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किस समय सीमा को चुनना है

किस समय सीमा को चुनना है
कानपुर ब्यूरो
Updated Wed, 04 Dec 2019 12:27 AM IST

Google जो डेटा इकट्ठा करता है, उसका इस्तेमाल वह कैसे करता है

जब आप Google की सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं, तो हम डेटा इकट्ठा करते हैं. हम क्या इकट्ठा करते हैं, हम उसे क्यों इकट्ठा करते हैं और आप अपनी जानकारी कैसे प्रबंधित कर सकते हैं, इस बारे में हमारी निजता नीति में विस्तार से बताया गया है. यह प्रतिधारण नीति (डेटा रोककर रखने की नीति) बताती है कि हम अलग–अलग तरह के डेटा को अलग–अलग समय अवधियों के लिए क्यों रखते हैं.

कुछ डेटा को आप अपनी मर्ज़ी से कभी भी मिटा सकते हैं, कुछ डेटा अपने आप मिटा दिया जाता है और कुछ डेटा को हम ज़रूरत होने पर ज़्यादा समय के लिए रखते हैं. जब आप डेटा को मिटाते हैं, तब हम यह पक्का करने के लिए मिटाने की नीति को फ़ॉलो करते हैं कि आपका डेटा हमारे सर्वर से सुरक्षित रूप से और पूरी तरह हटा दिया जाए या केवल अनाम रूप में रखा जाए. Google डेटा को कैसे अनाम बनाता है

जानकारी तब तक रखी जाती है जब तक कि आप उसे हटा नहीं देते

हम ऐसी कई सेवाएं देते हैं जिनका इस्तेमाल करके आप अपने Google खाते में संग्रहित डेटा ठीक कर सकते हैं या मिटा सकते हैं. उदाहरण के लिए, आप:

हम इस डेटा को आपके Google खाते में तब तक रखेंगे जब तक कि आप उसे हटाना नहीं चुनते. और अगर आप हमारी सेवाओं को किसी Google खाते में साइन इन किए किस समय सीमा को चुनना है बिना इस्तेमाल करते हैं, तो आप हमारी सेवाओं को एक्सेस करने के लिए जिन चीज़ों का इस्तेमाल करते हैं, जैसे डिवाइस, ब्राउज़र या ऐप्लिकेशन, हम आपको उनसे जुड़ी कुछ जानकारी मिटाने की योग्यता भी देते हैं.

किसी खास समय अवधि के बाद खत्म होने वाला डेटा

कुछ मामलों में, डेटा को मिटाने का रास्ता देने के बजाय, हम उसे एक पहले से तय समय अवधि के लिए संग्रहित करते हैं. हर तरह के डेटा के लिए, हम उसे संग्रहित करने के कारण के आधार पर उसे रखे जाने की समय अवधि तय करते हैं. उदाहरण के लिए, यह पक्का करने के लिए कि हमारी सेवाएं कई अलग–अलग तरह के डिवाइस पर ठीक से दिखाई दें, हम 9 महीनों तक ब्राउज़र की चौड़ाई और ऊंचाई की जानकारी रखते हैं. हम तय समय अवधियों में डेटा को अनाम बनाने के लिए भी कदम उठाते हैं. उदाहरण के लिए, हम 9 महीने बाद आईपी पते वाले भाग और 18 महीने बाद कुकी की जानकारी को हटाकर डेटा को अनाम बना देते हैं.

जानकारी तब तक रखी जाती है जब तक कि आप अपने Google खाते को मिटा नहीं देते

अगर कुछ डेटा यह समझने में हमारी मदद करने के लिए उपयोगी होता है कि उपयोगकर्ता किस तरह हमारी सुविधाओं से इंटरैक्ट करते हैं और हम किस तरह अपनी सेवाओं को बेहतर बना सकते हैं, तो हम उसे तब तक रखते हैं जब तक आपका Google खाता रहता है. उदाहरण के लिए, मेरी गतिविधि से किसी खास Google खोज को मिटाने के बाद हम इस बारे में जानकारी रख सकते हैं कि आप उन चीज़ों की खोज कितनी बार करते हैं, लेकिन यह जानकारी नहीं रखते हैं कि आपने क्या खोजा. जब आप अपना Google खाता मिटा देते हैं, तब यह जानकारी भी मिटा दी जाती है कि आपने कितनी बार उन चीज़ों की खोज की.

