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आधुनिक बाजार

आधुनिक बाजार
सबसे बड़ी विडंबना यह रही कि खेती छोड़ने वाले किसान महानगरों में मजदूर बन गए और उनका स्‍तर जीविकोपार्जन से आगे नहीं बढ़ पाया। यही कारण है कि कोरोना संकट में आजीविका पर संकट आते ही वे पैदल, साइकिल या दूसरे साधनों से देश के लाखों गांवों की ओर कूच कर रहे हैं। स्‍पष्‍ट है गांवों से शहरों की ओर पलायन मजबूरी में हुआ है।

कृषि बाजार की आधुनिक व्यवस्था

कृषि बाजार के वर्तमान स्वरूप में किसानों (उत्पादकों) तथा उपभोक्ताओं के मध्य बिचौलियों (मध्यस्थों) का जरूरत से अधिक दखल होने से किसानों के हितों को भारी नुकसान हो रहा है। किसी भी प्रकार के बाजार में मध्यस्थों की सेवाओं को अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मगर जब उनका दखल जरूरत से अधिक होने लगता है तब यह नुकसानदायक होता है।

आज की स्थिति में कुल लाभ का 50 से 60 प्रतिशत बाजार खर्च तथा मध्यस्थों के भेंट चढ़ जाता है तथा मात्र 40 से 50 प्रतिशत रकम ही किसानों तक पहुंच पाती है। कृषि उपज के संग्रह तथा उनके विक्रय के लिये जिस तरह के सहकारी बाजार व्यवस्था की आवश्यकता है उसका आज भी अभाव महसूस हो रहा है।

बाजार व्यवस्था में कई प्रकार की कमियां देखने को मिलती है उदाहरण के लिये नियमित बाजारों में नियमों के अनुसार नीलामी नहीं होती है। कई व्यापारी समूह बनाकर पहले से ही कृषि उत्पादों का भाव निर्धारित कर लेते है। परिणामस्वरूप किसानों को उत्पादों का सही भाव नहीं मिल पाता है तथा वे ठगा सा महसूस करते हैं।

वर्तमान परिस्थितियों में कृषि उत्पाद को बेचने के लिये कई व्यवस्थाएं प्रचलन में हैं । ये सभी वैकल्पिक रूप किसानों को उनकी उपज का किफायती मूल्य प्रदान करवाने और उनको अधिक सक्षम बनाने की दिशा में सार्थक सिद्ध हो रहे हैं। इनका संक्षेप में वर्णन किया जा रहा है जिसमें की किसान इनके बारे में जानकर लाभ उठा सकें।

1. सीधा विक्रय (डायरेक्ट मार्केर्टिंग)

ऐसी व्यवस्था में किसान सीधे ही अपने उत्पादों को बाजार में ले जाकर बेच सकते हैं। इस व्यवस्था में किसान तथा उपभोक्ता सीधे संपर्क में रहते हैं। यहां पर मध्यस्थों की कोई भूमिका नहीं होती है। हमारे देश में यह प्रणाली थोडे़ समय में कई राज्यों में शुरू हुई है।

हैदराबाद में इस तरह की व्यवस्था है जिसे रायतु बाजार के नाम से जाना जाता हैं। इन राज्यों में तो किसानों के खेती उत्पादों को बाजारों तक ले जाने के लिये साधनों की भी व्यवस्था की जाती है।

2. ईलेक्ट्रोनिक कॉमर्सः

विश्व व्यापार संगठन के अनुसार ईलेक्ट्रोनिक कॉमर्स में उत्पादन वितरण विक्रय आदि ईलेक्ट्रोनिक माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं का मुक्त प्रवाह द्वारा आदान-प्रदान होता हैं। जिससे सारी दूनिया एक बाजार में सिमट कर रह जाती है।

