अमरीकी डालर के व्यापार

कच्चे तेल का आयात 60.3 बिलियन अमरीकी डालर तक पहुंच गया
अमरीकी डालर के व्यापार कच्चे तेल का आयात
कच्चे तेल का आयात: आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि कच्चे तेल के आयात में वृद्धि ने अप्रैल में भारत
के माल आयात बिल को 31% ऊपर 60.3 बिलियन अमरीकी डालर तक पहुंचा दिया।
व्यापार असंतुलन इस महीने बढ़कर 20.11 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया,
जो मार्च में 18.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि व्यापारिक निर्यात 30.7 प्रतिशत बढ़कर
40.19 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
इस बीच, एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस ने शुक्रवार को बताया कि भारत का कच्चे तेल का
आयात अप्रैल में एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया, जो प्रति दिन 4.8 मिलियन बैरल तक पहुंच गया।
शोध फर्म के अनुसार, पहली बार, रूसी कच्चे तेल का भारत के कुल समुद्री आयात का 5% हिस्सा था।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी व्यापार आंकड़ों के अनुसार,
अप्रैल में पेट्रोलियम आयात 20.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है,
जो अप्रैल 2021 में 10.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 87.5 प्रतिशत अधिक है।
आईसीआरए के अनुसार, माल व्यापार असंतुलन 2022-23 में 250-255 बिलियन अमरीकी डालर
के नए उच्च स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है,
क्योंकि वर्ष के दौरान व्यापारिक निर्यात में वृद्धि लगभग 9% तक धीमी हो जाती है।
दूसरी ओर, आयात में लगभग 16% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया था,
स्थानीय मांग में बाहरी मांग की तुलना में तेजी से विस्तार होने की उम्मीद थी।
अफगानिस्तान में तालिबान के आने से आपके जेब पर भी पड़ेगा असर! महंगे होने लगे ड्राई फूट्स सहित खाने के ये सामान
अफगानिस्तान के ताजा राजनीतिक हालात भारत के साथ व्यापार को भी प्रभावित कर रहा है.
Trade in Afghanistan: अफगानिस्तान के ताजा राजनीतिक हालात (Afghanistan Political Situation) भारत के साथ व्यापार (Trade) . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : August 18, 2021, 14:02 IST
नई दिल्ली. अफगानिस्तान के ताजा राजनीतिक हालात (Afghanistan Political Situation) भारत के साथ व्यापार (Trade) को भी प्रभावित कर रहा है. अफगानिस्तान से आयातित ड्राई फ्रूट्स (Prices of Dry Fruits) और ताजे फलों के दाम बढ़ने लगे हैं. महज कुछ ही दिनों के अंदर ड्राई फ्रूट्स की कीमतों में तो 10 से 12 फीसदी तक उछाल आ गया है. इधर भारतीय निर्यातकों (Exporters) ने आंशका जताई है कि तालिबान शासन (Taliban Rule) आने के बाद अफगानिस्तान और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार पर असर पड़ेगा. खासकर अफगानिस्तान से आने वाले सूखे मेवों और ताजे फलों की कमी से भारतीय बाजार प्रभावित होगा. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) ने अफगानिस्तान के ताजा हालात पर चिंता जताते हुए कहा है कि इससे घरेलू निर्यातकों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. वहीं, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने भी कहा है कि काबुल और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार बुरी तरह प्रभावित होगा, क्योंकि अब इन परिस्थितियों में व्यापारियों का भविष्य अनिश्चित होगा.
आयात-निर्यात पर कितना असर पड़ेगा?
देश के 8 करोड़ व्यापारियों के प्रमुख संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, अमरीकी डालर के व्यापार ‘भारत को अफगानिस्तान से सूखे किशमिश, अखरोट, बादाम, अंजीर, पाइन नट, पिस्ता, सूखे खुबानी और खुबानी, चेरी, तरबूज और औषधीय जड़ी-बूटियों और ताजे फल आयात करने पड़ते हैं. वहीं, अफगानिस्तान को भारत के निर्यात में चाय, कॉफी, काली मिर्च, कपास, खिलौने, जूते और विभिन्न अन्य उपभोग्य वस्तुएं शामिल हैं. अब अफगानिस्तान में अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं. इसलिए अगले कुछ दिनों में अफगानिस्तान से आयात होने अमरीकी डालर के व्यापार वाले ड्राइ फ्रूट्स और ताजे फलों के दाम बढ़ सकते हैं.’
काबुल और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार बुरी तरह प्रभावित होगा. (फाइल फोटो)
क्या कहना है कैट का
कैट के मुताबिक, ‘अफगानिस्तान में राजनीतिक स्थिति की अनिश्चितता के कारण बाजारों में कीमतें बढ़ सकती हैं. भारत और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2020-21 में 1.4 बिलियन अमरीकी डालर था, जबकि 2019-20 में 1.52 बिलियन अमरीकी डालर था. भारत से निर्यात 826 मिलियन अमरीकी डालर था और 2020-21 में आयात 510 मिलियन अमरीकी डालर था.’