कुछ सीमित कामों के लिए लंबी समय अवधियों तक रखी जाने वाली जानकारी

कभी–कभी कारोबारी और कानूनी ज़रूरतों के कारण हमें कुछ निश्चित जानकारी कुछ खास कामों के लिए लंबे समय तक रखनी पड़ती है. उदाहरण के लिए, जब Google आपके लिए भुगतान तैयार करता है या जब आप Google को भुगतान करते हैं, तो हम टैक्स या हिसाब के कामों की ज़रूरतों के अनुसार लंबे समय तक इस डेटा को रखते हैं. हमारे पास कुछ डेटा को लंबे समय तक रखे जा सकने के कारण हैं:

सुरक्षित और पूरी तरह से मिटाने की योग्यता देने के लिए

जब आप अपने Google खाते का डेटा मिटाते हैं, तो हम उत्पाद और हमारे सिस्टम से उसे हटाने की तैयारी तुरंत शुरू कर देते हैं. पहले, हम उसका दिखाई देना तुरंत बंद करते हैं और उसके बाद डेटा आगे आपके Google अनुभव को मनमुताबिक बनाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. उदाहरण के लिए, जब आप मेरी गतिविधि डैशबोर्ड से अपना देखा गया कोई वीडियो मिटाते हैं, तो YouTube तुरंत उस वीडियो के लिए आपकी देखने की प्रगति दिखाना रोक देगा.

फिर हम डेटा को हमारे मेमोरी सिस्टम से सुरक्षित रूप से और पूरी तरह मिटाने के लिए डिज़ाइन किया गया तरीका लागू करना शुरू कर देते हैं. डेटा के अचानक नुकसान से हमारे उपयोगकर्ताओं और ग्राहकों की सुरक्षा करने के लिए उसे सुरक्षित रूप से मिटाया जाना ज़रूरी है. उपयोगकर्ता के मन की शांति के लिए हमारे सर्वर से डेटा को पूरी तरह मिटाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है. मिटाने के बाद इस प्रक्रिया को पूरा होने में आमतौर पर 2 महीने के समय लगता है. अगर डेटा गलती से हटा दिया गया था तो इसमें अक्सर डेटा फिर से पाने में लगने वाला एक महीने तक का समय भी शामिल होता है.

Google मेमोरी के हर उस सिस्टम की, जिससे डेटा मिटाया जाता है, अपनी खुद की सुरक्षित रूप से और पूरी तरह मिटाए जाने की एक विस्तृत प्रक्रिया होती है. इसमें सिस्टम से बार–बार गुज़ारा जाना शामिल हो सकता है ताकि यह पुष्टि की जा सके कि पूरा डेटा मिटा दिया गया है. या इसमें थोड़ी सी देरी भी शामिल हो सकती है ताकि गलती से मिटा दिए गए डेटा को फिर से पाने का समय दिया जा सके. नतीजे के रूप में, जब डेटा को सुरक्षित रूप से और पूरी तरह से मिटाने के लिए ज़्यादा समय की ज़रूरत होती है, तो कभी–कभी मिटाने में देरी हो सकती है.

हो सकने वाले बड़े नुकसानों से उबरने में मदद करने के लिए सुरक्षा की एक और परत के रूप में हमारी सेवाओं में एन्क्रिप्टेड बैक अप मेमोरी का इस्तेमाल भी किया जाता है. इन सिस्टम पर डेटा 6 महीनों तक रह सकता है.

जैसा कि मिटाने की सभी प्रक्रियाओं में होता है, हमारे उत्पादों के नियमित रखरखाव, अचानक बंद होने, बग या खराब हो जाने जैसी चीज़ों के कारण इस लेख में बताई गई प्रक्रियाओं और समयसीमाओं में देरी हो सकती है. हमारे पास ऐसे सिस्टम हैं जिनसे ऐसी समस्याओं का पता लगाकर उन्हें दूर किया जा सके.