3. नियंत्रित बाजारः

ए.पी.एम.सी. या कृषि उत्पादन बाजार समिति के मार्फत किसान अपने कृषि उत्पादों को बेचकर अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। कृषि बाजार व्यवस्था में ए.पी.एम.सी. की भूमिका बहुत ही सराहनीय है। सभी राज्यों के प्रत्येक तालुकों में नियंत्रित बाजार की व्यवस्था हैं। किसान इसका भरपूर फायदा भी उठा रहे हैं।

4. समूह विक्रयः

समूह विक्रय से बाजार संयुक्त योजना बनाने, वित पोषण, क्रियान्वयन, मूल्य निर्धारण, समान रूप से पूरे समूह द्वारा जोखिम वहन करने आदि से परोक्ष रूप से अधिक मूल्य प्राप्त किया जा सकता हैं। समूह विक्रय व्यवस्था से औद्योगिक कौशल को विकसित करने मे सहायता मिलती है। इससे विक्रय लागत को कम करना, थोक आपूर्ति उपलब्ध कराना, मूल्य अनिशिचतता के जोखिम को कम करने जैसे अनेक फायदे होतेे है ।

5. सहकारी बाजारः

हमारे यहां कृषि बाजार व्यवस्था करने में सहकारी क्षत्रे का अत्यंत ही महत्वूपर्ण योगदान हैं। गुजरात जैसे राज्य में सहकारी संस्थाओं का बहुत ही बढ़िया तरीके से विकास हुआ है तथा किसानों ने भी इसका भरपूर लाभ उठाया है।

जब कृषि आधुनिक बाजार उत्पादों का बाजार भाव बहुत ही नीचे गिर जाता हैं तब सरकार किसान से कृषि उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर खरीद करती है तथा ये खरीद इन्हीं सहकारी बाजरों के मार्फत की जाती है। किसान भी व्यक्तिगत रूप से कृषि उत्पादों का विक्रय नहीं करके सहकारी मण्डली बना कर अपने कृषि उत्पादों को लाभकारी भावों पर बेचकर अधिक लाभ कमा सकते हैं।

6. संविदा खेती ( कांट्रेक्ट फार्मिग )

यह एक प्रकार की आधुनिक बाजार करार आधारित खेती हैं जिसमें किसान, कंपनी तथा बाजार समिति के मध्य त्रिपक्षीय करार किया जाता हैं। इसमें बाजार समिति की भूमिका एक सहायक के समान होती है। इस पद्वति में कंपनी की तरफ से कृषि आदान जैसे की उन्नत बीज, खाद, कीटनाशक दवा, अन्य साधन-सामग्री तथा समय-समय पर विषेशज्ञ का मार्गदर्शन मिलता हैं।

किसान को जरूरत पडने पर शर्तों के अनुसार वित्तीय सहायता भी दी जाती है। करार की शर्त की अवहेलना किसी भी पक्ष द्वारा करने पर यदि विवाद उत्पन्न होता हैं तो उस स्थिति में राज्य कृषि बाजार बोर्ड इसे सुलझाने में मध्यस्थ की भूमिका अदा करता है।

7. वायदा बाजारः

यह बाजार किसानों को उनके कृषि उत्पादों के उचित भाव दिलाने का पूरा वायदा करता हैं। ये प्रोसेसरों को भी कच्चे माल की निर्धारित दाम पर आपूर्ति करने का वचन देता है। भारत में एम.सी.एक्स. तथा एन.सी.डी.इ.एक्स. इसके लिये प्रमुख एक्सचेंज है। तथा ये सरकार के नीति नियमों के अनुसार वायदा बाजार का संचालन करते हैं।

8. निर्यातः

अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में वैश्वीकरण के इस युग में कृषि उत्पादों की बिक्री के लिये द्वार खुले हुए हैं। अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को बेचा जा सकता है जिससे उनके बहुत ही बढ़िया दाम मिल सकते हैं।

उदारीकरण के इस युग में कृषि उत्पादों के निकासी की प्रक्रिया सरल बनी है तथा इसका लाभ लेने के लिये किसानों को यदि किसी प्रकार की मुश्किल महसूस होती है तो वे सहकारी समिति का निर्माण करके यह काम बडी़ सरलता के साथ कर सकते हैं जिससे उन्हें अपने उत्पादों का स्थानीय बाजारों की अपेक्षा अच्छे भाव मिल सकें।