व्यापारियों को क्या सलाह है
कैट ने घरेलू निर्यातकों को सतर्क रहने की सलाह दी है और घटनाक्रम पर पैनी नजर रखने की हिदायत दी है. वर्तमान में आयात निर्यात शिपमेंट फंसे हुए हैं, जिससे व्यापारियों को भारी नुकसान हो सकता है. बड़ी मात्रा में भुगतान अवरुद्ध होने की संभावना है जो व्यापारियों को कमजोर स्थिति में डाल देगा. सरकार को इसका संज्ञान लेना चाहिए और वित्तीय संकट का सामना करने की स्थिति में व्यापारियों की मदद करनी चाहिए.
कैट ने घरेलू निर्यातकों को सतर्क रहने की सलाह दी है और घटनाक्रम पर पैनी नजर रखने की हिदायत दी है. (फाइल फोटो)
बता दें कि अफगानिस्तान से सामान आयात और निर्यात करने का हवाई मार्ग ही मुख्य माध्यम है जो कि अब बाधित हो गया है. सबसे अधिक संभावना है कि निजी खिलाड़ियों को अफगानिस्तान को निर्यात करने के लिए अब तीसरे देशों के माध्यम से सौदा करना होगा. लेकिन, यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि आगे स्थिति कैसे बदलती है. फिलहाल भारत से निर्यात पूरी तरह से बंद हो जाएगा, क्योंकि अब समय पर भुगतान की समस्या होगी.
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अमरीकी डालर के व्यापार
भारतीय उद्यमी, व्यापार मालिकों और निवेशकों के लिए संयुक्तराज्य अमेरिका आव्रजन समाधान
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आपके पति या बच्चों की संयुक्त राज्य अमेरिका में काम करने की क्षमता आपके वीज़ा के प्रकार और आपके मामले के विशिष्ट तथ्यों पर निर्भर करती है. इस संबंध में नीचे दी गई तालिका एक सामान्य स्थिति की रूपरेखा है लेकिन उद्देश्य के लिए विशिष्ट कानूनी सलाह नहीं है.
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भारत और पाकिस्तान के छोटे व्यवसाय के मालिकों, निवेशकों और उद्यमियों के वीजा प्राप्ती (उपलब्ध) के लिए सारांशकुंजी
अमेरिकी अमरीकी डालर के व्यापार डालर की बादशाहत को चुनौती देने के लिए तैयार आरबीआई
भारतीय रुपये में विदेशी लेन-देन बढ़ाने का फैसला, खाका तैयार
New Delhi: नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) ने अमरीकी करंसी डालर की बादशाहत को चुनौती देने की तैयारी शुरू कर दी है। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में लगातार आ रही कमजोरी को थामने के साथ व्यापार के मोर्चे पर डालर के खिलाफ ताल ठोकने की तैयारी रिजर्व बैंक ने कर ली है। आरबीआई जल्द ही ऐसी व्यवस्था बनाने वाला है, जिसके बाद ग्लोबल मार्केट में लेनदेन के लिए डॉलर पर निर्भरता खत्म हो जाएगी और हम सीधे रुपये में कारोबार कर सकेंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय रुपये में इनवॉइसिंग, पेमेंट और आयात या निर्यात के निपटान के लिए अमरीकी डालर के व्यापार एक अतिरिक्त व्यवस्था करने का निर्णय लिया है। इस मैकेनिज्म को लागू करने से पहले, एडी बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक, मुंबई के केंद्रीय कार्यालय के विदेशी मुद्रा विभाग से अप्रूवल की आवश्यकता होगी। विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के तहत भारतीय रुपये में सीमा पार व्यापार लेनदेन के लिए सभी निर्यात और आयात को रुपये में मूल्यवर्गित और इन्वॉइस किया जा सकता है। दो ट्रेडिंग पार्टनर देशों की मुद्राओं के बीच विनिमय दर बाजार निर्धारित हो सकती है।
इस व्यवस्था के तहत व्यापार लेनदेन का सेटलमेंट भारतीय रुपये में होगा। इस व्यवस्था के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय व्यापार लेनदेन के निपटान की अनुमति देने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि भारत के आयातकों को भारतीय रुपये में पेमेंट करना होगा, जिसे पार्टनर देश के बैंक के विशेष वोस्ट्रो खाते में जमा किया जाएगा। इसके माध्यम से प्रॉडक्ट्स और सर्विस का निर्यात करने वाले भारतीय निर्यातकों को पार्टनर देश के बैंक के नामित स्पेशल वोस्ट्रो अकाउंट में शोष राशि से भारतीय रुपये में भुगतान किया जाएगा।
परिपत्र के मुताबिक, व्यापार सौदों के समाधान के लिए संबंधित बैंकों को साझेदार कारोबारी देश के अभिकर्ता बैंक के विशेष रुपया वोस्ट्रो खातों की जरूरत होगी। केंद्रीय बैंक ने कहा, इस व्यवस्था के जरिये भारतीय आयातकों को विदेशी विक्रेता या आपूर्तिकर्ता से वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति के इन्वॉयस या बिल के एवज में भारतीय रुपये में भुगतान करना होगा, जिसे उस देश के अभिकर्ता बैंक के खास वोस्ट्रो खाते में जमा किया जाएगा। इसी तरह विदेश में वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति करने वाले निर्यातकों को उस देश के निर्दिष्ट बैंक के खास वोस्ट्रो खाते में जमा राशि से भारतीय रुपये में भुगतान किया जाएगा। इस व्यवस्था से भारतीय निर्यातक विदेशी आयातकों से अग्रिम भुगतान भी रुपये में ले सकेंगे।