सुरक्षा, धोखाधड़ी और दुरुपयोग की रोकने के लिए

धोखाधड़ी, दुरुपयोग और बिना इज़ाजत इस्तेमाल से आपकी, दूसरे लोगों की और Google की सुरक्षा करने के लिए.

उदाहरण के लिए, जब Google को यह शक हो कि कोई व्यक्ति विज्ञापन से जुड़ी धोखाधड़ी कर रहा है.

वित्तीय रिकॉर्ड रखने के लिए

जब Google पैसे से जुड़े किसी लेनदेन में एक पक्ष हो, उन स्थितियों सहित जिनमें Google आपका भुगतान तैयार करता है या आप Google को भुगतान करते हैं. इस जानकारी को लंबे समय तक रखा जाना अक्सर हिसाब, विवाद समाधान और टैक्स अनुपालन, राजगामी, हवाला रोधी और दूसरे वित्तीय अधिनियमों जैसे कामों के लिए ज़रूरी होता है.

उदाहरण के लिए, जब आप Play Store से ऐप्लिकेशन खरीदते हैं या Google Store से उत्पाद खरीदते हैं.

कानूनी या विनियामक ज़रूरतों के अनुपालन में

लागू होने वाले सभी कानूनों, विनियमों, कानूनी प्रक्रियाओं या लागू करने लायक सरकारी अनुरोध को पूरा करने के लिए या जब वह संभावित उल्लंघनों के जांच सहित सेवा की लागू होने लायक शर्तों को लागू करने के लिए ज़रूरी हो.

उदाहरण के लिए, जब Google को पेश होने का एक कानूनसम्मत आदेश मिले.

हमारी सेवाओं की निरंतरता पक्की करने के लिए

आपके और दूसरे उपयोगकर्ताओं के लिए सेवा की निरंतरता पक्की करने के लिए.

उदाहरण के लिए, जब आप दूसरे उपयोगकर्ताओं से जानकारी शेयर करते हैं (जैसे कि जब आपने किसी दूसरे व्यक्ति को ईमेल भेज दिया हो), तब उसे अपने Google खाते से मिटाने से, पाने वाले के पास से उसकी कॉपी नहीं हटती.

Google से सीधी बातचीत करने के लिए

अगर आपने ग्राहक सहायता चैनल, फ़ीडबैक फ़ॉर्म या बग रिपोर्ट के माध्यम से सीधे Google से बात की हो, तो Google उन बातचीत का उचित रिकॉर्ड रख सकता है.

उदाहरण के लिए, जब आप Gmail या डिस्क जैसे किसी Google ऐप्लिकेशन में से फ़ीडबैक भेजते हैं.

15 अगस्त को ही क्यों आजादी का दिन मनाते हैं, क्या थी इस तारीख को चुनने की वजह

aajtak.in

Independence Day 2021: देश में स्‍वतंत्रता दिवस हर साल 15 अगस्त को मनाया जाता है. 15 अगस्‍त 1947 ये वो दिन है जब हमें आजादी मिली. आपको बता दें कि आजादी आधी रात के समय मिली थी. 15 अगस्त के दिन ही हम आजादी का ये दिन मनाते हैं, जानिए इसके पीछे की रोचक कहानी क्या है. क्यों इसी दिन आजादी का जश्न मनाते हैं, ये दिन ही आजादी देने के लिए क्यों चुना गया.

प्रतीकात्मक फोटो (Getty)

पहले साल 1930 से लेकर 1947 तक 26 जनवरी के दिन भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता था. इसका फैसला साल 1929 में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन में हुआ था, जो लाहौर में हुआ था. इस अधिवेशन में भारत ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की थी. इस घोषणा के बाद सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा भारतीय नागरिकों से निवेदन किया गया था साथ ही साथ भारत की पूर्ण स्वतंत्रता तक आदेशों का पालन समय से करने के लिए भी कहा गया.

प्रतीकात्मक फोटो (Getty)

उस समय भारत में लॉर्ड माउंटबेटन का शासन था. माउंटबेटन ने ही निजी तौर पर भारत की स्‍वतंत्रता के लिए 15 अगस्‍त का दिन तय करके रखा था. बताया जाता है कि इस दिन को वे अपने कार्यकाल के लिए बहुत सौभाग्‍यशाली मानते थे. इसके पीछे दूसरी खास वजह ये थी कि दूसरे विश्‍व युद्ध के दौरान 1945 में 15 अगस्‍त के ही दिन जापान की सेना ने ब्रिटेन के सामने उनकी अगुवाई में आत्‍मसमर्पण कर दिया था.