हमारे देश में कृषि बाजार के साथ जुडी कुछ प्रमुख संस्थाएं इस प्रकार से हैं :

  • नेशनल एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फैडरेश्न (नेफेड)
  • फूड कारर्पोरेषन आफ इंडिया (एफ.सी.आई.)
  • एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॅारिटी (ऐपिडा)
  • सेंट्रल वेयर हाउस कार्पोरेषन
  • डायरेक्टरेट आफ इकोनामिकस एंड स्टेटिस्टिक्स
  • कृषि आयोग, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग
  • ए.पी.एम.सी. तथा राज्य कृषि बाजार बोर्ड

निष्कर्ष

किसी भी बाजार व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए उनके बारे में जानकारी होना अत्यंत ही जरूरी है। इस सबन्ध में बाजार की विषय विषेषज्ञता के कारण, कृषि अर्थषास्त्री किसानों के लिये लाभकारी व कल्याणकारी भूमिका निभाता है। आज भी हमारे कई गाँवों में मूलभूत सुविधाओं की कमी है।

परिवहन एवं गोदाम जैसी आधारभूत सुविधाओं का सर्वथा अभाव है। तैयार फसलों को और अधिक उपयोगी बनाने के लिये ग्रेडिंग एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।

हमारे यहाँ पर ग्रेडिंग की सुविधाओं का सर्वथा अभाव है, इसके साथ ही किसानों को ग्रेडिंग करने की प्रक्रिया की पूरी समझ नहीं है जिससे उत्पाद का पूरा लाभ नही मिल पाता है। इन सब बातों को ध्यान देने की जरूरत है।

1 राजेन्द्र जांगिड 2 रामनिवास 3 गोगराज ओला एवं 4 मधु कुमारी

1 विद्यावाचस्पति, छात्र कृषि अर्थशास्त्र विभाग] कृषि महाविधालय] बीकानेर

2]3 विद्यावाचस्पति] सस्य-विज्ञान विभाग] कृषि महाविधालय] बीकानेर

4 स्नातकोत्तर] उद्यान-विज्ञान विभाग, श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि महाविधालय] जोबनेर (जयपुर)

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हटाए जाएंगे अवैध कब्जे, बनेगा आधुनिक बाजार

हटाए जाएंगे अवैध कब्जे, बनेगा आधुनिक बाजार

वाराणसी ( ब्यूरो ) प्रदेश की योगी सरकार कांशीराम आवास योजना में रह रहे तीन हजार परिवारों को जल्द आधुनिक बाजार की सौगात देने वाली है । साथ ही जिला नगरीय विकास अभिकरण ( डूडा ) की ओर से यहां के निवासियों को कियोस्क की सौगात देने की भी तैयारी है । इसके अलावा कांशीराम आवास योजना में अवैध रूप से कब्जा जमाए लोगों को हटाकर वास्तविक लाभार्थियों को अक्टूबर तक आवास देने की कवायद भी तेज हो गयी है ।

100 को मिलेगी दुकान

कांशीराम आवास योजना में बने तीन हजार आवास का आवंटन 2011 में किया गया था । अब जिला नगरीय विकास अभिकरण ( डूडा ) यहां आधुनिक बाजार के निवासियों की सुविधा के लिए वेंडिंग जोन बनाएगा और उनकी आजीविका के लिए 100 कियोस्क ( आधुनिक सुविधा युक्त गुमटी नुमा दुकान ) भी देगा , जिसको नगर निगम की ओर से सीएसआर फंड से उपलब्ध कराया जाएगा । पहले लोग अपने आवास में ही दुकान खोले हुए थे । इसके अलावा 17 स्थाई दुकानों में से बचे हुए 8 दुकानों को जल्द आवंटित कर दिया जाएगा ।

143 से कराएंगे खाली

आवंटित लाभार्थियों के अलावा अनधिकृत तरीके से रह रहे 143 लोगों को आवास खाली करने के लिए नोटिस दिया जा रहा है । अवैध रूप से रह रहे लोगों के बदले मकानों के लिए नये आवेदन मांगे गये थे , जिनमें लगभग 3000 आवेदन प्राप्त हुए हैं । इनका सत्यापन का कार्य पूरा होने वाला है .

