल पर रहें । उन्होंने कहा कि आरबीआइ का विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप बना रहेगा, ताकि रुपया अपनी बुनियादी स्थिति के मुताबिक स्तर हासिल कर सके।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 7.5 अरब डॉलर घटकर 572.7 अरब डॉलर पर आया, पिछले 20 महीनों का सबसे निचला स्तर
India’s Forex Reserves: जुलाई के पहले दो हफ्तों में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में कुल 15.5 अरब डॉलर की कमी आई है
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (India's Forex Reserves) घटकर अपने 20 महीने के निचले स्तर पर आ गया है। इसका कारण भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से रुपये की गिरावट को रोकने के लिए बाजार में बार बार किया गया हस्तक्षेप है। ब्लूमबर्ग ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी। एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 80 रुपये तक पहुंच चुकी है और RBI इसमें और गिरावट आने से रोकने की कोशिश कर रहा है।
RBI ने शुक्रवार को जारी आंकड़े में बताया कि 15 जुलाई को समाप्त हुए हफ्ते में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 7.5 अरब डॉलर घटकर 572.7 अरब डॉलर पर आ गया। यह 6 नवंबर 2020 के बाद का इसका सबसे निचला स्तर है। RBI के आंकड़ों के अनुसार इससे पहले, आठ जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान, विदेशी मुद्रा भंडार 8.062 विदेशी मुद्रा संकेत अरब डॉलर घटकर 580.252 अरब डॉलर रह गया था।
इस तरह जुलाई के पहले दो हफ्तों में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में कुल 15.5 अरब डॉलर की कमी आई है और अधिकतर हिस्सा रुपये को बचाने की कोशिश में घटा है। इस बीच शुक्रवार को, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया पांच पैसे की गिरावट के साथ 79.90 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
आपकी बात: रुपए में गिरावट का अर्थव्यवस्था पर क्या असर हो रहा है?
बिगड़ेगा भुगतान संतुलन
रुपए में गिरावट से भारतीय निर्यात तो बढ़ेगा, परन्तु हमारे लिए विदेशों से आयात करना विदेशी मुद्रा संकेत बहुत महंगा हो जाएगा। इससे भुगतान संतुलन बिगड़ जाएगा, जो हमारी अर्थव्यवस्था को निश्चित तौर पर नुकसान पहुंचाएगा।
-भूपेन्द्र माण्डैया, अलवर
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आयात हो रहा है महंगा
देश के व्यापारियों के लिए आयात महंगा और विदेशियों के लिए आयात सस्ता हो रहा है। निर्यात पर विदेशी मुद्रा कम मिल विदेशी मुद्रा संकेत रही है, जिससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार कम गति से बढ़ेगा।
-मुकेश भटनागर, भिलाई
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खराब संकेत
रुपए की गिरती साख से जहां आयात विदेशी मुद्रा संकेत महंगा हो जाएगा, वहीं निर्यात सस्ता हो जाएगा। आम भाषा में कहें तो भारत विदेशों से खरीदी गई चीजों के लिए अधिक पैसे चुकाएगा। वहीं विदेशों को सामान बेचने पर उन्हें हमें कम पैसे चुकाने होंगे। लिहाजा आयात और निर्यात के बीच का फासला बढ़ जाएगा, जो किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए खराब संकेत होते हैं।
-राहुल मुदगल, फतेहाबाद, आगरा
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बढ़ेगी बेरोजगारी
देश में वस्तुओं के भाव ज्यादा होंगे। आर्थिक मंदी के कारण बेरोजगारी बढ़ेगी। आम नागरिकों तक खाने-पीने की वस्तुएं पहुंच से बाहर होने लगेगी, जिसका उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
-सज्जाद अहमद कुरेशी, शाजापुर
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महंगाई बढ़ी
रुपए में गिरावट से आयातित सामग्री की कीमत ज्यादा देनी पड़ रही है। इससे महंगाई बढ़ती ही जा रही है।
-लता अग्रवाल, चित्तौडग़ढ़
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निर्यात बढ़ेगा, आयात घटेगा
वर्तमान दौर में रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रहा है, जिसके कारण भारत का निर्यात बढ़ेगा और आयात कम होगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार से कच्चा तेल खरीदने के लिए अधिक मूल्य चुकाना पड़ेगा, जिसके कारण मुद्रास्फीति बढ़ेगी एवं विदेशी मुद्रा भंडार कम होगा।
-कपिल एम.वडियार, जोधपुर
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महंगाई के खिलाफ लड़ाई कठिन
रुपए का लगातार गिरना चिंताजनक है। गिरता रुपया देश में मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई को कठिन बनाता जा रहा है। मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में बढ़ोतरी करनी होगी, जिसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। गिरते रुपए से महंगाई में यकायक वृद्धि होने से आर्थिक विकास पर आना ही आना है।
-नरेश कानूनगो, देवास, मध्यप्रदेश.