प्रतीकात्मक फोटो (Getty)

माउंटबेटन उस समय सभी देशों की संबद्ध सेनाओं के कमांडर थे. लॉर्ड माउंटबेटन की योजना वाली 3 जून की तारीख पर स्‍वतंत्रता और विभाजन के संदर्भ में हुई बैठक में ही यह तय किया गया था. 3 जून के प्‍लान में जब स्‍वतंत्रता का दिन तय किया गया उसे सार्वजनिक रूप से घोषित किया गया तब देश भर के ज्‍योतिषियों में आक्रोश पैदा हुआ क्‍योंकि ज्‍योतिषीय गणना के अनुसार 15 अगस्‍त 1947 का दिन अशुभ और अमंगलकारी था. विकल्‍प के तौर पर दूसरी तिथियां भी सुझाई गईं लेकिन माउंटबेटन 15 अगस्‍त की तारीख पर ही अड़े रहे, ये उनके लिए खास तारीख थी. आखिरी समस्‍या का हल निकालते हुए ज्‍योतिषियों ने बीच का रास्‍ता निकाला.

प्रतीकात्मक फोटो (Getty)

फिर 14 और 15 अगस्‍त की मध्‍यरात्रि का समय सुझाया और इसके पीछे अंग्रेजी समय का ही हवाला दिया गया. अंग्रेजी परंपरा में रात 12 बजे के बाद नया दिन शुरू होता है. वहीं हिंदी गणना के अनुसार नए दिन का आरंभ सूर्योदय के साथ होता है. ज्‍योतिषी इस बात पर अड़े रहे कि सत्‍ता के परिवर्तन का संभाषण 48 मिनट की अवधि में संपन्‍न किया जाए हो जो कि अभिजीत मुहूर्त में आता है. ये मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 15 मिनट तक पूरे 24 मिनट तक की अवधि का था. ये भाषण 12 बजकर 39 मिनट तक दिया जाना था. इस तय समय सीमा में ही जवाहरलाल नेहरू को भाषण देना था.

प्रतीकात्मक फोटो (Getty)

शुरुआती तौर पर ब्रिटेन द्वारा भारत को जून 1948 तक सत्‍ता हस्तांतरित किया जाना प्रस्‍तावित था. फरवरी 1947 में सत्‍ता प्राप्‍त करते ही लॉर्ड माउंटबेटन ने भारतीय नेताओं से आम सहमति बनाने के लिए तुरंत श्रृंखलाबद्ध बातचीत शुरू कर दी, लेकिन सब कुछ इतना आसान नहीं था. खासकर, तब जब विभाजन के मसले पर जिन्‍ना और नेहरू के बीच द्वंद की स्थिति बनी हुई थी. एक अलग राष्‍ट्र बनाए जाने की जिन्‍ना की मांग ने बड़े पैमाने पर पूरे भारत में सांप्रदायिक दंगों को भड़काया और हर दिन हालात बेकाबू होते गए. निश्चित ही इन सब की उम्‍मीद माउंटबेटन ने नहीं की होगी इसलिए इन परिस्थितियों ने माउंटबेटन को विवश किया कि वह भारत की स्‍वतंत्रता का दिन 1948 से 1947 तक एक साल पहले ही पूर्वस्‍थगित कर दें.

प्रतीकात्मक फोटो (Getty)

1945 से मिल चुके थे संकेत

साल 1945 में दूसरे विश्‍व युद्ध के खत्म होने के समय ब्रिटिश आर्थिक रूप से कमज़ोर हो चुके थे और वे इंग्‍लैंड में स्‍वयं का शासन भी चलाने में संघर्ष कर रहे थे. ऐसा भी कहा जाता है कि ब्रिटिश सत्‍ता लगभग दिवालिया होने की कगार पर थी. महात्‍मा गांधी और सुभाषचंद्र बोस की गतिविधियां इसमें अहम भूमिका निभाती हैं. 1940 की शुरुआत से ही गांधी और बोस की गतिविधियों से अवाम आंदोलित हो गया था और दशक के आरंभ में ही ब्रि‍टिश हुकूमत के लिए यह एक चिंता का विषय बन चुका था.