अक्टूबर में लॉटरी

अक्टूबर में इनकी लाटरी निकालकर लाभार्थियों का चयन किया जाएगा और अवैध तरिके से रह रहे लोगों की जगह मकान का कब्जा दिलाया जाएगा । डूडा कांशीराम आवास योजना के लिए रेसिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन भी बना रहा है , जिससे वहां के निवासियों के समग्र विकास का कार्य हो सके .

कांशीराम आवास योजना के तहत तीन हजार परिवारों को आधुनिक बाजार मिलेगा । वेंडिंग जोन बनाकर रोजगार के लिए 100 लोगों को कियोस्क भी उपलब्ध कराई जाएगी । आवास में 143 अवैध कब्जा धारकों को नोटिस भेजी जा आधुनिक बाजार रही है ।

आधुनिक कृषि बाजार के विकास की दिशा में प्रयासरत है मोदी सरकार

मोदी सरकार सिंचाई, उन्‍नत तकनीक, सूचना प्रौद्योगिकी, कोल्‍ड चेन पर भी ध्‍यान दे रही है। सरकार के प्रयासों से अब गांवों में न केवल बिजली, सड़क, टेलीफोन, इंटरनेट, रसोई गैस जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुंची हैं बल्‍कि उनकी गुणवत्‍ता में भी सुधार हुआ है। अब सरकार गांवों को मनीऑर्डर अर्थव्‍यवस्‍था से आगे बढ़ाकर उत्‍पादक अर्थव्‍यवस्‍था में बदल रही है ताकि शहरी अर्थव्‍यवस्‍था के समानांतर ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था का विकास हो सके।

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने एक बार कहा था कि “ सब कुछ इंतजार कर सकता है , लेकिन खेती नहीं ” आधुनिक बाजार आधुनिक बाजार । दुर्भाग्‍यवश खेती की दुर्दशा उन्‍हीं के कार्यकाल में शुरू हो गई लेकिन उसकी मूल वजहों की ओर ध्‍यान नहीं दिया गया। इसके बाद हरित क्रांति , श्‍वेत क्रांति , पीली क्रांति जैसे फुटकल उपाय किए गए। चूंकि ये कार्यक्रम केवल जरूरत पर आधारित इसलिए कृषि का सर्वागीण विकास नहीं हुआ। जहां सकल घरेलू उत्‍पाद में कृषि का योगदान घटता गया वहीं कृषि पर निर्भर लोगों की तादाद बढ़ती गई जिससे खेती की बदहाली बढ़ी।

1991 में शुरू हुई नई आर्थिक नीतियों में तो यह मान लिया गया कि सेवा क्षेत्र में आने वाली समृद्धि रिसकर जब गांवों तक पहुंचेगी तब खेती का विकास अपने आप हो जाएगा। लेकिन रिसन आधुनिक बाजार का सिद्धांतवाष्‍पन में बदल गया और भ्रष्‍ट नेताओं-अफसरों के बैंक खाते विदेशों में खुलने लगे। इसका नतीजा यह हुआ कि खेती घाटे का सौदा बन गई और किसान आत्‍महत्‍याओं का सिलसिला शुरू हो गया। इससे गांवों से होने वाले पलायन में अभूतपूर्व तेजी आई।

सांकेतिक चित्र

2011 की जनगणना के मुताबिक पिछले एक दशक में किसानों की कुल तादाद में 90 लाख की कमी आई है। अर्थात हर रोज 2460 आधुनिक बाजार किसानों ने खेती को अलविदा कहा। हरित क्रांति के अगुआ रहे पंजाब में ही हर साल 10 , 000 किसान खेती छोड़ रहे हैं।