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गिरता है जीवन स्तर
रुपए में गिरावट का असर सीधे तौर पर महंगाई को बढ़ावा देता है। आयात अधिक प्रभावित होता है। महंगाई के चलते लोगों का जीवन स्तर गिरता है।
-अमनदीप बिश्नोई ,सूरतगढ़
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रोकी जाए रुपए की गिरावट
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के मजबूत होने के लिए उस देश की मुद्रा का मजबूत होना बहुत जरूरी होता है। इसलिए सरकार और रिजर्व बैंक को मिलकर रुपए की गिरावट को रोकने के प्रयास करने चाहिए।
- शान मिश्रा, बिलासपुर
Forex reserve news: तेजी से घट रहा है विदेशी मुद्रा भंडार, इतना तो 2008 में भी नहीं गिरा था
नवभारत टाइम्स 27-09-2022
नई दिल्ली:
देश का विदेशी मुद्रा भंडार (forex reserve) हाल में काफी तेजी से गिरा है। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 16 सितंबर को देश का विदेशी मुद्रा भंडार 545.65 अरब डॉलर रह गया जो इसका करीब दो साल का न्यूनतम स्तर है। रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 85.88 अरब डॉलर की गिरावट आई है। जानकारों का कहना है कि डॉलर के मजबूत होने से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार घटा है। लेकिन इसकी बड़ी वजह यह है कि आरबीआई ने करेंसी मार्केट में डॉलर की काफी बिक्री की है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इस बार 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट की तुलना में ज्यादा तेजी से गिरा है।
बिजनस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी मुद्रा संकेत मार्च 2008 से मार्च 2009 के बीच देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 57.7 अरब डॉलर की गिरावट आई थी। इस दौरान रुपये की कीमत में 19.22 फीसदी की गिरावट आई थी। इसके चार साल बाद यानी 2013 में रुपये में इस बार से ज्यादा गिरावट आई थी। तब फेड रिजर्व ने मॉनीटरी पॉलिसी में सख्ती के संकेत दिए थे और दुनियाभर के मार्केट्स में हड़कंप मच गया था। तब एक मई से तीन सितंबर के बीच रुपये की कीमत में 20.6 फीसदी गिरावट आई थी। उस दौरान अप्रैल से सितंबर के बीच विदेशी मुद्रा भंडार में 21.56 अरब डॉलर की गिरावट आई थी। लेकिन विदेशी मुद्रा संकेत इस बार देश का विदेशी मुद्रा भंडार ज्यादा तेजी से घटा है। पिछले साल दिसंबर से अब तक रुपये में 8.20 फीसदी गिरावट आई है।
कितने महीने के आयात के बराबर है विदेशी मुद्रा भंडार
हाल के कुछ विदेशी मुद्रा संकेत वर्षों में आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से बढ़ा। अमेरिका में ब्याज दरों के कम रहने और डोमेस्टिक करेंट अकाउंट में सुधार से विदेशी फंड का प्रवाह बढ़ा। 2020-21 में इसमें 99.2 अरब डॉलर और 2021-22 में 30.3 अरब डॉलर का इजाफा हुआ। लेकिन हाल के महीनों में इसमें तेजी से गिरावट आई है। जानकारों का कहना है कि विदेशी मुद्रा भंडार में कमी चिंताजनक है। दो सितंबर को विदेशी मुद्रा भंडार 553.1 अरब डॉलर था जो नौ महीने के आयात के बराबर है। एक साल पहले यह 15 महीने के आयात के बराबर था।