ताखा ब्लाक के बच्चों को अभी तक नहीं मिले स्वेटर

Kanpur Bureau

कानपुर ब्यूरो
Updated Wed, 04 Dec 2019 12:27 AM IST

problem

इटावा। ऊसराहार विकास खंड ताखा के परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को पारा गिरने के बाद ठिठुरन बढ़ी है। अभी तक बच्चों को स्वेटर नहीं मिल सके हैं। ताखा के लगभग 12000 बच्चों को 30 नवंबर तक बांटे जाने की समय सीमा निर्धारित की गई थी। स्वेटर न मिल पाने से सर्दी में ठिठुरन के बीच अभिभावकों ने रोष जताया है।
ताखा तहसील क्षेत्र के 137 प्राथमिक और 57 उच्च प्राथमिक विद्यालयों के 12000 के करीब छात्र-छात्राओं को शासन से 30
नवंबर तक स्वेटर बांटे जाने प्रस्तावित थे। इसके लिए जेम पोर्टल के माध्यम से वितरण एजेंसी को चुना गया। समय सीमा के बाद तक भी ताखा के एक भी विद्यालय में बच्चों को स्वेटर नहीं बांटा जा सका है। दिसंबर के प्रारंभ होने के बाद सर्दी भी बढ़ना शुरू हो चुकी है। भरतपुर खुर्द गांव के सुनील कुमार ने बताया कि सर्दी बढ़ने के बाद यदि स्वेटर मिलेंगे तो यह बच्चों के किस काम के रहेंगे। इस बार शासन ने ग्राम शिक्षा समिति के स्थान पर जनपद स्तर पर जेम पोर्टल के माध्यम से निविदा आमंत्रित कराकर स्वेटर की आपूर्ति सीधा विकास खंड स्तर पर कराई है। हालांकि जनपद में अभी तक 49000 स्वेटर की खेप आ चुकी है लेकिन ताखा तहसील क्षेत्र में अभी तक एक भी बच्चे को स्वेटर नहीं मिल सका है। खंड शिक्षा अधिकारी अविनाश कुमार का कहना है कि ताखा में अभी तक स्वेटर की खेप नहीं पहुंच सकी है। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। आपूर्तिकर्ता एजेंसी से संपर्क करके शीघ्र आपूर्ति मंगाकर बच्चों को स्वेटर बंटवाए जाएंगे।

इटावा। ऊसराहार विकास खंड ताखा के परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को पारा गिरने के बाद ठिठुरन बढ़ी है। अभी तक बच्चों को स्वेटर नहीं मिल सके हैं। ताखा के लगभग 12000 बच्चों को 30 नवंबर तक बांटे जाने की समय सीमा निर्धारित की गई थी। स्वेटर न मिल पाने से सर्दी में ठिठुरन के बीच अभिभावकों ने रोष जताया है।


ताखा तहसील क्षेत्र के 137 प्राथमिक और 57 उच्च प्राथमिक विद्यालयों के 12000 के करीब छात्र-छात्राओं को शासन से 30
नवंबर तक स्वेटर बांटे जाने प्रस्तावित थे। इसके लिए जेम पोर्टल के माध्यम से वितरण एजेंसी को चुना गया। समय सीमा के बाद तक भी ताखा के एक भी विद्यालय में बच्चों को स्वेटर नहीं बांटा जा सका है। दिसंबर के प्रारंभ होने के बाद सर्दी भी बढ़ना शुरू हो चुकी है। भरतपुर खुर्द गांव के सुनील कुमार ने बताया कि सर्दी बढ़ने के बाद यदि स्वेटर मिलेंगे तो यह बच्चों के किस काम के रहेंगे। इस बार शासन ने ग्राम शिक्षा समिति के स्थान पर जनपद स्तर पर जेम पोर्टल के माध्यम से निविदा आमंत्रित कराकर स्वेटर की आपूर्ति सीधा विकास खंड स्तर पर कराई है। हालांकि जनपद में अभी तक 49000 स्वेटर की खेप आ चुकी है लेकिन ताखा तहसील क्षेत्र में अभी तक एक भी बच्चे को स्वेटर नहीं मिल सका है। खंड शिक्षा अधिकारी अविनाश कुमार का कहना है कि ताखा में अभी तक स्वेटर की खेप नहीं पहुंच सकी है। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। आपूर्तिकर्ता एजेंसी से संपर्क करके शीघ्र आपूर्ति मंगाकर बच्चों को स्वेटर बंटवाए जाएंगे।