सबसे बड़ी विडंबना यह रही कि खेती छोड़ने वाले किसान महानगरों में मजदूर बन गए और उनका स्‍तर जीविकोपार्जन से आगे नहीं बढ़ पाया। यही कारण है कि कोरोना संकट में आजीविका पर संकट आते ही वे पैदल, साइकिल या दूसरे साधनों से देश के लाखों गांवों की ओर कूच कर रहे हैं। स्‍पष्‍ट है गांवों से शहरों की ओर पलायन मजबूरी में हुआ है।

रिजर्व बैंक कई बार कह चुका है कि गांवों का विकास तभी होगा जब कृषि उपजों के लिए आधुनिक बाजार का विकास किया जाए। इसके बावजूद वोट बैंक की राजनीति करने वाली सरकारों ने इस ओर ध्‍यान नहीं दिया और बिजली , सड़क , फोन , इंटरनेट के मामले में गांवों के साथ सौतेला व्‍यवहार किया गया।

जिस समर्थन मूल्‍य व्‍यवस्‍था को कांग्रेस अपनी उपलब्‍धि बताती है उसका लाभ देश के मात्र 6 फीसद किसान उठा पाते हैं। आज भी देश के 94 फीसद किसान अपनी उपज की बिक्री हेतु स्‍थानीय साहूकारों पर निर्भर हैं। यही कारण है कि चुनिंदा फसलों को छोड़कर अधिकतर फसलों के लिए उपभोक्‍ता द्वारा चुकाई गई कीमत का 10 से 30 फीसद ही किसानों तक पहुंचता रहा । खेती-किसानी की बदहाली की असली वजह यही रही है।

लेकिन लंबे अरसे की उपेक्षा के बाद मोदी सरकार ने कृषि बाजारों को आधुनिक बनाने का बीड़ा उठाया है। इसके तहत राष्‍ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) नामक पोर्टल शुरू किया गया है। इसके अलावा सरकार 22 , 000 ग्रामीण हाटों को आधुनिक बना रही है।

मोदी सरकार सिंचाई , उन्‍नत तकनीक , सूचना प्रौद्योगिकी , कोल्‍ड चेन पर भी ध्‍यान दे रही है। सरकार के प्रयासों से अब गांवों में न केवल बिजली , सड़क , टेलीफोन , आधुनिक बाजार इंटरनेट , रसोई गैस जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुंची हैं बल्‍कि उनकी गुणवत्‍ता में भी सुधार हुआ है। अब सरकार गांवों को मनीऑर्डर अर्थव्‍यवस्‍था से आगे बढ़ाकर उत्‍पादक अर्थव्‍यवस्‍था में बदल रही है ताकि शहरी अर्थव्‍यवस्‍था के समानांतर ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था का विकास हो सके।

मोदी विरोधी इस बात को जानते हैं कि यदि एक बार गांवों में आधुनिक कृषि बाजार का विकास हो गया तो किसानों को कर्जमाफी का प्रलोभन देना , जाति-धर्म के आधार पर बाँटकर राजनीति करना कठिन हो जाएगा। इसलिए वे एपीएमएसी जैसे पुरातनपंथी कानूनों को ढाल बनाकर गांवों में आधुनिक कृषि बाजार के विकास में बाधा उत्‍पन्‍न कर रहे हैं।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

वैश्विक कृषि मशीनरी बाजार की बिक्री का आकार

कुछ लोग यह मान सकते हैं कि घटते मीठे पानी का समाधान मंगल की पहली अंतरिक्ष यात्रा की संभावना है जो अगले कुछ वर्षों में शुरू हो सकती है। लेकिन एक संभावित विकल्प चुनना मानवता को विकसित होने से नहीं रोकता है और इस ग्रह पर प्रगति और बेहतर जीवन बनाने का प्रयास करता है। मात्रा, संसाधन प्रबंधन और प्रतिक्रिया पर निर्भर आधुनिक कृषि को लाने के लिए विज्ञान को धन्यवाद।