फिर बढ़ी Income Tax Return भरने की लास्ट डेट, जानें क्या है नई तारीख

Income Tax Return: कोरोना महामारी के चलते आ रही दिक्कतों के देखते हुए सरकार ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की समय सीमा 31 दिसंबर तक बढ़ा दी है.

फिर बढ़ी Income Tax Return भरने की लास्ट डेट, जानें क्या है नई तारीख

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की समय सीमा 31 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Income Tax Return: सरकार ने गुरुवार को कहा कि आयकर रिटर्न (Income Tax Return) दाखिल करने की समय सीमा 31 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है. कोरोना महामारी को देखते हुए इससे पहले मई में इसे 30 सितंबर तक बढ़ाया गया था. वित्त मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि सीबीडीटी ने वर्ष 2021-22 के लिए आयकर रिटर्न और ऑडिट की विभिन्न रिपोर्ट दाखिल करने की नियत तारीखें बढ़ा दी है. आयकर अधिनियम, 1961 ("अधिनियम") के तहत निर्धारण वर्ष 2021-22 के लिए आयकर रिटर्न और ऑडिट की विभिन्न रिपोर्टों को दाखिल करने में करदाताओं और अन्य हितधारकों द्वारा रिपोर्ट की गई कठिनाइयों पर विचार करते हुए, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ( सीबीडीटी) ने वर्ष 2021-22 के लिए आयकर रिटर्न और ऑडिट की विभिन्न रिपोर्टों को दाखिल करने की नियत तारीखों को और आगे बढ़ाने का फैसला किया है.

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वर्ष 2021-22 के लिए आय का विवरण प्रस्तुत करने की नियत तिथि को बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दिया गया है. इससे पहले अंतिम तारीख 31 जुलाई 2021 से बढ़ाकर 30 सितंबर 2021 की गई थी.

अंतरराष्ट्रीय लेनदेन या निर्दिष्ट घरेलू लेनदेन में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों द्वारा एक लेखाकार से रिपोर्ट प्रस्तुत करने की नियत तारीख को बढ़ाकर 31 जनवरी 2022 कर दिया गया है. इससे पहले इसे 31 अक्टूबर 2021 से बढ़ाकर 30 नवंबर 2021 किया गया था.

इसके अलावा देर से या संशोधित आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि को दो महीने और बढ़ाकर 31 मार्च, 2022 कर दिया गया है. वही कर पोर्टल में गड़बड़ियों के समाधान को लेकर वित्त मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि वह करदाताओं के लिए एक आसान किस समय सीमा को चुनना है फाइलिंग अनुभव सुनिश्चित करने के लिए इंफोसिस के साथ लगातार काम कर रहा है.

सीबीडीटी ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए आईटीआर भरने के लिए प्रपत्रों को इस वर्ष अप्रैल में अधिसूचित किया था. सरकार ने 2020-21 वित्तीय वर्ष के लिए करदाताओं को आयकर अधिनियम की धारा 115बीएसई के तहत एक नई कर व्यवस्था चुनने का विकल्प भी दिया था.