साथ ही, विशेषज्ञ यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं कि कोई समस्या न हो, और उद्योग में शामिल लोगों के लिए प्रक्रिया अधिक सीधी हो, इसलिए ऑनलाइन खेती को डिज़ाइन किया गया।

भोजन की बढ़ती मानव आवश्यकता को पूरा करने के लिए कम पानी, ऊर्जा और अंतरिक्ष संसाधनों का उपयोग करने के लिए ऑनलाइन खेती एक लागत प्रभावी तरीका है।

आधुनिक कृषि उपकरण और आधुनिक खेती पहली बार अठारहवीं शताब्दी में “ब्रिटिश कृषि क्रांति” के आगमन के साथ भूमि के छोटे भूखंडों पर अधिक फसल पैदा करने के लिए शुरू हुई।

आधुनिक बागवानी की अधिक पैदावार

बाद में, युद्ध के दौरान, कृषि वैज्ञानिकों को और अधिक जटिल कार्य करने के लिए मजबूर किया गया जिससे आधुनिक बागवानी को और सहायता मिली। इससे अंततः चावल और गेहूं जैसी फसलों की अधिक पैदावार हुई और भूखे लोगों की संख्या में कमी आई।

लेकिन आज पानी की कमी के कारण इन नई विधियों का अस्तित्व अधिक महसूस होता है।

दूसरी ओर, ऊर्जा संसाधन कम हो रहे हैं; सौभाग्य से, इस उन्नत विचार का समर्थन करने के लिए हमारे पास सभी प्रकार की मूल्यवान प्रौद्योगिकियां हैं।

आधुनिक बागवानी की अधिक पैदावार

मानव स्वास्थ्य और ऊर्जा आपूर्ति हमेशा महत्वपूर्ण रही है।

साथ ही, मनुष्य समय के साथ कम लागत पर अधिक उत्पाद बनाने का प्रयास करता रहा आधुनिक बाजार है।

आधुनिक कृषि ने इस लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है, और मनुष्य को भी इस तरह से कई लाभ प्राप्त हुए हैं।

दुनिया भर में अधिक से अधिक लोग अधिक से अधिक बेहतर खा रहे हैं।

उत्पादन में वृद्धि से निरंतर आहार में सुधार होता है, भोजन की उपलब्धता में वृद्धि होती है, आहार विविधीकरण होता है, और उच्च प्रोटीन खाद्य पदार्थों तक पहुंच होती है।

आधुनिक प्रणालियों द्वारा उत्पादित अधिशेष भोजन जीवन और इसकी क्षमता की बेहतर समझ प्रदान करता है।

श्रम उत्पादकता बढ़ाएं और मानव विकास और विकास का समर्थन करें।

भोजन की लागत

जैसे-जैसे भोजन की लागत कम हुई है, गुणवत्ता और जीवन स्तर में सुधार हुआ है।

वास्तव में, यह शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अवकाश जैसी अन्य उपभोक्ता वस्तुओं के लिए अधिक क्रय शक्ति बनाता है।

भोजन की लागत

उपभोक्ता आय में वृद्धि; यह प्रवृत्ति विकसित और कुछ विकासशील देशों में आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण चालक रही है; चूंकि आज संयुक्त राज्य में उपभोक्ता अपनी आय का 10% से कम भोजन पर खर्च करते हैं; कई विकासशील देशों के लिए, यह राशि राजस्व का आधा या अधिक है।

इससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।

आधुनिक कृषि ने खाद्य वितरण में सुधार और खाद्य-कमी वाले क्षेत्रों तक पहुंच बढ़ाने के लिए मजबूत विनियमित वाणिज्यिक प्रणालियों के विकास को प्रेरित किया है।

पर्यावरण पर शारीरिक तनाव कम हो गया है।

दुर्भाग्य से, मौजूदा भूख और कुपोषण पहले से ही दुनिया भर में अनुमानित 1 अरब लोगों को प्रभावित कर रहा है। खराब नीतियों, कम उत्पादकता और छोटी आय ने इस मामले में योगदान दिया है।

खेतों और खाद्य प्रणालियों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नई तकनीकों का उपयोग करने में विफलता इन समस्याओं को बढ़ा सकती है – विशेष रूप से गरीबी में रहने वाले व्यक्तियों और परिवारों को चिंता का सामना करना पड़ रहा है।

आधुनिक बागवानी फायदों की मिसाल

आधुनिक बागवानी, इसके फायदों के साथ, पैदावार बढ़ाती है और इन समस्याओं को कम करती है।

औद्योगिक पैमाने की खेती में रासायनिक उर्वरकों, शाकनाशी, कीटनाशकों, उच्च सिंचाई और अन्य अनियंत्रित तरीकों का उपयोग किया जाता है, जिसे सामान्य खेती माना जाता है।

पारंपरिक खेती के सबसे महत्वपूर्ण नुकसान में शामिल हैं:

फसलों की रक्षा और पोषण के लिए कीटनाशकों, जड़ी-बूटियों और सिंथेटिक उर्वरकों का उपयोग किया जाता है; यह दृष्टिकोण उपयोगकर्ताओं और पर्यावरण दोनों के लिए खतरनाक है; क्योंकि मांग ऐसी है कि उद्योग का पैमाना केवल अनुरोध को पूरा करने की परवाह करता है, उपभोक्ता स्वास्थ्य और प्रकृति संरक्षण की नहीं।

छोटे किसानों के लिए यह एक खराब विकल्प है, क्योंकि बड़े कृषि व्यवसायों के पास अधिक क्रय शक्ति और आपूर्ति होती है, जो छोटे किसानों को लगातार चुनौती देती है।

आधुनिक बागवानी फायदों की मिसाल

पारंपरिक खेती में बहुत अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है, बहुत सारा पानी बर्बाद होता है, और यह पर्यावरण की रक्षा करने का एक शानदार तरीका नहीं है।

इसलिए, आधुनिक कृषि मशीनरी ने इस दुनिया को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाने के लिए कृषि भूमि पर कब्जा कर लिया, और दुनिया नई तकनीकों का लाभ उठाने और इस कृषि मशीनरी के बाजार में बिक्री के आकार का विस्तार करने के लिए पर्याप्त स्मार्ट थी।

बाजार हिस्सेदारी कृषि मशीनरी

उल्लेखनीय बाजार हिस्सेदारी वाली प्रशंसित कृषि मशीनरी कंपनियां, नमी, कीट, मिट्टी की स्थिति और माइक्रोकलाइमेट जैसे फसल चर को नियंत्रित करके किसानों को फसल की पैदावार को अधिकतम करने में सक्षम बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रही हैं।

किसान अधिक सटीक फसल तकनीक प्रदान करके दक्षता बढ़ा सकते हैं और लागत का बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं एस।

सावधानीपूर्वक कृषि कंपनियों के पास बढ़ने का एक बड़ा अवसर है।

ग्रैंड व्यू रिसर्च की एक हालिया रिपोर्ट में भविष्यवाणी की गई है कि वर्ष 2025 तक सटीक कृषि बाजार $ 43.4 बिलियन डॉलर का होगा। यदि इस तकनीक को मध्य पूर्व के देशों में लागू किया जा सकता है, तो पौधों पर आधारित खाद्य पदार्थों का आयात काफी कम हो सकता है।

आधुनिक कृषि की आवाज दुनिया भर के कई किसानों के कानों तक पहुंच चुकी है।

लेकिन इन लोगों को क्या उपकरण चाहिए?