भारत ने पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य की समय-सीमा घटा कर 2025 की : मोदी

नयी दिल्ली, पांच जून (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने और आयात पर निर्भरता घटाने के लिए पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल सम्मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने की समय सीमा पांच साल कम कर 2025 कर दी गयी है। पहले यह लक्ष्य 2030 तक पूरा किया जाना था। गन्ने और गेहूं व टूटे चावल जैसे खराब हो चुके खाद्यान्न तथा कृषि अवशेषों से एथेनॉल निकाला जाता है। इससे प्रदूषण भी कम होता है और किसानों को अलग आमदनी कमाने का एक जरिया भी मिलता है।प्रधानमंत्री ने विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित

गन्ने और गेहूं व टूटे चावल जैसे खराब हो चुके खाद्यान्न तथा कृषि अवशेषों से एथेनॉल निकाला जाता है। इससे प्रदूषण भी कम होता है और किसानों को अलग आमदनी कमाने का एक जरिया भी मिलता है।

प्रधानमंत्री ने विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित एक समारोह में भारत में वर्ष 2020-2025 के दौरान एथेनॉल सम्मिश्रण से संबंधित योजना पर एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जारी करने के बाद मोदी ने कहा, ‘‘पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने के लक्ष्य को वर्ष 2030 से पहले खिसका कर वर्ष 2025 किया गया है।

पिछले वर्ष सरकार ने वर्ष 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत तथा वर्ष 2030 तक 20 प्रतिशत एथेनॉल का सम्मिश्रण करने का लक्ष्य तय किया था।

उन्होंने कहा किस समय सीमा को चुनना है कि मौजूदा समय में, पेट्रोल के साथलगभग 8.5 प्रतिशत एथेनॉल मिलाया जाता है, जबकि वर्ष 2014 में इस सम्मिश्रण का स्तर 1-1.5 प्रतिशत ही था। उन्होंने कहा कि अधिक एथनाम सम्मिश्रण से एथेनॉल की खरीद सालाना 38 करोड़ लीटर से बढ़कर अब 320 करोड़ लीटर हो गई है।

उन्होंने कहा, ‘' जब 20 प्रतिशत सम्मिश्रण होने लगेगा तो एथेनॉल खरीद की मात्रा और बढ़ जाएगी।'’

पिछले साल तेल कंपनियों ने एथेनॉल खरीद पर 21,000 करोड़ रुपये खर्च किए थे।

इस सप्ताह की शुरुआत में, तेल मंत्रालय ने एक अप्रैल, 2023 से पेट्रोल में एथेनॉल के 20 प्रतिशत तक का सम्मिश्रण को शुरू करने के लिए एक गजट अधिसूचना जारी की थी। देश में बेचे जाने वाले सभी पेट्रोल में वर्ष 2025 तक 20 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा गया है।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, जो अपनी 85 प्रतिशत से अधिक मांग को पूरा करने के लिए विदेशों से आयात पर निर्भर है।

मोदी ने कहा कि एथेनॉल पर ध्यान केंद्रित करने से पर्यावरण के साथ साथ किसानों के जीवन पर भी बेहतर प्रभाव पड़ रहा है क्योंकि यह किसानों को आय का एक और स्रोत उपलब्ध कराता है।

उन्होंने कहा कि एथेनॉल खरीद में इस आठ गुना वृद्धि के एक बड़े हिस्से से देश के गन्ना किसानों को फायदा मिला है।

अपने भाषण से पहले, प्रधान मंत्री ने महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और गुजरात के कुछ किसानों से उनकी आय में वृद्धि करने वाले एथेनॉल संयंत्रों के बारे में उनके अनुभव के बारे में जानने के लिए बातचीत की। उन्होंने किसानों से इस बात की जानकारी ली इन एथेनॉल संयंत्रों से उनकी आय पर क्या प्रभाव आया, खाना पकाने और वाहनों के संचालन में उपयोग किये जा सकने वाले बायोगैस बनाने के लिए गोबर के उपयोग तथा जैविक उर्वरकों के इस्तेमाल के बारे में उनके अनुभवों की जानकारी ली गई।