समकालीन बागवानी में उपयोग की जाने वाली नवीनतम प्रौद्योगिकियां सेंसर, जीपीएस (मशीन स्वचालन के लिए), और सॉफ्टवेयर विश्लेषण का उपयोग करके सिंचाई अनुकूलन हैं।

विकसित देशों में कई कंपनियां इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) का उपयोग करती हैं।

बाजार हिस्सेदारी कृषि मशीनरी

दिलचस्प बात यह है कि बैंक, उद्यम पूंजीपति और जनसांख्यिकीय निवेशक इससे अच्छी तरह वाकिफ हैं और इस क्षेत्र में काफी निवेश करने के लिए तैयार हैं।

किसी भी मामले में, सभी घटनाओं और उपकरणों से पता चलता है कि इस तरह की खेती की काम करने की स्थिति और दक्षता बेहतर है।

इसलिए बेहतर यही होगा कि सभी किसान धीरे-धीरे इस दिशा की ओर रुख करें।

एक जीव के लिए, “होमियोस्टेसिस” या शारीरिक संतुलन विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

मात्रा, चाहे कम हो या अधिक, पौधे की वृद्धि को प्रभावित कर सकती है और उपज को कम कर सकती है।

यह जानकारी आधुनिक कृषि में पोषक तत्वों, सिंचाई, जल नियंत्रण, प्रकाश आदि को विनियमित करने में मदद करने के लिए एकत्र की जाती है।

बाजार हिस्सेदारी कृषि मशीनरी

ट्रुटिना जैसे उत्पाद किसानों को पौधों की पूरी तरह से विकसित होने में मदद करने वाले अवयवों को अनुकूलित और धारण करने के लिए महत्वपूर्ण पौधों की शारीरिक जानकारी एकत्र करने की अनुमति देते हैं।

यह डेटा मानव हस्तक्षेप और त्रुटियों को कम करने के लिए कंप्यूटर द्वारा रिकॉर्ड, संग्रहीत और विश्लेषण भी किया जाता है।

अंत मैं हम बस इतना ही कहना चाहेंगे की आधुनिक बाग़बानी की रौनक से हम सबका फायदा है और इसकी तरक़्क़ी के लिये हम सीके व्यापार मैं सभी हिस्सा लेने वालों की मदद करने का प्रयास करते हैं।

व्यापारियों को जल्द आवंटित हाेंगी 452 दुकानें, आधुनिक मोटर बाजार का निर्माण किया गया

कोटा न्यूज़: राज्य के पहले आधुनिक मोटर बाजार की सौगात भी जल्द आने वाली है। डीसीएम रोड पर करीब 4 हेक्टेयर भूमि में आधुनिक मोटर बाजार का निर्माण कार्य अब अंतिम चरण में है। बाजार में 452 दुकानों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। पेंट लाह सहित अन्य निर्माण कार्य अब अंतिम चरण में हैं। मोटर बाजार यांत्रिकी और उद्योगपतियों का पुनर्वास किया जाएगा। ट्रस्ट के सचिव राजेश जोशी ने बताया कि मोटर बाजार की यांत्रिकी को एक स्थान पर बहाल कर और सभी सुविधाओं को एक ही स्थान पर विकसित कर आधुनिक मोटर बाजार का निर्माण किया गया है. बाजार में भव्य प्रवेश होगा। साथ ही 60 फीट चौड़ी सड़कें, आधुनिक शौचालय, स्ट्रीट लाइट, जल निकासी की समुचित व्यवस्था, 10 गुणा 10 आकार की दुकानों का निर्माण किया गया है।

मैकेनिक और उद्योगपतियों के जीवन स्तर में होगा बड़ा बदलाव : धारीवाल

आधुनिक मोटर बाजार राजस्थान का प्रथम संगठित एवं सुसज्जित मोटर बाजार कोटा में विकसित किया गया है, जहां यांत्रिकी एवं उद्योगपतियों का पुनर्वास किया जा रहा है तथा आधुनिक सुविधाओं के साथ न्यूनतम दरों पर दुकानें आवंटित की जा रही हैं। इस आधुनिक बाजार में मैकेनिक उद्यमियों के व्यवसाय में भी वृद्धि होगी और पुरानी जगहों पर होने वाली कई असुविधाओं और समस्याओं से राहत मिलेगी। उनके रहन-सहन के स्तर में बड़ा बदलाव आएगा।

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