मोदी ने कहा, ‘‘एथेनॉल निर्माण इकाइयां पहले केवल 4-5 गन्ना उत्पादक राज्यों तक सीमित थीं, लेकिन अब इसका पूरे देश में विस्तार करने के लिए खाद्यान्न आधारित भट्टियां स्थापित की जा रही हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जलवायु न्याय का प्रबल समर्थक है और एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड और आपदा रोधी अवसंरचना पहल के लिए गठबंधन के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना जैसे विचारों के साथ आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने जलवायु परिवर्तन की रक्षा के लिए भारत के प्रयासों को सूचीबद्ध किया। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि देश में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 250 प्रतिशत तक बढ़ायी जा चुकी है और इस मामले में भारत अब सबसे बड़ी स्थापित क्षमता वाले शीर्ष पांच देशों में से एक है। पिछले 6 वर्षों में सौर ऊर्जा क्षमता लगभग 15 गुना बढ़ी है, लोगों को 37 करोड़ एलईडी बल्ब और 23 लाख से अधिक कम बिजली खपत वाले पंखे दिये गये हैं, घरेलू प्रदूषण को कम करने के लिए मुफ्त बिजली और रसोई गैस कनेक्शन प्रदान किये गये हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रदूषण को कम करने के अलावा, इसने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और पर्यावरण संरक्षण को मजबूत करने में भी काफी मदद की है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ भारत दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश कर रहा है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए विकास को रोकने की जरूरत नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ पिछले कुछ वर्षों में वनों के आवरण में भी 15,000 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है, बाघों की आबादी दोगुनी हो गई है और तेंदुओं की संख्या में लगभग 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक मिथक है कि वायु प्रदूषण केवल उद्योगों के कारण होता है। परिवहन वाहन, अशुद्ध ईंधन, डीजल जनरेटर भी वायु प्रदूषण में योगदान करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि रसोई के ईंधन के रूप में एलपीजी के उपयोग और रोशनी के लिए बिजली ने जलाऊ लकड़ी और किरासन तेल के उपयोग से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोका है।

उन्होंने कहा कि जलमार्गों का उपयोग, मेट्रो और उपनगरीय रेलवे का विस्तार, रेलवे लाइनों का विद्युतीकरण और सौर ऊर्जा द्वारा संचालित हवाईअड्डे अन्य पहल हैं।

उन्होंने कहा, भारत अब जलवायु परिवर्तन संबंधी प्रस्ताव के प्रस्तावकों में शामिल है। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लक्ष्यों की दिशा में कार्य प्रदर्शन के सूचकांक के शीर्ष 10 देशों में शामिल है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम उन चुनौतियों से अवगत हैं जो जलवायु परिवर्तन के कारण हो रही हैं और इससे निपटने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश कर रहा है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए विकास कार्यों को अवरुद्ध करना आवश्यक नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी हमराही हो सकते हैं। यही वह रास्ता है जिसे भारत ने चुना है।’’

प्रधान मंत्री ने बताया कि गुजरात के केवड़िया को केवल विद्युत वाहनों वाला शहर बनानेकी योजना है। इसी शहर में विशाल स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा) स्थापित की गई है। वहां इसके लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि भविष्य में केवड़िया में केवल बैटरी आधारित बसें, दोपहिया, चार पहिया वाहन ही चले।

मोदी ने कहा कि सरकार ने 11 क्षेत्रों की पहचान की है जो आधुनिक तकनीक के माध्यम से संसाधनों का पुनर्चक्रण करके उनका अच्छा उपयोग कर सकते हैं।

उन्होंने पुणे में तीन स्थानों पर ई-100 (100 प्रतिशत एथेनॉल) वितरण स्टेशनों की एक प्रायोगिक परियोजना भी शुरू की।

यह उपभोक्ताओं को मूल्य लाभ के साथ ईंधन का एक और विकल्प प्रदान करेगा क्योंकि सरकार ने एथेनॉल को निचले जीएसटी स्लैब के तहत रखा है।

वर्तमान एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में भारत की योजना गैसोलीन के साथ 10 प्रतिशत एथेनॉल-मिश्रण करने की है। इसके लिए 4 अरब लीटर एथेनॉल की जरूरत होगी।

वर्ष 2023 तक 20 प्रतिशत सम्मिश्रण स्तर हासिल करने के लिए 10 अरब (1,000 करोड़) लीटर एथेनॉल की जरूरत होगी।

चीनी उद्योग 60 लाख टन अधिशेष चीनी को आवश्यक सात अरब लीटर एथेनॉल का उत्पादन करने के लिए देगा, जबकि शेष एथेनॉल का उत्पादन अतिरिक्त अनाज से किया जाएगा।

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